गुरुवार, 15 अप्रैल 2021

आज जानिये भारतीय #मुद्रा से जुड़े 31 रोचक #तथ्य Fact About INDIAN CURRENCY

आज जानिये भारतीय मुद्रा से जुड़े 31 रोचक तथ्य


1. भारत में करंसी का इतिहास2500 साल पुराना हैं। इसकी शुरूआत एक #राजा द्वारा की गई थी।

2. अगर आपके पास आधे से ज्यादा (51 फीसदी) फटा हुआ नोट है तो भी आप बैंक में जाकर उसे #बदल सकते हैं।

3. बात सन् 1917 की हैं, जब 1₹ रुपया 13$ #डाॅलर के बराबर हुआ करता था। फिर 1947 में भारत आजाद हुआ, 1₹ = 1$ कर दिया गया. फिर धीरे-धीरे भारत पर कर्ज बढ़ने लगा तो इंदिरा गांधी ने #कर्ज चुकाने के लिए रूपये की कीमत कम करने का फैसला लिया उसके बाद आज तक रूपये की कीमत घटती आ रही हैं।

4. अगर अंग्रेजों का बस चलता तो आज भारत की करंसी #पाउंड होती, लेकिन रुपए की #मजबूती के कारण ऐसा ना हो सका।।

6. सुरक्षा कारणों की वजह से आपको नोट के सीरियल नंबर में I, J, O, X, Y, Z अक्षर नही मिलेंगे।

7. हर भारतीय नोट पर किसी न किसी चीज की #फोटो छपी होती हैं जैसे- 20 रुपए के नोट पर अंडमान आइलैंड की तस्वीर है। वहीं, 10 रुपए के नोट पर हाथी, गैंडा और शेर छपा हुआ है, जबकि 100 रुपए के नोट पर पहाड़ और बादल की तस्वीर है। इसके अलावा 500 रुपए के नोट पर आजादी के आंदोलन से जुड़ी 11 मूर्ति की तस्वीर छपी हैं।

8. भारतीय नोट पर उसकी कीमत 15 #भाषाओंमें लिखी जाती हैं।

9. 1₹ में 100 पैसे होगे, ये बात सन् 1957 में लागू की गई थी। पहले इसे 16 #आने में बाँटा जाता था।

10. RBI, ने जनवरी 1938 में पहली बार 5₹ की पेपर करंसी छापी थी. जिस पर किंग जार्ज-6 का चित्र था। इसी साल 10,000₹ का #नोट भी छापा गया था लेकिन 1978 में इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया।

11. आजादी के बाद पाकिस्तान ने तब तक #भारतीय_मुद्रा का प्रयोग किया जब तक उन्होनें काम चलाने लायक नोट न छाप लिए।

12. भारतीय नोट किसी आम कागज के नही, बल्कि #काॅटन के बने होते हैं। ये इतने मजबूत होते हैं कि आप नए नोट के दोनो सिरों को पकड़कर उसे फाड़ नही सकते।

13. एक समय ऐसा था, जब #बांग्लादेश ब्लेड बनाने के लिए भारत से 5 रूपए के सिक्के मंगाया करता था. 5 रूपए के एक सिक्के से 6 ब्लेड बनते थे. 1 ब्लेड की कीमत 2 रूपए होती थी तो #ब्लेड बनाने वाले को अच्छा फायदा होता था. इसे देखते हुए भारत सरकार ने सिक्का बनाने वाला मेटल ही बदल दिया।

14. आजादी के बाद सिक्के #तांबे के बनते थे। उसके बाद 1964 में #एल्युमिनियम के और 1988 में स्टेनलेस स्टील के बनने शुरू हुए।

15. भारतीय नोट पर #महात्मागांधीकी जो फोटो छपती हैं वह तब खीँची गई थी जब गांधीजी, तत्कालीन #बर्माऔरभारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस के साथ कोलकाता स्थित वायसराय हाउस में मुलाकात करने गए थे। यह फोटो 1996 में नोटों पर छपनी शुरू हुई थी। इससे पहले महात्मा गांधी की जगह #अशोकस्तंभ छापा जाता था।

17. 500₹ का पहला नोट 1987 में और 1,000₹ पहला नोट सन् 2000 में बनाया गया था। और 2000₹ का 2019 मे

18. भारत में 75, 100 और 1,000₹ के भी #सिक्के छप चुके हैं।

19. 1₹ का नोट भारत सरकार द्वारा और 2 से 1,000₹ तक के नोट RBI द्वारा जारी किये जाते हैं.

20. एक समय पर #भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए 0₹ का नोट 5thpillar नाम की गैर सरकारी संस्था द्वारा जारी किए गए थे।

22. नोटो पर सीरियल नंबर इसलिए डाला जाता हैं ताकि आरबीआई(RBI) को पता चलता रहे कि इस समय मार्केट में कितनी #करंसी हैं।

23. रूपया भारत के अलावा इंडोनेशिया, मॉरीशस, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका की भी करंसी हैं।

24. According to RBI, भारत हर साल 2,000 करोड़ करंसी नोट छापता हैं।

26. ₹ के इस चिन्ह को 2010 में उदय कुमार ने बनाया था। इसके लिए इनको 2.5 लाख रूपयें का #इनाम भी मिला था।

27. क्या RBI जितना मर्जी चाहे उतनी कीमत के नोट छाप सकती हैं ? ऐसा नही हैं, कि RBI जितनी मर्जी चाहे उतनी कीमत के नोट छाप सकती हैं, बल्कि वह सिर्फ 10,000₹ तक के नोट छाप सकती हैं। अगर इससे ज्यादा कीमत के नोट छापने हैं तो उसको रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट, 1934 में बदलाव करना होगा।

28. जब हमारे पास मशीन हैं तो हम अनगणित नोट क्यों नही छाप सकते ?
हम कितने नोट छाप सकते हैं इसका निर्धारण मुद्रा स्फीति, जीडीपी ग्रोथ, बैंक नोट्स के रिप्लेसमेंट और रिजर्व बैंक के स्टॉक के आधार पर किया जाता है।

29. हर सिक्के पर सन् के नीचे एक #खास_निशान बना होता हैं आप उस निशान को देखकर पता लगा सकते हैं कि ये सिक्का कहाँ बना हैं.
.
मुंबई – हीरा [◆]
नोएडा – डाॅट [.]
हैदराबाद – सितारा [★]
कोलकाता – कोई निशान नहीं.

30. जानिए, एक नोट कितने रूपयें में छपता हैं।
*.1₹ = 1.14₹
*.10₹ = 0.66₹
*.20₹ = 0.94₹
*.50₹ = 1.63₹
*.100₹ = 1.20₹
*.500₹ = 2.45₹
*.1,000₹ = 2.67₹
.
31. रूपया, डाॅलर के मुकाबले बेशक कमजोर हैं लेकिन फिर भी कुछ देश ऐसे हैं, जिनकी करंसी के आगे रूपया काफी बड़ा हैं आप कम पैसों में इन देशों में घूमने का लुत्फ उठा सकते हैं.

नेपाल (1₹ = 1.60 नेपाली रुपया)
आइसलैंड (1₹ = 1.94 क्रोन)
श्रीलंका (1₹ = 2.10 श्रीलंकाई रुपया)
हंगरी (1₹ = 4.27 फोरिंट)
कंबोडिया (1₹ = 62.34 रियाल)
पराग्वे (1₹ = 84.73 गुआरनी)
#इंडोनेशिया (1₹ = 222.58 इंडोनेशियन रूपैया)
बेलारूस (1₹ = 267.97 बेलारूसी रुबल)
#वियतनाम (1₹ = 340.39 वियतनामी डॉन्ग).

भारतीय मुद्रा प्रणाली का #संशिप्त_विवरण

OLD INDIAN CURRENCY SYSTEM..
Phootie Cowrie to Cowrie
Cowrie to Damri
Damri  to Dhela
Dhela  to Pie
Pie to  to Paisa
Paisa to Rupya
256 Damri = 192 Pie = 128 Dhela = 64 Paisa (old) = 16 Anna = 1 Rupya


महोदय, कृपया ध्यान दें,

   यद्यपि इसे (पोस्ट) तैयार करने में पूरी सावधानी रखने की कोशिश रही है। फिर भी किसी घटनाएतिथि या अन्य त्रुटि के लिए मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है । अतः अपने विवेक से काम लें या विश्वास करें। इस वेवसाइट का उद्देश मात्र सभी तक जानकारी पहंुचाना मात्र है।

यह पोस्ट में दी गयी जानकारी धार्मिक विश्वास एवं आस्था, Whats-app एवं  ग्रन्थों से पर आधारित है जो पूर्णता वैज्ञानिक नहीं है अधिक जानकारी के लिए अथवा पूरा प्रवचन सुनने के लिए मूल वेवसाइट पर जायें, किसी को कोई आपत्ति हो तो कृपया कमेन्ट बाक्स में लिखें।

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हमारी वेबसाइट का उपयोग करके, आप हमारे उक्त शर्तों/स्वीकरण के लिए सहमति देते हैं और इसकी शर्तों से सहमत होते हैं। किसी भी प्रकार के विवाद के लिए लखनऊ जिला के अन्तर्गत न्यायालयों, फारमों, आयोगों, मध्यस्थ अथवा उच्च न्यायालय, लखनऊ में ही वाद की सुनवाई की जायेगी।

हिन्दू #ऋषियों द्वारा किये वैज्ञानिक आविष्कार जान कर हो जायेंगे हैरान

हिन्दू ऋषियों द्वारा किये वैज्ञानिक आविष्कार जान कर हो जायेंगे हैरान!


हिन्दू धर्म कितना पुराना हैं ये तो किसी को भी ज्ञात नहीं पर यह ज़रूर कहा जाता हैं कि सबसे सनातन धर्म हैं और कई सदियों से चले आ रहे इस धर्म को मानने वाले कई ऐसे व्यकित भी हुए जिन्हें हम ऋषि-मुनि कहते हैं ।

आज की ज़ुबान में इन ऋषि-मुनियों को वैज्ञानिक कहा जाता हैं ।

इन ऋषियों के द्वारा पुरातन काल में कई ऐसे अविष्कार हुए जो दुनिया में पहले किसी ने नहीं किये ।

आज हम ऐसे ही हिन्दू ऋषियों द्वारा किये वैज्ञानिक अविष्कार के बारे में बात करेंगे ।

1. ऋषि पतंजलि-

हम सब ने पतंजलि का नाम ज़रूर सुना हैं । बाबा रामदेव द्वारा चलाई जाने वाली एक योग संस्था जो कि हरिद्वार में स्थित हैं । लेकिन ये पतंजलि वह संस्था नही बल्कि ऋषि पतंजलि हैं जिन्होंने ने “योगशास्त्र” लिखा था । आज पुरे विश्व में जिस योग की क्रांति हुई है, वह ऋषि पतंजलि का ही अविष्कार हैं ।

2. आचार्य चरक-

आचार्य चरक के द्वारा ही “चरकसंहिता” लिखी गयी थी । चरक संहिता को “आयुर्वेदग्रन्थ” के नाम से भी जाना जाता हैं ।

3. महर्षि सुश्रुत-

महर्षि सुश्रुत को शल्यचिकित्सा का आविष्कारक माना जाता हैं । शल्य चिकित्सा को सर्जरी भी कहा जाता हैं । महर्षि सुश्रुत द्वारा लिखे गए “सुश्रुतसंहिता” में उन्होंने करीब 300 तरह की शल्य क्रिया का उल्लेख किया हैं । उनके द्वारा ही सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले उपकरण और उन के उपयोग की विधि महर्षि सुश्रुत द्वारा ही लिखी गयी थी ।

4. आचार्य कणाद-

आचार्य कणाद को “परमाणुशास्त्र” का रचयिता माना जाता हैं । इनके द्वारा ये पता लगाया गया था कि द्रव्य यानि लिक्विड के भी परमाणु होते हैं ।

5. आचार्य विश्वामित्र-

वैसे तो आचार्य विश्वामित्र अपने मेनका प्रसंग के लिय बहुचर्चित हैं पर इनके द्वारा प्रक्षेपात्र यानि मिसाइल का अविष्कार किया गया था । आचार्य विश्वामित्र ने यह विद्या भगवान् शिव से प्राप्त की थी ।

6. आचार्य भारद्वाज-

हवाई जहाज के अविष्कार की बात जब भी हो तो राईट बंधू का नाम लिया जाता हैं । लेकिन विमान निर्माण के पीछे के पूरी खोज आचार्य भारद्वाज द्वारा लिखे गए “विमानशास्त्र” में कई सदी पहले ही कर दी गयी थी ।

7. गर्ग मुनि-

जब ग्रह-नक्षत्रों की बात आती हैं तो हम ज्योतिषियों के पास जाते हैं पर इस पूरी विद्या के पीछे गर्ग मुनि द्वारा लिखे गए नक्क्षत्र विद्या का शास्त्र हैं । जिसे स्वयं गर्ग मुनि ने लिखा था ।

8. भास्कराचार्य-

आप ने “सिद्धांत शिरोमणि” सुना हैं? शायद ही सुना होगा । लेकिन गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत ज़रूर सुना होगा जिसे न्यूटन के सिद्धांत के नाम से ज्यादा जाना जाता हैं । लेकिन “सिद्धांत शिरोमणि” में भास्कराचार्य ने पहले ही इस सिद्धांत की व्याख्या कर दी थी जिसमें कहा गया था कि “आकाश से प्रथ्वी की ओर आने वाली कोई भी वस्तु गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे ही आएगी” इस सिद्धांत को स्वयं आचार्य ने लिखा था ।

9. बौद्ध्यन ऋषि-

बौद्ध्यन ऋषि ने त्रिकोणमिति का सिद्धांत का अविष्कार किया था । जिसे आज पईथागोरस प्रमेय के नाम से ज्यादा जाना जाता हैं ।

10. आचार्य चाणक्य-

चाणक्य को हम सभी अखंड भारत के रचियता के रूप में पहले से जानते हैं लेकिन आज हम जिस ‘अर्थशास्त्र” को पढ़ते हैं उसकी रचना स्वयं आचार्य चाणक्य ने की ।


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शनिवार, 3 अप्रैल 2021

#भारत #सरकार (Indian Government) छात्रों को #स्कॉलरशिप्स #Scholarships देती है

छात्रों के लिए मोदी सरकार की पहल , बिना बाधा मजबूत कर अपना इरादा पाये  आप ये छात्रवृति खास


भारत सरकार (Indian Government) कमजोर वर्ग से आने वाले छात्रों को स्कॉलरशिप्स (Scholarships) देती है, ताकि वे अपनी आगे की पढ़ाई को पूरा कर सकें. इन स्कॉलरशिप्स के जरिए छात्र हर साल स्कूल और कॉलेज की अपनी शिक्षा को सफलतापूर्वक पूरा कर पाते हैं. सरकार द्वारा दी जाने वाली स्कॉलरशिप्स कई प्रकार की होती है. ऐसे में आइए उन पांच महत्वपूर्ण स्कॉलरशिप्स के बारे में जाना जाए, जो छात्रों को स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पूरा करने में मदद कर सकती है.

(1.) नेशनल मीन्स कम मेरिट स्कॉलरशिप (National Means cum Merit Scholarship)

आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राएं आठवीं क्लास के बाद इस स्कॉलरशिप का लाभ उठा सकते हैं.

इस स्कॉलरशिप के जरिए हर साल एक लाख छात्रों को 12 हजार रुपये सालाना छात्रवृत्ति दी जाती है. नेशनल मीन्स कम मेरिट स्कॉलरशिप के लिए अगस्त से अक्टूबर महीने के बीच आवदेन लिए जाते हैं. छात्रों को इसके लिए नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल (NSP) पर जाना होता है और वहां ऑनलाइन आवेदन करना होता है.

क्या है शर्त और कौन उठा सकता है इसका लाभ: इस स्कॉलरशिप के लिए छात्रों का आठवीं क्लास में 55 फीसदी अंक होना अनिवार्य है. NSP पर आवेदन करने के बाद एक सेलेक्शन टेस्ट देना होता है. वहीं, परिवार की आय सालाना 1.5 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए.

(2.) AICTE सक्षम स्कॉलरशिप (AICTE Saksham Scholarship)

भारत सरकार द्वारा विद्यार्थियों के बीच तकनीकि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इस स्कॉलरशिप की शुरुआत की गई है. इसके तहत टेक्निकल डिग्री या डिप्लोमा करने वाले विशेष रूप से सक्षम (Specially abled) छात्रों को स्कॉलरशिप दी जाती है. नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल (NSP) पर सितंबर-अक्टूबर के बीच आवदेन फॉर्म भरना होता है. इसके बाद शर्तों को पूरा करने वाले छात्रों को सालाना 50 हजार रुपये छात्रवृत्ति के रूप में दी जाती है.

इस स्कॉलरशिप का लाभ उन छात्रों को मिलता है, जो 40 फीसदी तक दिव्यांग हैं. इसके अलावा छात्र AICTE से संबंधित संस्थान में डिग्री या डिप्लोमा कोर्स कर रहा है. छात्र का कोर्स में आवेदन के लिए लैटरल एंट्री के जरिए एडमिशन लेना अनिवार्य है. इसके अलावा, इस स्कॉलरशिप के लिए पारिवारिक आय का आठ लाख से कम होना भी जरूरी है.

(3.) सेंट्रल सेक्टर स्कीम ऑफ स्कॉलरशिप (CSSS)

कॉलेज या यूनिवर्सिटी जाने वाले छात्रों के लिए भारत सरकार CSSS स्कॉलरशिप का संचालन करती है. इसके तहत 12वीं कक्षा पास कर कॉलेज या यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्र को स्कॉलरशिप दी जाती है. ये आर्थिक रूप से कमजोर और मेधावी छात्रों को मुहैया कराई जाती है. इसके तहत हर छात्र को सालाना 10 से 20 हजार रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती है. नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल (NSP) पर अगस्त से अक्टूबर के बीच इसके लिए आवदेन जारी किए जाते हैं.

12वीं क्लास में 80 फीसदी या इससे ज्यादा अंक हासिल करने वाले छात्रों को ये स्कॉलरशिप दी जाती है. स्कॉलरशिप हासिल करने के छात्र का फुल टाइम कोर्स में एडमिशन लेना अनिवार्य है. इसके अलावा, परिवार की आय आठ लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए.

(4.) एआईसीटीई प्रगति स्कॉलरशिप (AICTE Pragati Scholarship)

सरकार द्वारा चलाई जाने वाली ये स्कॉलरशिप सिर्फ छात्राओं के लिए है. एक परिवार की अधिकतम दो लड़कियां ही इस स्कॉलरशिप का लाभ उठा सकती हैं. भारत सरकार हर साल ऐसी 5000 स्कॉलरशिप जारी करता है. इस स्कॉलरशिप के जरिए 50 हजार रुपये और अन्य सुविधाएं छात्राओं को मुहैया कराई जाती है. नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल (NSP) पर सिंतबर से अक्टूबर के बीच इसके लिए आवदेन जारी होते हैं.

टेक्निकल डिग्री और डिप्लोमा कोर्स के फर्स्ट या सेकेंड ईयर में पढ़ाई करने वाली छात्राओं के लिए ये स्कॉलरशिप जारी की जाती है. स्कॉलरशिप की शर्त के मुताबिक, छात्रा का संबंधित कोर्स में एडमिशन 12वीं के अंकों के आधार पर लैटरल एंट्री के जरिए होना चाहिए. साथ ही छात्रा के परिवार की वार्षिक आय आठ लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.

(5.) प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (PMRF)

भारत सरकार द्वारा इस स्कॉलरशिप की शुरुआत छात्रों के बीच शोध को बढ़ावा देने के लिए की गई. PMRF स्कॉलरशिप उन छात्रों को दी जाती है, जो किसी संस्थान में पीएचडी प्रोग्राम में पढ़ाई कर रहे हों. इसके अलावा इस स्कॉलरशिप को हासिल करने के लिए छात्र को PMRF की अन्य शर्तों का भी पालन करना होगा. इसके तहत हर महीने छात्र को 80 हजार रुपये प्रति माह अनुदान दिया जाता है.

#भारत #सरकार (Indian Government) छात्रों को #स्कॉलरशिप्स #Scholarships देती है


मिलेगी सेहत और #रोजगार, #कुल्लड़ का शुरू करे #व्यवसाय, #कारोबार #Business

📌 कम पूंजी बढ़िया व्यापार , मिलेगी सेहत और रोजगार, कुल्लड़ का शुरू करे व्यवसाय, मिल रहा सरकार का साथ

गर आपके पास इनकम का कोई बढ़िया साधन नहीं है और अपना कारोबार (Business) करना चाहते हैं. मोटी कमाई का जरिया (How to earn money) चाहते हैं, लेकिन आपके अधिक पूंजी नहीं है तो अब चिंता करने की बात नहीं है. इस तरह के कई बिजनेस हैं, जिसे आप आप कम पूंजी (Low investment) में शुरू कर सकते हैं और इनसे बढ़िया मुनाफा (Good return) कमाया जा सकता है. यहां हम आपको एक शानदार ऑप्शन के बारे में बताएंगे, जिससे आप 5000 रुपये की छोटी रकम से भी कारोबार शुरू कर सकते हैं. इतना ही नहीं सरकार (modi Gov scheme) भी इस कारोबार को करने वालों की मदद करेगी. दरअसल, भारत में एक बड़ी आबादी चाय की शौकीन है.

रेलवे स्टेशनों, बस डिपो और हवाईअड्डों पर कुल्हड़ की चाय की लगातार मांग रहती है. ऐसे में आप कुल्हड़ बनाने (Kulhad making business) और बेचने का बिजनेस शुरू कर सकते है.

कुल्हड़ के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहती है सरकार
केंद्र सरकार की अपनी एक योजना पर अमल करती है तो आने वाले समय में कुल्हड़ की मांग और भी तेजी से बढ़ेगी. हाल ही में सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कुल्हड़ को बढ़ावा देने के लिए प्लास्टिक या कागज के कप में चाय बेचने पर रोक लगाने की मांग की है. ऐसे में आने वाले समय में कुल्हड़ की मांग में इजाफे का फायदा उठा सकते हैं.

इलेक्ट्रिक चाक मुहैया कराती है सरकर
आपको बता दें कि मोदी सरकार ने कुल्हड़ बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए कुम्हार सशक्तीकरण योजना को लागू किया है. इस योजना के तहत केंद्र सरकार देशभर के कुम्हारों को बिजली से चलने वाली चाक देती है तो वो इससे कुल्हड़ समेत मिट्टी के बर्तन बना सकें. बाद में सरकार कुम्हारों से इन कुल्हड़ को अच्छी कीमत पर खरीद लेती है.

5 हजार लगाकर शुरू कर सकते हैं ये बिजनेस
मौजूदा दौर को देखते हुए यह बिजनेस बेहद कम कीमत में शुरू किया जा सकता है. इसके लिए आपको थोड़ी सी जगह के साथ-साथ 5,000 रुपये की जरूरत होगी. खादी ग्रामोद्योग आयोग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने जानकारी दी है कि इस साल सरकार ने 25 हजार इलेक्ट्रिक चाक वितरित किया है.

कैसे और कितनी होगी कुल्हड़ से कमाई?
चाय का कुल्हड़ बेहद किफायती होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिहाज से भी सुरक्षित होता है. मौजूदा दर की बात करें तो चाय के कुल्हड़ का भाव करीब 50 रुपये सैकड़ा है. इसी प्रकार लस्सी के कुल्हड़ की कीमत 150 रुपये सैकड़ा, दूध के कुल्हड़ की कीमत 150 रुपये सैकड़ा और प्याली 100 रुपये सैकड़ा चल रही है. मांग बढ़ने पर इससे अच्छे रेट की भी संभावना है.

कर सकते हैं अच्छी बचत
आज के समय में शहरों में कुल्हड़ वाली चाय की कीमत 15 से 20 रुपये तक भी होती है. अगर बिजनेस को सही तरीके से चलाया जाए और कुल्हड़ बेचने पर ध्यान दिया जाए तो 1 दिन में 1,000 रुपये के करीब बचत की जा सकती है.

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

mahila kanoon women कानून

📌 *_स्त्री कै प्रति क्रूरता से संबंधित क्या है कानूनी प्रावधान जानिए धारा 498A_*


*धारा 498A का विवरण*

जो कोई, किसी स्त्री का पति या पति नातेदार होते हुए, ऐसी स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
स्पष्टीकरण--इस धारा के प्रयोजनों के लिए, क्रूरता निम्नलिखित अभिप्रेत हैः--
(क) जानबूझकर किया गया कोई आचरण जो ऐसी प्रकॄति का है जिससे स्त्री को आत्महत्या करने के लिए या उसके जीवन, अंग या स्वास्थ्य (जो चाहे मानसिक हो या शारीरिक) के प्रति गंभीर क्षति या खतरा कारित करने के लिए उसे प्रेरित करने की सम्भावना है ; या
(ख) किसी स्त्री को तंग करना, जहां उसे या उससे सम्बन्धित किसी व्यक्ति को किसी सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति के लिए किसी विधिविरुद्ध मांग को पूरी करने के लिए प्रपीडित करने को दृष्टि से या उसके अथवा उससे संबंधित किसी व्यक्ति के ऐसे मांग पूरी करने में असफल रहने के कारण इस प्रकार तंग किया जा रहा है ।
 

धारा 498 ए- किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता करना
शादी बंधन से बंधी महिलाओं के खिलाफ क्रूरता ने अभियुक्तों पर मुकदमा चलाने और अपराध सिद्ध करने के मामलों में कुछ कठिनाइयों का सामना किया। ऐसा इसलिए था, क्योंकि अधिक बार, महिलाएं चुप्पी में अपने कष्टों को सहन करती हैं। स्वतंत्र गवाहों को प्राप्त करना भी एक मुश्किल काम है, क्योंकि आम तौर पर घर के चार दीवारों के भीतर पत्नी की हिंसा को जनता की निगाह से दूर रखा जाता है। इसके अलावा, दहेज की मांग के कारण महिलाओं का उत्पीड़न शुरू हो जाता है, अगर वे उसी से मिलने में विफल रहीं। हिंसा आम तौर पर सूक्ष्मतर और अधिक विचारशील रूपों में होती है (उदाहरण के लिए, मानसिक क्रूरता), लेकिन समान रूप से अत्याचारी, या कई बार महिला को अपनी जान लेने के लिए उकसाना।

धारा 498 क को आपराधिक कानून (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 1983 द्वारा आई. पी. सी. में 1983 में डाला गया था। इस धारा का उद्देश्य विवाहित महिला को उसके पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा प्रताड़ित करने से रोकना और दहेज के लिए उसे प्रताड़ित करने के उद्देश्य से उसे प्रताड़ित करना था। 1983 से पहले, अपने पति या उसके ससुराल वालों द्वारा पत्नी का उत्पीड़न आई. पी. सी. के सामान्य प्रावधानों द्वारा मारपीट, चोट, शिकायत या दुख से निपटने के लिए किया गया था। हालांकि, महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा, विशेष रूप से युवा, नवविवाहित महिलाओं और दुल्हन जलने की बढ़ती घटनाएं हर किसी के लिए चिंता का विषय बन गईं। यह महसूस किया गया कि आई. पी. सी. के सामान्य प्रावधान महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं थे।

इस समस्या से निपटने के लिए, संसद द्वारा यह महसूस किया गया कि तीन स्तरों पर व्यापक विधायी परिवर्तन आवश्यक थे:

पतियों के पति और रिश्तेदारों द्वारा महिलाओं के प्रति क्रूरता के अपराध को परिभाषित करना

ऐसी प्रक्रियाएं शुरू करने के लिए जो महिलाओं की कुछ मौतों के मामलों में जांच को अनिवार्य बनाती हैं

साक्ष्य अधिनियम में बदलाव लाने के लिए जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में अभियुक्तों को अभियोजन और दोषसिद्धि को आसान बना देगा।

तदनुसार, धारा 498 ए और धारा 304 बी (दहेज हत्या) को आई. पी. सी. में जोड़ा गया था। इसके बाद, धारा 174, सीआरपीसी में संशोधन किया गया था, जो कार्यकारी मजिस्ट्रेटों द्वारा विवाह के सात वर्षों के भीतर महिलाओं की आत्महत्या या संदिग्ध मौतों के मामलों में अनिवार्य किया गया था।

धारा 113 बी को साक्ष्य अधिनियम में जोड़ा गया था, जिसमें यह प्रावधान किया गया था कि यदि यह दिखाया गया है कि किसी महिला की मृत्यु से पहले उसे दहेज की मांग के संबंध में किसी व्यक्ति द्वारा क्रूरता या उत्पीड़न किया गया था, तो यह माना जाएगा कि इस तरह के महिला को परेशान करने वाले व्यक्ति ने महिला की मौत का कारण बना।

📌 *_स्त्री कै प्रति क्रूरता से संबंधित क्या है कानूनी प्रावधान जानिए धारा 498A_*

प्रताप सिंह 
*धारा 498A का विवरण*

जो कोई, किसी स्त्री का पति या पति नातेदार होते हुए, ऐसी स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
स्पष्टीकरण--इस धारा के प्रयोजनों के लिए, क्रूरता निम्नलिखित अभिप्रेत हैः--
(क) जानबूझकर किया गया कोई आचरण जो ऐसी प्रकॄति का है जिससे स्त्री को आत्महत्या करने के लिए या उसके जीवन, अंग या स्वास्थ्य (जो चाहे मानसिक हो या शारीरिक) के प्रति गंभीर क्षति या खतरा कारित करने के लिए उसे प्रेरित करने की सम्भावना है ; या
(ख) किसी स्त्री को तंग करना, जहां उसे या उससे सम्बन्धित किसी व्यक्ति को किसी सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति के लिए किसी विधिविरुद्ध मांग को पूरी करने के लिए प्रपीडित करने को दृष्टि से या उसके अथवा उससे संबंधित किसी व्यक्ति के ऐसे मांग पूरी करने में असफल रहने के कारण इस प्रकार तंग किया जा रहा है ।
 

धारा 498 ए- किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता करना
शादी बंधन से बंधी महिलाओं के खिलाफ क्रूरता ने अभियुक्तों पर मुकदमा चलाने और अपराध सिद्ध करने के मामलों में कुछ कठिनाइयों का सामना किया। ऐसा इसलिए था, क्योंकि अधिक बार, महिलाएं चुप्पी में अपने कष्टों को सहन करती हैं। स्वतंत्र गवाहों को प्राप्त करना भी एक मुश्किल काम है, क्योंकि आम तौर पर घर के चार दीवारों के भीतर पत्नी की हिंसा को जनता की निगाह से दूर रखा जाता है। इसके अलावा, दहेज की मांग के कारण महिलाओं का उत्पीड़न शुरू हो जाता है, अगर वे उसी से मिलने में विफल रहीं। हिंसा आम तौर पर सूक्ष्मतर और अधिक विचारशील रूपों में होती है (उदाहरण के लिए, मानसिक क्रूरता), लेकिन समान रूप से अत्याचारी, या कई बार महिला को अपनी जान लेने के लिए उकसाना।

धारा 498 क को आपराधिक कानून (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 1983 द्वारा आई. पी. सी. में 1983 में डाला गया था। इस धारा का उद्देश्य विवाहित महिला को उसके पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा प्रताड़ित करने से रोकना और दहेज के लिए उसे प्रताड़ित करने के उद्देश्य से उसे प्रताड़ित करना था। 1983 से पहले, अपने पति या उसके ससुराल वालों द्वारा पत्नी का उत्पीड़न आई. पी. सी. के सामान्य प्रावधानों द्वारा मारपीट, चोट, शिकायत या दुख से निपटने के लिए किया गया था। हालांकि, महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा, विशेष रूप से युवा, नवविवाहित महिलाओं और दुल्हन जलने की बढ़ती घटनाएं हर किसी के लिए चिंता का विषय बन गईं। यह महसूस किया गया कि आई. पी. सी. के सामान्य प्रावधान महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं थे।

इस समस्या से निपटने के लिए, संसद द्वारा यह महसूस किया गया कि तीन स्तरों पर व्यापक विधायी परिवर्तन आवश्यक थे:

पतियों के पति और रिश्तेदारों द्वारा महिलाओं के प्रति क्रूरता के अपराध को परिभाषित करना

ऐसी प्रक्रियाएं शुरू करने के लिए जो महिलाओं की कुछ मौतों के मामलों में जांच को अनिवार्य बनाती हैं

साक्ष्य अधिनियम में बदलाव लाने के लिए जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में अभियुक्तों को अभियोजन और दोषसिद्धि को आसान बना देगा।

तदनुसार, धारा 498 ए और धारा 304 बी (दहेज हत्या) को आई. पी. सी. में जोड़ा गया था। इसके बाद, धारा 174, सीआरपीसी में संशोधन किया गया था, जो कार्यकारी मजिस्ट्रेटों द्वारा विवाह के सात वर्षों के भीतर महिलाओं की आत्महत्या या संदिग्ध मौतों के मामलों में अनिवार्य किया गया था।

धारा 113 बी को साक्ष्य अधिनियम में जोड़ा गया था, जिसमें यह प्रावधान किया गया था कि यदि यह दिखाया गया है कि किसी महिला की मृत्यु से पहले उसे दहेज की मांग के संबंध में किसी व्यक्ति द्वारा क्रूरता या उत्पीड़न किया गया था, तो यह माना जाएगा कि इस तरह के महिला को परेशान करने वाले व्यक्ति ने महिला की मौत का कारण बना।

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रविवार, 14 फ़रवरी 2021

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*पाँच क्या-क्या होते हैं -* 

पांच होते हैं -
1. व्रत पाँच -1.अहिंसा, 2. सत्य, 3.अचौर्य, 4.ब्रम्हचर्य, 5.अपरिग्रह।

2. पाप पाँच - 1.हिंसा, 2.झूठ, 3. चोरी, 4.कुशील 5.परिग्रह।

3. शरीर पाँच - 1.औदारिक, 2.वैक्रियक, 3.आहारक 4.तैजस, 5. कार्मण

4. भाव पाँच - 1.औपशमिक भाव, 2.क्षायिक भाव, 3.क्षायोपशमिक भाव, 4.औदायिक भाव, 5.पारिणामिक भाव।

5. समिति पांच - 1.ईर्या समिति, 2.भाषा समिति, 3.एषणा समिति, 4. आदाननिक्षेपण समिति 5.प्रतिष्ठापन (व्युत्सर्ग) समिति।

6. इन्द्रिय पांच - 1.स्पर्शन, 2.रसना, 3.घ्राण, 4.चक्षु 5.कर्ण।

7. आचार पांच - 1.दर्शनाचार, 2.ज्ञानाचार,3.चारित्रचार, 4.तपाचार, 5.वीर्याचार।

8. उदम्बरुल पांच - 1.बड़, 2.पीपल, 3.पाकर, 4.गूलर 5.कठूमर। 

9. मिथ्यात्व पाँच - 1.विपरीत, 2.एकान्त, 3.संशय 4.विनय, 5.अज्ञान।

10. ज्ञान पाँच - 1.मतिज्ञान, 2.श्रुतज्ञान, 3.अवधिज्ञान, 4.मन:पर्ययज्ञान, 5.केवलज्ञान। 

11. परमेष्ठी पाँच - 1.अरहन्त, 2.सिद्ध, 3.आचार्य 4.उपाध्याय, 5.साधु।

12. अन्तराय कर्म के पाँच भेद- 1.दान अन्तराय, 2.लाभ अन्तराय, 3.भोग अन्तराय, 4.उपभोग अन्तराय, 5.वीर्य अन्तराय। 

13. लब्धि के पांच प्रकार - 1.क्षयोपशम लब्धि, 2.विशुद्ध लब्धि, 3.देशना लब्धि, 4. प्रायोग्य लब्धि, 5. कारण लब्धि

14. अनुत्तर विमान पाँच - 1.विजय, 2.वैजयन्त 3.जयन्त, 4. अपराजित, 5. सर्वार्थसिद्धि। 

15. ज्योतिषी देव पाँच - 1.सूर्य, 2.चन्द्रमा, 3.ग्रह 4.नक्षत्र, 5.तारे। 

16. चौदहवें गुणस्थान का काल- 1.अ, 2.अ. 3.उ, 4.ऋ, 5.लृ  इन पाँच हस्व स्वरों के उच्चारण काल मात्र।

17. बाल ब्रम्हचारी तीर्थंकर पाँच हैं (पंचबालयति) - 1.वासुपूज्य, 2.मल्लिनाथ, 3.नेमिनाथ, 4.पार्श्वनाथ, 5.महावीर।

18.  मेरू पाँच- 1.सुदर्शन, 2.विजय, 3.अचल, 4.मन्दर, 5.विद्युन्माली।

19. बन्ध के पाँच कारण - 1.मिथ्यादर्शन, 2.अविरति, 3.प्रमाद, 4.कषाय, 5.योग।

20. मुनि के पांच प्रकार - 1.पुलाक, 2.बकुश, 3.कुशील, 4. निर्ग्रंथ, 5.स्नातक। 

21. अहिंसा व्रत के पाँच अतिचार - 1.बन्ध, 2.वध, 3.छेदन, 4.अतिभारारोपण, 5.अन्नपान निरोध। 

22. सत्य व्रत के पाँच अतिचार - 1.मिथ्योपदेश, 2.रहोभ्याख्यान, 3.कूटलेखक्रिया, 4.न्यासापहार, 5.साकार मंत्र भेद। 

23. अचौर्य व्रत के पाँच अतिचार - 1.स्तेनप्रयोग, 2.तदाहृतादान, 3.विरुद्धराज्यातिक्रम. 4.महीना अधिक मान सन्मान, 5.प्रतिरूपक व्यवहार।

24. ब्रह्मचर्य व्रत के पाँच अतिचार - 1.परविवाहकरण, 2. परगृहीतेत्वरिकागमन, 3.अपरिगृहीतेत्वरिकागमन,4.अनंगक्रीड़ा, 5.कामतीव्राभिनिवेश।

25. अपरिग्रह व्रत के पाँच अतिचार - 1.क्षेत्र-वास्तु प्रमाणात अतिक्रमण, 2.हिरण्य-सुवर्ण प्रमाणातिक्रम, 3.धन-धान्य प्रमाणातिक्रम, 4.दासी-दास प्रमाणातिक्रम, 5.कुप्य प्रमाणातिक्रम।

26. स्वाध्याय के पाँच भेद - 1.वाचना, 2.पृच्छना, 3.अनुप्रेक्षा, 4.आम्नाय, 5.धर्मोपदेश।

27. समाधि मरण के पाँच अतिचार - 1.जीवितासंशा, 2.मरणासंशा, 3.मित्रानुराग, 4.सुखानुबन्ध, 5.निदान।

28. अहिंसा व्रत की भावना पाँच - 1.वचन गुप्ति, 2.मनोगुप्ति, 3.ईर्या समिति, 4.आदाननिक्षेपण समिति, 5.आलोकित पान भोजन।  

29. सत्य व्रत की भावना पाँच - 1.क्रोध का त्याग, 2.लोभ का त्याग, 3.भय का त्याग, 4.हास्य का त्याग, 5.अनुविचि भाषण।

30. अचौर्य व्रत की भावना पाँच - 1. खाली घर में रहना, 2. किसी के छोड़े हुए स्थान में रहना, 3. अन्य को अपने ठहरे स्थान में आने से रोकना नहीं, 4.शास्त्र विहित भिक्षा की विधि में न्यूनाधिक नहीं करना, 5.साधर्मी भाइयों से विसंवाद नहीं करना।

31. ब्रह्मचर्य व्रत की भावना पाँच - 1.स्त्रियों में प्रीति उत्पन्न कराने वाली कथाओं को सुनने का त्याग। 2.स्त्रियों के मनोहर अंगों को रागसहित देखने का त्याग। 3.पूर्व काल में किये हुए विषय भोगों को स्मरण करने का त्याग। 4. काम उद्दीपन करने वाले पुष्टिकर व इन्द्रियों की लालसा उत्पन्न करने वाले रसों का त्याग। 5.शरीर के श्रृंगार युक्त करने का त्याग।

32. अपरिग्रह व्रत की भावना पाँच - 1.स्पर्शन, 2.रसना, 3.घ्राण, 4.चक्षु, 5.कर्ण इन्द्रियों के स्पर्श आदि इष्ट-अनिष्ट विषयों में रागद्वेष के भाव का त्याग।

33. समाधि मरण के पाँच प्रकार - 1.बाल-बाल मरण, 2.बाल मरण, 3.बाल पण्डित मरण, 4.पण्डित मरण, 5.पण्डित-पण्डित मरण। 

34. दर्शन मोहनीय बन्ध के पाँच कारण - 1.केवली का अवर्णवाद, 2.शास्त्र का अवर्णवाद, 3.संघ का अवर्णवाद,4.धर्म का अवर्णवाद, 5.देवों का अवर्णवाद।

35. सम्यग्दर्शन के पाँच अतिचार - 1.शंका, 2.कांक्षा, 3.विचिकित्सा, 4.अन्यदृष्टि प्रशंसा, 5.अन्यदृष्टिसंस्तव।

36. दिग्व्रत के पाँच अतिचार -  1.ऊर्ध्वव्यतिक्रम, 2.अधोव्यतिक्रम, 3.तिर्यग्व्यतिक्रम, 4.क्षेत्रवृद्धि, 5.स्मृत्यन्तराधान।

37. देशव्रत के पाँच अतिचार - 1.आनयन, 2.प्रेष्यप्रयोग, 3.शब्दानुपात, 4.रूपानुपात,5.पुद्गलक्षेप।

38. अनर्थदण्डत्याग व्रत के पाँच अतिचार - 1.कन्दर्प, 2.कौत्कुच्य, 3.मौखर्य 4.असमीक्ष्याधिकरण,5.उपभोगपरिभोगानर्थक्य।

39. सामायिक व्रत के पाँच अतिचार -1.मनोदुःप्रणिधान, 2.वाग्दु:प्रणिधान, 3.कायदु:प्रणिधान, 4.अनादर, 5.स्मृत्यनुपस्थान।

40. प्रोषधोपवास व्रत के पाँच अतिचार - 1.अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जितोत्सर्ग,2.अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जितादान, 3.अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जित संस्तरोपक्रमण, 4.अनादर, 5.स्मृत्युपस्थान।

41. उपभोग परिभोग परिमाण व्रत के पाँच अतिचार - 1.सचित्ताहार, 2.सचित्त सम्बन्धाहार, 3.सचित्त, 4.अभिषवाहार, 5.दु:पक्वाहार।

42. परोक्ष मुक्ति ज्ञान के पाँच भेद - 1.स्मृति, 2.प्रत्यभिज्ञान, 3.तर्क, 4.अनुमान, 5.आगम।

43. अतिथि संविभाग व्रत के पाँच अतिचार - 1.सचित्तनिक्षेप, 2.सचित्तापिधान, 3.परव्यपदेश, 4.मात्सर्य, 5.कालातिक्रमण।

44. विनय पाँच -  1.दर्शन विनय, 2.ज्ञान विनय, 3.चारित्र विनय, 4.तप विनय, 5.उपचार विनय ।

45. अस्तिकाय पाँच - 1.जीव, 2.पुद्गल, 3.धर्म, 4.अधर्म, 5.आकाश।

46. रस पाँच- 1.खट्टा, 2.मीठा, 3.कड़वा, 4. कषेला, 5.चरपरा।

47. वर्ण पाँच - 1.काला, 2.पीला, 3.नीला, 4.सफेद, 5.लाल।

48. भूत पाँच - 1.पृथ्वी, 2.जल, 3.अग्नि, 4.वायु, 5.आकाश। (अन्य मतियों के अनुसार)

49. परावर्तन पाँच - 1.द्रव्य, 2.क्षेत्र, 3.काल, 4.भव, 5.भाव। 

50. दान पाँच - 1.दयादत्ति, 2.पात्रदत्ति, 3.समदत्ति, 4.अन्वयदत्ति, 5.सकलदत्ति।

51. पाण्डव पाँच - 1.युधिष्ठिर, 2. भीम, 3.अर्जुन, 4.नकुल, 5.सहदेव। 

52. तीर्थंकर महावीर के बाद पाँच श्रुत केवली - 1.विश्वनन्दी, 2.नन्दीमित्र, 3.अपराजिता, 4.गोवर्धन, 5.भद्रबाहु। 

53. तीर्थंकर महावीर के बाद पाँच महामुनि - 1.नक्षत्र, 2.जयपाल, 3.पाण्डु, 4.ध्रुवसेन, 5.कंसाचार्य दशांग विद्या के पारगामी। 

54. तीर्थंकरों के पाँच कल्याणक - 1.गर्भ, 2.जन्म, 3.तप, 4.ज्ञान, 5.मोक्ष। 

55. कर्म इन्द्रियाँ पाँच - 1.पैर, 2.हाथ, 3.वचन, 4.गुदा, 5.उपस्था। 

56. ओम (ॐ) में पंच परमेष्ठी सूचक पाँच अक्षर हैं - 1. अ, 2. अ, 3. आ, 4. उ, 5. म।

57. अ, सि, आ, उ, सा में पाँच अक्षर पंच परमेष्ठी सूचक हैं। 

58. अभक्ष्य के पाँच भेद -  1.बहुस्थावर हिंसाकारक, 2.त्रसहिंसाकारक, 3.प्रमादकारक (नशाकारक), 4.अनिष्टकारक, 5.अनुपसेव्य।

59. नाम कर्म की जाति अथवा शरीर प्रकृतियाँ पाँच - 1.एकेन्द्रिय, 2.द्वीन्द्रिय, 3. इन्द्रिय, 4.चतुर्रिन्द्रिय, 5. पंचेन्द्रिय।
 
60. नाम कर्म की बन्धन प्रकृतियाँ पाँच - 1.औदारिक बंधान, 2.वैक्रियिक बंधान, 3.आहारक बंधान, 4.तैजस बंधान, 5.कार्मण बंधान।

61. पाँच संघात प्रकृतियाँ - 1. औदारिक संघात, 2.वैक्रियिक संघात, 3.आहारक संघात, 4.तैजस संघात, 5.कार्मण संघात।

62. चारित्र के पाँच भेद - 1.सामायिक, 2.छेदोपस्थापना,3.परिहारविशुद्धि, 4.सूक्ष्म संपराय, 5.यथाख्यात।  

63. अनऋद्धि प्राप्त आर्यों के पाँच भेद - 1.क्षेत्र आर्य, 2.जाति आर्य, 3.कर्म आर्य,4.चरित्र आर्य, 5.दर्शन आर्य।

64. विवेक पाँच प्रकार - 1.इन्द्रिय विवेक, 2.कषाय विवेक, 3.उपाधि विवेक, 4.भक्तपान विवेक, 5.देह विवेक।

65. जिस साधु ने पंडितमरण करने का दृढ़ निश्चय कर लिया है, उसको इन पाँच शुद्धियों को धारण करना चाहिए - 1.आलोचना शुद्धि, 2.शैया संस्तर शुद्धि, 3.उपकरण शुद्धि, 4.भक्त पान शुद्धि, 5.वैयावृत्य करण शुद्धि।

66. निर्यापकाचार्य के अन्वेषण करने के लिए विहार करने वाले की विधि के पाँच प्रकार - 1.रात्रि प्रतिमा कुशल, 2.स्वाध्याय कुशल, 3.प्रश्न कुशल,4.स्थडिलशायी, 5.आसक्ति रहित।

67. तीर्थंकर की प्रथम पारणा के दिन आहारदाता के यहाँ नियम से पँच आश्चर्य होते हैं - 1.रत्न दृष्टि 125000000 उत्कृष्ट व (1,25,000) जघन्य, 2.देव दुन्दुभि, 3.दिव्य पुष्पों की आवृत्ति, 4.जय-जय का उद्घोष, 5.शीतल सुगन्धित वायु का बहना। 

68. केवलज्ञान होते ही तीर्थंकर का शरीर 5,000 धनुष प्रमाण ऊर्ध्व गमन करता है।

69. कुन्दकुन्द आचार्य गुरू की परम्परा पाँच -1.भद्रबाहु, 2.गुप्तिगुप्त, 3. माघनन्दी, 4.जिनचन्द्र, 5.कुन्दकुन्द। 

70. केवल एक भव अवतार लेकर मोक्ष जाने वाले एक भवातारी पाँच - 1.पाँचवे स्वर्ग के लोकान्तिक देव, 2.दक्षिणेन्द्र, 3.इन्द्र की शचि, 4.लोकपाल, 5.पाँच अनुत्तर विमानों के देव।

71. समवाय पाँच - 1.स्वभाव, 2.पुरूषार्थ,3.काललब्धि, 4.भवितव्य, 5.निमित्त।

72. धर्म के पाँच अंग निम्न हैं - 1.णमोकार मन्त्र जैसा मन्त्र नहीं। 2.वीतरागी जैसे देव नहीं। 3.निर्ग्रन्थ जैसे गुरु नहीं। 4.अहिंसा जैसा धर्म नहीं। 5.आत्मध्यान जैसा ध्यान नहीं।

73. जैन धर्म की पाँच विशेषतायें हैं - 1.जैन धर्म भौतिक सम्पदा का प्रलोभन नहीं देता है। 2.जैन धर्म अवतारवाद को नहीं मानता है। 3.जैन धर्म अतिशय को नहीं मानता है। 4.जैन धर्म चमत्कार को भी नहीं मानता है। 5.जैन धर्म कर्तावाद को नहीं मानता है। 

74. दाता के पाँच दूषण - 1.विलम्ब से देना, 2.विमुख होकर देना, 3.दुर्वचन, 4.निरादर, 5.देकर पश्चात्ताप करना।

75. निद्रा के पाँच भेद - 1.निद्रा, 2.निद्रा-निद्रा, 3.प्रचला, 4.प्रचला-प्रचला, 5.स्त्यानगृद्धि। 

76. अन्य दर्शन का स्वरूप - 1.न्याय वैशेषिक केवल नैगम नय के, 2.अद्वैतवादी और सांख्य केवल संग्रह नय के, 3.चार्वाक लोग केवल व्यवहार नय के, 4.बौद्ध लोग केवल ऋजु सूत्र नय के, 5.वैयाकरण केवल शब्द नय के।

77. मन के द्वारा परिणाम परिवर्तित होते हैं, उसकी पाँच भूमिकायें हैं - 1.क्षिप्त, 2.विक्षिप्त, 3.मूढ़, 4.चित्त निरोध, 5.एकाग्रता। उपरोक्त भूमिकाओं में मन घूमता रहता।

78. लब्धअपर्याप्तक के भवों की संख्या - एक इन्द्रिय में 66132 भव + दो इन्द्रिय में 80 भव+तीन इन्द्रिय में 60 भव+चार इन्द्रिय में 40 भव+पाँच इन्द्रिय में 24 भव=कुल योग66336 भव।

79. पाँच सूना - 1.बुहारी देना, 2.अग्नि जलाना, 3.जल भरना, 4.कूटना, 5.पीसना।

80. पैंतालीस लाख योजन विस्तार है - 1.सीमान्तक इन्द्रक बिल (प्रथम नरक), 2.ढाई द्वीप, 3.प्रथम स्वर्ग का ऋजुनामा विमान, 4.सिद्ध शिला, 5.सिद्ध क्षेत्र। 

81. जीव के साथ संबंधित मुख्य वर्गणायें पाँच प्रकार की हैं - 1.आहार वर्गणा, 2.भाषा वर्गणा, 3.मनो वर्गणा, 4.तैजस वर्गणा, 5.कार्मण वर्गणा।

82. अर्थ व्यंजन योग संक्रान्ति - 1.अर्थ नाम ध्यान करने योग्य द्रव्य व पर्याय का है। 2.व्यंजन नाम वचन का है। 3.योग नाम काय, वचन, मन की क्रिया का है। 4.संक्रान्ति नाम पलटने का है। 5.इनमें जो द्रव्य को छोड़ उसकी पर्याय को ध्याता है तथा पर्याय को छोड़कर द्रव्य को ध्याता है तो अर्थ संक्रान्ति है।

83. मोक्ष पाँच प्रकार का होता है - 1.शक्ति मोक्ष, 2.दृष्टि मोक्ष, 3.मोह मोक्ष, 4.जीवन मोक्ष, 5.विदेह मोक्ष। 

84. साधु की पाँच प्रकार की आहार चर्या - 1.भ्रामरी, 2.गर्त्तपूरणी, 3.उदराग्नि प्रशमन, 4.अक्षमृक्षणी, 5.गोचरी। 

85. साध्वाभास के 5 भेद - 1.पार्श्वस्थ, 2.संस्कृत, 3 अवसन्न, 4.मृगचारी, 5.कुशील। 

86. निमित्त नैमित्तिक व कालिक क्रियाओं के भेद - 1.दैनिक, 2.रात्रिक, 3.पाक्षिकी, 4.चातुर्मासकी, 5.वार्षिकी। 

87. रंग, रूप, रुपया, राग और रसना - इन पाँच 'र' में लिप्तता संसार बढ़ाने का कारण हैं।

88. अजीव द्रव्य पाँच - 1.पुद्गल, 2.धर्म, 3.अधर्म, 4.आकाश, 5.काला।

89. अमूर्तिक द्रव्य - 1.जीव, 2.धर्म, 3.अधर्म, 4.आकाश, 5.काल।

90. (इज्या) देव पूजा - 1.नित्यमह, 2.चतुर्मुख, 3.कल्पद्रुम, 4.अष्टान्हिका, 5.इन्द्रध्वज।

91. ज्ञानावरण कर्म की प्रकृतियाँ - 1.मतिज्ञानावरण, 2.श्रुतज्ञानावरण, 3.अवधिज्ञानावरण,4.मन:पर्ययज्ञानावरण, 5.केवलज्ञानावरण।

92. पिंडस्थ ध्यान की धारा पाँच - 1.पृथ्वी धारणा, 2.अग्नि धारणा, 3.पावन धारणा, 4.जल धारणा, 5.तत्त्वरूपवती धारणा।

93. ब्रह्मचारी के पाँच भेद - 1.उपनय, 2.अवलम्ब, 3.अदीक्षा, 4.गूढ, 5.नैष्ठिक।

94. द्विदल दोष के पाँच भेद - 1.अन्न द्विदल, 2.काष्ठ, 3.हरी, 4.शिखरनी, 5.काँजी।

95. उत्तम भावना - 1.तपोभावना, 2.श्रुतभावना, 3.सत्यभावना, 4.एकत्व भावना, 5.धृतिबल भावना।

96. संक्लिष्ट (कुत्सित) भावना के पाँच भेद - 1.कंदर्पी, 2.कैल्विषी, 3.अभियोगिकी, 4.आसुरी, 5.संमोही।

97. माया के पाँच भेद - 1.निवृत्ति, 2.उपधि, 3.सातिप्रयोग, 4.प्रणिधि, 5.प्रतिकुंचन।

98. विनय के पाँच भेद - 1.लोकानुवृत्ति, 2.अर्थनिमित्तक, 3.कामतन्त्र, 4.भय, 5.मोक्ष।

99. तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि पाँच - 1.कैलाशपर्वत, 2.गिरनार, 3.चम्पापुर, 4.पावापुर, 5.सम्मेदशिखर। 

100. पूजा के अंग - 1.आह्वानन, 2.स्थापना, 3.सन्निधिकरण 4. पूजन, 5.विसर्जन।

101. महावीर के पाँच नाम - 1.वर्धमान, 2.वीर, 3.अतिवीर, 4.सन्मति, 5.महावीर।

102, क्षुल्लक के पाँच भेद - 1.वानप्रस्थ क्षुल्लक,2. नैष्ठिक क्षुल्लक, 3.गूढ़ क्षुल्लक, 4.वर्णी, 5.साधक क्षुल्लक।

103. पाँच अणुव्रत में प्रसिद्ध - 1.अहिंसाणुव्रत- मातंग।2.सत्याणुव्रत - धनदेव। 3.अचौर्य व्रत - वारिषेण। 4.ब्रह्मचर्य व्रत - नीलीबाई। 5.परिग्रह परिमाण व्रत - जयकुमार सेनापति।

104. पाँच पापों में प्रसिद्ध - 1.हिंसा में - धनश्री। 2.झूठ में - सत्यघोष। 3.चोरी में - तापस। 4.कुशील में - यमपाल। 5.परिग्रह में - श्मश्रु नवनीत ब्राम्हण।

105. पांच मिथ्यात्वों में प्रसिद्ध - 1.विपरीत मिथ्यात्व में - याज्ञिक ब्राह्मण। 2.एकान्त मिथ्यात्व मे - घोष। 3.विनय मिथ्यात्व में - शैव तापस। 4.संशय मिथ्यात्व में - श्वेताम्बर मुँहपट्टी वाले। 5.अज्ञान मिथ्यात्व में - मस्करी नाम (मुस्लिम)।

106. प्राकृत भाषा के पाँच भेद - 1.मागधी, 2.अर्धमागधी, 3.शौरसैनी, 4.पैशाची, 5.चूलिका।

107. पाँच समझने योग्य बातें - 1.मिथ्यात्व का  वमन, 2.सम्यक्त्व का उत्पन्न, 3.कषायों का शमन, 4.इन्द्रियों का दमन, 5.आत्मानुभव।

108. पाँच त्याग्ने योग्य बातें -
1. (ककार) -  1.कीर्ति, 2.कंचन, 3. कामिनी, 4. कुटुम्ब, 5. करिश्मा।
2. (पकार) - 1. प्रदर्शन, 2.प्रतिष्ठा, 3.प्रतिस्पर्धा, 4.पाप, 5.पैशून्य। 
3. (मकार) - 1.मंच, 2.माला, 3.माईक, 4.मान,5.माया।

109. पाँच ग्रहण करने योग्य बातें - 1.सम्यक्त्व, 2.श्रुत, 3.समता, 4.शान्ति, 5.सुख।

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सोमवार, 25 जनवरी 2021

#Dairybusiness #Milkbusiness #Smallbusiness #डेयरी उत्पाद #व्यवसाय || Start Dairy Product Processing Business



Milk Products बिजनेस : आल टाइम हिट है ये बिजनेस 

कोरोना वायरस महामारी  लॉकडाउन (Lockdown) से जहां ज्यादातार बिजनेस प्रभावित हुआ है. वहीं दूध और दूध से बने प्रोडक्‍ट्स का बिजनेस ऐसी परिस्थिति में भी फायदे वाला रहा. लॉकडाउन में डेयरी प्रोडक्ट्स (Dairy Product) की बिक्री पर किसी तरह की पाबंदी नहीं रही. आप भी अगर कोई बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो इन प्रोडक्‍ट्स की यूनिट लगा सकते हैं. इसके लिए सरकारें लोन भी देती हैं और सपोर्ट भी.

मुद्रा स्कीम के तहत सरकार ने इस बिजनेस के लिए एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई है, जिसे जानकर आप अपनी लागत और मुनाफे का अंदाजा लगा सकते हैं.

70 फीसदी लोन देगी सरकार

अगर आप दूध या दूध से बने प्रोडक्‍ट्स की यूनिट शुरू करना चाहते हैं तो आप फ्लेवर मिल्‍क, दही, बटर मिल्‍क और घी बनाकर बेच सकते हैं. प्रधानमंत्री मुद्रा स्‍कीम द्वारा तैयार किए प्रोजेक्‍ट प्रोफाइल के मुताबिक आप लगभग 16 लाख रुपए से ऐसा एक प्रोजेक्‍ट तैयार कर सकते हैं. इसमें से आपको लगभग 5 लाख रुपए का इंतजाम करना पड़ेगा, जबकि 70 फीसदी पैसा बैंक आपको मुद्रा स्‍कीम के तहत लोन दे सकते हैं. इनमें टर्म लोन के तौर पर 7.5 लाख रुपए और वर्किंग कैपिटल लोन के तौर पर 4 लाख रुपए मिलेगा.

इस प्रोजेक्‍ट रिपोर्ट के मुताबिक, आपको महीने में लगभग 12 हजार 500 लीटर कच्‍चा दूध लेना होगा, जबकि 1000 किलोग्राम शुगर खरीदना होगा. इसी तरह आपको 200 किलोग्राम फ्लेवर और 625 किलोग्राम स्‍पाइस और नमक का भी इंतजाम करना होगा. इन चीजों पर आपका हर महीने लगभग 4 लाख रुपए का खर्च आएगा.

कितने स्पेस की पड़ेगी जरूरत

अगर आप यह प्रोजेक्ट लगाना चाहते हैं तो आपको लगभग 1000 वर्ग फुट स्पेस की जरूरत पड़ेगी. लगभग 500 वर्ग फुट में आपको प्रोसेसिंग एरिया बनाना होगा. इस प्रोजेक्ट के लिए रेफ्रिजरेशन की बहुत जरूरत पड़ेगी. इसलिए लगभग 150 वर्ग फुट में रेफ्रिजरेशन रूम बनाना होगा. वाशिंग एरिया 150 वर्ग फुट, ऑफिस स्पेस 100 वर्ग फुट और टॉयलेट जैसी सुविधा के लिए 100 वर्ग फुट स्पेस की जरूरत होगी.

कितनी होगी आपकी टर्नओवर

अगर आप प्रधानमंत्री मुद्रा स्कीम के प्रोफाइल इस प्रोजेक्ट प्रोफाइल के मुताबिक बिजनेस करते हैं तो आप एक साल में लगभग 75 हजार लीटर फ्लेवर मिल्क सेल कर सकते हैं, इसके अलावा लगभग 36 हजार लीटर दही, बटर मिल्क 90 हजार लीटर और 4500 किलोग्राम घी बना कर सेल कर सकते हैं. इससे आप लगभग 82.50 लाख रुपए की टर्नओवर कर सकते हैं.

कितना होगा प्रॉफिट
अगर आप एक साल में 82.50 लाख रुपए की सेल करते हैं और आपका साल भर खर्च लगभग 74.40 लाख रुपए होगा, जिसमें कॉस्ट के साथ साथ लोन पर 14 फीसदी की दर से ब्याज भी शामिल होगा. इस तरह आपको एक साल में लगभग 8.10 लाख रुपए का नेट प्रॉफिट होगा. इस लिहाज से हर महीने 65 हजार रुपए से ज्यादा इनकम हो सकती है.