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सोमवार, 15 जनवरी 2018

26 January 2018




 कुछ नशा तिरंगे की आन का है
कुछ नशा मातृभूमि की शान का है
हम लहराएंगे हर जगह ये तिरंगा
नशा ये हिंदुस्तान की शान का है
कुछ नशा तिरंगे की आन का है

कुछ नशा मातृभूमि की शान का है
हम लहराएंगे हर जगह ये तिरंगा
नशा ये हिंदुस्तान की शान का है

गणतंत्र दिवस पर निबंध!

गणतंत्र दिवस भारत का राष्ट्रीय पर्व है । यह दिवस भारत के गणतंत्र बनने की खुशी में मनाया जाता है । 26 जनवरी, 1950 के दिन भारत को एक गणतांत्रिक राष्ट्र घोषित किया गया था । इसी दिन स्वतंत्र भारत का नया संविधान अपनाकर नए युग का सूत्रपात किया गया था। यह भारतीय जनता के लिए स्वाभिमान का दिन था । संविधान के अनुसार डॉ. राजेन्द्र प्रसाद स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने । जनता ने देश भर में खुशियाँ मनाई । तब से 26 जनवरी को हर वर्ष गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है ।
26 जनवरी का दिन भारत के लिए गौरवमय दिन है । इस दिन देश भर में विशेष कार्यक्रम होते हैं । विद्‌यालयों, कार्यालयों तथा सभी प्रमुख स्थानों में राष्ट्रीय झंडा तिरंगा फहराने का कार्यक्रम होता है । बच्चे इनमें उत्साह से भाग लेते हैं । लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं । स्कूली बच्चे जिला मुख्यालयों, प्रांतों की राजधानियों तथा देश की राजधानी के परेड में भाग लेते हैं । विभिन्न स्थानों में सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती हैं । लोकनृत्य, लोकगीत, राष्ट्रीय गीत तथा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम होते हैं । देशवासी देश की प्रगति का मूल्यांकन करते हैं ।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य कार्यक्रम राजधानी दिल्ली में होता है । विजय चौक पर मंच बना होता है तथा दर्शक दीर्घा होती है । राष्ट्रपति अपने अंगरक्षकों के साथ यहाँ पधारते हैं और राष्ट्रध्वज फहराते हैं । उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती gS
 सेना के बैंड राष्ट्रगान की धुन गाते हैं । राष्ट्रपति परेड का निरीक्षण करते हैं । परेड में विभिन्न विद्‌यालयों के बच्चे, एन.सी.सी. के कैडेट्‌स पुलिस अर्द्धसैनिक और सेना के जवान भाग लेते हैं । परेड को देखने नेतागण, राजदूत और आम जनता बड़ी संख्या में आती है । इस अवसर पर किसी राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है ।
गणतंत्र दिवस की परेड का दृश्य बहुत आकर्षक होता है । सेना और अर्द्धसैनिक बलों की टुकड़ियाँ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ती हैं ।
परेड के बाद झांकियों का दृश्य सलामी मंच के सामने से गुजरता है । एक से बढ्‌कर एक सजी- धजी झाकियाँ । किसी में कश्मीर के शिकारे का दृश्य तो किसी में महात्मा बुद्ध की शांत मुद्रा की झलक । किसी में महाराणा प्रताप अपने घोड़े चेतक पर नजर आते है तो किसी में रणचंडी बनी लक्ष्मीबाई । किसी-किसी झाँकी में नृत्यांगनाएँ नाचती-गाती सबको मंत्रमुग्ध किए चलती हैं । विभिन्न राज्य अपनी झाँकी में अपनी संस्कृति को दर्शाते हैं । बहादुर बच्चे हाथी या जीप पर सवार होकर बहुत प्रसन्न दिखाई देते है । गणतंत्र दिवस के समारोह में राष्ट्रपति देश के निमित्त असाधारण वीरता प्रदर्शित करनेवाले सेना और पुलिस के जवानों को वीरता पुरस्कार एवं पदक प्रदान करते है ।

गणतंत्र दिवस अपनी उपलब्धियों के मूल्यांकन का दिन है । गणतंत्र भारत ने कौन-कौन सी मंजिलें तय कर लो और किन-किन मंजिलों की छूना अभी बाकी है इसकी समीक्षा की जाती है । अखबारों और पत्रिकाओं मैं इससे संबंधित अनेक रिपोर्टें छपती हैं । टेलीविजन पर रंगारंग कार्यक्रम होते हैं । जगह-जगह पर कव्वालियों, मुशायरों और कवि सम्मेलनों की घूम मची रहती है राजधानी की मरकारा इमारतों पर मनमोहक रोशनी की जाती है । राष्ट्र अपने गणतंत्र पर गर्व महसूस करता है ।
गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र अपने महानायकों को स्मरण करता है । हजारों-लाखों लोगों की कुर्बानियों के बाद देश को आजादी मिली अंगे फिर राष्ट्र गणतंत्र बना । स्वतंत्रता हमें भीख में नहीं मिली । कइयों ने इसके लिए अपनी जान गँवायी । महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं ने जान की बाजी लगा दी । इन्होंने देशवासियों क सामने जीवन-मूल्य रखे । हमारा गणतंत्र इन्हीं जीवन-मूल्यों पर आधारित है । अत: इनकी रक्षा की जानी चाहिए । समय, व्यक्ति की गरिमा, विश्व बंधुत्व, सर्वधर्म-समभाव, सर्वधर्म-समभाव, धर्मनिरपेक्षता गणतंत्र के मूलतत्व हैं । अपने गणतंत्र को फलता-फूलता देखने के लिए हमें इन्हें हृदय में धारण करना होगा ।
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मौलिक अधिकारों का अर्थ

मौलिक अधिकार उन अधिकारों को कहा जाता है जो व्यक्ति के जीवन के लिये मौलिक होने के कारण संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किये जाते हैं और जिनमें राज्य द्वार हस्तक्षेप नही किया जा सकता। ये ऐसे अधिकार हैं जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिये आवश्यक हैं और जिनके बिना मनुष्य अपना पूर्ण विकास नही कर सकता। ये अधिकार कई करणों से मौलिक हैं:-
1. इन अधिकारों को मौलिक इसलिये कहा जाता है क्योंकि इन्हे देश के संविधान में स्थान दिया गया है तथा संविधान में संशोधन की प्रक्रिया के अतिरिक्त उनमें किसी प्रकार का संशोधन नही किया जा सकता।
2. ये अधिकार व्यक्ति के प्रत्येक पक्ष के विकास हेतु मूल रूप में आवश्यक हैं, इनके अभाव में व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास अवरुद्द हो जायेगा।
3. इन अधिकारों का उल्लंघन नही किया जा सकता।
4. मौलिक अधिकार न्याय योग्य हैं तथा समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से प्राप्त होते है।

साधारण कानूनी अधिकारों व मौलिक अधिकारों में अंतर

साधारण कानूनी अधिकारों को राज्य द्वारा लागू किया जाता है तथा उनकी रक्षा की जाती है जबकि मौलिक अधिकारों को देश के संविधान द्वारा लागू किया जाता है तथा संविधान द्वारा ही सुरक्षित किया जाता है।
साधारण कानूनी अधिकारों में विधानमंडल द्वारा परिवर्तन किये जा सकते हैं परंतु मौलिक अधिकारों में परिवर्तन करने के लिये संविधान में परिवर्तन आवश्यक हैं।

मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण

भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के तीसरे भाग में अनुच्छेद 12 से 35 तक किया गया है। इन अधिकारों में अनुच्छेद 12, 13, 33, 34 तथा 35 क संबंध अधिकारों के सामान्य रूप से है। 44 वें संशोधन के पास होने के पूर्व संविधान में दिये गये मौलिक अधिकारों को सात श्रेणियों में बांटा जाता था परंतु इस संशोधन के अनुसार संपति के अधिकार को सामान्य कानूनी अधिकार बना दिया गया। भारतीय नागरिकों को छ्ह मौलिक अधिकार प्राप्त है :-
1. समानता का अधिकार : अनुच्छेद 14 से 18 तक।
2.
स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 19 से 22 तक।
3.
शोषण के विरुध अधिकार : अनुच्छेद 23 से 24 तक।
4.
धार्मिक स्वतंत्रता क अधिकार : अनुच्छेद 25 से 28 तक।
5.
सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बंधित अधिकार : अनुच्छेद 29 से 30 तक।
6.
संवैधानिक उपचारों का अधिकार : अनुच्छेद 32


मूल अधिकार एक दृष्टि में


मूल अधिकार साधारण
·         अनुच्छेद 12 (परिभाषा)
·         अनुच्छेद 13 (मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियां।)
समता का अधिकार
·         अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समता)
·         अनुच्छेद 15 (धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध)
·         अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता)
·         अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता का अंत)
·         अनुच्छेद 18 (उपाधियों का अंत)
स्वातंत्रयअधिकार
·         अनुच्छेद 19 (वाक्स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण)
·         अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण)
·         अनुच्छेद 21 (प्राण और दैहिक स्वतन्त्रता का संरक्षण)
शोषण के विरूद्ध अधिकार
·         अनुच्छेद 23 (मानव के दुर्व्यापार और बलात्श्रय का प्रतिषेध)
·         अनुच्छेद 24 (कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध)
धर्म की स्वतन्त्रता का अधिकार
·         अनुच्छेद 25 (अंत: करण की और धर्म के अबोध रूप में मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता)
·         अनुच्छेद 26 (धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता)
·         अनुच्छेद 27 (किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करांे के संदाय के बारे में स्वतंत्रता)
·         अनुच्छेद 28 (कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता)
संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार
·         अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण)
·         अनुच्छेद 30 (शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करनेका अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार)
·         अनुच्छेद 31 (निरसति)
कुछ विधियों की व्यावृत्ति
·         अनुच्छेद 31 (संपदाओं आदि के अर्जन के लिए उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति)
·         अनुच्छेद 31 (कुछ अधिनियमों और विनिमयों का विधिमान्यकरण)
·         अनुच्छेद 31 (कुछ निदेशक तत्वों को प्रभावी करने वाली विधियों की व्यावृत्ति)
·         अनुच्छेद 31 (निरसित)
सांविधानिक उपचारों का अधिकार
·         अनुच्छेद 32 (इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तित करने के लिए उपचार)
·         अनुच्छेद 32 (निरसति) ।
·         अनुच्छेद 33 (इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों का, बलों आदि को लागू होने में, उपांतरण करने की संसद की शक्ति)
·         अनुच्छेद 34 (जब किसी क्षेत्र में सेना विधि प्रवृत्त है तब इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों का निर्बधन
·         अनुच्छेद 35 (इस भाग के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए विधान)


मानव अधिकार


मानवाधिकार वे अधिकार हैं जोकि इस पृथ्वी पर हर व्यक्ति केवल एक इंसान होने के कारण ही प्राप्त हुए हैं। ये अधिकार विश्व्यापी हैं और कानून द्वारा संरक्षित हैं। सदियों से मानवाधिकार और स्वतंत्रता का विचार अस्तित्व में है। हालांकि समय के बदलने के साथ-साथ इनमें भी परिवर्तन हुआ है। यहां मानवाधिकारों की अवधारणा पर एक विस्तृत नज़र डाली गई है:

सार्वभौमिक मानव अधिकार
मानव अधिकारों में वे मूल अधिकार शामिल हैं जो हर जाति, पंथ, धर्म, लिंग या राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना हर इंसान को दिए जाते हैं। सार्वभौमिक मानवाधिकारों का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है:
  • जिंदगी जीने, आज़ादी और निजी सुरक्षा का अधिकार
  • समानता का अधिकार
  • सक्षम न्यायाधिकरण द्वारा बचाव का अधिकार
  • कानून के सामने व्यक्ति के रूप में मान्यता के अधिकार
  • भेदभाव से स्वतंत्रता
  • दासता से स्वतंत्रता
  • अत्याचार से स्वतंत्रता
  • मनमानी गिरफ्तारी और निर्वासन से स्वतंत्रता
  • अपराध सिद्ध न होने तक निर्दोष माने जाने का अधिकार
  • उचित सार्वजनिक सुनवाई का अधिकार
  • आंदोलन की स्वतंत्रता
  • गोपनीयता, परिवार, गृह और पत्राचार में हस्तक्षेप से स्वतंत्रता
  • अन्य देशों में शरण का अधिकार
  • राष्ट्रीयता को बदलने की स्वतंत्रता का अधिकार
  • विवाह और परिवार के अधिकार
  • शिक्षा का अधिकार
  • खुद की संपत्ति रखने का अधिकार
  • शांतिपूर्ण सभा और एसोसिएशन बनाने का अधिकार
  • सरकार में और नि: शुल्क चुनावों में भाग लेने का अधिकार
  • विश्वास और धर्म की स्वतंत्रता
  • सही तरीके से रहने/जीने का अधिकार
  • समुदाय के सांस्कृतिक जीवन में भाग लेने का अधिकार
  • सामाजिक सुरक्षा का अधिकार
  • वांछनीय कार्य और ट्रेड यूनियनों में शामिल होने का अधिकार
  • अवकाश और विश्राम का अधिकार
  • ऊपर दिए अधिकारों में राज्य या व्यक्तिगत हस्तक्षेप से स्वतंत्रता
मानवाधिकारों का उल्लंघन
यद्यपि मानव अधिकार विभिन्न कानूनों द्वारा संरक्षित हैं पर अभी भी लोगों, समूहों और कभी-कभी सरकार द्वारा इसका उल्लंघन किया जाता है। उदाहरण के लिए पूछताछ के दौरान पुलिस द्वारा यातना की आज़ादी का अक्सर उल्लंघन किया जाता है। इसी प्रकार गुलामी से स्वतंत्रता को मूल मानव अधिकार कहा जाता है लेकिन गुलामी और गुलाम प्रथा अभी भी अवैध रूप से चल रही है। मानव अधिकारों के दुरुपयोग की निगरानी के लिए कई संस्थान बनाए गए हैं। सरकारें और कुछ गैर-सरकारी संगठन भी इनकी जांच करते हैं।
निष्कर्ष
हर व्यक्ति को मूल मानवाधिकारों का आनंद लेने का हक है। कभी-कभी इन अधिकारों में से कुछ का सरकार द्वारा दुरूपयोग किया जाता है। सरकार कुछ गैर-सरकारी संगठनों की सहायता से मानवाधिकारों के दुरुपयोगों पर नजर रखने के लिए उपाय कर रही है।

भारत के नागरिको के मौलिक कर्तव्य


भारत के मूल संविधान मे मौलिक कर्तव्य का उलेख नही किया गया मौलिक कर्तव्य को  भाग 4(क) ओर अनुच्छेद 51(क) 42 वें संविधान संशोधन 1976 मे सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों के आधार पर मूल संविधान मे जोड़े गये। मौलिक कर्तव्य को रूस के संविधान लिया गया था ओर मूल संविधान मे मौलिक कर्तव्य की संख्या 10 रखी थी लेकिन  वर्तमान में मौलिक कर्तव्य की संख्या 11 है।

(1). Each Indian citizens to abide by the Constitution and its ideals, institutions, respect for the national flag and national anthem
 प्रत्येक भारतीय नागरिको को संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे
(2)Each Indian citizens for freedom that inspired our national movement held high ideals cherished in the heart and to follow them
प्रत्येक भारतीय नागरिको को स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को ह्रदय में संजोए रखे और उनका पालन करे
(3)Each deity of Indian citizens to India, to preserve the unity and integrity and kept intact
प्रत्येक भारतीय नागरिको को भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे
(4)Each Indian citizens to defend the country and to serve the nation when called upon
प्रत्येक भारतीय नागरिको को देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे
(5)All people of all Indian citizens in India to build a sense of harmony and brotherhood similar to the religion. All discrimination based on language and region or beyond class, to abandon such practices which respect women’s Virunddh
प्रत्येक भारतीय नागरिको को भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म . भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुंद्ध है
(6)Understand the importance of the glorious tradition of Indian citizens every culture and to preserve
प्रत्येक भारतीय नागरिको को संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करे
(7)Each Indian citizens of the natural environment within which the forest, lake, river and wildlife, to protect and to promote and kind treatment of animals housed only
प्रत्येक भारतीय नागरिको को प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखे
(8)Each Indian citizens scientific approach, the spirit of humanism and learning to develop and improve
प्रत्येक भारतीय नागरिको को वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे
(9)Each Indian citizens to public property and violence are preserved
प्रत्येक भारतीय नागरिको को सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे
(10)Each Indian citizens in all areas of individual and collective activities attempts to move towards the climax constantly growing national effort and touches new heights of achievement
प्रत्येक भारतीय नागरिको को व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले
(11)Each Indian citizens, and that the parents or guardians of the age of six to fourteen years his, to provide educational opportunities for children or wards
प्रत्येक भारतीय नागरिको को और यदि वह माता-पिता या संरक्षक है, तो छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने, बालक या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करे

 




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