*अरविंद केजरीवाल से जुड़े 10 प्रमुख तथ्य*
दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का सियासी सफर अन्ना आंदोलन से शुरू हुआ। पार्टी बनाने के बाद कई दिनों तक वो भाजपा और कांग्रेस के नेताओं पर बड़ी निडरता से कोई न कोई खुलासा करते रहते थे। 2014 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में 70 में से 67 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी ने सभी राजनीतिक पार्टियों को दिन में तारे दिखा दिए थे। कुछ लोग अभी भी मानते हैं कि वैकल्पिक राजनीति की कसौटी पर कसने की बजाय यदि उनकी सरकार के कामों को देखें तो वह अब तक की सबसे अच्छी सरकार है। आज हम लाए हैं सीएम केजरीवाल से जुड़े प्रमुख तथ्य-
अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा के हिसार में हुआ था। उनके पिता गोविंद राम जिंदल स्ट्रिप्स में बतौर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर कार्य किया करते थे। गोविंद राम के तीन बेटे और बेटियां हैं।
अरविंद ने अपनी प्राथमिक शिक्षा मिशनरीज स्कूल में पूरी की है। इस कारण बचपन से ही उनका चर्च में प्रार्थना करने के प्रति काफी लगाव रहा है।
साधारण परिवार से आने वाले अरविंद ने 1985 में आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1989 में टाटा स्टील जमशेदपुर में नौकरी की। हालांकि नौकरी में ज्यादा मन न लगने के कारण उन्होंने जल्द ही उसे छोड़ दिया और कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी का रुख किया।
नौकरी छोड़ने के बाद केजरीवाल ने दोबारा से पढ़ाई शुरू की और आईआरएस की परीक्षा दी। उनकी मेहनत रंग लाई और केजरीवाल ने महज एक कोशिश में उन्होंने परीक्षा पास की और आईआरएस अधिकारी बने।
मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी में प्रशिक्षण के दौरान उनकी मुलाकात अपनी साथी आइआरएस अधिकारी सुनीता से हुई। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद केजरीवाल की पोस्टिंग दिल्ली में हुई और उन्होंने सुनीता से शादी कर ली। उनका एक बेटा पुलकित और एक बेटी हर्षिता है।
केजरीवाल को शतरंज और किताबों का काफी शौक है। उनके हाथ में एक पेंसिल और स्केच बुक हमेशा रहती थी। उन्हें स्केचिंग का इतना शौक था कि वे जो भी चीज देखते उसका चित्र बना देते थे। वो शुद्ध शाकाहारी हैं।
अरविंद ने संयुक्त आयुक्त के पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ दी थी। साल 2000 में उन्होंने एक एनजीओ 'परिवर्तन' की स्थापना की और सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में काम किया। सूचना के अधिकार को लागू कराने में केजरीवाल का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
आरटीआई एक्ट के लिए 2006 में केजरीवाल को रेमन मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और समाजसेवी अन्ना हजारे के संपर्क में आए और लोकपाल बिल के लिए जंग शुरू की। 2012 में राजनीतिक पार्टी की शुरुआत की और आम आदमी पार्टी का गठन किया।
आम आदमी पार्टी के गठन से और गठन के बाद उनके कई साथी उनसे नाराज हो गए, पर केजरीवाल ने हार नहीं मानी। उन्होंने 2013 में शिला दीक्षित को चुनाव में हराया। वे मुख्यमंत्री बने, लेकिन 49 दिन बार पद से इस्तीफा दे दिया। 2015 में केजरीवाल ने दोबारा चुनाव लड़ा और दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।
अगर राजनीतिक दांव पेंच की बात करें तो सत्ता में आने के बाद से केजरीवाल इसमें नौसिखए से नजर आते हैं। सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर दिया गया उनका बयान हो या एमसीडी चुनाव में ईवीएम मशीनों से छेड़छाड़ को अपनी हार की वजह बताना हो। ऐसे ज्यादातर मौकों पर उनका दांव उल्टा ही पड़ा है।