आदर सहित नमन व अभिवादन
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चैत्र शुक्ला पूर्णिमा
विक्रम संवत् २०७७
बुधवारअप्रैल ८ २०२०
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आइये हम सभी उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये उनके व्यक्तित्व व कृतित्व से आने वाली पीढ़ी को अभिप्रेत करे l
भारत के प्रथम क्रांतिकारी के रूप में विख्यात मंगल पाण्डेय देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्रामी कहलाते है. उनके द्वारा शुरू किया अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह, समूचे देश में जंगल की आग की तरफ फ़ैल गया था. इस आग को अंग्रेजों ने बुझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन देश के प्रत्येक नागरिक के अंदर ये आग भड़क चुकी थी, जिसकी बदौलत 1947 में हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई. मंगल पाण्डेय ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिक थे, उन्होंने अकेले अपने दम पर सामने से ब्रिटिश अफसर पर हमला बोल दिया था. जिस वजह से उन्हें फांसी हो गई थी. मात्र 30 सालों की उम्र में उन्होंने अपने जीवन को देश के नाम कुर्बान कर दिया था. मंगल पाण्डेय का नाम हिंदी में शहीद नाम के इजात के पहले से विख्यात है. पहली बार इन्ही के नाम के आगे शहीद लगाया गया l
प्रथम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी
मंगल पाण्डेय का जन्म व् शुरुवाती जीवन व इतिहास
💐मंगल पाण्डेय का जन्म 19 जुलाई 1827 को नगवा गाँव जिला बल्लिया में हुआ था, ये आज के समय में उत्तर प्रदेश के ललितपुर के पास है. ये एक ब्राह्मण परिवार से थे, जो हिंदुत्व को बहुत मानते है, उनके हिसाब से हिन्दू धर्म सबसे अच्छा होता था. पाण्डेय जी ने 1849 को ईस्ट इंडिया कंपनी की आर्मी ज्वाइन कर ली. कहा जाता है सेना एक ब्रिगेड के कहने पर उन्हें इसमें शामिल किया गया था, क्यूंकि वे मार्च(परेड) बहुत तेज किया करते थे. यहाँ उन्हें पैदल सेना में सिपाही बनाया गया. मंगल पाण्डेय बहुत अच्छे सिपाही थे, जिसके बाद उन्हें 34वी बंगाल नैटिव इन्फेंट्री में शामिल किया गया. यहाँ ब्राह्मणों को भारी मात्रा में शामिल किया जाता था. मगंल पाण्डेय महत्वकांक्षी थे, वे काम को पूरी निष्ठा व् लगन से करते थे, वे भविष्य में एक बड़ा काम करना चाहते थे
मंगल पाण्डेय व् बिर्टिश अफसर के बीच लड़ाई
💐अंग्रेजों के जुल्म भारत में बढ़ते ही जा रहे है, उनके सितम से पूरा देश आजादी के सपने देखने लगा था. मंगल पाण्डेय जिस सेना में थे, वह बंगाल की इस सेना में एक नई रायफल को लाया गया, ये एनफ़ील्ड 53 में कारतूस भरने के लिए रायफल को मुंह से खोलना पड़ता था, और ये अफवाह उड़ी थी कि इस रायफल में गाय व् सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था. इस बात ने पूरी सेना में हडकंप मचा दिया. सभी को लगा कि अंग्रेजों ने हिन्दू मुस्लिम के बीच विवाद पैदा करने के लिए ऐसा किया है. हिन्दुओं को लग रहा था कि अंग्रेज उनका धर्म भ्रष्ट कर रहे है, हिन्दुओं के लिए गाय उनकी माता के समान होती है, जिनकी वे पूजा करते है. इस हरकत से वे सब अंग्रेज सेना के खिलाफ खड़े हो गए थे. सबके अंदर अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की भावना जाग उठी l
9 फ़रवरी 1857 को इस रायफल को सेना में बांटा गया, सबको इसका उपयोग करना सिखाया जा रहा था. जब अंग्रेज अफसर ने इसे मुंह से लगाकर बताया तो मंगल पाण्डेय ने ऐसा करने से मना कर दिया. इस पर उन्हें अफसर के गुस्से का सामना भी करना पड़ा. इस घटना के बाद उन्हें सेना से निकालने का फैसला लिया गया. 29 मार्च 1857 को उनकी वर्दी व् रायफल वापस लेने का फैसला सुनाया गया. एक अफसर जनरल हेअरसेय उनकी तरफ बढे, लेकिन मंगल पाण्डेय ने उन पर हमला बोल दिया. मंगल पाण्डेय ने अपने साथीयों से भी मदद मांगी, लेकिन अंग्रेजों से डर के मारे कोई भी आगे नहीं आया. पाण्डेय ने अफसर पर गोली चला दी, व् साथ में अफसर के एक बेटे बॉब जो सेना में ही था, उस पर भी गोली चला दी. इसके बाद उन्होंने अपने उपर भी गोली चलानी चाहिए, लेकिन ब्रिटिश अफसरों ने उन्हें पकड़ लिया, जिसके बाद उनके पैर में गोली लग गई.
मंगल पाण्डेय को हुई फाँसी
💐इस घटना से पूरी अंग्रेज सरकार हिल गई. मंगल पाण्डेय को हिरासत में रखा गया, जहाँ उन्हें 1 हफ्ता ठीक होने में लगा. ऐसा माना गया कि मंगल पाण्डेय को कोई दवाई दी गई थी, जिस वजह से उन्होंने ये कारनामा किया. लेकिन मंगल पाण्डेय ने इस बात का खंडन किया उन्होंने कहा किसी ने उन्हें कोई दवाई नहीं दी, न ही किसी के कहने पर व् दबाब में आकर उन्होंने ये काम किया है.
मंगल पाण्डेय को कोर्ट मार्शल करने का फैसला सुनाया गया. 6 अप्रैल 1857 को फैसला हुआ की 18 अप्रैल को उन्हें फांसी दी जाएगी. लेकिन ब्रिटिश अफसर को इस मंगल पाण्डेय का डर बैठ गया था, वे उनको जल्द से जल्द ख़त्म कर देना चाहते थे. इसलिए उन्होंने 18 की जगह 10 दिन पहले 8 अप्रैल को ही मंगल पाण्डेय को फांसी पर लटका दिया. अंग्रेज अफसर में मंगल पाण्डेय की मौत के बाद भी उनका खौफ था, वे उनकी लाश के पास जाने से भी कतरा रहे थे. उनके मरने के एक महीने के बाद मई उत्तर प्रदेश की एक सेना की छावनी में इस घटना के विद्रोह में बहुत से लोग सामने आये, वे सभी कारतूस रायफल के उपयोग का विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. धीरे धीरे ये विद्रोह विकराल रूप लेने लगा था.
सम्मान 👌👌
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5 अक्टूबर 1984 को भारत सरकार ने मंगल पाण्डेय के सम्मान में एक पोस्टेज स्टाम्प चालू किया, जिसमें उनकी फोटो भी अंकित थी.
🏋️1857 ई. के क्रांति से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी🏋️
प्रश्न➜1857 ई. का विद्रोह कहाँ से प्रारंभ हुआ ?
उत्तर➜बैरकपुर से
प्रश्न➜1857 ई. के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर जनरल कौन था ?
उत्तर➜लॉर्ड कैनिंग
प्रश्न➜किस सैनिक ने 1857 का विद्रोह आरंभ किया था ?
उत्तर➜मंगल पांडे
प्रश्न➜मगंल पांडे को फाँसी कब दी गई थी ?
उत्तर➜8 अप्रैल, 1857
प्रश्न➜1857 के विद्रोह में कानुपर से नेतृत्व किसने किया था ?
उत्तर➜तात्यां टोपे एवं नाना साहब
प्रश्न➜तात्या टोपे का वास्तविक नाम क्या था ?
उत्तर➜रामचंद्र पांडुरंग
प्रश्न➜1857 के विद्रोह में बिहार से नेतृत्व किसने किया था
उत्तर➜नेता कुँवर सिंह
प्रश्न➜1857 ई. के विद्रोह में दिल्ली से नेतृत्व किसने किया था ?
उत्तर➜बहादुरशाह जफर ने
प्रश्न➜1857 ई. के विद्रोह में लख़नऊ से नेतृत्व किसने किया था ?
उत्तर➜बेगम हजरत महल
प्रश्न➜1857 ई. के विद्रोह में झाँसी से नेतृत्व किसने किया था ?
उत्तर➜रानी लक्ष्मीबाई
प्रश्न➜1857 ई. के विद्रोह में इलाहबाद एवं बनारस से नेतृत्व किसने किया था ?
उत्तर➜लियाकत अली
प्रश्न➜भारतीय स्वतंत्रता संग्राम,1857 पुस्तक किसने लिखी ?
उत्तर➜वी.डी.सावरकर
प्रश्न➜एटिन फिफ्टी सेवन पुस्तक किसने लिखी है ?
उत्तर➜मौलाना अबुल कलाम आजाद
प्रश्न➜बाहदुर शाह -II को कहाँ पकड़ा गया था ?
उत्तर➜हुमायुँ के मकबरे से
प्रश्न➜1857 ई. का विद्रोह ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के लिए भारतीय जनता की क्रांति है’ ये किसके वचन था ?
उत्तर➜कार्ल मार्क्स
प्रश्न➜भारतीय क्रांतकारियों में लक्ष्मीबाई अकेली मर्द है ये किसने कहा था ?
उत्तर➜ब्रिटिश अधिकारी ह्यूरोज
प्रश्न➜रानी लक्ष्मीबाई का वास्तविक नाम क्या था
उत्तर➜मणिकर्णिका
प्रश्न➜1857 ई. के विद्रोह की असफलता के बाद बहादुरशाह II को किस स्थान पर निर्वासित किया गया था ?
उत्तर➜रंगून
प्रश्न➜इलाहाबाद को किसने आपातकालीन मुख्यालय बनाया था ?
उत्तर➜लॉर्ड केनिंग
प्रश्न➜भारतीय सुधार समिति की स्थापना कब की गई थी ?
उत्तर➜1857 में
प्रश्न➜1857 ई. की क्रांति का चिन्ह क्या निश्चित किया गया ?
उत्तर➜कमल व चपाती
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