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मंगलवार, 9 जुलाई 2019

कुंभ 2019 प्रयाग , के 7 शैव, 3 वैष्णव और 3 उदासीन अखाड़े

 कुंभ 2019, प्रयाग में रहेंगे 7 शैव, 3 वैष्णव और 3 उदासीन अखाड़े, 
कुंभ 2019 प्रयागराज में 15 जनवरी 
इस कुंभ में लाखों साधु-संत , जिनमें मान्यता प्राप्त 13 अखाड़े होंगे। इनमें से 7 शैव, 3 वैष्णव व 3 उदासीन (सिक्ख) अखाड़े रहेंगे। वहीं अभी-अभी बना किन्नर अखाड़ा भी रहेगा। सभी अखाड़ों के अपने-अपने नियम और कानून होते हैं। वहीं अखाड़ों के इष्ट देव और साधुओं की दिनचर्या भी अलग-अलग रहती है। सभी अखाड़े अलग-अलग समय पर स्नान करते हैं
जूना अखाड़ा (शैव)
जूना अखाड़ा पहले भैरव अखाड़े के रूप में जाना जाता था, क्योंकि उस समय इनके इष्टदेव भैरव थे जो कि शिव का ही एक रूप हैं। वर्तमान में इस अखाड़े के इष्टदेव भगवान दत्तात्रेय हैं, जो कि रुद्रावतार हैं। इस अखाड़े के अंतर्गत आवाहन, अलखिया व ब्रह्मचारी भी हैं। इस अखाड़े की विशेषता है कि इस अखाड़े में अवधूतनियां भी शामिल हैं और इनका भी एक संगठन है।
निरंजनी अखाड़ा (शैव)
ऐसा माना जाता है कि निरंजनी अखाड़े की स्थापना सन 904 में गुजरात के माण्डवी नामक स्थान पर हुई थी। लेकिन यह तिथि जदुनाथ सरकार के मत में सन् 1904 है, जिसको निरंजनी स्वीकार नहीं करते क्योंकि उनके पास एक प्राचीन तांबे की छड़ है जिस पर निरंजनी अखाड़े के स्थापना के बारे में विक्रम संवत् 960 अंकित है। इस अखाड़े के इष्टदेव भगवान कार्तिकेय हैं, जो देवताओं के सेनापति हैं। निरंजनी अखाड़े के साधु शैव हैं व जटा रखते हैं।
महानिर्वाणी अखाड़ा (शैव)
निर्वाणी अखाड़े का केंद्र हिमाचल प्रदेश के कनखल में है। इस अखाड़े की अन्य शाखाएं प्रयाग, ओंकारेश्वर, काशी, त्र्यंबक, कुरुक्षेत्र, उज्जैन व उदयपुर में है। उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में भस्म चढ़ाने वाले महंत निर्वाणी अखाड़े से ही संबंध रखते हैं।
आवाहन अखाड़ा (शैव)
आवाहन अखाड़ा, जूना अखाड़े से सम्मिलित है। कहा जाता है कि इस अखाड़े की स्थापना सन् 547 में हुई थी, लेकिन जदुनाथ सरकार इसे 1547 बताते हैं। इस अखाड़े का केंद्र दशाश्वमेघ घाट, काशी में है। इस अखाड़े के संन्यासी भगवान श्रीगणेश व दत्तात्रेय को अपना इष्टदेव मानते हैं, क्योंकि ये दोनों देवता आवाहन से ही प्रगट हुए थे। हरिद्वार में इनकी शाखा है।
अटल अखाड़ा (शैव)
इस अखाड़े के इष्टदेव भगवान श्रीगणेश हैं। इनके शस्त्र-भाले को सूर्य प्रकाश के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस अखाड़े की स्थापना गोंडवाना में सन् 647 में हुई थी। इसका केंद्र काशी में है। इस अखाड़े का संबंध निर्वाणी अखाड़े से है। काशी के अतिरिक्त बड़ौदा, हरिद्वार, त्र्यंबक, उज्जैन आदि में इसकी शाखाएं हैं।
आनंद अखाड़ा (शैव)
यह अखाड़ा विक्रम संवत् 856 में बरार में बना था, जबकि सरकार के अनुसार, विक्रम संवत् 912 है। इस अखाड़े के इष्टदेव सूर्य हैं। इस अखाड़े की अधिकांश परंपराएं लुप्त होने की कगार पर है, तो भी काशी में इसके साधु रहते चले आ रहे हैं।
अग्नि अखाड़ा (शैव)
अग्नि अखाड़े के बारे में कहा जाता है कि इसकी स्थापना सन् 1957 में हुई थी, हालांकि इस अखाड़े के संत इसे सही नहीं मानते। इसका केंद्र गिरनार की पहाड़ी पर है। इस अखाड़े के साधु नर्मदा-खण्डी, उत्तरा-खण्डी व नैस्टिक ब्रह्मचारी में विभाजित है।
दिगंबर अखाड़ा (वैष्णव)
इस अखाड़े की स्थापना अयोध्या में हुई थी। यह अखाड़ा लगभग 260 साल पुराना है। सन 1905 में यहां के महंत अपनी परंपरा में 11वें थे। दिगंबर निम्बार्की अखाड़े को श्याम दिगंबर और रामानंदी में यही अखाड़ा राम दिगंबर अखाड़ा कहा जाता है।
निर्वाणी अखाड़ा (वैष्णव)
इसकी स्थापना अभयरामदासजी नाम के संत ने की थी। आरंभ से ही यह अयोध्या का सबसे शक्तिशाली अखाड़ा रहा है। हनुमानगढ़ी पर इसी अखाड़े का अधिकार है। इस अखाड़े के साधुओं के चार विभाग हैं- हरद्वारी, वसंतिया, उज्जैनिया व सागरिया।
निर्मोही अखाड़ा (वैष्णव)
इस अखाड़े की स्थापना 18वीं सदी के आरंभ में गोविंददास नाम के संत ने की थी, जो जयपुर से अयोध्या आए थे। निर्मोही शब्द का अर्थ है मोह रहित।
निर्मल अखाड़ा (सिक्ख)
इस अखाड़े की स्थापना सिख गुरु गोविंदसिंह के सहयोगी वीरसिंह ने की थी। आचरण की पवित्रता व आत्मशुद्धि इनका मूल मंत्र है। ये सफेद कपड़े पहनते हैं। इसके ध्वज का रंग पीला या बसंती होता है और ऊन या रुद्राक्ष की माला हाथ में रखते हैं। इस अखाड़े के अनुयायियों का मुख्य उद्देश्य गुरु नानकदेवजी के मूल सिद्धांतों का पालन करना है।
बड़ा उदासीन अखाड़ा (सिक्ख)
इस अखाड़े का स्थान कीटगंज, इलाहाबाद में है। यह उदासी का नानाशाही अखाड़ा है। इस अखाड़े में चार पंगतों में चार महंत इस क्रम से होते हैं-1. अलमस्तजी का पंक्ति का, 2. गोविंद साहबजी का पंक्ति का, 3. बालूहसनाजी की पंक्ति का, 4. भगत भगवानजी की परंपरा का।
नया उदासीन अखाड़ा (सिक्ख)
सन् 1902 में उदासीन साधुओं में मतभेद हो जाने के कारण महात्मा सूरदासजी की प्रेरणा से एक अलग संगठन बनाया गया, जिसका नाम उदासीन पंचायती नया अखाड़ा रखा गया। इस अखाड़े में केवल संगत साहब की परंपरा के ही साधु सम्मिलित हैं। इस अखाड़े का पंजीयन 6 जून, 1913 को करवाया गया।
किन्नर और जूना अखाड़े के बीच साथ आने पर बनी सहमति, आज होगा ऐलान
कुंभ  /शाही स्नान के लिए अखाड़ों का समय हुआ निर्धारित, सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े को मिलेगा मौका
शाही स्नान के लिए अखाड़ों का समय हुआ निर्धारित, सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े को मिलेगा मौका
कुंभ /सनातन धर्म की रक्षा की जिम्मेदारी 13 अखाड़ों पर, सबसे बड़े जूना अखाड़े में 4 लाख साधु
सनातन धर्म की रक्षा की जिम्मेदारी 13 अखाड़ों पर, सबसे बड़े जूना अखाड़े में 4 लाख साधु है।

अखाड़े का नाम: श्री पंचायती तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा
श्रीमहंत का नाम: सचिव- श्री नरेन्द्र गिरीजी
पता: मायापुर, हरिद्वार, उत्तरांचल
2
अखाड़े का नाम: श्री पंचायती आनन्द अखाड़ा
श्रीमहंत का नाम: सचिव-श्री शंकरानन्द जी सरस्वती
पता: त्रयंबकेश्वर, जिला नाशिक
3
अखाड़े का नाम: श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा
श्रीमहंत का नाम: सचिव- श्री हरिगिरीजी महाराज
पता: बड़ा हनुमान घाट, काशी, वाराणसी
4
अखाड़े का नाम: श्री पंच दशनामी आह्वान अखाड़ा
श्रीमहंत का नाम: सभापति- श्री प्रेमपुरीजी महाराज
पता: अश्वमेव घाट, काशी, वाराणसी
5
अखाड़े का नाम: श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा
श्रीमहंत का नाम: सचिव- श्री रमेशगिरीजी महाराज
पता: कनखल, हरिद्वार, उत्तरांचल
6
अखाड़े का नाम: श्री पंच अग्नि अखाड़ा
श्रीमहंत का नाम: सचिव- श्री गोपालानंदजी महाराज
पता: मु.पो. बिलखा, जूनागढ़, सौराष्ट्र
7
अखाड़े का नाम: श्री पंच अटल अखाड़ा
श्रीमहंत का नाम: सचिव- श्री उदयगिरीजी
पता: कनखल हरिद्वार, उत्तरांचल
8
अखाड़े का नाम: श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा
श्रीमहंत का नाम: श्रीमहंत महेश्वर दास जी महाराज
पता: कीड़गंज, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
9
अखाड़े का नाम: श्री पंचायती उदासीन नया अखाड़ा
श्रीमहंत का नाम: सचिव- श्री जगतारमुनि महाराज
पता: कनखल, हरिद्वार, उत्तरांचल
10
अखाड़े का नाम: श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा
श्रीमहंत का नाम: श्री महंत स्वामी ज्ञानदेवसिंह जी
पता: कनखल, हरिद्वार, उत्तरांचल
11
अखाड़े का नाम: श्री पंच रामानन्दाय निर्वाणी अनि अखाड़ा
श्रीमहंत का नाम: श्री महंत धरमदासजी महाराज
पता: हनुमान गढ़ी, अयोध्या, उ.प्र
12
अखाड़े का नाम: श्री पंच दिगंबर अनि अखाड़ा
श्रीमहंत का नाम: श्री महंत रामकिशनदासजी महाराज
पता: 1-अयोध्या, उ.प्र। ,2- श्यामदासजी की झाड़ी, वी.पी. नगरिया, दस विश्वा कोसीकला, मथुरा, उ.प्र.
13
अखाड़े का नाम: श्री पंच रामान्दीय निर्मोही अनि अखाड़ा
श्रीमहंत का नाम: श्री महंत राजेन्द्रदासजी जमालपुर
पता: 1-निर्मोही अखाड़ा नागदा, 2-जगन्नाथ मंदिर, जमालपुर, अहमदाबाद
कुंभ में आने वाले संन्यासी अखाड़ों का इतिहास | History of Kumbh Akhada | Kumbh Mela 2019 Kinnar Akhara: Life of transgenders inside Prayagraj Kumbh