*जानिए IPC में धाराओ का मतलब *
*धारा 307* = हत्या की कोशिश *धारा 302* = हत्या का दंड
*धारा 376* = बलात्कार
*धारा 395* = डकैती
*धारा 377* = अप्राकृतिक कृत्य
*धारा 396* = डकैती के दौरान हत्या
*धारा 120* = षडयंत्र रचना
*धारा 365* = अपहरण
*धारा 201* = सबूत मिटाना
*धारा 34* = सामान आशय
*धारा 412* = छीनाझपटी
*धारा 378* = चोरी
*धारा 141* = विधिविरुद्ध जमाव
*धारा 191* = मिथ्यासाक्ष्य देना
*धारा 300* = हत्या करना
*धारा 309* = आत्महत्या की कोशिश
*धारा 310* = ठगी करना
*धारा 312* = गर्भपात करना
*धारा 351* = हमला करना
*धारा 354* = स्त्री लज्जाभंग
*धारा 362* = अपहरण
*धारा 415* = छल करना
*धारा 445* = गृहभेदंन
*धारा 494* = पति/पत्नी के जीवनकाल में पुनःविवाह0
*धारा 499* = मानहानि
*धारा 511* = आजीवन कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के प्रयत्न के लिए दंड।
▫▪▫▪▫▪▫▪
हमारेे देश में कानूनन कुछ ऐसी हकीक़तें है, जिसकी जानकारी हमारे पास नहीं होने के कारण हम अपने अधिकार से मेहरूम रह जाते है।
तो चलिए ऐसे ही कुछ
*पांच रोचक फैक्ट्स* की जानकारी आपको देते है,
जो जीवन में कभी भी उपयोगी हो सकती है.
*पांच रोचक फैक्ट्स* की जानकारी आपको देते है,
जो जीवन में कभी भी उपयोगी हो सकती है.
*(1) शाम के वक्त महिलाओं की गिरफ्तारी नहीं हो सकती*-
कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर, सेक्शन 46 के तहत शाम 6 बजे के बाद और सुबह 6 के पहले भारतीय पुलिस किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं कर सकती, फिर चाहे गुनाह कितना भी संगीन क्यों ना हो. अगर पुलिस ऐसा करते हुए पाई जाती है तो गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत (मामला) दर्ज की जा सकती है. इससे उस पुलिस अधिकारी की नौकरी खतरे में आ सकती है.
*(2.) सिलेंडर फटने से जान-माल के नुकसान पर 40 लाख रूपये तक का बीमा कवर क्लेम कर सकते है*-
पब्लिक लायबिलिटी पॉलिसी के तहत अगर किसी कारण आपके घर में सिलेंडर फट जाता है और आपको जान-माल का नुकसान झेलना पड़ता है तो आप तुरंत गैस कंपनी से बीमा कवर क्लेम कर सकते है. आपको बता दे कि गैस कंपनी से 40 लाख रूपये तक का बीमा क्लेम कराया जा सकता है. अगर कंपनी आपका क्लेम देने से मना करती है या टालती है तो इसकी शिकायत की जा सकती है. दोषी पाये जाने पर गैस कंपनी का लायसेंस रद्द हो सकता है.
*(3) कोई भी हॉटेल चाहे वो 5 स्टार ही क्यों ना हो… आप फ्री में पानी पी सकते है और वाश रूम इस्तमाल कर सकते है*-
इंडियन सीरीज एक्ट, 1887 के अनुसार आप देश के किसी भी हॉटेल में जाकर पानी मांगकर पी सकते है और उस हॉटल का वाश रूम भी इस्तमाल कर सकते है. हॉटेल छोटा हो या 5 स्टार, वो आपको रोक नही सकते. अगर हॉटेल का मालिक या कोई कर्मचारी आपको पानी पिलाने से या वाश रूम इस्तमाल करने से रोकता है तो आप उन पर कारवाई कर सकते है. आपकी शिकायत से उस हॉटेल का लायसेंस रद्द हो सकता है.
*(4) गर्भवती महिलाओं को नौकरी से नहीं निकाला जा सकता*-
मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट 1961 के मुताबिक़ गर्भवती महिलाओं को अचानक नौकरी से नहीं निकाला जा सकता. मालिक को पहले तीन महीने की नोटिस देनी होगी और प्रेगनेंसी के दौरान लगने वाले खर्चे का कुछ हिस्सा देना होगा. अगर वो ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ सरकारी रोज़गार संघटना में शिकायत कराई जा सकती है. इस शिकायत से कंपनी बंद हो सकती है या कंपनी को जुर्माना भरना पड़ सकता है.
*(5) पुलिस अफसर आपकी शिकायत लिखने से मना नहीं कर सकता*
आईपीसी के सेक्शन 166ए के अनुसार कोई भी पुलिस अधिकारी आपकी कोई भी शिकायत दर्ज करने से इंकार नही कर सकता. अगर वो ऐसा करता है तो उसके खिलाफ वरिष्ठ पुलिस दफ्तर में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. अगर वो पुलिस अफसर दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम *(6)*महीने से लेकर 1 साल तक की जेल हो सकती है या फिर उसे अपनी नौकरी गवानी पड़ सकती है.
ये वो रोचक फैक्ट्स है, जो हमारे देश के कानून के अंतर्गत आते तो है पर हम इनसे अंजान है. हमारी कोशिश होगी कि हम आगे भी ऐसी बहोत सी रोचक बाते आपके समक्ष रखे, जो आपके जीवन में उपयोगी हो।
*इस मैसेज को आगे भी भेजना और अपने पास सहेज कर रखना,कभी भी ये अधिकार काम आ सकते हैं।*
हिंदू विवाह कानून और स्त्रीधन :जानिये क्या है स्त्रीधन और कानून के अनुसार स्त्री धन पर किसका अधिकार होता है
क्या है स्त्रीधन?
स्त्रीधन महिला की संपत्ति है, जिसमें उसे विवाह से पहले और उसके बाद मिली संपत्ति या उपहार शामिल हैं। इस पर उसका पूरा अधिकार होता है और वह चाहे तो इसे किसी को तोहफे में दे सकती है या फिर अपनी इच्छा से वसीयत लिख सकती है। बुनियादी तौर पर उसे इस संपत्ति का फैसला करते समय पति से सहमति लेने की जरूरत नहीं है।
परिवार जन द्वारा उपयोग
पति इसका उपयोग कर भी सकता है और नहीं भी कर सकता, लेकिन यदि वह उसका उपयोग करता है, तो विवाद होने या अलगाव होने से उपजी परिस्थितियों के कारण उसे इसे लौटाना होगा। स्त्रीधन में चल और अचल, दोनों तरह की संपत्तियां शामिल होती हैं। मसलन सोने-चांदी के गहने इत्यादि, भू-संपत्ति तथा वाहन, कलाकृतियां, उपकरण और फर्नीचर इत्यादि।
शादी के समय या उससे पहले अभिभावकों, सास-ससुर, संबंधियों और दोस्तों से उपहार किसी भी रूप में मिल सकता है। इसमें शादी से पहले और उसके बाद रोजगार या कारोबार से होने वाली महिला की आय तथा उसकी बचत से होने वाली आय शामिल है।
हालांकि लड़की के अभिभावकों द्वारा शादी के समय और उसके बाद दामाद को दी गई अंगूठी या गहने या अन्य तरह के कीमती तोहफे स्त्रीधन में शामिल नहीं होते। इसी तरह से पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई चल या अचल संपत्ति तब तक स्त्रीधन में शामिल नहीं है, जब तक कि उसे वह पत्नी को तोहफे में न दे दे।
इसमें वाहन और मकान शामिल हैं। ऐसे मामलों में जब पत्नी कामकाजी हो, तो घर पर खर्च की गई उसकी आय को वापस लेने के लिए वह दावा नहीं कर सकती। सभी को चाहिए कि वह बेटी को स्त्रीधन के रूप में मिली संपत्ति की सूची बनाएं और उस पर दो गवाहों के हस्ताक्षर लें, ताकि संपत्ति पर विवाद की स्थिति में अपनी बेटी का दावा मजबूत कर सकें।
कानूनी संशय
स्त्रीधन के तहत आपके द्वारा बनाई गई सूची पर अपने स्वामित्व या अधिकारों को साबित करना और विवाद के कानूनी मामले में बदलने की स्थिति में यह साबित करना कि सभी सूचीबद्ध सामान आपका है, बहुत मुश्किल होता है। लिहाजा विवाह के समय महिलाओं को मिलने वाले उपहारों और आय की सूची तैयार करनी चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर स्वामित्व का दावा किया जा सके। ध्यान रहे स्त्रीधन तलाक की स्थिति में दिया जाना वाला गुजारा भत्ता नहीं है। और न ही यह दहेज है, जो कि अपने आपमें गैरकानूनी है।
महिलाओं के लिए सबक
वैवाहिक जीवन में होने वाले वित्तीय फैसलों में सहभागी बनें और इसे पूरी तरह से जीवनसाथी पर न छोड़ें। यदि आपके पति उदार हैं, तो आप यह सुनिश्चित करें कि वह आपसे वित्तीय मसलों पर नियमित विमर्श करें। आजकल अनेक कामकाजी महिलाएं पश्चिमी समाज की तरह विवाह पूर्व समझौता पत्र तैयार करती हैं, जिसमें विवाह से पहले की पति और पत्नी की संपत्तियों की सूची होती है और यह भी कि विवाह के बाद उन्हें कैसे बरता जाएगा।
क्या है स्त्रीधन?
स्त्रीधन महिला की संपत्ति है, जिसमें उसे विवाह से पहले और उसके बाद मिली संपत्ति या उपहार शामिल हैं। इस पर उसका पूरा अधिकार होता है और वह चाहे तो इसे किसी को तोहफे में दे सकती है या फिर अपनी इच्छा से वसीयत लिख सकती है। बुनियादी तौर पर उसे इस संपत्ति का फैसला करते समय पति से सहमति लेने की जरूरत नहीं है।
परिवार जन द्वारा उपयोग
पति इसका उपयोग कर भी सकता है और नहीं भी कर सकता, लेकिन यदि वह उसका उपयोग करता है, तो विवाद होने या अलगाव होने से उपजी परिस्थितियों के कारण उसे इसे लौटाना होगा। स्त्रीधन में चल और अचल, दोनों तरह की संपत्तियां शामिल होती हैं। मसलन सोने-चांदी के गहने इत्यादि, भू-संपत्ति तथा वाहन, कलाकृतियां, उपकरण और फर्नीचर इत्यादि।
शादी के समय या उससे पहले अभिभावकों, सास-ससुर, संबंधियों और दोस्तों से उपहार किसी भी रूप में मिल सकता है। इसमें शादी से पहले और उसके बाद रोजगार या कारोबार से होने वाली महिला की आय तथा उसकी बचत से होने वाली आय शामिल है।
हालांकि लड़की के अभिभावकों द्वारा शादी के समय और उसके बाद दामाद को दी गई अंगूठी या गहने या अन्य तरह के कीमती तोहफे स्त्रीधन में शामिल नहीं होते। इसी तरह से पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई चल या अचल संपत्ति तब तक स्त्रीधन में शामिल नहीं है, जब तक कि उसे वह पत्नी को तोहफे में न दे दे।
इसमें वाहन और मकान शामिल हैं। ऐसे मामलों में जब पत्नी कामकाजी हो, तो घर पर खर्च की गई उसकी आय को वापस लेने के लिए वह दावा नहीं कर सकती। सभी को चाहिए कि वह बेटी को स्त्रीधन के रूप में मिली संपत्ति की सूची बनाएं और उस पर दो गवाहों के हस्ताक्षर लें, ताकि संपत्ति पर विवाद की स्थिति में अपनी बेटी का दावा मजबूत कर सकें।
कानूनी संशय
स्त्रीधन के तहत आपके द्वारा बनाई गई सूची पर अपने स्वामित्व या अधिकारों को साबित करना और विवाद के कानूनी मामले में बदलने की स्थिति में यह साबित करना कि सभी सूचीबद्ध सामान आपका है, बहुत मुश्किल होता है। लिहाजा विवाह के समय महिलाओं को मिलने वाले उपहारों और आय की सूची तैयार करनी चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर स्वामित्व का दावा किया जा सके। ध्यान रहे स्त्रीधन तलाक की स्थिति में दिया जाना वाला गुजारा भत्ता नहीं है। और न ही यह दहेज है, जो कि अपने आपमें गैरकानूनी है।
महिलाओं के लिए सबक
वैवाहिक जीवन में होने वाले वित्तीय फैसलों में सहभागी बनें और इसे पूरी तरह से जीवनसाथी पर न छोड़ें। यदि आपके पति उदार हैं, तो आप यह सुनिश्चित करें कि वह आपसे वित्तीय मसलों पर नियमित विमर्श करें। आजकल अनेक कामकाजी महिलाएं पश्चिमी समाज की तरह विवाह पूर्व समझौता पत्र तैयार करती हैं, जिसमें विवाह से पहले की पति और पत्नी की संपत्तियों की सूची होती है और यह भी कि विवाह के बाद उन्हें कैसे बरता जाएगा।