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1) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप:
- करते नहीं कोई यात्रा,
- पढ़ते नहीं कोई किताब,
- सुनते नहीं जीवन की ध्वनियाँ,
- करते नहीं किसी की तारीफ़।
2) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, जब आप:
- मार डालते हैं अपना स्वाभिमान,
- नहीं करने देते मदद अपनी और न ही करते हैं मदद दूसरों की।
3) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप:
- बन जाते हैं गुलाम अपनी आदतों के,
- चलते हैं रोज़ उन्हीं रोज़ वाले रास्तों पे,
- नहीं बदलते हैं अपना दैनिक नियम व्यवहार,
- नहीं पहनते हैं अलग-अलग रंग, या
- आप नहीं बात करते उनसे जो हैं अजनबी अनजान।
4) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप:
- नहीं महसूस करना चाहते आवेगों को, और उनसे जुड़ी अशांत भावनाओं को, वे जिनसे नम होती हों आपकी आँखें, और करती हों तेज़ आपकी धड़कनों को।
5) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप:
- नहीं बदल सकते हों अपनी ज़िन्दगी को, जब हों आप असंतुष्ट अपने काम और परिणाम से,
- अग़र आप अनिश्चित के लिए नहीं छोड़ सकते हों निश्चित को,
- अगर आप नहीं करते हों पीछा किसी स्वप्न का,
- अगर आप नहीं देते हों इजाज़त खुद को, अपने जीवन में कम से कम एक बार, किसी समझदार सलाह से दूर भाग जाने की..।
तब आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं..!!
इसी कविता के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।