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गुरुवार, 26 नवंबर 2020

#मशरूम का कारोबार, बिना मिट्टी के #फसल उगाकर #Mushroom business #Mushroomfarming


करे मशरूम का कारोबार कमाये विकास की तरह पूंजी चाहिए 5 हजार

 क्या आप भी कोई बिजनेस शुरू करने का प्लान बना रहे हैं...? तो आप मशरूम फार्मिंग के जरिए मोटी कमाई कर सकते हैं. आज हम आपको सोलन के विकास के बारे में बताते हैं, जिन्होंने सिर्फ 5 हजार रुपए लगाकर मशरूम की खेती शुरू की और आज वह हर महीने लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं कि आप भी कैसे अपने घर के कमरे में ये बिजनेस शुरू करके मोटी कमाई कर सकते हैं.

हर दिन उगा रहे 3 टन मशरूम
सोलन के विकास ने बताया कि उन्होंने स्मॉल स्केल पर यह बिजनेस शुरू किया था और हाल ही में नया बिजनेस फार्म शुरू किया है. यहां पर हम हर दिन 3 टन मशरूम रोज उगा रहे हैं.

इस बिजनेस के लिए कोई खास ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होती है.

5 हजार रुपए में शुरू किया था बिजनेस
सोलन के विकास ने साल 1990 में मशरूम फार्मिंग का बिजनेस शुरू किया था. इन्होंने सिर्फ 5 हजार रुपए के इन्वेस्टमेंट के साथ बिजनेस शुरू किया था और आज साल 2020 में यह हर महीने लाखों रुपए की कमाई कर रहा है.

कमरे में शुरू कर सकते हैं ये बिजनेस
इस बिजनेस को आप एक कमरे में भी शुरू कर सकते हैं. इसके लिए आपको कुछ क्लाइमेट कंडीशन को मेंन्टेन करना होता है जैसे- टैम्प्रेचर, ह्यूमिडिटी और कार्बन डाइ ऑक्साइड को जरूर मैनेज करना होता है.

20 से 25 दिन में उग जाते हैं मशरूम
आपको मार्केट में ये कम्पोजट आसानी से मिल जाएगा. इसके अलावा आप पैकेट वाले यानी पहले से तैयार कम्पोजट भी खरीद सकते हैं. इन पैकेट को अपको छाया में या फिर कमरे में रखना होता है. इसके बाद 20 से 25 दिनों के अंदर इसमें मशरूम उगना शुरू हो जाते हैं.

कम्पोस्ट बनाने की विधि
कम्पोस्ट को बनाने के लिए धान की पुआल को भिंगोना होता है और एक दिन बाद इसमें डीएपी, यूरिया, पोटाश, गेहूं का चोकर, जिप्सम और कार्बोफ्यूडोरन मिलाकर, इसे सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है. करीब डेढ़ महीने के बाद कम्पोस्ट तैयार होता है. अब गोबर की खाद और मिट्टी को बराबर मिलाकर करीब डेढ़ इंच मोटी परत बिछाकर, उस पर कम्पोस्ट की दो-तीन इंच मोटी परत चढ़ाई जाती है. इसमें नमी बरकरार रहे इसलिए स्प्रे से मशरूम पर दिन में दो से तीन बार छिड़काव किया जाता है. इसके ऊपर एक-दो इंच कम्पोस्ट की परत और चढ़ाई जाती है. और इस तरह मशरूम की पैदावार शुरू हो जाती है.

मशरूम की खेती की लें ट्रेनिंग
सभी एकग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज और कृषि अनुसंधान केंद्रों में मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दी जाती है. अगर आप इसे बड़े पैमाने पर खेती करने की योजना बना रहे हैं तो बेहतर होगा एक बार इसकी सही ढंग से ट्रेनिंग कर लें. अगर जगह की बात की जाए तो प्रति वर्ग मीटर में 10 किलोग्राम मशरूम आराम से पैदा किया जा सकता है. कम से कम 40x30 फुट की जगह में तीन-तीन फुट चौड़ी रैक बनाकर मशरूम उगाए जा सकते हैं.


बिना मिट्टी के फसल उगाकर इन चारो दोस्तो ने किया धन कमाने का रास्ता साफ

कोरोना संक्रमण (COVID-19) के दौर में लगे लॉकडाउन ने कई व्यवसायों (Business)को ठप कर दिया है. अपने व्यापार में कामयाब रहे कई कारोबारी काम बंद होने से परेशान रहने लगे हैं. ऐसे में कई लोगों ने खेती (Agriculture) की तरफ रुख किया है. खेती पर लॉकडाउन का असर कम रहा है. उदयपुर में भी ट्यूरिज्म व्यवसाय से जुड़े चार दोस्तों ने काम बंद होने के बाद खेती का रुख किया. अपनी मेहनत के बल पर वे आज सफलता के दरवाजे पर खड़े हैं.

कोरोना काल में ट्यूरिज्म व्यवसाय ठप होने के बाद उदयपुर के चार दोस्तों दिव्य जैन, भूपेन्द्र जैन, रौनक और विक्रम ने खेती में नई तकनीक के साथ भाग्य आजमाया है.

यह नई तकनीक है बिना मिट्टी के खेती

इन्होंने उदयपुर शहर से 12 ​किमी दूर दस हजार वर्गफीट की जमीन पर ऑटोमेटेड फार्म बैंक टू रूट्स तैयार की है. बिना मिट्टी की इस खेती को 'हाइड्रोपोनिक फार्मिंग' के नाम से जाना जाता है. इसके माध्यम से ये ओक लेट्यूस, ब्रॉकली, पाक चाय, चैरी-टोमेटो, बेल पेपर और बेसिल की खेती कर रहे हैं. इन सब्जियों की सबसे ज्यादा मांग पांच सितारा होटल्स में होती है और पर्यटक इन्हें पसंद भी करते हैं.

खेती में मिट्टी का कहीं भी उपयोग नहीं किया गया है

बिना मिट्टी के पानी से होने वाली इस फार्मिंग को करने के लिये चारों दोस्तों ने रिसर्च किया और फिर उदयपुर में पॉली हाउस बनाकर उसमें खेती शुरू कर दी. इस खेती में मिट्टी का कहीं भी उपयोग नहीं किया गया है. इसमें तापमान को स्थि​र रखते हुए पौधों की जड़ तक पाइप से पानी पहुंचाया जाता है और उसी से पोषक सब्जियों की पैदावार होती है.

इनके बीज बोने से लेकर बढ़ने तक की एक अलग प्रक्रिया होती है

हाइड्रोपोनिक खेती में बीज बोने से लेकर बढ़ने तक की एक अलग प्रक्रिया होती है. ये पौधे छोटे प्लास्टिक के कप 'ए' आकार की फ्रेम में कतार में रखे जाते हैं. इससे पौधों की जड़ में जरूरत के अनुसार पानी चलता रहता है. इस पानी में न्यू्ट्रेंट सोल्यूशन मिलाये जाते हैं ताकि पौधों को जरूरी पोषक तत्व मिलते रहें. पॉली हाउस में तैयार किये जाने वाले इन पौधों को पानी के पाइप से पहुंचाया जाता है. पौधे पॉली हाउस में 27 से 30 डिग्री तक तापमान मेंटेन करके रखा जाता है.

काफी सकारात्मक नतीजे सामने आ रहे हैं

उदयपुर में हुई इस फार्मिंग की शुरुआत के नतीजे काफी सकारात्मक नजर आ रहे हैं. महज दो महीने में अब ऐसी फसल तैयार हो चुकी है जिसे पांच सितारा होटल्स में नाश्ते और फास्ट फूड में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. यह इसलि गुणवत्तापूर्ण हैं क्योंकि इसमें पेस्ट्रीसाइड्स का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं होता है.

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