उधार दिया धन के सबूत के तौर पर कोरे कागज पर किये हस्ताक्षर भी मान्य,पर क्या है इसके पेच
प्रतापसिंह
मानव है इसलिए एक-दूसरे की मदद करना इंसानों के व्यवहार में शामिल रहा है. शारीरिक मदद हो, मानसिक मदद हो या फिर आर्थिक यानी पैसों की मदद. बैंक जब पैसों की मदद करता है यानी लोन देता है तो क्रेडिट स्कोर मायने रखती है या फिर गारंटी के तौर पर गोल्ड या कोई संपत्ति गिरवी रखनी होती है. उसी तरह बहुत सारे लोग जमीन या मकान से जुड़े कागजात गिरवी रखकर पैसे देते हैं.
लेकिन हर किसी के साथ तो लोग ऐसा नहीं कर सकते. खासकर दोस्त, रिश्तेदार, जान-पहचान वाले लोग वगैरह को तो भरोसे पर ही कर्ज दे दिया जाता है. वहीं बहुत सारे मामलों में स्टाम्प पेपर (Stamp Paper) पर और कई मामलों में तो केवल सादे कागज (Plain Paper) पर सिग्नेचर करवा कर उधार दे दिया जाता है. लेकिन यह भरोसा तब टूट जाता है, जब सामनेवाला उधार ली गई रकम वापस करने से मुकर जाता है.
अब सवाल ये है कि अगर सादे कागज पर हस्ताक्षर कर के कोई आपसे पैसे उधार (Borrow Money) ले और फिर वापस करने से मुकर जाए तो क्या इसका कोई उपाय है? एक्सपर्ट बताते हैं कि बिल्कुल इसका उपाय है. लेकिन बात न बने तो इसके लिए आपको कानूनी लड़ाई (Legal Action) भी लड़नी पड़ सकती है. पैसे की वसूली करने में परेशानी भी आ सकती है.
सादे कागज पर साइन भी माना जाएगा सबूत?
इस मामले में सादा कागज हो या फिर स्टाम्प पेपर… अगर आपने उसपे कर्जदार की साइन करवा लेने के बाद आप सोच रहे हैं कि आपके पैसे बहुत आसानी से मिल जाएंगे…. और नहीं मिलने पर आप कानूनी तौर पर वसूल लेंगे, तो इतना भी आसान नहीं है. पैसे वसूल करने में आपको दिक्कतें आ सकती हैं.
हालांकि आपने अपने कर्जदार से सिग्नेचर (Signature) करवाकर सबूत बना लिया है तो इसका मतलब यह हुआ कि आप दोनों यानी कर्जदार और देनदार के बीच एक लिखित समझौता हुआ है और यह एक तरह से आपके दिए गए पैसों की रसीद है.
सिविल कोर्ट में करना होगा केस!
लिखित समझौते के बावजूद आपका कर्जदार यदि इस एग्रीमेंट को मानने से इनकार कर देता है तो आप उसके खिलाफ सिविल कोर्ट में मुकदमा कर सकते हैं या उस एग्रीमेंट (Loan Agreement) को मानने के लिए याचिका दायर करेंगे या फिर उसी के बेस पर अपने पैसों की रिकवरी का केस दाखिल करेंगे. नइ कार्यवाहियों को सिविल या दीवानी कार्यवाही कहा जाता है.
सिविल कोर्ट (Civil Court) में सिविल केस ही दर्ज होते हैं और फिर सुनवाई (Case Hearing) के लिए लंबी-लंबी तारीखें भी पड़ सकती हैं. यह अदालत पर निर्भर करता है कि कितने दिन में आपके केस में फैसला सुनाए. फैसला आपके पक्ष में आया तो आपके कर्जदार को आपका पैसा वापस लौटाना होगा. हालांकि इसमें उसे जेल या कोई बड़ी सजा नहीं होती है.
अगर बिना लिखा-पढ़ी किए कर्ज दे दिया तो…
बहुत सारे लोग किसी अपने के कहने पर भरोसा करते हुए सामनेवाले को कर्ज दे देते हैं. यानी समझ लीजिए कि आपने सादे कागज पर साइन तक नहीं करवाया और बिना लिखा-पढ़ी किए ही कर्ज दे दिया और अब वह पैसे वापस नहीं कर रहा तो क्या करना होगा?
इस स्थिति में आप कर्ज देने के समय वहां मौजूद रहे 2 गवाह पेश कर सकते हैं. आप अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन यानी थाना जाएंगे और आवेदन देंगे कि इनके सामने कर्ज लेने के बावजूद कर्जदार पैसा वापस नहीं दे रहा. एग्रीमेंट तो कोई है नहीं, ऐसे में मामला आपराधिक हो जाएगा.
थाने में क्रिमिनल केस या कोर्ट में कंप्लेंट केस!
अधिवक्ता के अनुसार पुलिस थाने में आपकी रिपोर्ट पर गौर कर, चीटिंग या धोखाधड़ी का केस दर्ज कर सकती है और फिर क्रिमिनल केस की तरह जांच-पड़ताल, चार्जशीट और फिर कोर्ट में केस चलेगा और फिर फैसला सुनाया जाएगा. आप चाहें तो सीधे कोर्ट में कंप्लेंट केस भी दर्ज करवा सकते हैं.
कैसे वापस मिलेंगे पैसे?
कोर्ट में चल रहे इस आपराधिक मामले में कर्जदार की गिरफ्तारी हो सकती है और यदि कोर्ट में जुर्म साबित हो गया तो उसे सजा भी मिलेगी. कोर्ट ने आपके पक्ष में फैसला सुनाया तो आपका पैसा भी वापस होगा और उसे सजा भी मिलेगी. हालांकि फैसला आने से पहले ही कर्जदार के मन में जेल जाने के भय से वह आपका पैसा लौटाने के बारे में सोच सकता है.
ऐसे कई मामलों में देखा गया है कि बात कोर्ट से फिर समझौते पर आकर ही बनी है. यानी जेल जाने से बचने के लिए कर्जदार चाहेगा कि दोनों के बीच समझौता हो जाए. अगर वह आपका पैसा लौटाने की बात कहता है तो या तो पूरा पैसा ले लें या फिर पूछ लें कि कितने दिन में वह पैसे लौटाएगा और लिखवाकर गारंटी के रूप में इस बार जरूर कुछ गिरवी रख लें.
आप यह भी तय कर सकते हैं कि आपके पूरे पैसे वापस होने के बाद ही आप केस वापस लें. केस कंपरमाइज कके लिए कोर्ट में फिर से कंपरमाइज पेटीशन देना होगा. कोर्ट दोनों पक्ष से आपत्ति नहीं होने पर केस खारिज कर सकता है. आपको आपके पैसे वापस मिल जाएं, इससे अच्छा और क्या होगा भला!
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