-सम्मोहन -औरा - एकाग्रता
-औरा को आभामंडल भी कहते है ।
-आभामण्डल शारीरिक ऊर्जा का दिव्य विकिरण है। यह ऊर्जा जिसमें जितनी मात्रा में होती है वह उतना ही प्रखर एवं तेजवान होता है ।
-सम्मोहक आभामंडल का आधार पवित्र और सात्विक विचार है । परस्थिती चाहे कैसी हो विचार सात्विक रखो मनमर्जी विधी .अपनाओ ।
-तपोमय जीवन जीने वालों का आभामण्डल बड़ा तेजयुक्त होता है। इसका प्रभाव क्षेत्र उसकी तप की सघनता एवं तीव्रता के अनुरूप व्यापक होता है।
- तप का मतलब है सात्विक विचार ।
- इससे न केवल व्यक्ति ही प्रभावित होते हैं बल्कि उनके आसपास का समूचा वातावरण ज्योतिर्मय हो उठता है।
-तीर्थों का भी आभामण्डल होता है। इसकी तीव्रता वहा पर की गयी तपस्या पर निर्भर करती है।
- जिस तीर्थ में जितना अधिक तप किया जाता है। उसका आभामण्डल उतना ही ओजस्वी तथा सात्विकता से सम्पन्न होता है।
-माउंट आबू पर स्थित ब्रहमा कुमरीज का मुख्यालय धरती पर ऐसा केन्द्र हैं, जहाँ से प्रचण्ड शक्ति प्रवाहित होती है।
-शरीर के अन्दर भी कई ऊर्जा केन्द्र हैं। अध्यात्म विज्ञान में यह केन्द्र षटचक्रों के माध्यम से जाने जाते हैं।
- प्रत्येक चक्र अपने आप में शक्तिशाली ऊर्जा के केन्द्र हैं।
- पाँव के तलुओं और हथेली से शरीर के सभी ऊर्जा बिन्दु आपस में जुड़े हुए हैं। पाँवों के अंगूठों तथा हाथ की अंगुलियों में ये चैतन्य केन्द्र अधिक शक्तिशाली होते हैं।
- इसी कारण गुरुजनों एवं संत-महात्माओं के चरणों पर शीश नवाया जाता है।
-इस पवित्र ऊर्जा का आधार एकाग्रता है ।
--जिस चीज पर हम एकाग्र होते है । उसे मन में या स्थूल रूप में देखते है या उसका फोटो देखते हैं, देखते ही उसके गुण हमारे में आने लगते हैं ।
- जब भी आप को कोई काम करने में मजा नहीं आ रहा हो और अशांत महसूस कर रहे हो तभी भगवान को एक प्रकाश का बिंदु समझते हुये उस पर मन एकाग्र रखो । मन में बिंदु को देखते हुये कहो आप प्यार के सागर है । शांति के सागर है । आप में शक्ति महसूस होने लगेगी ।
-अपने मन को अपने ईष्ट पर एकाग्र करो । उसे मन में देखते रहो उसके गुण दोहराते रहो ।
-अगर आप भगवान को नहीं मानते है तो
-किसी फूल, गुलाब का फूल या कोई और सुंदर फूल देखते रहो ।
-किसी पेड़ विशेषतौर पर पीपल का पेड़ देखते रहो ।
-किसी जानवर जैसे स्वस्थ गाय को देखते रहो ।
-किसी फल जैसे संतरा, केला , सेव, अनार या कोई भी फल जो भी उस समय याद में आये उसे देखते रहो ।
-अगर आप नास्तिक है तो अपने आसपास कोई चीज ढूंढो जैसे स्कूटर, कार, बस, टेबल, कुर्सी या कोई और चीज उसे देखते रहो और मन में दोहराते रहो उस से हम क्या काम लेते है । बस उसे देखते रहो । मन भटके तो उसे वापस उसी चीज पर केन्द्रित करो | धीरे धीरे आप के मन में शांति आने लगेगी । आप शक्ति महसूस करेंगे ।
- क्योंकि सभी चीजें ऊर्जा है । उस पर मन एकाग्र करने से उसकी ऊर्जा हमारे में आने लगती है ।
-दो गाने एकसाथ मिक्स करके रिकॉर्ड कर लो या दो मोबाइल पर अलग अलग गाने चला दो और फिर इन गीतों में से किसी एक गीत पर अपना ध्यान केन्द्रित करो | सिर्फ एक गीत को सुनने का अभ्यास करो । इस से एकाग्रता बढ़ने लगेगी ।
-आप को कुछ भी समझ नहीं आ रहा क्या करने से क्या होगा तब एक शब्द मन में दोहराओ मैं खुश हूं खुश हूँ , चाहे कैसी भी परिस्थिति हो बदल जायेगी और आप का आभामंडल चमकने लगेगा ।
--अव्यक्त मुरली की बुक या कोई और सात्विक बुक पढ़ना शुरू कर दो और तब तक पढो जब तक आप की समस्या का हल ना आ जाये या आप का मन शांत ना हो जाये । ऐसा करने से हमारा मन उस महापुरुष से जुड़ जाता है- जिसने बुक लिखी है या उच्चारित की है और उस से अंजाने में ऊर्जा लेने लगते है ।
-विपरीत लिंग के तरफ मन भटक रहा हो तो बहिनें उस भाई के बजाय मन में देखें सारे विश्व के भाई सामने खड़े है जो कि लगभ 400 करोड़ है और उंहे कहो आप सभी शांत स्वरूप हो शांत स्वरूप हो । आप की एकाग्रता जो भंग हो रही थी वह रुक जायेगी । ।
-अगर किसी भाई की बुद्वि भटक रही हो तो बहिनों के प्रति ऐसे ही सोचने लगे । इस से मन की एकाग्रता बनी रहेगी ।
-आपके आभामंडल में गजब का सम्मोहन आ जायेगा ।