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मंगलवार, 1 मई 2018

विपस्‍सना ध्‍यान --ओशो.


       विपस्‍सना का अर्थ है: अपनी श्‍वास का निरीक्षण करना, श्‍वास को देखना। यह योग या प्राणायाम नहीं है। श्‍वास को लयबद्ध नहीं बनाना है; उसे धीमी या तेज नहीं करना है। विपस्‍सना तुम्‍हारी श्‍वास को जरा भी नहीं बदलती। इसका श्‍वास के साथ कोई संबंध नहीं है। श्‍वास को एक उपाय की भांति उपयोग करना है ताकि तुम द्रष्‍टा हो सको। क्‍योंकि श्‍वास तुम्‍हारे भीतर सतत घटने वाली घटना है।





      दूसरी विधि है श्‍वास की; अपनी श्‍वास के प्रति सजग होना। जैसे ही श्‍वास भीतर जाती है तुम्‍हारा पेट ऊपर उठने लगता है, और जब श्‍वास बहार जाती है तो पेट फिर से नीचे बैठने लगता है। तो दूसरी विधि है पेट के प्रति—उसके उठने और गिरने के प्रति सजग हो जाना। पेट के उठने और गिरने का बोध हो......ओर पेट जीवन स्‍त्रोत के सबसे निकट है। क्‍योंकि बच्‍चा पेट में मां की नाभि से जूड़ा होता है। नाभि के पीछे उसके जीवन को स्‍त्रोत है। तो जब तुम्‍हारा पेट उठता है, तो यह वास्‍तव में जीवन ऊर्जा हे, जीवन की धारा है जो हर श्‍वास के साथ ऊपर उठ रही है। और नीचे गिर रही है। यह विधि कठिन नहीं है। शायद ज्‍यादा सरल है। क्‍योंकि यह एक सीधी विधि हे।
      पहली विधि में तुम्‍हें अपने शरीर के प्रति सजग होना है, अपने मन के प्रति सजग होना है। अपने भावों, भाव दशाओं के प्रति सजग होना है। तो इसमें तीन चरण हे। दूसरी विधि में एक ही चरण है। बस पेट ऊपर और नीचे जा रहा है। और परिणाम एक ही है। जैसे-जैसे तुम पेट के प्रति सजग होते जाते हो, मन शांत हो जाता है, ह्रदय शांत हो जाता है। भाव दशाएं मिट जाती है।




विपस्‍सना ध्‍यान की सरलतम विधि है। बुद्ध विपस्‍सना के द्वारा ही बुद्धत्‍व को उपलब्‍ध हुए थे। और विपस्‍सना के द्वारा जितने लोग उपलब्‍ध हुए हे उतने और किसी विधि से नहीं हुए। विपस्‍सना विधियों की विधि है। और बहुत सी विधियां है लेकिन उनसे बहुत कम लोगों को मदद मिली है। विपस्‍सना से हजारों लोगों की सहायता हुई है।
      यह बहुत सरल विधि है। यह योग की भांति नहीं है। योग कठिन है,दूभर है, जटिल है। तुम्‍हें कई प्रकार से खूद को सताना पड़ता है। लेकिन योग मन को आकर्षित करता हे। विपस्‍सना इतनी सरल है कि उस और तुम्‍हारा ध्‍यान ही नहीं जाता। विपस्‍सना को पहली बार देखोगें तो तुम्‍हें शक पैदा होगा, इसे ध्‍यान कहें या नहीं। न कोई आसन है, न प्राणायाम है। बिलकुल सरल घटना—सांस आ रही है, जा रही है, उसे देखना बस इतना ही।