9 मसाले 9 ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते है
1. नमक *(पिसा हुआ) सूर्य*2. लाल मिर्च *(पिसी हुई) मंगल*3. हल्दी ,,,,,,, *(पिसी हुई ) गुरु*4. जीरा *(साबुत या पिसा हुआ) राहु केतु*5. धनिया,,,,,, *(पिसा हुआ) बुध*6. काली मिर्च *(साबुत या पाउडर) शनि*7. अमचूर ,,,, *(पिसा हुआ) केतु*8. गर्म मसाला,. *(पिसा हुआ) राहु*9. मेथी,,,,,,,,,,,. *मंगल....* *मसाले के सेवन से अपने* *स्वास्थ्य और ग्रहो को ठीक करे* *भारतीय रसोई में मिलने वाले मसाले सेहत के लिए तो अच्छे होते ही है ,पर साथ में उन के सेवन से हमारे ग्रह भी अच्छे होते है* सौंफ *सौंफ का जिक्र हम पहले भी कर चुके है की सौंफ खाने से हमारा शुक्र और चंद्र अच्छा होता है* *इसे मिश्री के साथ ले या उस के बिना भी ले खाने के बाद ,* *एसिडिटि और जी मिचलाने जैसी समस्या कम होने लगेंगी**सौंफ को गुड के साथ सेवन करें जब आप घर से किसी काम के लिए निकाल रहे हो , इस से आप का मंगल ग्रह आप का पूरा काम करने में साथ देता है ....* *दालचीनी* *मंगल ओर शुक्र ग्रह को ठीक करती है**अगर किसी का मंगल और शुक्र कुपित है ,तो थोड़ी सी दालचीनी को शहद में मिलाकर ताज़े पानी के साथ ले , इस से आप की शरीर में शक्ति बढ़ेगी और सर्दियों में कफ की समस्या कम परेशान करती है .......* *काली मिर्च* *काली मिर्च के सेवन से हमारा शुक्र और चंद्रमा अच्छा होता है**इस के सेवन से कफ की समस्या कम होती है और हमारी स्मरण शक्ति भी बढ़ती है* *तांबे के किसी बर्तन में काली मिर्च डालकर Dining Table पर रखने से घर को नज़र नहीं लगती है....* *जौं* *जौ के प्रयोग से सूर्य ग्रह और गुरु ग्रह ठीक होता है**जौं के आटे की रोटी खाने से पथरी कभी नहीं होती है.....* *हरी इलायची* *इस के प्रयोग से बुध ग्रह मजबूत होता है**अगर किसी को दूध पचाने में परेशानी होती है....* *तो हरी इलायची उस में पका कर फिर दूध का सेवन करें इस से ऐसी परेशानी नहीं होगी ....* *यह उन लोगो के लिए उपकारी है की जिन को दूध अपनी सेहत बनाए रखने या कैल्सियम के लिए दूध तो पीना पड़ता है पर उसको पीकर पचाने में समस्या आती है ...* *हल्दी* *हल्दी के गुण हम सबसे छुपे नहीं है , हल्दी के सेवन से बृहस्पति ग्रह अच्छा होता है ,* *हल्दी की गांठ को पीले धागे में बांधकर गुरुवार को गले में धारण करने से बृहस्पति के अच्छे फल मिलते है और यह तो हम सब को पता है की हल्दी का दूध पीने से Arthritis , Bones और Infections में ज़बरदस्त फायदा मिलता है....* *जीरा* *जीरा राहू व केतू का प्रतिनिधित्व करता है.**जीरा का सेवन खाने में करने से आप के दैनिक जीवन में सौहार्द व शांति बने रहते हैं.* *हींग* *हींग बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है* *हींग का नित्य प्रतिदिन सेवन करने से वात व पित्त के रोग नियंत्रित होते हैं* *हींग आप की पाचन शक्ति भी बढाती है व क्रोध समस्या से भी निजात दिलाती है.* *सौंफ * *शुक्र ग्रह मजबूत होता है**सौंफ हम रोज़ तो इस्तेमाल करते है ,पर क्या आप को पता है* *की सौंफ के सेवन
से आपका शुक्र ग्रह मजबूत होता है......धन्यवाद *ज्योतिष रोग और उपाय*हर बीमारी का समबन्ध किसी न किसी ग्रह से है जो आपकी कुंडली में या तो कमजोर है या फिर दुसरे ग्रहों से बुरी तरह प्रभावित है | यहाँ सभी बीमारियों का जिक्र नहीं करूंगा केवल सामान्य रोग जो आजकल बहुत से लोगों को हैं उन्ही का जिक्र संक्षेप में करने की कोशिश करता हूँ | यदि स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है तो आज धनवान कोई नहीं है | हर व्यक्ति की कोई न कोई कमजोरी होती है जहाँ आकर व्यक्ति बीमार हो जाता है | हर व्यक्ति के शरीर की संरचना अलग होती है | किसे कब क्या कष्ट होगा यह तो डाक्टर भी नहीं बता सकता परन्तु ज्योतिष इसकी पूर्वसूचना दे देता है कि आप किस रोग से पीड़ित होंगे या क्या व्याधि आपको शीघ्र प्रभावित करेगी |*सूर्य से रोग*सूर्य ग्रहों का राजा है इसलिए यदि सूर्य आपका बलवान है तो बीमारियाँ कुछ भी हों आप कभी परवाह नहीं करेंगे | क्योंकि आपकी आत्मा बलवान होगी | आप शरीर की मामूली व्याधियों की परवाह नहीं करेंगे | परन्तु सूर्य अच्छा नहीं है तो सबसे पहले आपके बाल झड़ेंगे | सर में दर्द अक्सर होगा और आपको पेन किलर का सहारा लेना ही पड़ेगा |*चन्द्र से मानसिक रोग*चन्द्र संवेदनशील लोगों का अधिष्ठाता ग्रह है | यदि चन्द्र दुर्बल हुआ तो मन कमजोर होगा और आप भावुक अधिक होंगे | कठोरता से आप तुरंत प्रभावित हो जायेंगे और सहनशक्ति कम होगी | इसके बाद सर्दी जुकाम और खांसी कफ जैसी व्याधियों से शीग्र प्रभावित हो जायेंगे | सलाह है कि संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में न आयें क्योंकि आपको भी संक्रमित होते देर नहीं लगेगी | चन्द्र अधिक कमजोर होने से नजला से पीड़ित होंगे | चन्द्र की वजह से नर्वस सिस्टम भी प्रभावित होता है |*सुस्त व्यक्ति और मंगल*मंगल रक्त का प्रतिनिधित्व करता है परन्तु जिनका मंगल कमजोर होता है रक्त की बीमारियों के अतिरिक्त जोश की .कमी होगी | ऐसे व्यक्ति हर काम को धीरे धीरे करेंगे | आपने देखा होगा कुछ लोग हमेशा सुस्त दिखाई देते हैं और हर काम को भी उस ऊर्जा से नहीं कर पाते | अधिक खराब मंगल से चोट चपेट और एक्सीडेंट आदि का खतरा रहता है |*बुध से दमा और अन्य रोग*बुध व्यक्ति को चालाक और धूर्त बनाता है | आज यदि आप चालाक नहीं हैं तो दुसरे लोग आपका हर दिन फायदा उठाएंगे | भोले भाले लोगों का बुध अवश्य कमजोर होता है | अधिक खराब बुध से व्यक्ति को चमड़ी के रोग अधिक होते हैं | साँस की बीमारियाँ बुध के दूषित होने से होती हैं | बेहद खराब बुध से व्यक्ति के फेफड़े खराब होने का भय रहता है | व्यक्ति हकलाता है तो भी बुध के कारण और गूंगा बहरापन भी बुध के कारण ही होता है |*मोटापा और ब्रहस्पति*गुरु यानी ब्रहस्पति व्यक्ति को बुद्धिमान बनता है परन्तु पढ़े लिखे लोग यदि मूर्खों जैसा व्यवहार करें तो समझ लीजिये कि व्यक्ति का गुरु कुंडली में खराब है | गुरु सोचने समझने की शक्ति को प्रभावित करता है और व्यक्ति जडमति हो जाता है | इसके अतिरिक्त गुरु कमजोर होने से पीलिया या पेट के अन्य रोग होते हैं | गुरु यदि दुष्ट ग्रहों से प्रभावित होकर लग्न को प्रभावित करता है तो मोटापा देता है | अधिकतर लोग जो शरीर से काफी मोटे होते हैं उनकी कुंडली में गुरु की स्थिति कुछ ऐसी ही होती है |*शुक्र और शुगर*शुक्र मनोरंजन का कारक ग्रह है | शुक्र स्त्री, यौन सुख, वीर्य और हर प्रकार के सुख और सुन्दरता का कारक ग्रह है | यदि शुक्र की स्थिति अशुभ हो तो जातक के जीवन से मनोरंजन को समाप्त कर देता है | नपुंसकता या सेक्स के प्रति अरुचि का कारण अधिकतर शुक्र ही होता है | मंगल की दृष्टि या प्रभाव निर्बल शुक्र पर हो तो जातक को ब्लड शुगर हो जाती है | इसके अतिरिक्त शुक्र के अशुभ होने से व्यक्ति के शरीर को बेडोल बना देता है | बहुत अधिक पतला शरीर या ठिगना कद शुक्र की अशुभ स्थिति के कारण होता है |*लम्बे रोग और शनि*शनि दर्द या दुःख का प्रतिनिधित्व करता है | जितने प्रकार की शारीरिक व्याधियां हैं उनके परिणामस्वरूप व्यक्ति को जो दुःख और कष्ट प्राप्त होता है उसका कारण शनि होता है | शनि का प्रभाव दुसरे ग्रहों पर हो तो शनि उसी ग्रह से सम्बन्धित रोग देता है | शनि की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक कुछ भी कर ले सर दर्द कभी पीछा नहीं छोड़ता | चन्द्र पर हो तो जातक को नजला होता है | मंगल पर हो तो रक्त में न्यूनता या ब्लड प्रेशर, बुध पर हो तो नपुंसकता, गुरु पर हो तो मोटापा, शुक्र पर हो तो वीर्य के रोग या प्रजनन क्षमता को कमजोर करता है और राहू पर शनि के प्रभाव से जातक को उच्च और निम्न रक्तचाप दोनों से पीड़ित रखता है | केतु पर शनि के प्रभाव से जातक को गम्भीर रोग होते हैं परन्तु कभी रोग का पता नहीं चलता और एक उम्र निकल जाती है पर बीमारियों से जातक जूझता रहता है | दवाई असर नहीं करती और अधिक विकट स्थिति में लाइलाज रोग शनि ही देता है |*ब्लड प्रेशर और राहू*राहू एक रहस्यमय ग्रह है | इसलिए राहू से जातक को जो रोग होंगे वह भी रहस्यमय ही होते हैं | एक के बाद दूसरी तकलीफ राहू से ही होती है | राहू अशुभ हो तो जातक की दवाई चलती रहती है और डाक्टर के पास आना जाना लगा रहता है | किसी दवाई से रिएक्शन या एलर्जी राहू से ही होती है | यदि डाक्टर पूरी उम्र के लिए दवाई निर्धारित कर दे तो वह राहू के अशुभ प्रभाव से ही होती है | वहम यदि एक बीमारी है तो यह राहू देता है | डर के मारे हार्ट अटैक राहू से ही होता है | अचानक हृदय गति रुक जाना या स्ट्रोक राहू से ही होता है |*प्रेत बाधा और केतु*केतु का संसार अलग है | यह जीवन और मृत्यु से परे है | जातक को यदि केतु से कुछ होना है तो उसका पता देर से चलता है यानी केतु से होने वाली बीमारी का पता चलना मुश्किल हो जाता है | केतु थोडा सा खराब हो तो फोड़े फुंसियाँ देता है और यदि थोडा और खराब हो तो घाव जो देर तक न भरे वह केतु की वजह से ही होता है | केतु मनोविज्ञान से सम्बन्ध रखता है | ओपरी कसर या भूत प्रेत बाधा केतु के कारण ही होती है | असफल इलाज के बाद दुबारा इलाज केतु के कारण होता है