*गोमती चक्र*
*मनुष्य के जीवन में कई समस्याएं ऐसी भी रहती हैं, जिनका हल समझ पाना उसके लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में सुख-शांति और उन्नति के लिए गोमती चक्र के इन छोटे-छोटे उपायों को अपना सकते हैं। गोमती चक्र, नदी में पाया जाने वाला अल्पमोली कैल्शियम व पत्थर मिश्रित होते हैं । इनके एक तरफ उठी हुई सतह होती है और दूसरी तरफ कुछ चक्र होते हैं। इन चक्रों को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। गोमती चक्रों का निम्न प्रकार से प्रयोग करने से आपकी समस्याओं का हल पाया जा सकता है:---*
*यदि घर-परिवार में सुख-शांति चाहते हैं तो अपनाएं गोमती चक्र के ये आसान उपाय*
*(1). यदि गोमती चक्र को लाल सिन्दूर की डिब्बी में रखा जाए तो घर में सुख-शांति बनी रहती है।*
*(2). यदि घर में कोई बार-बार बीमार होता हो या किसी की बीमारी ठीक ही नहीं हो रही हो तो गोमती चक्र को चांदी में पिरोकर रोगी के पलंग पर बांध दे, इससे रोगों का नाश होने लगेगा।*
*(3). व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बांधकर उसे दुकान के मुख्य दरवाजे की चौखट पर बांध दे, ऐसा करने से व्यापार में वृद्धि होगी।*
*(4). दीपावली के दिन पांच गोमती चक्र को पूजा में स्थापित करके उनकी पूजा करने से साल भर घर में उन्नति होती रहेगी।*
*(5). तीन गोमती चक्रों का चूरा करके उन्हें घर के बाहर फैला देने से भाग्य सकारात्मक होता है।*
*(6). ग्यारह गोमती चक्रों को लाल पोटली में बांधकर दुकान में रखने से व्यापार में लाभ होता है।*
*यदि घर-परिवार में सुख-शांति चाहते हैं तो अपनाएं गोमती चक्र के ये आसान उपाय*
*(1). यदि गोमती चक्र को लाल सिन्दूर की डिब्बी में रखा जाए तो घर में सुख-शांति बनी रहती है।*
*(2). यदि घर में कोई बार-बार बीमार होता हो या किसी की बीमारी ठीक ही नहीं हो रही हो तो गोमती चक्र को चांदी में पिरोकर रोगी के पलंग पर बांध दे, इससे रोगों का नाश होने लगेगा।*
*(3). व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बांधकर उसे दुकान के मुख्य दरवाजे की चौखट पर बांध दे, ऐसा करने से व्यापार में वृद्धि होगी।*
*(4). दीपावली के दिन पांच गोमती चक्र को पूजा में स्थापित करके उनकी पूजा करने से साल भर घर में उन्नति होती रहेगी।*
*(5). तीन गोमती चक्रों का चूरा करके उन्हें घर के बाहर फैला देने से भाग्य सकारात्मक होता है।*
*(6). ग्यारह गोमती चक्रों को लाल पोटली में बांधकर दुकान में रखने से व्यापार में लाभ होता है।*
*गोमती चक्र*
*मनुष्य के जीवन में कई समस्याएं ऐसी भी रहती हैं, जिनका हल समझ पाना उसके लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में सुख-शांति और उन्नति के लिए गोमती चक्र के इन छोटे-छोटे उपायों को अपना सकते हैं। गोमती, नदी में पाया जाने वाला अल्पमोली कैल्शियम व पत्थर मिश्रित होते हैं । इनके एक तरफ उठी हुई सतह होती है और दूसरी तरफ कुछ चक्र होते हैं। इन चक्रों को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। गोमती चक्रों का निम्न प्रकार से प्रयोग करने से आपकी समस्याओं का हल पाया जा सकता है-*
*सुख-शांति चाहते हैं तो अपनाएं गोमती चक्र के ये आसान उपाय*
➡ *1. यदि गोमती चक्र को लाल सिन्दूर की डिब्बी में रखा जाए तो घर में सुख-शांति बनी रहती है।*
➡ *2. यदि घर में कोई बार-बार बीमार होता हो या किसी की बीमारी ठीक ही नहीं हो रही हो तो गोमती चक्र को चांदी में पिरोकर रोगी के पलंग पर बांध दे, इससे रोगों का नाश होने लगेगा।*
➡ *3. व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बांधकर उसे दुकान के मुख्य दरवाजे की चौखट पर बांध दे, ऐसा करने से व्यापार में वृद्धि होगी।*
➡ *4. दीपावली के दिन पांच गोमती चक्र को पूजा में स्थापित करके उनकी पूजा करने से साल भर घर में उन्नति होती रहेगी।*
➡ *5. तीन गोमती चक्रों का चूरा करके उन्हें घर के बाहर फैला देने से भाग्य सकारात्मक होता है।*
➡ *6. ग्यारह गोमती चक्रों को लाल पोटली में बांधकर दुकान में रखने से व्यापार में लाभ होता है।*
*सुख-शांति चाहते हैं तो अपनाएं गोमती चक्र के ये आसान उपाय*
➡ *1. यदि गोमती चक्र को लाल सिन्दूर की डिब्बी में रखा जाए तो घर में सुख-शांति बनी रहती है।*
➡ *2. यदि घर में कोई बार-बार बीमार होता हो या किसी की बीमारी ठीक ही नहीं हो रही हो तो गोमती चक्र को चांदी में पिरोकर रोगी के पलंग पर बांध दे, इससे रोगों का नाश होने लगेगा।*
➡ *3. व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बांधकर उसे दुकान के मुख्य दरवाजे की चौखट पर बांध दे, ऐसा करने से व्यापार में वृद्धि होगी।*
➡ *4. दीपावली के दिन पांच गोमती चक्र को पूजा में स्थापित करके उनकी पूजा करने से साल भर घर में उन्नति होती रहेगी।*
➡ *5. तीन गोमती चक्रों का चूरा करके उन्हें घर के बाहर फैला देने से भाग्य सकारात्मक होता है।*
➡ *6. ग्यारह गोमती चक्रों को लाल पोटली में बांधकर दुकान में रखने से व्यापार में लाभ होता है।*
*बृहस्पति नीति*
*बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं। उन्होंने ऐसी कई बातें बताई हैं, जो हर किसी के लिए बहुत काम की साबित हो सकती हैं। बृहस्पति ने इन ऐसे नीतियों का वर्णन किया है, जो किसी भी मनुष्य को सफलता की राह पर ले जा सकती हैं।*
➡ *मुश्किल कामों में भी आसानी से पा लेंगे सफलता अगर ध्यान रखेंगे ये 3 बातें*
*हर परिस्थिति में भगवान को याद रखें*
*श्लोक*
*सकृदुच्चरितं येन हरिरित्यक्षरद्वयम।*
*बद्ध: परिकरस्तेन मोक्षाय गमनं प्रति।।*
*अर्थात*
*मनुष्य को हर परिस्थिति में भगवान को याद करना चाहिए, क्योंकि भगवान का स्मरण ही हर सफलता की कुंजी है। जो मनुष्य इस बात को समझ लेता है, उसे जीवन में सभी सुख मिलते हैं और स्वर्ग पाना संभव हो जाता है।*
*दुर्जनों को छोड़, सज्जनों की संगती करें*
*श्लोक*
*त्यज दुर्जनसंसर्ग भज साधुसमागम।*
*कुरु पुण्यमहोरात्रं स्मर नित्यमनित्यता।।*
*अर्थात*
*मनुष्य को दुर्जन यानी बुरे विचारों और बुरे आदतों वाले लोगों की संगति छोड़कर, बुद्धिमान और सज्जन लोगों से दोस्ती करनी चाहिए। सज्जन लोगों की संगति में ही मनुष्य दिन-रात धर्म और पुण्य के काम कर सकता है।*
*हर कोई मनुष्य का साथ छोड़ देता है, लेकिन धर्म नहीं*
*श्लोक*
*तैस्तच्छरीरमुत्सृष्टं धर्म एकोनुग्च्छति।*
*तस्ताद्धर्म: सहायश्च सेवितव्य सदा नृभि:।।*
*अर्थात*
*हर कोई कभी न कभी साथ छोड़ देता हैं, लेकिन धर्म कभी मनुष्य का साथ नहीं छोड़ता। जब कोई भी अन्य मनुष्य या वस्तु आपका साथ नहीं देते, तब आपके द्वारा किए गए धर्म और पुण्य के काम ही आपकी मदद करते हैं और हर परेशानी में आपकी रक्षा करते हैं।*
ऊॅ हौं जूं सः। ऊॅ भूः भुवः स्वः ऊॅ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
*बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं। उन्होंने ऐसी कई बातें बताई हैं, जो हर किसी के लिए बहुत काम की साबित हो सकती हैं। बृहस्पति ने इन ऐसे नीतियों का वर्णन किया है, जो किसी भी मनुष्य को सफलता की राह पर ले जा सकती हैं।*
➡ *मुश्किल कामों में भी आसानी से पा लेंगे सफलता अगर ध्यान रखेंगे ये 3 बातें*
*हर परिस्थिति में भगवान को याद रखें*
*श्लोक*
*सकृदुच्चरितं येन हरिरित्यक्षरद्वयम।*
*बद्ध: परिकरस्तेन मोक्षाय गमनं प्रति।।*
*अर्थात*
*मनुष्य को हर परिस्थिति में भगवान को याद करना चाहिए, क्योंकि भगवान का स्मरण ही हर सफलता की कुंजी है। जो मनुष्य इस बात को समझ लेता है, उसे जीवन में सभी सुख मिलते हैं और स्वर्ग पाना संभव हो जाता है।*
*दुर्जनों को छोड़, सज्जनों की संगती करें*
*श्लोक*
*त्यज दुर्जनसंसर्ग भज साधुसमागम।*
*कुरु पुण्यमहोरात्रं स्मर नित्यमनित्यता।।*
*अर्थात*
*मनुष्य को दुर्जन यानी बुरे विचारों और बुरे आदतों वाले लोगों की संगति छोड़कर, बुद्धिमान और सज्जन लोगों से दोस्ती करनी चाहिए। सज्जन लोगों की संगति में ही मनुष्य दिन-रात धर्म और पुण्य के काम कर सकता है।*
*हर कोई मनुष्य का साथ छोड़ देता है, लेकिन धर्म नहीं*
*श्लोक*
*तैस्तच्छरीरमुत्सृष्टं धर्म एकोनुग्च्छति।*
*तस्ताद्धर्म: सहायश्च सेवितव्य सदा नृभि:।।*
*अर्थात*
*हर कोई कभी न कभी साथ छोड़ देता हैं, लेकिन धर्म कभी मनुष्य का साथ नहीं छोड़ता। जब कोई भी अन्य मनुष्य या वस्तु आपका साथ नहीं देते, तब आपके द्वारा किए गए धर्म और पुण्य के काम ही आपकी मदद करते हैं और हर परेशानी में आपकी रक्षा करते हैं।*
ऊॅ हौं जूं सः। ऊॅ भूः भुवः स्वः ऊॅ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उव्र्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् मधुकर / किरण / एवं शिवंशी उर्फ बाटू को रक्षय- रक्षय - पालय-पालय ऊॅ स्वः भुवः भूः ऊॅ। ऊॅ सः जूं हौं।
ॐ ह्रीं ह्रीं वं वं ऐं ऐं मृतसंजीवनि विद्ये मृतमुत्थापयोत्थापय क्रीं ह्रीं ह्रीं वं स्वाहा।
*सबका भला-सबका मंगल*