Priceless verse of the householder लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Priceless verse of the householder लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 18 सितंबर 2018

गृहस्थ गीता के अनमोल वचन , Priceless verse of the householder

Sex Power

       *गृहस्थ गीता के अनमोल वचन*

             जीवन में चार का महत्व :-   

1. चार बातों को याद रखे :- 

-बड़े बूढ़ों का आदर करना,
-छोटों की रक्षा करना एवं उनपर स्नेह करना,
-बुद्धिमानों से सलाह लेना और
--मूर्खों के साथ कभी न उलझना !

2. चार चीजें पहले दुर्बल दिखती हैं परन्तु परवाह न करने पर बढक़र दु:ख का कारण बनती हैं :- 

-अग्नि,
-रोग,
-ऋण और
-पाप !

3. चार चीजों का सदा सेवन करना चाहिए :- 

-सत्संग,
-संतोष,
-दान और
-दया !

4. चार अवस्थाओं में आदमी बिगड़ता है :-

-जवानी,
-धन,
-अधिकार और
-अविवेक !

5. चार चीजें मनुष्य को बड़े भाग्य से मिलती हैं :

-भगवान को याद रखने की लगन, 
-संतों की संगति,
-चरित्र की निर्मलता और
--उदारता !

6. चार गुण बहुत दुर्लभ है :- 

-धन में पवित्रता,
-दान में विनय,
-वीरता में दया और
-अधिकार में निराभिमानता !

7. चार चीजों पर भरोसा मत करो :- 

-बिना जीता हुआ मन,
-शत्रु की प्रीति,
-स्वार्थी की खुशामद और
-बाजारू ज्योतिषियों की भविष्यवाणी !

8. चार चीजों पर भरोसा रखो :- 

-सत्य,
-पुरुषार्थ,
-स्वार्थहीन और
-मित्र !

9. चार चीजें जाकर फिर नहीं लौटतीं :-
-मुह से निकली बात,
-कमान से निकला तीर,
-बीती हुई उम्र और
-मिटा हुआ ज्ञान !

10. चार बातों को हमेशा याद रखें :

-दूसरे के द्वारा अपने ऊपर किया गया उपकार,
-अपने द्वारा दूसरे पर किया गया अपकार,
-मृत्यु और
-भगवान !

11. चार के संग से बचने की चेष्टा करें :- 

-नास्तिक,
-अन्याय का धन,
-पर(परायी) नारी और
-परनिन्दा !

12. चार चीजों पर मनुष्य का बस नहीं चलता :- 

-जीवन,
-मरण,
-यश और
-अपयश !

13. चार पर परिचय चार अवस्थाओं में मिलता है :-

-दरिद्रता में मित्र का,
-निर्धनता में स्त्री का,
-रण में शूरवीर का और
-बदनामी में बंधु-बान्धवों का !

14. चार बातों में मनुष्य का कल्याण है :- 

-वाणी के संयम में,
-अल्प निद्रा में,
-अल्प आहार में और
-एकांत के भगवत्स्मरण में !

15. शुद्ध साधना के लिए चार बातों का पालन आवश्यक है :- 

-भूख से कम खाना,
-लोक प्रतिष्ठा का त्याग,
-निर्धनता का स्वीकार और
-ईश्वर की इच्छा में संतोष !

16. चार प्रकार के मनुष्य होते हैं :- 

(क) मक्खीचूस - न आप खाये और न दूसरों को दे !
(ख) कंजूस - आप तो खाये पर दूसरों को न दे !
(ग) उदार - आप भी खाये और दूसरे को भी दे !
(घ) दाता - आप न खाय और दूसरे को दे ! यदि दाता नहीं बन सकते तो कम से कम उदार तो बनना ही चाहिए !

17. मन के चार प्रकार हैं :-
-धर्म से विमुख जीव का मन मुर्दा है,
-पापी का मन रोगी है,
-लोभी तथा स्वार्थी का मन आलसी है और
-भजन साधना में तत्पर का मन स्वस्थ है

Sex Power