*प्रश्न* - *_याद रफीक हो तो रिफाकत ज़रूर है_*
कसम तुझे अल्लाह की बनाखत जरूर है
*_यारी करके देखा यार मिलता नहीं_*
*_बेवफा मिलता है लेकिन बावफा मिलता नहीं।_*
कसम तुझे अल्लाह की बनाखत जरूर है
*_यारी करके देखा यार मिलता नहीं_*
*_बेवफा मिलता है लेकिन बावफा मिलता नहीं।_*
*नहीं, देखा ही नहीं। जिन ने यारी करके देखा उन्हें सदा मिला। पूछो मंसूर से! पूछो बुद्ध से! पूछो नारद से! पूछा मीरा से,चैतन्य से! पूछो फरीद से, कबीर से, नानक से! करोड़ों गवाह हैं इसके, कि जिन्होंने यारी की उनको यार मिलता है। और परमात्मा और बेवफा! ऐसा होता ही नहीं। ऐसा उसका स्वभाव नहीं है। तुम्हारी ही कहीं भूल होगी। तुम कहीं अधैर्य में, जल्दी में लगे हो। भीतर से तुमने पुकारा ही नहीं। ऊपर-ऊपर से आवाज दी थी, और भीतर संदेह रहा होगा।*
एक गांव में वर्षा न हुई, गांव के पुजारी ने सारे गांव के लोगों को इकट्ठा किया कि प्रार्थना करेंगे, वर्षा हो जाएगी। सारा गांव आ गया। पुजारी भी चला गांव के बाहर जहां सब इकट्ठे हो रहे थे, एक मंदिर के पास। पुजारी के पस ही एक छोटा-सा बच्चा भी चल रहा था एक बड़ा छाता लिए। उस पुजारी ने कहा, "नालायक! छाता कहां ले जा रहा है?' उस बच्चे ने कहा, "लेकिन मैंने सोचा कि जब प्रार्थना होगी तो वर्षा भी होगी,लौटने में दिक्कत होगी'। मगर एक छोटा बच्चा ही लाया था। खुद पुजारी भी छाता लेकर न आया था। गांव की भीड़ इकट्ठी हुई, कोई छाता न लाया था। एक छोटा बच्चा ही प्रार्थना का पात्र था। एक वही भरोसे से आया था, कि जा ही रहे हैं प्रार्थना करने तो वर्षा होगी। लेकिन पुजारी ने उसकी श्रद्धा भी भ्रष्ट कर दी। उसने कहा, "अबे नालायक! यह छाता कहां ले जा रहा है? वर्षा ही तो नहीं हो रही वर्षों से, प्राण तड़पे जा रहे हैं और तू छाता लिए घूम रहा है'! उसको भी संदेह जगा दिया। उसकी प्रार्थना भी खराब हो गई। मुझे लगता है, उस दिन वर्षा हो सकती थी। उस अकेले एक बच्चे की प्रार्थना से भी हो सकती थी। मगर उसकी प्रार्थना भी खराब हो गई।
एक गांव में वर्षा न हुई, गांव के पुजारी ने सारे गांव के लोगों को इकट्ठा किया कि प्रार्थना करेंगे, वर्षा हो जाएगी। सारा गांव आ गया। पुजारी भी चला गांव के बाहर जहां सब इकट्ठे हो रहे थे, एक मंदिर के पास। पुजारी के पस ही एक छोटा-सा बच्चा भी चल रहा था एक बड़ा छाता लिए। उस पुजारी ने कहा, "नालायक! छाता कहां ले जा रहा है?' उस बच्चे ने कहा, "लेकिन मैंने सोचा कि जब प्रार्थना होगी तो वर्षा भी होगी,लौटने में दिक्कत होगी'। मगर एक छोटा बच्चा ही लाया था। खुद पुजारी भी छाता लेकर न आया था। गांव की भीड़ इकट्ठी हुई, कोई छाता न लाया था। एक छोटा बच्चा ही प्रार्थना का पात्र था। एक वही भरोसे से आया था, कि जा ही रहे हैं प्रार्थना करने तो वर्षा होगी। लेकिन पुजारी ने उसकी श्रद्धा भी भ्रष्ट कर दी। उसने कहा, "अबे नालायक! यह छाता कहां ले जा रहा है? वर्षा ही तो नहीं हो रही वर्षों से, प्राण तड़पे जा रहे हैं और तू छाता लिए घूम रहा है'! उसको भी संदेह जगा दिया। उसकी प्रार्थना भी खराब हो गई। मुझे लगता है, उस दिन वर्षा हो सकती थी। उस अकेले एक बच्चे की प्रार्थना से भी हो सकती थी। मगर उसकी प्रार्थना भी खराब हो गई।