मुनि तरुण सागर जी महाराज,
तरुण सागर मुनी का जन्म 26 जून 1967 को मध्य प्रदेश के दमोह के गुहंची गाव में हुआ और तब उनका नाम पवन कुमार था। उनके पिता का नाम प्रताप चन्द्र जैन और माँ का नाम शांति बाई जैन हैं। राजस्थान के बागीडोरा के आचार्य पुष्पदंत सागर ने उन्हें 20 जुलाई 1988 को दिगंबर मुनी बना दिया। तब वो केवल 20 साल के थे। जीटीवी पर उनके ‘महावीर वाणी’ कार्यक्रम की वजह से वो बहुत ही प्रसिद्ध हुए।
जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज के प्रवचन –
सन 2000 में उन्होंने दिल्ली के लाल किले से अपना प्रवचन दिया। उन्होंने
हरयाणा (2000), राजस्थान (2001), मध्य प्रदेश (2002), गुजरात (2003),
महाराष्ट्र (2004) में भ्रमण किया। इसके बाद में साल 2006 में ‘महा मस्तक अभिषेक’ के अवसर पर वो कर्नाटक के श्रावणबेलगोला में रुके थे। वो पुरे 65 दिन अपने पैरों पर चलकर बेलगाव से सीधे कर्नाटक पहुचे थे। वहापर पहुचने पर उन्होंने अपने प्रवचन के माध्यम से हिंसा, भ्रष्टाचार, रुढ़िवाद की कड़ी आलोचना की, जिसकी वजह से उनके प्रवचनों को ‘कटु प्रवचन’ कहा जाने लगा। उन्होंने बेंगलुरु में चातुर्मास का भी अनुसरण किया था।
हरयाणा (2000), राजस्थान (2001), मध्य प्रदेश (2002), गुजरात (2003),
महाराष्ट्र (2004) में भ्रमण किया। इसके बाद में साल 2006 में ‘महा मस्तक अभिषेक’ के अवसर पर वो कर्नाटक के श्रावणबेलगोला में रुके थे। वो पुरे 65 दिन अपने पैरों पर चलकर बेलगाव से सीधे कर्नाटक पहुचे थे। वहापर पहुचने पर उन्होंने अपने प्रवचन के माध्यम से हिंसा, भ्रष्टाचार, रुढ़िवाद की कड़ी आलोचना की, जिसकी वजह से उनके प्रवचनों को ‘कटु प्रवचन’ कहा जाने लगा। उन्होंने बेंगलुरु में चातुर्मास का भी अनुसरण किया था।
अधिकतर जैन साधू, भिक्षुक राजनीती के नेताओ से दूर ही रहते है। लेकिन मुनी तरुण सागर बहुत बार नेताओ से और सरकारी अधिकरियोसे एक अतिथि के रूप में मिल चुके है। उन्होंने सन 2010 में मध्य प्रदेश विधानसभा और 26 अगस्त 2016 को हरयाणा विधानसभा में प्रवचन दिया था।
2015 में फरीदाबाद के सेक्टर 16 में स्थित ‘श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर’ में तरुण सागर मुनी ने चातुर्मास का अनुसरण किया था। 108 श्रावक के जोड़ो ने उनका स्वागत किया था। उन्हें 108 थाली के 108 कलश की मदत से उनके चरणों को धोया गया था, तब तरुण सागर मुनी 200 फीट रैंप पर खड़े थे।
जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज को मिले हुए पुरस्कार
तरुण सागर मुनी को मध्य प्रदेश(2002), गुजरात(2003), महाराष्ट्र और कर्नाटक में राज्य अतिथि के रूप में घोषित किया गया। कर्नाटक में उन्हें क्रन्तिकारी का शीर्षक दिया गया और सन 2003 में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर मे उन्हें राष्ट्रसंत घोषित कर दिया गया।
जैन धर्मं के अन्य मुनी राजनीती से काफी दूर रहते है और नेताओ से तो बिलकुल बात भी नहीं करते। लेकिन तरुण सागर मुनी उन सब जैन मुनी के पूर्णता विपरीत है। वो हमेशा सभी नेताओ की कड़ी आलोचना करते है, मगर इसके साथ ही कभी कभी उनकी तारीफ़ भी करते है।
तरुण सागर मुनी के सारे प्रवचन ‘कडवे प्रवचन’ नाम से प्रकाशित किये गए है। उनके सभी प्रवचन आठ हिस्सों में संकलित किये गए है। तरुण सागर मुनी की एक खास किताब भी प्रकाशित की गयी है। वह किताब इसीलिए खास है क्यों की उस किताब का वजन 2000 किलों है। उस किताब की लम्बाई 30 फीट है और उसकी चौड़ाई 24 फीट है। ऐसी बड़ी किताब बहुत ही कम बार देखने को मिलती है।
*स्व. मुनि तरूण सागर जी के 20 मँत्र*
1.खुद की कमाई से कम
खर्च हो ऐसी जिन्दगी
बनाओ..!
2. दिन मेँ कम से कम
3 लोगो की प्रशंसा करो..!
3. खुद की भुल स्वीकारने
मेँ कभी भी संकोच मत
करो..!
4. किसी के सपनो पर हँसो
मत..!
5. आपके पीछे खडे व्यक्ति
को भी कभी कभी आगे
जाने का मौका दो..!
6. रोज हो सके तो सुरज को
उगता हुए देखे..!
7. खुब जरुरी हो तभी कोई
चीज उधार लो..!
8. किसी के पास से कुछ
जानना हो तो विवेक से
दो बार...पुछो..!
9. कर्ज और शत्रु को कभी
बडा मत होने दो..!
10. स्वयं पर पुरा भरोसा
रखो..!
11. प्रार्थना करना कभी
मत भुलो,प्रार्थना मेँ
अपार शक्ति होती है..!
12. अपने काम से मतलब
रखो..!
13. समय सबसे ज्यादा
कीमती है, इसको फालतु
कामो मेँ खर्च मत करो..
14. जो आपके पास है, उसी
मेँ खुश रहना सिखो..!
15. बुराई कभी भी किसी कि
भी मत करो,
क्योकिँ बुराई नाव मेँ
छेद समान है,बुराई
छोटी हो बडी नाव तो
डुबो ही देती है..!
16. हमेशा सकारात्मक सोच
रखो..!
17. हर व्यक्ति एक हुनर
लेकर पैदा होता है बस
उस हुनर को दुनिया के
सामने लाओ..!
18. कोई काम छोटा नही
होता हर काम बडा होता
है जैसे कि सोचो जो
काम आप कर रहे हो
अगर वह काम
आप नही करते हो तो
दुनिया पर क्या असर
होता..?
19. सफलता उनको ही
मिलती है जो कुछ
करते है
20. कुछ पाने के लिए कुछ
खोना नही बल्कि कुछ
करना पडता है....!
*स्व. मुनि तरूण सागर जी के 20 मँत्र*
1.खुद की कमाई से कम
खर्च हो ऐसी जिन्दगी
बनाओ..!
2. दिन मेँ कम से कम
3 लोगो की प्रशंसा करो..!
3. खुद की भुल स्वीकारने
मेँ कभी भी संकोच मत
करो..!
4. किसी के सपनो पर हँसो
मत..!
5. आपके पीछे खडे व्यक्ति
को भी कभी कभी आगे
जाने का मौका दो..!
6. रोज हो सके तो सुरज को
उगता हुए देखे..!
7. खुब जरुरी हो तभी कोई
चीज उधार लो..!
8. किसी के पास से कुछ
जानना हो तो विवेक से
दो बार...पुछो..!
9. कर्ज और शत्रु को कभी
बडा मत होने दो..!
10. स्वयं पर पुरा भरोसा
रखो..!
11. प्रार्थना करना कभी
मत भुलो,प्रार्थना मेँ
अपार शक्ति होती है..!
12. अपने काम से मतलब
रखो..!
13. समय सबसे ज्यादा
कीमती है, इसको फालतु
कामो मेँ खर्च मत करो..
14. जो आपके पास है, उसी
मेँ खुश रहना सिखो..!
15. बुराई कभी भी किसी कि
भी मत करो,
क्योकिँ बुराई नाव मेँ
छेद समान है,बुराई
छोटी हो बडी नाव तो
डुबो ही देती है..!
16. हमेशा सकारात्मक सोच
रखो..!
17. हर व्यक्ति एक हुनर
लेकर पैदा होता है बस
उस हुनर को दुनिया के
सामने लाओ..!
18. कोई काम छोटा नही
होता हर काम बडा होता
है जैसे कि सोचो जो
काम आप कर रहे हो
अगर वह काम
आप नही करते हो तो
दुनिया पर क्या असर
होता..?
19. सफलता उनको ही
मिलती है जो कुछ
करते है
20. कुछ पाने के लिए कुछ
खोना नही बल्कि कुछ
करना पडता है....!
मुनि तरुण सागर जी महाराज, Jain Muni Tarun Sagar in Aap Ki Adalat With Rajat Sharma