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सोमवार, 26 अक्तूबर 2020

#कल्पना शक्ति #Visualization Power Use in Law of Attraction रोग और कल्पना


-रोग और कल्पना ( 2 )

-कल्पना एक चुम्बक है ।

-अच्छे खुशनुमा,  साकारात्मक,  सुख,  समृध्दि,  वैभव,  प्रसिद्वि,  शक्ति,  बल  और यौवन के विचार और कल्पनाएं स्वास्थ्य को आकर्षित करती है ।

-नकारात्मक  कल्पनाएं,   दुःख,  रोग,  दुर्बलता,  अपयश और दरिद्रता को   आकर्षित करती हैं  । जिस से शरीर रोगी बनता है  ।

-अच्छे स्वास्थ्य के लिये हमें सिर्फ अपनी कल्पनाओ पर ध्यान रखना है ।

-मन मेंं आनंदायक,  उत्साह वर्धक,  प्रेरणादायी,  साहसी और सुन्दर कल्पनाएं करनी हैँ  ।

-साकारात्मक कल्पनाएं शरीर के प्रत्येक तार  को झंकृत कर देती हैँ  ।

-हर छोटी बड़ी,  पास क़ी और दूर क़ी कोशिकाओ को कल्पना का कम्पन पहुंच जाता है ।

-अच्छी कल्पनाएं शक्तिवर्धक टॉनिक पैदा करती है ।

-राजयोग के अभ्यास मेंं क़ी गई कल्पनाओ  से शरीर  का हरेक अंग अपना सर्वश्रेष्ट कार्य करने को प्रेरित होता है ।

-राजयोग नकारात्मक कल्पनाओ को निकाल फेंकता  है ।

आज का ज्ञान :
कान्तावियोगः स्वजनापमानः ऋणस्य शेषः कुरपस्य सेवा।
दरिद्रभावो विषमा सभा च विनग्निनैतै प्रदहन्ति कायम्।।

श्लोक का अर्थ :
पत्नी का बिछुड़ाना, अपने बंधु-बांधवों से अपमानित होना, कर्ज़ चढ़े रहना, दुष्ट अथवा बुरे मालिक की सेवा में रहना, निर्धन बने रहना, दुष्ट लोगों और स्वार्थियों की सभा अथवा समाज में रहना, ये सब ऐसी बातें हैं, जो बिना अग्नि के शरीर को हर समय जलाती रहती है।

श्लोक का भावार्थ :
सज्जन लोग अपनी पत्नी के वियोग को सहन नहीं कर सकते। यदि उनके अपने भाई-बंधु उनका अपमान अथवा निरादर करते हैं तो वह उसे भी नहीं बुला सकते। जो व्यक्ति कर्जे से दबा है, उसे हर समय कर्ज न उतार पाने का दुख रहता है। दुष्ट राजा अथवा मालिक की सेवा में रहने वाला नौकर भी हर समय दुखी रहता है। निर्धनता तो ऐसा अभिशाप है, जिसे मनुष्य सोते और उठते-बैठते कभी नहीं भुला पाता। उसे अपने स्वजनों और समाज में बार-बार अपमानित होना पड़ता है।

अपमान का कष्ट मृत्यु के समान है। ये सब बातें ऐसी हैं, जिनसे बिना आग के ही व्यक्ति अंदर-ही-अंदर जलता रहता है। जीते-जी चिता का अनुभव करने की स्थिति है यह।



-अवचेतन  मन एक कंप्यूटर है । इसे आदेश चाहिये  क़ि क्या करना है । जो हम पल पल संकल्प करते है अवचेतन  मन इन  संकल्पों  को आदेश समझता है और  उसी अनुसार कार्य  करता है ।

-अवचेतन मन को कार्य करने से रोकने वाले हमारे सूक्ष्म नाकारात्मक संकल्प  है । अगर हम इन्हे बदल  दे तो अवचेतन मन की शक्तियां  कार्य करने लगेगी ।

-हमारे में वह शक्तियों आ जायेगी जो सिध्द पुरुषों में थी । जिन्हे प्राप्त करने के लिये 8  घंटे योग का अभ्यास  हर रोज़ करना पड़ता है ।

-हमारा अवचेतन मन शक्तियों का सागर है ।  हमें मेहनत सिर्फ नाकारात्मक विचारों को    बदलने की करनी  है ।

- हम अनजाने मै कुछ  ऐसे शब्द सोचते, बोलते वा सुनते रहते है  जो हमारे अवचेतन मन को जागृत नहीं होने देते ।

-मै बीमार हू पता  नहीं क्या होगा, मै यह काम नहीं कर सकता, यह पढाई बहुत कठिन है ।

-अवचेतन मन इन का अर्थ समझता है कि  व्यक्ति की बीमारी ठीक नहीं होने देनी है । काम पूरा  नहीं होने देना  और पढ़ाई  में  पास नहीं होने देना और   वही हमारे  साथ घटित होता रहता  है ।

-सुबह से लें कर रात  तक आप के मन में अनेक प्रकार के नाकारात्मक विचार  आते है । मै यह वस्तु नहीं खरीद पाऊँगा  क्योंकि बहुत महँगी है । मै लचार हू, मजबूर हू, मेरे बस का  नहीं है, मेरी कोई सुनता  नहीं । मै अनपढ़ हू ।

-जैसे ही मन में  नाकारात्मक विचार आये कि यह काम कठिन है उसके अंत में  लेकिन शब्द जोडो । ळेकिन शब्द के बाद अगला  सकारात्मक शब्द ही जुडेगा ।

-यह काम कठिन है लेकिन ईश्वर की सहायता से यह कार्य सम्भव है । अकेले इंसान के लिये वह कार्य कठिन हो सकता है, पर आप अकेले कहाँ है, आप के साथ विश्वास तथा  विश्व दाता की शक्ति है ।

-हरेक अपने लिये सोचे कि  हर नाकारात्मक विचार के पीछे लेकिन शब्द जोड़ कर उसके बाद वह ऐसा कौन सा वाक्य जोड़े जिस से   साकारात्मक शक्ति महसूस हो ।

-मै यह वस्तु नहीं खरीद  सकूगा क्योंकि महँगी है, इस नाकारात्मक विचार  के साथ जोड़े और कहे, मै यह वस्तु अभी नहीं खरीद पाऊगा, लेकिन थोड़े  ही समय में पैसे की  व्यवस्था कर सकता हू । आप वह प्राप्त कर लेगें ।

-मै बीमार हू लेकिन स्वास्थ्य  मेरे अन्दर है, मै ठीक हो  जाऊँगा  ।

-मुझे बुरा लग रहा है, लेकिन मै इस का रूपान्तरण कर सकता हू ।

- पहला वाक्य अगर साकारात्मक है तो उसके साथ लेकिन शब्द प्रयोग  नहीं करना । उसके अंत में 'और'  शब्द प्रयोग करो । मै स्वस्थ हू और स्वस्थ ही रहूंगा ।

-हर नाकारात्मक संकल्प के अंत में लेकिन शब्द प्रयोग करो । इस में ही फायदा है ।

- 'लेकिन'  शब्द के साथ यह कहना है कि यह सम्भव है । मै शरीर से कमजोर हू लेकिन यह सम्भव है कि  फिर से शक्तिशाली बना जा सकता है ।

-लेकिन शब्द जोड़ने से आप के नाकारात्मक विचारो की  तकलीफें रुक  जायेगी । बुरा वक्त चल रहा है लेकिन यह भी  बदल जायेगा ।

-विचार नाकारात्मक है तो असफलता लायेंगे । सकारात्मक है तो सुख शांति और       सम्पन्नता लायेंगे ।

-हर पल नाकारात्मक विचार  आते रहते है उन्हे  आशावादी विचारो में बदलो ।

-हमारे आसपास कुछ् साकारात्मक कुछ  नाकारात्मक विचारो के लोग है । हमें नाकारात्मक लोगों के बारे अपना दृष्टिकोण बदलना है । वह गंदा  है लेकिन अच्छा  कर सकता है ।

मनचाही प्राप्ति और कल्पना आन्तरिक बल एपीसोड 825 /राजयोगी मिलखराज सन्धा /voice bk Naina