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शुक्रवार, 15 मार्च 2019

Osho अनहद में विश्राम प्रवचन- What is Anāhad Nāad?

*ओशो...*
दरिया कहते हैं, एक ही बात याद रखो कि परमात्मा के सिवा न हमारी कोई माता है, न हमारा कोई पिता है। और ब्रह्म के सिवाय हमारी कोई जात नहीं।
ऐसा बोध अगर हो, तो जीवन में क्रांति हो जाती है। तो ही तुम्हारे जीवन में पहली बार धर्म के सूर्य का उदय होता है।
"गिरह हमारा सुन्न में।'
तब तुम्हें पता चलेगा कि शून्य में हमारा घर है--हमारा असली घर! जिसको बुद्ध ने निर्वाण कहा है, उसी को दरिया शून्य कह रहे हैं। परम शून्य में, परम शांति में, जहां लहर भी नहीं उठती, ऐसे शांत सागर में या शांत झील में, जहां कोई विचार की तरंग नहीं, वासना की कोई उमंग नहीं, जहां विचार का कोई उपद्रव नहीं, जहां शून्य संगीत बजता है, जहां अनाहत नाद गूंज रहा है--वहीं हमारा घर है।
"अनहद में बिसराम।'
और जिसने उस शून्य को पा लिया, उसने ही विश्राम पाया। और ऐसा विश्राम जिसकी कोई हद नहीं है, जिसकी कोई सीमा नहीं है।
"अनहद में बिसराम।' यही संन्यासी की परिभाषा है। "गिरह हमारा सुन्न में, अनहद में बिसराम।' यह संन्यासी की पूरी परिभाषा आ गई। मगर इसके लिए जरूरी है कि हम जानें: "जात हमारी ब्रह्म है, माता-पिता है राम।'..क्रमशः
*अनहद में विश्राम प्रवचन-०१*
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