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गुरुवार, 24 मई 2018

*ओशो* *गुरजिएफ* *सिस्टम‌*

क्या आप सच्चाई के साथ हैं ? 
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 *ओशो* *गुरजिएफ* *सिस्टम‌*

काफी समजदार लोगो ने ओर काफी ओशो ध्यान सेन्टर ने ,गुरजिएफ में दिलचस्पी दीखाई है,...सभी लोग जानना चाहते है की ये महाशय कौन है...

ओशो के पहे ले तो भारत में किशिको भी गुरजिएफ , का नाम भी पता नहीं था...ये ओशो की कृपा और करुणा है की उन्होंने हमें गुरजिएफ की पहेचान कराइ...

गुरजिएफ एक प्रबुद्ध ( Enlighten) पुरुष है,...ओशो ने उनकी गिनती, जीसस , कबीर, महावीर, बुद्ध, और कृष्ण के साथ की है...

गुरजिएफ रशिया में जन्मे और उन्होंने उनकी शिक्षा  रशिया में देनेका प्रयास किया, लेकिन साम्यवाद क्रांति की वजह से उन्हें रशिया छोड़ना पडा...

और भाग के फ्रांस आये, और उन्होंने अमेरिका , फ्रांस और ब्रिटन में शिक्षा दी. जैसे युरोपियन लोग ज्यादा तार्किक, वैज्ञानिक और गणितज्ञ...होने की वजह से उनकी पूरी शिक्षा एकदम वैज्ञानिक रही...उनकी शिक्षा में श्रद्धा बाधा है...उनका कहेना है, में आपको विधि देता हूँ , उसके ऊपर प्रयोग करो , और आप जाग जायेंगे...ध्यान में चले जायेंगे...

और उन्होंने ऐसी विधि बनाई की ध्यान करते समय ही हमें खुदको पता चल जाएगा की हम ध्यान में है , या सो गए है, और हमारे साथ दुसरे जो ध्यान कर रहे है, उनको भी पता चल जाएगा, की हम ध्यान में है या नहीं है......

ओशो की विधि , नादब्रह्म या कुण्डलिनी या नटराज में जब अन्तिम दस मिनिट्स, हम ध्यान में है की नींद में है , वह दूसरो को पता ही नहीं चलता है...और कई लोग तो नस्कोरा बुलाने लगते  है...लेकिन गुरजिएफ की विधि में सोना बिलकुल मुश्कील है...

ओशो को गुर्जिएफ़्फ़ के प्रति बहोत ही लगाऊ था, ओशो आश्रम में ओशो ने गुरजिएफ का एक ग्रुप बना रखा था, जिसमे इसरायल के स्वामी जीवन , गुरजिएफ सिस्टम , गुर्जिएफ़्फ़ मूवमेंट्स , और गुरजिएफ के दुसरे ध्यान शिखाते थे...

हम भारतीय लोग उसमे ज्यादा रस न लेते थे, क्न्युकी , वो कोर्स पूरा दस दिन का रहेता था, और थोड़ा महेंगा भी था,...इसीलिए, वह ओशो के दुसरे ध्यान जीतना गुरजिएफ का ध्यान, प्रचलीत   नहीं हुआ...

लेकिन अभी ओशो के गये करीब तीस साल हो गए, अभी एक नया जनरेसन आ गया...और ये नए लोग, ज्यादा इमानदार, ज्यादा लोजिकल , ज्यादा वैज्ञानिक ज्यादा रेसनल और ज्यादा महेनतु है...तो उनके लिए , ओशो के हिसाब से शिखाई गुरजिएफ सिस्टम और उनके ध्यान ज्यादा जरुरी साबित हो सकता है...

और फिर कई लोग मानते है की, ये गुरजिएफ ध्यान अलग है और उनको ओशो से कुछ मतलब नहीं है, वे बड़ी गलती में है...ये ओशो आश्रम से ही निकला हुआ है, और नए मनुष्य के लिए बहुत ही जरुरी है...

दुसरे कई ऐसे भी साधक है, जो ओशो को नहीं मानते है, और गुरजिएफ को सीधा मानते है, मे भी ऐसी स्कुल में था...लेकिन मेरा अनुभव ऐसा कहेता है की वो ध्यान के नाम पर कुछ और ही करते है...जैसे कंही कबीर पंथी है, वे ओशो को नहीं मानते और कबीर की भक्ती करते है, वे सच में भक्ति के नाम पे कुछ और ही कर रहे है...

ओशो के बीना गुरजिएफ तो क्या, किसी भी सद्गुरु और उनकी ध्यान पद्धती और उनका ध्यान समजना अशक्य है.. हमें गुरजिऐफ को ओशो के माध्यम से समझना पड़ेगा, ।

जो लोग गुरजिएफ या उनके ध्यान को छोड़ देंगे, वे ओशो का एक बहोत ही महत्व का भाग छोड़ रहे है, और काफी चीज से वंचीत रह जायेंगे




इंसान ने ही भगवान का निर्माण किया है , इसके तार्किक सबूत निम्नवत हैं ;----
1-- मंनुष्य के अलावा दुनिया का एक भी प्राणी भगवान को नही मानता ।
2-- जहां इंसान नही पहुचा वहां एक भी मंदिर - मस्जिद व चर्च नही मिला । 
3-- अलग अलग जगहों पर अलग अलग देवता हैं ,, इसका मतलब इंसान को जैसी कल्पना सूझी वैसा ही भगवांन् बनाया ।
4-- दुनिया मे अनेक धर्म , पंथ, और उनके अपने अपने देवता हैं ,,, इसका अर्थ भगवांन् भी एक नही ? ।
5-- दिन प्रतिदिन नये नये भगवांन् तैयार किये जा रहे हैं ।
6-- अलग - अलग प्रार्थनाएं हैं ।
7-- दुनिया मे देवताओं के अलग अलग आकार और उनको प्रसन्न करने के लिए अलग अलग पूजा । 
8-- अभी तक किसी इंसान को भगवांन् मिलने के कोई सही प्रमाण नही हैं ।
9-- भगवांन को मानने वाला और न मानने वाला भी समान जिंदगी जीता है ।
10-- भगवांन् किसी का भला या बुरा नही कर सकता । 
11-- भगवांन् भ्रष्टाचार , अन्याय , चोरी, बेईमानी, बलात्कार , आतंकवाद , अराजकता रोक नही सकता । 
12-- छोटे बच्चों पर गोलियां दागने वालों का हाथ भगवांन् नही पकड़ सकता ।
13-- मंदिर , मस्जिद , व चर्च को गिराते समय एक भी भगवांन् ने सामने आकर विरोध नही किया ।
14-- बिना अभ्यास किये एक भी छात्र को भगवांन् ने पास किया हो , ऐसा उदाहरण आजतक सुनने को नही मिला ।
15-- बहुत्त सारे भगवांन् ऐसे हैं , जिनको 30- 40 साल पहले कोई नही जानता था , वह अब प्रख्यात भगवांन् हो गए हैं । 
16-- खुद को भगवांन् समझने वाले ,, अब जेल की हवा खा रहे हैं ।
17-- दुनिया मे करोड़ो लोग भगवांन को नही मानते ,, फिर भी वह सुख चैन से रह रहे हैं ।
18-- हिन्दू अल्लाह को नही मानते , मुस्लिम भगवांन् को नही मानते , ईसाई भगवांन् और अल्लाह को नही मानते , हिन्दू मुस्लिम गाड़ को नही मानते ,,, फिर भी भगवांन ने एक दूसरे से नही पूछा कि ऐसा क्यों ? ।
19- - एक धर्म कहता है कि भगवांन् का आकार नही ,, दूसरा भगवांन् को आकार देकर फैंसी कपड़े पहनाता है , तीसरा अलग बताता है , मतलब सच क्या है।
20-- मांस भक्षण करने वाला भी जी रहा है और नही करने वाला भी जी रहा है, और जो दोनों खाता है वह भी जी रहा है ।
21-- अमेरिका , रूष , भगवांन् को नही मानते फिर वह महासत्ता हैं । 
22-- जब ब्रम्हा ने सृष्टि की रचना की , तो फिर चार वर्ण की व्यवस्था सिर्फ भारत मे ही क्यों पाई जाती है। अन्य देशों में क्यों नही पाई जाती ? 
23- जब वेद ईश्वर की वाणी है तो भारत के अलावा अन्य देशों में वेद क्यों नही हैं ? तथा वेद सिर्फ संस्कृत भाषा मे ही क्यों हैं , अन्य भाषाओं में क्यों नही ??





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