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रविवार, 19 मई 2019

सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु, ग्रह को कैसे उच्च करें

*ग्रह उपाय*

सूर्य ग्रह का उपाय

*ग्रह का उपाय करने के कुछ साधारण नियम :-*
(1). उपाय सूर्योदय से सूर्यास्त के मध्य ही करें।
(2). पीडि़त जातक या जातिका के स्थान पर खून का रिस्ता रखने वाला भाई-बहन, माता-पिता, दादा-दादी इत्यादि भी उपाय कर सकते हैं।
(3). मांस, मछली एवं मदिरा का सेवन न करें। चाल-चलन ठीक रखें व झूठ न बोलें।
(4). जूठन न खायें न खिलायें, नीयत में खोट न रखें। परस्त्री -परपुरूष से संबंध न रखें।
(5). उपाय करते समय नियमों का पूर्ण से पालन करें।
(6). घर में बच्चे का जन्म हो या किसी की मृत्यु हो जाए तो उस अवधि में उपाय नहीं करना चाहिये।
(7). आस्था एवं विश्वास से उपाय करना चाहिये। उपाय करते समय उस पर शक नहीं करना चाहिये। हमेशा सकारात्मक सोच से उपाय करने चाहिये। मन में कभी भी नकात्मक बातें या सोच नहीं लाना चाहिये।

*सामान्य उपाय :-*
निम्न दो उपाय सभी को नित्य करने चाहिये :-


(1). सर्वप्रथम स्नाान करने के पश्चात भगवान श्री गणेश की चित्र के सामने ।।ऊँ गं गणपतये नम:।। (ओम गंग गणपतये नमह) मंत्र की एक माला नित्य जप करें।
(2). सुबह का खाना खाने से पहले थाली में से तीन रोटी निकाल दें और खाना खाने के बाद उस रोटी को किसी गाय, कुत्ता एवं कौआ को दे दें।
ग्रहों का उपाय :-

सूर्य ग्रह का उपाय

(1). सूर्य ग्रह का उपाय :-
प्रात: स्नान करने के बाद नित्य या रविवार को तांबे की गड़वी में लाल सिंदूर, लाल फूल, अक्षत व गुड़/चीनी डालकर सूर्य को जल दें फिर सूर्य मंत्र ।। ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: ।। का एक माला का जप करें और आदित्य हृदय स्त्रोत पाठ करें। कहीं शुभ कार्य से जाना हे तो गुड़ खाकर जल पीकर जायें इससे कार्य सिद्ध होने की संभावना होगी। रविवार को गुड़, गेहूँ व तांबा दान दें।

सूर्य ग्रह के अन्य उपाय :-
(क). पिता का सम्मान करें। भगवान विष्णु की पूजा करें।
(ख). गेहूँ, गुड़ और तांबे का दान करें।
(ग). अपना चरित्र उत्तम रखें।
(घ). एक मुखी रूद्राक्ष धारण करें।
(ड.). सूर्य यंत्र स्थापित कर इनकी नियमित पूजा करें।
(च). रिश्वत खोरी न करें।
(छ). ।। ऊॅं ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: ।। मंत्र का जाप करें।

चन्द्र ग्रह का उपाय

(2). चन्द्र ग्रह का उपाय :-
प्रात: स्नान करने के बाद चन्द्र मंत्र ।। ऊँ श्रां श्रीं श्रीं स: चन्द्र्मसे नम:।। नित्य या हर सोमवार को एक माला जप करें। सोमवार को स्नान करने के बाद जप करें उसके बाद सोमवार को दूध, चावल, चीनी एवं सफेद कपड़ा का दान करें।
चन्द्र ग्रह के अन्य उपाय :-
(क). माता का सम्मान करें। भगवान शिव की पूजा करें।
(ख). चांदी, चावल व दूध का दान करें।
(ग). गंगा स्नान करें।
(घ). दो मुखी रूद्राक्ष धारण करें।
(ड.). चन्द्र यंत्र स्थांपित कर इनकी नियमित पूजा करें।
(च). ।। ऊॅं श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम: ।। मंत्र का जाप करें।


(3). मंगल ग्रह का उपाय :-
प्रात: स्नान करने के बाद मंगल मंत्र ।। ऊँ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: ।। का नित्य या हर मंगलवार को एक माला जप करें। हनुमान जी की मूर्ति के सामने हनुमान चालीसा, हनुमान अष्ट क एवं बजरंग बाण का नित्य पाठ करें। मंगलवार को सिंदूरी बजरंगबली के ऊपर चमेली का तेल, लाल सिंदूर, लाल चोला, एवं लाल लड्डू चढ़ायें। लाल रंग की गाय को मीठी रोटी दें।
मंगल ग्रह के अन्य उपाय :-
(क). भाई की सेवा करें। भगवान हनुमान जी की पूजा करें।
(ख). मसूर की दाल बहते हुए पानी में बहायें।
(ग). तीन मुखी रूद्राक्ष धारण करें।
(ड.). मंगल यंत्र स्थापित कर इनकी नियमित पूजा करें।
(च). ।। ऊॅं क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: ।। मंत्र का जाप करें।


(4). बुध ग्रह का उपाय :-
प्रात: स्नान करने के बाद बुध मंत्र ।। ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: ।। का नित्य या हर बुधवार को एक माला जप करें। बुधवार को हरा साबुत मूंग दान दें। गाय को हरा चारा दें। गौशाला में हरा चारा दान दें। गरीब कन्याओं को हरा वस्त्र दान दें।
बुध ग्रह के अन्य उपाय :-
(क). बहन, बुआ, मौसी से आशिर्वाद प्राप्त करें।
(ख). सुराख वाला तांबे का पैसा बहते पानी में बहायें।
(ग). मां दुर्गा की पूजा करें।
(घ). चार मुखी रूद्राक्ष धारण करें।
(ड.). बुध यंत्र स्थापित कर इनकी नियमित पूजा करें।
(च). ।। ऊॅं ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: ।। मंत्र का जाप करें।



(5). गुरू ग्रह का उपाय :-
प्रात: स्नान करने के बाद गुरू मंत्र ।। ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरूवे नम: ।। का नित्य या हर गुरूवार को एक माला जप करें। गुरूवार को चने की दाल दान दें। केसर का नित्य तिलक करें। गाय को चने की दाल गुड़ खिलायें।
गुरू ग्रह के अन्य उपाय :-
(क). गुरू व ब्राह्मणों की पूजा करें।
(ख). धार्मिक पुस्तरकें दान दें।
(ग). बड़ों को सम्मान दें।
(घ). पांच मुखी रूद्राक्ष धारण करें।
(ड.). गुरू यंत्र स्थाापित कर इनकी नियमित पूजा करें।
(च). ।। ऊॅं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरूवे नम: ।। मंत्र का जाप करें।

शुक्र ग्रह का उपाय

(6). शुक्र ग्रह का उपाय :-
प्रात: स्नान करने के बाद शुक्र मंत्र ।। ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: ।। का नित्य। या हर शुक्रवार को एक माला जप करें। शुक्रवार को दूध, चावल, चीनी एवं सफेद कपड़ा दान दें। माता वैभव लक्ष्मी का 21 शुक्रवार विधि विधान से व्रत करें।
शुक्र ग्रह के अन्य उपाय :-
(क). स्त्री् का सम्मान करें। मां लक्ष्मी की उपासना करें।
(ख). गोदान करें।
(ग). छ: मुखी रूद्राक्ष धारण करें।
(घ). शुक्र यंत्र स्थापित कर इनकी नियमित पूजा करें।
(ड.). ।। ऊॅं द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: ।। मंत्र का जाप करें।

शनि ग्रह का उपाय

(7). शनि ग्रह का उपाय :-
प्रात: स्नान करने के बाद शनि मंत्र ।। ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:।। का नित्य या हर शनिवार को एक माला जप करें। शनि मंत्र जपते हुए पीपल में नित्य जल दें, रविवार को पीपल में जल नहीं दें। शनि स्त्रोत का नित्य पाठ करें। शनिवार को काला उड़द (साबूत माह), काला तिल, काला वस्त्र, काला छाता, काला कंबल आदि दान दें। सरसों तेल का छाया पात्र दान दें।
शनि ग्रह के अन्य उपाय :-
(क). बुजुर्गों का सम्मान करें। भगवान शिव, हनुमान जी एवं श्री भैरव जी की पूजा करें।
(ख). मीट और शराब का सेवन न करें।
(ग). भैरो की उपासना करें।
(घ). सात मुखी रूद्राक्ष धारण करें।
(ड.). नौकरों को प्रसन्नष रखें।
(च). शनि यंत्र स्थापित कर इनकी नियमित पूजा करें।
(छ). ।। ऊॅं प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम: ।। मंत्र का जाप करें।



(8). राहु ग्रह का उपाय :-
प्रात: स्नान करने के बाद राहु मंत्र ।। ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।। का नित्य या हर शनिवार को एक माला जप करें। शनिवार को काला उड़द (साबूत माह), काला तिल, काला वस्त्र , काला छाता, काला कंबल आदि दान दें। शनिवार को मूली दान दें।
राहु ग्रह के अन्यं उपाय :-
(क). मां सरस्वती की पूजन करें।
(ख). बिजली का सामान घर में ठीक से रखें।
(ग). आठ मुखी रूद्राक्ष धारण करें।
(घ). राहु यंत्र स्थापित कर इनकी नियमित पूजा करें।
(ड.). ।। ऊॅं भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: ।। मंत्र का जाप करें।

केतु ग्रह का उपाय


(9). केतु ग्रह का उपाय :-
प्रात: स्नान करने के बाद केतु मंत्र ।। ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केवते नम:।। का नित्य या हर बुधवार को एक माला जप करें। बुधवार को सतअनाजा दान दें। प्रात: खाने की थाली में से रोटी निकालकर नीचे किसी साफ बर्तन या पत्ता या कागज पर रख दें खाना खाने के बाद उस रोटी को कुत्ते को नित्य दें।
केतु ग्रह के अन्यं उपाय :-
(क). श्री गणेश भगवान जी की पूजा करें।
(ख). काला-सफेद कुत्ता घर में पालें।
(ग). नौ मुखी रूद्राक्ष धारण करें।
(घ). नौकरों को प्रसन्न रखें।
(ड.). केतु यंत्र स्थापित कर इनकी नियमित पूजा करें।
(च). ।। ऊॅं स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम: ।। मंत्र का जाप करें।

कालसर्प योग

(10). आपके लिए कालसर्प योग का विशेष उपाय :-
।। ऊँ नम: शिवाय ।। बोलते हुए शिवलिंग पर नित्य जल दें। प्रत्येक वर्ष नाग पंचमी को एक जोड़ा नाग नागिन पंचामृत से धोकर शिवलिंग पर चढ़ायें और एक जोड़ा जल पवाह करें। सर्प गायत्री मंत्र ।। ऊँ नवकुल नागाय विदमहे विषदन्ताय धीमही, तन्नो सर्प: प्रचोदयात।। को कालसर्प योग यंत्र के सामने श्रद्धावश पाठ एक माला अवश्य पाठ करें। कोई जरूरी नहीं है कि आप त्रयम्बकेश्वर में ही पाठ करायें। आप स्व‍यं पाठ कर सकते हैं। सबसे अच्छा है आप एक माला शुक्र आधारित सम्पुट युक्त महामृत्युन्जय मंत्र की एक माला पारद शिवलिंग एवं महामृत्युंजय यंत्र के सामने अवश्य करें।
महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार है:-
।। ऊँ हौं जूं स: ऊँ भूभुर्व: स्व :।
ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम पुष्टिवर्धनम।
ऊर्वारूकमिव बन्धनात मृर्त्योमुक्षीय मामृतात।
स्व: भुव: भू: ऊँ स: जूं हौं ऊँ ।।



(11). पित्तृ ऋण दोष का उपाय :-
हर अमावस्या को कुल खानदान के एक-एक व्यंक्ति से या परिवार में जो भी सदस्य उपस्थित हो उससे बराबर मात्रा में धन लेकर धर्म स्थान की गोलक में दान दें। हर अमावस्या को पीपल का ।। ऊँ नम: भगवते वासुदेवाय।। या ।। ऊँ विष्णवे नम: ।। मंत्र जपते हुए 108 बार परिक्रमा करें।
(12). श्रीयंत्र सामने जपने योग्य अलौकिक मंत्र :-
।। श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्म्ये नम: ।।
(13). सर्वसिद्धिदात्री माँ बगलामुखी का अचूक तांत्रिक प्रभाव वाला मंत्र :-
।। ऊँ ह्लीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं, स्तम्भ‍य जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊँ स्वाहा।।
(14).  विद्या की देवी माता सरस्‍वती का बीज मंत्र :-
।। ऊँ ऐं सरस्‍वत्‍यै नम : ।।

*रत्न सलाह :-*

सूर्य ग्रह का रत्न

*सूर्य ग्रह का रत्न: सलाह :-*
माणिक, 7 या 9 रत्ती का तांबा की अंगूठी में, पुरूष दांये हाथ की और स्त्री बांये हाथ की अनामिका अंगूली में शुक्ल पक्ष की रविवार को सूर्य मंत्र ।। ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:।। से अभिमंत्रित करके धारण करें।

चन्द्र ग्रह का रत्न


*चन्द्र ग्रह का रत्न सलाह :-*
सफेद मोती, 6 या 11 रत्ती का, चांदी की अंगूठी में, पुरूष दांये हाथ की एवं स्त्री बांये हाथ की कनिष्ठिका अंगूली में शुक्ल पक्ष की सोमवार को चन्द्र मंत्र ।। ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम: ।। से अभिमंत्रित करके धारण करें।

मंगल ग्रह का रत्न


*मंगल ग्रह का रत्न सलाह :-*
लाल मूंगा, 8 या 10 रत्ती का, तांबे की अंगूठी में, पुरूष को दांये हाथ की एवं स्त्री को बांये हाथ की अनामिका अंगूली में शुक्ल पक्ष की मंगलवार को मंगल मंत्र ।। ऊँ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: ।। से अभिमंत्रित करके धारण करें।


*बुध ग्रह का रत्न सलाह :-*
पन्ना, 6: रत्ती का, सोने या चांदी की अंगूठी में, पुरूष दांये हाथ की एवं स्त्री बांये हाथ की कनिष्ठिका अंगूली में या बालक चांदी की लाकेट में शुक्ल पक्ष की बुधवार को बुध मंत्र ।। ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: ।। से अभिमंत्रित करके धारण करें।

गुरू ग्रह का रत्न

*गुरू ग्रह का रत्न सलाह :-*
पीला पुखराज, 5 या 7 रत्ती का, चांदी या साने की अंगूठी में, पुरूष दांये हाथ की एवं स्त्री बांये हाथ की तर्जनी अंगूली में, शुक्ल पक्ष की गुरूवार को गुरू मंत्र ।। ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरूवे नम: ।। से अभिमंत्रित करके धारण करें।

शुक्र ग्रह का रत्न
*शुक्र ग्रह का रत्न सलाह :-*
हीरा, 1 रत्ती या उससे अधिक का, चांदी या सोने की अंगूठी में पुरूष दांये हाथ की एवं स्त्री बांये हाथ की मध्यमा अंगूली में, शुक्ष पक्ष की शुक्रवार को शुक्र मंत्र ।। ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: ।। से अभिमंत्रित करके धारण करें।
जो हीरा धारण करने में सक्षम नहीं हैं वे 7 रत्ती का फिरोजा, चांदी की अंगूठी में, पुरूष दांये हाथ की एवं स्त्री बांये हाथ मध्यमा अंगूली में शुक्र मंत्र ।। ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: ।। से अभिमंत्रित करके धारण कर सकते हैं। यदि फिरोजा आपको कोई भेंट स्वरूप पहनने हेतु दे दे तो यह आपके लिए बहुत भाग्यशाली रहेगा।

शनि ग्रह का रत्न

*शनि ग्रह का रत्न सलाह :-*
नीलम, 5 या 7 रत्ती का, चांदी या सोने या पंचधातु की अंगूठी में पुरूष दांये हाथ की एवं स्त्री बांये हाथ की मध्यमा अंगूली में, शुक्ल पक्ष की शनिवार को शनि मंत्र ।। ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम: ।। से अभिमंत्रित करके धारण करें।


राहु ग्रह का रत्‍न


*राहु ग्रह का रत्‍न सलाह :-*
गो मूत्र के समान हल्के पीले रंग का गोमेद- 7 या 9 रत्ती का, चांदी की अंगूठी में, पुरूष दांये हाथ की एवं स्त्री बांये हाथ की मध्यमा अंगूली में शुक्ल पक्ष की शनिवार को राहु मंत्र ।। ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: ।। से अभिमंत्रित करके धारण करें।


केतु ग्रह का रत्न


*केतु ग्रह का रत्न सलाह :-*
लहसुनिया (Cat’s Eye), 7 या 9 रत्ती का, चांदी की अंगूठी में, पुरूष दांये हाथ की एवं स्त्री बांये हाथ की कनिष्ठिका अंगूली में शुक्ल पक्ष की बुधवार को केतु मंत्र ।। ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम: ।। से अभिमंत्रित करके धारण करें।



नवग्रह रत्न


*नवग्रह पूजन मंत्र :-*
ऊँ ब्रह्मामुरारिस्त्रिपुरान्ताकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: सर्वे ग्रहा: शान्तिकरा भवन्तु ।।
*अन्य मंत्र व उपाय :-*
*कालसर्प योग का विशेष उपाय :-*
।। ऊँ नम: शिवाय ।। बोलते हुए शिवलिंग पर नित्य जल दें। प्रत्येक वर्ष नाग पंचमी को एक जोड़ा नाग नागिन पंचामृत से धोकर शिवलिंग पर चढ़ायें और एक जोड़ा जल पवाह करें।
*सर्प गायत्री मंत्र :-*
।। ऊँ नवकुल नागाय विदमहे विषदन्ताय धीमही तन्नो सर्प: प्रचोदयात।।
को कालसर्प योग यंत्र के सामने श्रद्धावश पाठ एक माला नित्य अवश्य पाठ करें। कोई जरूरी नहीं है कि आप त्रयम्बकेश्वर में ही पाठ करायें। आप स्वयं कर पाठ कर सकते हैं। सबसे अच्छा है आप एक माला शुक्र आधारित सम्पुट युक्तं महामृत्युपन्जय मंत्र का एक माला पारद शिवलिंग के सामने अवश्य करें।
*महामृत्युं जय मंत्र :-*
।। ऊँ हौं जूं स: ऊँ भूभुर्व: स्व:।
ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम पुष्टिवर्धनम।
ऊर्वारूकमिव बन्ध‍नात मृर्त्योिमुक्षीय मामृतात।
स्व: भुव: भू: ऊँ स: जूं हौं ऊँ ।।


*पित्तृ ऋण दोष का उपाय :-*
हर अमावस्या को कुल खानदान के एक-एक व्यक्ति से या परिवार में जो भी सदस्य उपस्थित हो उससे बराबर मात्रा में धन लेकर धर्मस्थान की गोलक में दान दें। हर अमावस्या को पीपल का ।। ऊँ नम: भगवते वासुदेवाय।। या ।। ऊँ विष्णवे नम: ।। जपते हुए 108 परिक्रमा करें।
श्रीयंत्र सामने जपने योग्य अलौकिक मंत्र :-
।। श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्ये नम: ।।
सर्वसिद्धिदात्री माँ बगलामुखी का अचूक तांत्रिक प्रभाव वाला मंत्र :-
।। ऊँ ह्लीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं, स्तम्भ‍य जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊँ स्वाहा।।
(।। ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टा‍नाम् वाचं मुखं पदं
स्तामभय जिहवां कीलय बुद्धि विनाशय ह्री ऊँ स्वाहा।।)
( ओम हरींग बगलामुखी सरब दुष्टानाम वाचम मुखम पदम
सतमभय जिहवाम कीलय बुद्धि विनाशय हरींग ओम सवाहा)
*विद्यादायिनी माता सरस्वती की बीज मंत्र :-*
प्रात: स्नाान करने के बाद सरस्वती माता की चित्र एवं सरस्वती यंत्र के सामने ‘’ ।। ऊँ ऐं सरस्वत्यै नम: ।।‘’ मंत्र की नित्य एक माला स्फटिक माला से या रूद्राक्ष माला से जप करें।
*माता लक्ष्मी की बीज मंत्र :-*
।। उँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं उँ महालक्षम्यै नम: ।।
(ओम श्रींग ह्रींग श्रींग कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रींग ह्रींग श्रींग ओम महालक्षम्यै नमह)
*हर प्रकार के तंत्र मंत्र यंत्र द्वारा जटिल समस्याओं का समाधान है हमारे पास आप हमसे संपर्क कर सकते हैं हमारे WhatsApp नंबर नया फोन लगा कर माता रानी का आशीर्वाद हमेशा आपके ऊपर बना रहे*
*सन्तान गोपाल मंत्र :-*
।। ऊँ श्रीं ह्रीं क्लींं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगतपते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ।।
(ओम श्रींग ह्रींग क्लींग ग्लौंग देवकीसुत गोविन्दश वासुदेव
जगतपते। देहि मे तनयंग कृष्ण तवामहंग शरनंग गतह)

नोट :- उपरोक्त संतान गोपाल मंत्र एवं संतान गोपाल स्त्रोवत को संतान गोपाल यंत्र एवं श्री कृष्ण‍ भगवान के फोटो के सामने प्रात: स्नांन करने के बाद पीले की आसन पर एक माला जप करना है। उसके बाद गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित ’’ श्रीहरिवंश पुराण ‘’ का पाठ करना है। बीच में अधूरे अध्याय को छोड़कर नहीं उठना चाहिये। अध्याय को पूरे करके ही उठना चाहिये।
*व्यापार बन्धन के दूर करने के टोटके :-*
1). बहुत मेहनत करने पर भी काम न बन रहे हों, तो साफ है कि किसी की बहुत बुरी नजर आपको लगी है। ऐसे में आप चाँदना पक्ष के बुधवार को अपने हाथों से मिट्टी का एक शेर दुर्गा मां को अर्पित करें, प्रसाद में जलेबी चढ़ायें । बुरी नजर से मुक्ति मिल जाएगी।
2). व्यापार न चलता हो, तो घर में ईशान कोण में नवग्रह यंत्र स्थापित करें और नवग्रह की पूजा तथा हवन भी कराएं। लाल कपड़े में चाँदी के टुकड़े, लौंग और सिंदूर युक्तह हत्थाजोड़ी बाक्स में रखें, व्यापार फलने-फूलने लगेगा।
3). किसी जादू-टोने के प्रभाववश व्‍यापार बिल्कुल न चलता हो तो ईशान कोण में नवग्रह यंत्र स्थापित करें । शुभ समय में एक त्रिशुल और एक डमरू पाँच अलग-अलग शिव मंदिरों में दें। यह उपाय चांदना पक्ष के सोमवार को “ ऊँ नम: शिवाय ” का जप करते हुए करें।
4). उन्नति के मार्ग में कदम-कदम पर कठिनाइयां आती हों, जीवन थम सा गया हो, तो 21 शनिवार पीपल के वृक्ष पर कच्चा सूत शनि का कोई मंत्र जपते हुए लपेटें तथा तिल के तेल के दीपक में 11 दाने काले साबूत उड़द अर्थात माह साबूत के डालकर जलावें तथा जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांगें । भगवान से प्रार्थना करें कि हमारा जीवन अत्यन्त सुखमय हो। इससे आपका जीवन अत्यंन्त सुखमय होगा व जीवन में जो कुछ प्राप्तत नहीं हुआ, सब धीरे-धीरे प्राप्त‍ होना शुरू हो जाएगा। यह उपाय श्रद्धा और निष्ठापूर्वक करें।
5). दीपावली की शाम को अशोक वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं। उसकी श्रद्धा से पूजा करें। फिर उसी अशोक वृक्ष की तीन कोमल पत्तियां घर ले आएं। धो कर, साफ कर, उन्हें प्रात: काल चबा लेने से हर प्रकार की चिंता और शोक दूर होते हैं। दूसरे दिन अर्थात दूज के दिन उसी अशोक वृक्ष की जड़ अशोक वृक्ष से मांग कर लाएं तथा सदैव अपने पास रखें, तो धनागमन होता है।
6). रोज प्रात: गणेश भगवान को दूब घास मौली लपेट कर चढ़ावे तथा गणेश भगवान के आगे एक माला निम्नत मंत्र का जप करें:-
।। ऊँ गं गणपतये नम: ।।
।। ओम गंग गणपतये नमह ।।
7). घर में मोर पंख का एक पंखा रखें । येअपने अंदर नकारात्मेक ऊर्जा को समा लेते हैं।
*किया कराया दूर करने के टोटके *
1). लोहे के एक टूकड़े को आग में गर्म करके उसे पानी से बुझायें। इसी प्रकार तीन बार गर्म करके क्रमश: पानी में बुझायें और प्रत्येसक बार बुझाते समय यह कहते जाएं कि जिस प्रकार यह गर्म लोहा पानी में शीतल होता है, उसी प्रकार शालू लड़की का प्रेम मेरे लड़के दीपक से प्रेम शीतल हो जाए। फिर उस पानी से प्रेम में पागल रोगी का मुंह धुलायें और थोड़ा पानी उसके छाती पर भी छिड़कें। 3 दिन तक यह क्रिया करने से वह अपनी प्रेमिका या प्रे‍मी को भूल जाएगा।
2. तांबे का पैसा छेदवाला रेशम के लाल धागे में रविवार प्रात: को ओम घृणि सूर्याय नमह 108 बार बोलकर धूप दिखाकर पहना दें।
3. गायत्री मंत्र से 21 बार अभिमंत्रत करके जल को रोगी को पिला दें तो किया कराया जाता रहेगा।
।। उँ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात् ।।
ऋण (कर्ज) को किस वार को लें और किस वार को नहीं लें
ऋण (कर्ज) का लेन-देन सभी के जीवन में चलता ही रहता है। ऋण (कर्ज) को मजबूरी में किसी कारण लेन-देन ही हो तो दिन (वार) को वार को देख कर लेना चाहिये। आइये हम आपको बताते हैं कि किस दिन ऋण लेना चाहिये और किस दिन ऋण देना चाहिये।
*(1). सोमवार :-*
सोमवार की अधिष्ठाता देवी मां पार्वती हैं। यह चर संज्ञक और शुभ वार है। इस वार को ऋण लेन-देन करने में किसी प्रकार भय या हानि नहीं होता है।
*(2). मंगलवार :-*
मंगलवार की अधिष्ठाता देव भगवान कार्तिकेय हैं। यह उग्र व क्रूर वार है। मंगलवार को वेद-शास्त्रों में सर्वमान्य तौर पर ऋण लेना निषिद्ध बताया गया है। मंगलवार को ऋण लेने के बदले यदि आप पर ऋण हो तो चुकाना चाहिये। मंगलवार को ऋण कदापि नहीं लेना चाहिये।
*(3). बुधवार :-*
बुधवार के देवता विष्णु हैं। बुधवार मिश्र संज्ञक और शुभ वार है, परन्तु ज्योतिष की भाषा में बुधवार को नपुंसक वार भी कहते हैं। यह भगवान गणेश का भी वार है। बुधवार को कर्ज देने से बचना चाहिये।
*(4). गुरूवार :-*
गुरूवार को के देवता ब्रह्मा हैं। गुरुवार लघु संज्ञक शुभ वार है। गुरूवार को आप किसी को ऋण नहीं दे, बल्कि ऋण यदि लेना हो तो ले लेना चाहिये। गुरूवार को ऋण लेना शुभ रहता है।
*(5). शुक्रवार :-*
शुक्रवार के देवता इन्द्र हैं। यह मृदु संज्ञक और सौम्य वार है। शुक्रवार को ऋण का लेन-देन कर सकते हैं।
*(6). शनिवार :-*
शनिवार के देवता काल हैं। शनिवार दारूण संज्ञक और क्रूर वार है। शनिवार स्थिर कार्य करने के लिए यह ठीक है। शनिवार को लिया ऋण विलंब (देर) से चुकता है और शनिवार को दिया गया ऋण बहुत परिश्रम से एवं विलम्ब से मिलता है। यदि आपने पूर्व में ऋण का लेन-देन कर रखा है तो कुछ उपाय करके ऋण लें या दें।
*(7). रविवार :-*
रविवार के देवता शिव हैं। रविवार स्थिर संज्ञक क्रूर वार है। रविवार को न ऋण लेना चाहिये और ना ही देना चाहिये।
*कर्ज से मुक्ति का कुछ विशेष प्रयोग*
(1). घर में दक्षिणावर्ती शंख और पारद शिवलिंग रखने से कर्ज से मुक्ति मिलने की संभावना होती है।
(2). घर में सदैव सायंकाल परिवार सहित गणेश, लक्ष्मी व सरस्वती आदि की आरती करें।
(3). वर्ष में एक बार गृह शांति हवन करवायें या नवरात्रि काल में शतचण्डी पाठ करवायें या अखण्ड रामायण पाठ करवायें।
नेत्रोपनिषद स्त्रो त
नित्यो प्रात: सूर्योदय के समय सूर्य को सूर्य का मंत्र ।। ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: ।। बोलते हुए तांबे की गड़वी/लोटा में जल, अक्षत, लाल चन्द न, लाल गुलाब/गुड़हल का फुल, सिंदूर एवं गुड़/चीनी डालकर नित्य/ अर्ध्यस देना चाहिये उसके बाद इसका (नेत्रोपनिषद का) नित्यु प्रात: पाठ करने से नेत्र ज्यो ति (आंखों की रोशनी) ठीक रहती है तथा खोई हुई ज्योिति (आंखों की रोशनी) पुन: प्राप्ते होने की संभावना होती है।
ऊँ नमो भगवते सूर्य्याय अक्षय तेजसे नम: ।
ऊँ खेचराय: नम: ।
ऊँ महते नम: । ऊँ रजसे नम: ।
ऊँ असतोमासदगमय ।
तमसो मा ज्योमतिर्गमय ।
मृत्योार्मामतंगमय ।
उष्णोो भगवान शुचिरूप: । हंसो भगवान हंसरूप: ।
इमां चक्षुष्मसति विद्यां ब्राह्मणोनित्यकमधीयते ।
न तस्या्क्षिरोगो भवति न तस्यर कुलेन्धोर भवति । अष्टौय ब्राह्मणान प्राहयित्वा् विद्यासिद्धिर्भविष्योति ।
ऊँ विश्व‍ रूप घृणन्तंा जात वेदसंहिरण्यिमय ज्यो‍तिरूपमतं ।
सहस्त्रवरश्मिधिश: तधा वर्तमान: पुर: प्रजाना ।
मुदयतेष्यु सूर्य्य: । ऊँ नमो भगवते आदित्यारय अहोवाहनवाहनाय स्वा्हा ।
हरि ऊँ तत्सेत् ब्रहमणो नम: ।
ऊँ नम: शिवाय ।
ऊँ सूर्य्यायर्पणमस्तु ।



ऊॅ हौं जूं सः। ऊॅ भूः भुवः स्वः ऊॅ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उव्र्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्  मधुकर / किरण / एवं शिवंशी उर्फ बाटू को रक्षयरक्षय - पालय-पालय ऊॅ स्वः भुवः भूः ऊॅ। ऊॅ सः जूं हौं।
 ह्रीं ह्रीं वं वं ऐं ऐं मृतसंजीवनि विद्ये मृतमुत्थापयोत्थापय क्रीं ह्रीं ह्रीं वं स्वाहा।




सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु, किस ग्रह को कैसे उच्च का बना सकते हैं।