बुधवार, 27 सितंबर 2017

मानव अधिकार की सम्पूर्ण जानकारी






१० दिसम्बर १९४८ को यूनाइटेड नेशन्स की जनरल असेम्बली ने मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा को स्वीकृत और घोषित किया । इसका पूर्ण पाठ आगे के पृष्ठों में दिया गया है । इस ऐतिहासिक कार्य के बाद ही असेम्बली ने सभी सदस्य देशों से अपील की कि वे इस घोषणा का प्रचार करें और देशों अथवा प्रदेशों की राजनैतिक स्थिति पर आधारित भेदभाव का विचार किए बिना, विशेषतः स्कूलों और अन्य शिक्षा संस्थाओं में इसके प्रचार, प्रदर्शन, पठन और व्याख्या का प्रबन्ध करें ।
इसी घोषणा का सरकारी पाठ संयुक्त राष्ट्रों की इन पांच भाषाओं में प्राप्य हैःअंग्रेजी, चीनी, फ्रांसीसी, रूसी और स्पेनिश । अनुवाद का जो पाठ यहां दिया गया है, वह भारत सरकार द्वारा स्वीकृत है ।
चूंकि मानव परिवार के सभी सदस्यों के जन्मजात गौरव और समान तथा अविच्छिन्न अधिकार की स्वीकृति ही विश्व-शान्ति, न्याय और स्वतन्त्रता की बुनियाद है,
चूंकि मानव अधिकारों के प्रति उपेक्षा और घृणा के फलस्वरूप ही ऐसे बर्बर कार्य हुए जिनसे मनुष्य की आत्मा पर अत्याचार किया गया, चूंकि एक ऐसी विश्व-व्यवस्था की उस स्थापना को ( जिसमें लोगों को भाषण और धर्म की आज़ादी तथा भय और अभाव से मुक्ति मिलेगी ) सर्वसाधारण के लिए सर्वोच्च आकांक्षा घोषित किया गया है,
चूंकि अगर अन्याययुक्त शासन और जुल्म के विरुद्घ लोगों को विद्रोह करने के लिएउसे ही अन्तिम उपाय समझ करमजबूर नहीं हो जाना है, तो कानून द्वारा नियम बनाकर मानव अधिकारों की रक्षा करना अनिवार्य है,
चूंकि राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को बढ़ाना ज़रूरी है,
चूंकि संयुक्त राष्ट्रों के सदस्य देशों की जनताओं ने बुनियादी मानव अधिकारों में, मानव व्यक्तित्व के गौरव और योग्यता में और नरनारियों के समान अधिकारों में अपने विश्वास को अधिकार-पत्र में दुहराया है और यह निश्चय किया है कि अधिक व्यापक स्वतन्त्रता के अन्तर्गत सामाजिक प्रगति एवं जीवन के बेहतर स्तर को ऊंचा किया जाया,
चूंकि सदस्य देशों ने यह प्रतिज्ञा को है कि वे संयुक्त राष्ट्रों के सहयोग से मानव अधिकारों और बुनियादी आज़ादियों के प्रति सार्वभौम सम्मान की वृद्घि करेंगे,
चूंकि इस प्रतिज्ञा को पूरी तरह से निभाने के लिए इन अधिकारों और आज़ादियों का स्वरूप ठीक-ठीक समझना सबसे अधिक ज़रूरी है । इसलिए, अब,सामान्य सभाघोषित करती है कि मानव अधिकारों की यह सार्वभौम घोषणा सभी देशों और सभी लोगों की समान सफलता है । इसका उद्देश्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति और समाज का प्रत्येक भाग इस घोषणा को लगातार दृष्टि में रखते हुए अध्यापन और शिक्षा के द्वारा यह प्रयत्न करेगा कि इन अधिकारों और आज़ादियों के प्रति सम्मान की भावना जाग्रत हो, और उत्तरोत्तर ऐसे राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय उपाय किये जाएं जिनसे सदस्य देशों की जनता तथा उनके द्वारा अधिकृत प्रदेशों की जनता इन अधिकारों की सार्वभौम और प्रभावोत्पादक स्वीकृति दे और उनका पालन करावे ।


अनुच्छेद १.

सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतन्त्रता और समानता प्राप्त है । उन्हें बुद्धि और अन्तरात्मा की देन प्राप्त है और परस्पर उन्हें भाईचारे के भाव से बर्ताव करना चाहिए ।

अनुच्छेद २.

सभी को इस घोषणा में सन्निहित सभी अधिकारों और आज़ादियों को प्राप्त करने का हक़ है और इस मामले में जाति, वर्ण, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीति या अन्य विचार-प्रणाली, किसी देश या समाज विशेष में जन्म, सम्पत्ति या किसी प्रकार की अन्य मर्यादा आदि के कारण भेदभाव का विचार न किया जाएगा ।
इसके अतिरिक्त, चाहे कोई देश या प्रदेश स्वतन्त्र हो, संरक्षित हो, या स्त्रशासन रहित हो या परिमित प्रभुसत्ता वाला हो, उस देश या प्रदेश की राजनैतिक, क्षेत्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति के आधार पर वहां के निवासियों के प्रति कोई फ़रक़ न रखा जाएगा ।

अनुच्छेद ३.

प्रत्येक व्यक्ति को जीवन, स्वाधीनता और वैयक्तिक सुरक्षा का अधिकार है ।

अनुच्छेद ४.

कोई भी ग़ुलामी या दासता की हालत में न रखा जाएगा, ग़ुलामी-प्रथा और ग़ुलामों का व्यापार अपने सभी रूपों में निषिद्ध होगा ।

अनुच्छेद ५.

किसी को भी शारीरिक यातना न दी जाएगी और न किसी के भी प्रति निर्दय, अमानुषिक या अपमानजनक व्यवहार होगा ।


अनुच्छेद ६.

हर किसी को हर जगह क़ानून की निग़ाह में व्यक्ति के रूप में स्वीकृति-प्राप्ति का अधिकार है ।

अनुच्छेद ७.

क़ानून की निग़ाह में सभी समान हैं और सभी बिना भेदभाव के समान क़ानूनी सुरक्षा के अधिकारी हैं । यदि इस घोषणा का अतिक्रमण करके कोई भी भेद-भाव किया जाया उस प्रकार के भेद-भाव को किसी प्रकार से उकसाया जाया, तो उसके विरुद्ध समान संरक्षण का अधिकार सभी को प्राप्त है ।

अनुच्छेद ८.

सभी को संविधान या क़ानून द्वारा प्राप्त बुनियादी अधिकारों का अतिक्रमण करने वाले कार्यों के विरुद्ध समुचित राष्ट्रीय अदालतों की कारगर सहायता पाने का हक़ है ।

अनुच्छेद ९.

किसी को भी मनमाने ढंग से गिरफ़्तार, नज़रबन्द या देश-निष्कासित न किया जाएगा ।

अनुच्छेद १०.

सभी को पूर्णत: समान रूप से हक़ है कि उनके अधिकारों और कर्तव्यों के निश्चय करने के मामले में और उन पर आरोपित फौज़दारी के किसी मामले में उनकी सुनवाई न्यायोचित और सार्वजनिक रूप से निरपेक्ष एवं निष्पक्ष अदालत द्वारा हो ।


अनुच्छेद ११.

(१) प्रत्येक व्यक्ति, जिस पर दण्डनीय अपराध का आरोप किया गया हो, तब तक निरपराध माना जाएगा, जब तक उसे ऐसी खुली अदालत में, जहां उसे अपनी सफ़ाई की सभी आवश्यक सुविधाएं प्राप्त हों, कानून के अनुसार अपराधी न सिद्ध कर दिया जाया ।
(२) कोई भी व्यक्ति किसी भी ऐसे कृत या अकृत (अपराध) के कारण उस दण्डनीय अपराध का अपराधी न माना जाएगा, जिसे तत्कालीन प्रचलित राष्ट्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय क़ानून के अनुसार दण्डनीय अपराध न माना जाए और न उससे अधिक भारी दण्ड दिया जा सकेगा, जो उस समय दिया जाता जिस समय वह दण्डनीय अपराध किया गया था ।

अनुच्छेद १२.

किसी व्यक्ति की एकान्तता, परिवार, घर या पत्रव्यवहार के प्रति कोई मनमाना हस्तक्षेप न किया जाएगा, न किसी के सम्मान और ख्याति पर कोई आक्षेप हो सकेगा । ऐसे हस्तक्षेप या आधेपों के विरुद्ध प्रत्येक को क़ानूनी रक्षा का अधिकार प्राप्त है ।

अनुच्छेद १३.

(१) प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक देश की सीपाओं के अन्दर स्वतन्त्रतापूर्वक आने, जाने और बसने का अधिकार है ।
(२) प्रत्येक व्यक्ति को अपने या पराये किसी भी देश को छोड़नो और अपने देश को वापस आनो का अधिकार है ।




 

अनुच्छेद १४.

(१) प्रत्येक व्यक्ति को सताये जाने पर दूसरे देशों में शरण लेने और रहने का अधिकार है ।
(२) इस अधिकार का लाभ ऐसे मामलों में नहीं मिलेगा जो वास्तव में गैर-राजनीतिक अपराधों से सम्बन्धित हैं, या जो संयुक्त राष्ट्रों के उद्देश्यों और सिद्धान्तों के विरुद्ध कार्य हैं ।

अनुच्छेद १५.

(१) प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी राष्ट्र-विशेष को नागरिकता का अधिकार है ।
(२) किसी को भी मनमाने ढंग से अपने राष्ट्र की नागरिकता से वंचित न किया जाएगा या नागरिकता का यरिवर्तन करने से मना न किया जाएगा ।

अनुच्छेद १६.

(१) बालिग़ स्त्री-पुरुषों को बिना किसी जाति, राष्ट्रीयता या धर्म की रुकावटों के आपस में विवाह करने और परिवार को स्थापन करने का अधिकार है । उन्हें विवाह के विषय में वैवाहिक जीवन में, तथा विवाह विच्छेड के बारे में समान अधिकार है ।
(२) विवाह का इरादा रखने वाले स्त्री-पुरुषों की पूर्ण और स्वतन्त्र सहमित पर ही विवाह हो सकेगा ।
(३) परिवार समाज की स्वाभाविक और बुनियादी सामूहिक इकाई है और उसे समाज तथा राज्य द्वारा संरक्षण पाने का अधिकार है ।




 

अनुच्छेद १७.

(१) प्रत्येक व्यक्ति को अकेले और दूसरों के साथ मिलकर सम्मति रखने का अधिकार है ।
(२) किसी को भी मनमाने ढंग से अपनी सम्मति से वंचित न किया जाएगा ।

अनुच्छेद १८.

प्रत्येक व्यक्ति को विचार, अन्तरात्मा और धर्म की आज़ादी का अधिकार है । इस अधिकार के अन्तर्गत अपना धर्म या विश्वास बदलने और अकेले या दूसरों के साथ मिलकर तथा सार्वजनिक रूप में अथवा निजी तोर पर अपने धर्म या विश्वास को शिक्षा, क्रिया, उपासना, तथा व्यवहार के द्वारा प्रकट करने की स्वतन्त्रता है ।

अनुच्छेद १९.

प्रत्येक व्यक्ति को विचार और उसकी अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का अधिकार है । इसके अन्तर्गत बिना हस्तक्षेप के कोई राय रखना और किसी भी माध्यम के ज़रिए से तथा सीमाओं की परवाह न कर के किसी की मूचना और धारणा का अन्वेषण, प्रहण तथा प्रदान सम्मिलित है ।

अनुच्छेद २०.

(१) प्रत्येक व्यक्ति को शान्ति पूर्ण सभा करने या समिति बनाने की स्वतन्त्रता का अधिकार है ।
(२) किसी को भी किसी संस्था का सदस्य बनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता ।


 

अनुच्छेद २१.

(१) प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश के शासन में प्रत्यक्ष रूप से या स्वतन्त्र रूप से चुने गए प्रतिनिधियों के ज़रिए हिस्सा लेने का अधिकार है ।
(२) प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश की सरकारी नौकरियों को प्राप्त करने का समान अधिकार है ।
(३) सरकार की सत्ता का आधार जनता की दच्छा होगी । इस इच्छा का प्रकटन समय-समय पर और असली चुनावों द्वारा होगा । ये चुनाव सार्वभौम और समान मताधिकार द्वारा होंगे और गुप्त मतदान द्वारा या किमी अन्य समान स्वतन्त्र मतदान पद्धति से कराये जाएंगे ।

अनुच्छेद २२.

समाज के एक सदस्य के रूप में प्रत्येक व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा का अधिकार है और प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के उस स्वतन्त्र विकास तथा गोरव के लिएजो राष्ट्रीय प्रयत्न या अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग तथा प्रत्येक राज्य के संगठन एवं साधनों के अनुकूल होअनिकार्यतः आवश्यक आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक अधिकारों की प्राप्ति का हक़ है ।

अनुच्छेद २३.

(१) प्रत्येक व्यक्ति को काम करने, इच्छानुमार रोज़गार के चुनाव, काम की उचित और सुविधाजनक परिस्थितियों को प्राप्त करने और बेकारी से संरक्षण पाने का हक़ है ।
(२) प्रत्येक व्यक्ति को समान कार्य के लिए बिना किसी भेदभाव के समान मज़दूरी पाने का अधिकार है ।



(३) प्रत्येक व्यक्ति को जो काम करता है, अधिकार है कि वह इतनी उचित और अनुकूल मज़दूरी पाए, जिससे वह अपने लिए और अपने परिवार के लिए ऐसी आजीविका का प्रबन्ध कर मके, जो मानवीय गौरव के योग्य हो तथा आवश्यकता होने पर उसकी पूर्ति अन्य प्रकार के सामाजिक संरक्षणों द्वारा हो सके ।
(४) प्रत्येक व्यक्ति को अपने हितों की रक्षा के लिए श्रमजीवी संघ बनाने और उनमें भाग लेने का अधिकार है ।

अनुच्छेद २४.

प्रत्येक व्यक्ति को विश्राम और अवकाश का अधिकार है । इसके अन्तर्गत काम के घंटों की उचित हदबन्दी और समय-समय पर मज़दूरी सहित छुट्टियां सम्मिलित है ।

अनुच्छेद २५.

(१) प्रत्येक व्यक्ति को ऐसे जीवनस्तर को प्राप्त करने का अधिकार है जो उसे और उसके परिवार के स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए पर्याप्त हो । इसके अन्तर्गत खाना, कपड़ा, मकान, चिकित्सा-सम्बन्धी सुविधाएं और आवश्यक सामाजिक सेवाएं सम्मिलित है । सभी को बेकारी, बीमारी, असमर्थता, वैधव्य, बुढापे या अन्य किसी ऐसी परिस्थिति में आजीविका का साधन न होने पर जो उसके क़ाबू के बाहर हो, सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है ।
(२) जच्चा और बच्चा को खास सहायता और सुविधा का हक़ है । प्रत्येक बच्चे को चाहे वह विवाहिता माता से जन्मा हो या अविवाहिता से, समान सासाजिक संरक्षण प्राप्त होगा ।

अनुच्छेद २६.

(१) प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार है । शिक्षा कम से कम प्रारम्भिक और बुनियादी अवस्थाओं में निःशुल्क होगी । प्रारम्भिक शिक्षा अनिवार्य होगी । टेक्निकल, यांत्रिक और पेशों-सम्बन्धी शिक्षा साधारण रूप से प्राप्त होगी और उच्चतर शिक्षा सभी को योग्यता के आधार पर समान रूप से उपलब्ध होगी ।
(२) शिक्षा का उद्देश्य होगा मानव व्यक्तित्व का पूर्ण विकास और मानाव अधिकारों तथा बुनियादी स्वतन्त्रताओं के प्रति सम्मान को पुष्टि । शिक्षा द्वारा राष्ट्रों, जातियों अथवा घार्मिक समूहों के बीच आपसी सद्भावना, सहिष्णुता और मंत्री का विकास होगा और शांति बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्रों के प्रयत्नों के आगे बढ़ाया जाएगा ।
(३) माता-पिता को सबसे पहले इस बात का अक्षिकार है कि वे चुनाव कर सकें कि किस क़िस्म की शिक्षा उनके बच्चों को दी जाएगी ।

अनुच्छेद २७.

(१) प्रत्येक व्यक्ति को स्वतन्त्रतापूर्वक समाज के सांस्कृतिक जीवन में हिस्सा लेने, कलाओं का आनन्द लेने, तथा वैज्ञानिक उन्नति और उसकी सुविधाओं में भाग लेने का हक़ है ।
(२) प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी ऐसी वैज्ञानिक, साहित्यिक या कलास्मक कृति मे उत्पन्न नैतिक और आर्थिक हितों की रक्षा का अधिकार है जिसका रचयिता वह स्वयं हो ।

अनुच्छेद २८.

प्रत्येक व्यक्ति को ऐसी सामाजिक और अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था की प्राप्ति का अधिकार है जिसमें इस घोषणा में उल्लिखित अधिकारों और स्वतन्त्रताओं को पूर्णतः प्राप्त किया जा सके ।

अनुच्छेद २९.

(१) प्रत्येक व्यक्ति का उसी समाज के प्रति कर्तव्य है जिसमें रहकर उसके व्यक्तित्व का स्वतन्त्र और पूर्ण विकास संभव हो ।
(२) अपने अधिकारों और स्वतन्त्रताओं का उपयोग करते हुए प्रत्येक व्यक्ति केवल ऐसी ही सीमाओं द्वारा बद्ध होगा, जो कानून द्वारा निश्चित की जाएंगी और जिनका एकमात्र उद्देश्य दूसरों के अधिकारों और स्वतन्त्रताओं के लिये आदर और समुचित स्वीकृति की प्राप्ति होगा तथा जिनकी आवश्यकता एक प्रजातन्त्रात्मक समाज में नैतिकता, सार्वजनिक व्यवस्था और सामान्य कल्याण की उचित आवश्यकताओं को पूरा करना होगा ।
(३) इन अधिकारों और स्वतन्त्रताओं का उपयोग किसी प्रकार से भी संयुक्त राष्ट्रों के सिद्धान्तों और उद्देश्यों के विरुद्ध नहीं किया जायगा ।

अनुच्छेद ३०.

इस घोषणा में उल्लिखित किसी भी बात का यह अर्थ नहीं लगाना चाहिए जिससे यह प्रतीत हो कि किसी भी राज्य, समूह, या व्यक्ति की किसी ऐसे प्रयत्न में संलग्न होने या ऐसा कार्य करने का अधिकार है, जिसका उद्देश्य यहां बताये गए अधिकारों और स्वतन्त्रताओं में मे किसी का भी विनाश करना हो ।
मूल अधीकार व मानवाधीकार में अंतर:- मानव को मानव होने के नाते प्राप्त अधिकार मानवाधिकार कहलाते है, ये किसी देश की सीमा में बँधे नहीं होते। जबकि मूल अधिकार मानव को नागरिक होने के नाते देश/राज्य द्वारा प्रदान किए जाते है। 
मानवाधिकारो की पृष्ठ भूमि: 10 दिसम्बर, 1948 को संयुक़्त राष्ट्र संघ द्वारा मानवाधिकारो का सार्वभोमिक घोषणा पत्र जारी किया गया था। इसी दिन से मानवाधिकारो की क़ानून शुरूवात मानी जाती है, जबकि कई देशों ने इन अधिकारो से सम्बंधित क़ानून बाद में निर्मित किए।
Note:-
1.                 10 दिसम्बर को विश्व मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।
2.                 10 दिसम्बर को ही शांति का नोबेल पुरस्कार भी दिया जाता है। (नार्वे गणराज्य में) 
भारत में मानवाधिकार:- 
·                     28 सितम्बर, 1993 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा मानवाधिकार संरक्षण हेतु अध्यादेश पारित किया गया।
·                     संसद द्वारा इसे वैधानिकता प्रदान करने के लिए मानवाधिकार संरक्षण विधेयक,1993 पारित किया गया। इस अधिनियम को 8 जनवरी, 1994 को मान्यता मिली जबकि इसके प्रभावी होने की तिथि 28 सितम्बर को ही माना जाता है। (परीक्षा उपयोगी )

मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम में तीन आयोगों का उल्लेख किया गया है:-
2.                  राज्य मानवाधिकार आयोग। 
3.                  मानवाधिकार न्यायालय।
Note:- वर्ष 2006 में इस अधिनियम को संशोधित किया गया। 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व राज्य मानवाधिकार आयोग के बारे में ऊपर दिए लिंक से पढ़ सकते है।



मानवाधिकार न्यायालय



इसका प्रावधान मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम,1993 में किया गया था। इस अधिनियम के अनुसार-


·                     प्रत्येक जिले में एक न्यायालय होगा।
·                     उच्च न्यायालय के मुख्य नययाधिश की सलाह पर राज्य सरकार द्वारा इसकी स्थापना की जाएगी।
·                     राज्य सरकार इसमें अपना लोक अभियोजक/वक़ील नियुक्त करती है। इसकी नियुक्ति के लिए इसे कम से कम सात वर्षों का वकालत का अनुभव होना आवश्यक है।
·                     यह न्यायालय मानवाधिकार से सम्बंधित मुद्दों पर सुनवाई करता है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग देश में मानवाधिकारो का प्रहरी है। यह मानवाधिकारो से सम्बंधित शिकायत सुनने से लेकर जाँच कर निर्णय देने का कार्य करता है, अतः यह एक स्वायत्त विधिक संस्था है। इस आयोग के पास सिविल न्यायालय जैसे सभी अधिकार व शक्तियाँ है अतः इसका चरित्र न्यायिक है। लेकिन वस्तुतः यह एक सिफ़ारिश/सलाहकारी निकाय है अर्थात इसकी सलाह को मानना सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है पर सामान्यत: मानी जाती है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC-National human right commission):-

स्थापना : 1993 में मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम,1993 द्वारा ।

आयोग का संगठन

सदस्य : (1+4) 1 अध्यक्ष तथा 4 सदस्य होते है। इनके अतिरिक्त 4 पूर्ण कालिक पदेन सदस्य भी होते है । 

अध्यक्ष : आयोग का अध्यक्ष वही व्यक्ति होता है जो सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश रह चुका हो।

सदस्य :   आयोग के २ सदस्य वे होंगे जो सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश हो अथवा रह चुके हो।
           ध्यान रहे यंहा सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश का उल्लेख है न की मुख्य का।

            आयोग के २ सदस्य वें होंगे जो मानवाधिकारो के संदर्भ में विशेष जानकारी रखते हो

पूर्ण कालिक पदेन सदस्य :  4 पूर्ण कालिक सदस्य होते है।
1.           राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष।
2.           राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष।
3.           अनुसूचित जाती आयोग के अध्यक्ष।
4.           अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष।

आयोग में सदस्यों की नियुक्ति


आयोग में सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा छः सदस्ययी समिति की सिफ़ारिश के आधार पर की जाती है। समिति की सिफ़ारिशों को मानने के लिए राष्ट्रपति बाध्य है। इस समिति में पक्ष विपक्ष से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पद सम्मलित है जो निम्नलिखित है:-
1.           प्रधानमंत्री समिति के पदेन अध्यक्ष के रुप में ।
2.           केंद्रीय मंत्रिमंडल सदस्य (गृह मंत्री)।
3.           लोक सभा अध्यक्ष।
4.           लोक सभा में विपक्ष का नेता।
5.           राज्यसभा सभापति।
6.           राज्यसभा में विपक्ष का नेता।

आयोग के सदस्यों को पदमुक्त करना

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्यों को पदमुक्त करने का अधिकार राष्ट्रपति को होता है, इसके लिए भी कई प्रावधान दिए हुए है । अतः पद मुक्ति के निम्न आधार हो सकते है:-
·                     सिद्ध कदाचार के आधार पर ।
·                     सदस्य को दिवालिया घोषित कर दिया गया हो ।
·                     सदस्य ने लाभकारी पद धारण कर लिया हो।
·                     वह मानसिक अथवा शारीरिक रूप से अक्षम हो।

आयोग सदस्यों व अध्यक्ष का कार्य काल 

5 वर्ष का कार्यकाल अथवा 70 वर्ष की उम्र जो भी पहले पूरी हो तक पद पर बने रह सकते है। लेकिन यंहा दो बातों पर ध्यान देना आवश्यक है :
·                     यदि 70 वर्ष की आयु पूर्ण नहीं हुई हो तो इस आयु तक पुनर्नियुक्त किए जा सकते है।
·                     कार्यकाल पूर्ण होने के बाद राज्य अथवा केंद्र सरकार के अधीन कोइ पद ग्रहण नहीं कर सकते है।

आयोग का कार्य



1.           मानवाधिकारो के संदर्भ में संवेधानिक व क़ानूनी प्रवधानो के क्रियान्वयन पर निगरानी रखना।
2.           NGO's को प्रोत्साहित करना ताकि वें उचित रूप से क्षेत्र में कार्य कर सके।
3.           मानवाधिकारो के सम्बंध में शोध करना एंव शोध को बढावा देना।
4.           मानवाधिकारो से सम्बंधित शिकायतों को सुनना।
5.           मानवाधिकारो की जानकारी का प्रसार करना तथा जागरूकता बढ़ाना।
6.           आयोग गम्भीर विषयों पर स्वविवेक से भी मामलों पर संज्ञान लेता है। 

आयोग की शक्तियाँ



1.           समन जारी करने की शक्ति।
2.           शपथ पत्र अथवा हलफ़नामे पर लिखित गवाही लेने की शक्ति।
3.           गवाही को रिकोर्ड करने की शक्ति।
4.           देश की विभिन्न जेलों का निरीक्षण करने की शक्ति।

Note : आयोग उन्ही मामलों में जाँच कर सकता है जिन्हें घटित हुए एक वर्ष से काम समय हुआ हो। एक वर्ष से पूर्व घटनाओं पर आयोग को कोई अधिकार नहीं है।
आयोग मानवाधिकार उल्लंघन के दोषी को न तो दंड से सकता है ओर न ही पीड़ित को किसी प्रकार की आर्थिक सहायता कर सकता है। लेकिन इसका चरित्र न्यायिक है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा महत्व पूर्ण पत्रिका जारी की जाती है जिसका नाम है "नई दिशाए" । अधिकांश परीक्षाओं में यह प्रश्न पूछा जाता है।

Note: 
आयोग का कार्यालय नई दिल्ली में है। अन्य स्थानो पर भी कार्यालय खोला जा सकता है।


प्रथम व वर्तमान अध्यक्ष

प्रथम अध्यक्ष : रंगनाथ मिश्र
वर्तमान अध्यक्ष : जस्टिस एच एल दत्तु

इतनी जानकरिया परीक्षा के लिए बहुत होती है । अधिकांश सवाल इन में से ही पूछे जाते है । फिर भी मानव प्रवृति अनुसार ओर अधिक का चाह सभी में व्याप्त होती है। अतः नीचे दिए लिंक से आप अन्य जानकरिया भी प्राप्त कर पाएँगे।


ekuokf/kdkj vkSj iqfyl
ekuokf/kdkj vkSj iqfyl
P              POLITE
O             OBEDIENT
L-            LOYAL
I-             INTELEGENT
C-            COURAGOUS
E-            EAGERTO HELP

 iwoZ  iz/kkuea=h ia0 tokgjyky usg: us ,d ckj dgk Fkk&**iqfyl lgh vkSj xyr ds pkSjkgs ij [kM+k ,d ,slk O;fDr gsS ftldh ftEesnkjh lgh dh j{kk djuk vkSj xyr dks idM+uk gSA viuh loZJs”B Hkwfedk es og vius vki es gh ,d laj{kd] ,d ekxZn’kZd] ,d lkekftd dk;ZdrkZ rFkk O;oLFkk vkSj izkf/kdkj dk izrhd gSA** iqfyl dk ;g lgh ,o okLrfod ewY;kadu gSA iqfyl lekt dk lqj{kk izgjh gSA lekt es dkuwu vkSj O;oLFkk cuk;s j[kuk] vijk/kksa dh jksdFkke djuk rFkk vijkf/k;ksa dh /kjidM+ dj mUgs dkuwu ds gokys djuk iqfyl dk gh dk;Z gSA ;gh dkj.k gS fd vius drZO; fu”iknu ds fy, fofHkUu fof/k;ksa es iqfyl dks foiqy ‘kfDr;kW iznku dh xbZ gSAA bu ‘kfDr;ksa es vijk/kksa dk vUos”k.k djuk rFkk vfHk;qDr O;fDr dks fxjQrkj djuk izeq[k gSA vijk/kksa ds vUos”k.k es iqfyl dks ekeys dh rg es tkdj fujkin lR; dk irk yxkuk gksrk gSA ;g dk;Z mruk vklku ugha gS ftruk fd bls le>kk tkrk gSA ,d dq’ky] izf’kf{kr ,oa fu”Bkoku iqfyl vf/kdkjh gh vijk/k ls vijk/kh rd igqWpus dh bl ;k=k dks lQyrkiwoZd r; dj ldrk gSA dbZ  ckj iqfyl dks vR;Ur dBksj dne Hkh mBkus iM+rs gSA ;gh dBksjrk dHkh&dHkh ;kruk dk :i ys ysrh gSA
vkt vke vkneh dh ;g f’kdk;r gS fd iqfyl dk mlds lkFk O;ogkj mfpr ugha gSA fxjQrkj O;fDr;ksa ds lkFk vekuoh; ,oa dzwjrkiw.kZ O;ogkj fd;k tkrk gSA funksZ”k O;fDr dks rax ,oa ijs’kku fd;k tkrk gSA ifjoknh dh lquokbZ ugha gksrh gSA ;gh dkj.k gS fd vkt dksbZ Hkh Hknz iq:”k iqfyl dks lg;ksx djus dks rS;kj ugha gksrkA dkQh gn rd ;g lgh gSA foxr o”kksZ es iqfyl ds O;ogkj es dkQh cnyko vk;k gSA iqfyl ;kruk ds dbZ ekeys lkeus vk;s gSA fdlh O;fDr dks fxjQrkj djrs gh iqfyl mls vijk/kh eku ysrh gSA mlds lkFk vekuoh; O;ogkj fd;k tkus yxrk gSA iqfyl ;g Hkwy tkrh gS fd tsy dh  nhokjksa es cUn O;fDr Hkh lekt dk gh ,d vax gS] mlds lHkh dqN ewy vf/kdkj vkSj ekuokf/kdkj gSA lafo/kku ds vuqPNsn 21 es iznRr izk.k vkSj nSfgd Lora=rk dk vf/kdkj mls Hkh miyC/k  gSA ek= fxjQrkj gks tkus vFkok tsy dh nhokjksa es can gks tkus ls mlds ;g vf/kdkj lekIr ugha gks tkrs gSA
lafo/kku ds vuqPNsn 21 ds vUrZxr iznRr izk.k ,oa nSfgd Lora=rk ds vf/kdkj dh j{kk djuk iqfyl dk drZO; gSA cgksjh flag cuke fMfLV~zzV eftLV~zsV1 ds ekeys es bykgkckn mPp U;k;ky; }kjk ;g dgk x;k gS fd tgkW fdlh O;fDr ds izk.k vkSj nSfgd Lora=rk dk vf/kdkj [krjs es gks ogkW mldh lqj{kk ds fy, U;k;ky; }kjk Hkh iqfyl laj{k.k dk vkns’k fn;k tk ldrk gSA
oknh’oju cuke LVsV vkWQ rfeyukMq]] ds ekeys es mPpre U;k;ky; us ;g dgk gS fd **ns’k ds izR;sd O;fDr dks lafo/kku ds vuqPNsn&21] ds vUrZxr lEekuiwoZd thou thus dk vf/kdkj gS pkgs og dSnh ;k cUnh gh D;ksa u gksA ewyHkwr vf/kdkjksa dks tsy dh nhokjksa ls ckgj ugha fd;k tk ldrk gSA** Bhd ,sls gh fopkj lquhy c=k] cuke fnYyh iz’kklu rFkk pkYlZ ‘kksHkjkt cuke v/kh{kd] lsUV~zy tsy] frgkM+ ds ekeyks es vfHkO;Dr fd;s x;s gSA bu ekeyks es mPpre U;k;ky; us dgk gS fd&**gekjh tsys dkuwu ds iRFkjksa ls cuh gSA bues dSn O;fDr Hkh ekuo gS] i’kq ughA mUgsa Hkh lEekuiwoZd thou thus dk vf/kdkj gSA**
tksfxUnj dqekj cuke LVsV] ds ekeys es mPpre U;k;ky; }kjk fQj ;g er O;Dr fd;k x;k gS&**fdlh Hkh O;fDr dks fxjQrkj djuk vkt ,d vke ckr gks xbZ gSA ysfdu ges ;g le> ysuk pkfg, fd fxjQrkj djus dh ‘kfDr gksuk ,d ckr gS vkSj ,slh ‘kfDr dk U;k;ksfpr iz;ksx nwljh ckr gSA iqfyl vf/kdkjh dks fdlh Hkh O;fDr dks bl fy;s fxjQrkj ugha djuk pkfg, fd mls fxjQrkj djus dk vk/kkj gS] vfirq mls fxjQrkjh ds vkSfpR; ij Hkh fopkj djuk pkfg;sA** Mh0ds0clq cuke LVsV vkWQ osLV caxky ds ekeys es iqfyl }kjk fxjQrkj O;fDr ds lkFk fd;s x;s vekuoh; O;ogkj ,oa ;kruk gh mPpre U;k;ky; }kjk HkRlZuk dh xbZ vkSj bls lafo/kku ds vuqPNsn 21] dk mYya?ku ekuk x;kA mPpre U;k;ky; us dgk fd vUos”k.k ,oa tkap ds nkSjku iqfyl dks dzzwj ] vekuoh; ,oa fuEu Lrj dk O;ogkj djus dk dksbZ vf/kdkj ugha gSA ,sls ekeyks es ihfM+r O;fDr jkT; ls izfrdj ikus ds gdnkj gSA
,slh ?kVuk;sa igys Hkh dbZ ckj gks pqdh gSA xqtjkr ds ufM+;kn ,oa fcgkj ds Hkkxyiqj dh ?kVuk vHkh Hkh ge Hkwys ugha gSA ufM+;kn dh iqfyl }kjk ogkW ds eq[; U;kf;d eftLV~zsV ds gkFkksa es gh gFkdM+h Mky nh xbZ rFkk mlds lkFk vekuoh; ,oa dzwjrkiwoZd O;ogkj fd;k x;kA fnYyh U;kf;d lsok la?k cuke LVsV vkWQ xqtjkr] ds ekeys es mPpre U;k;ky; }kjk bl ?kVuk dh HkRlZuk dh xbZ rFkk nks”kh iqfyl vf/kdkfj;ksa dks nf.Mr Hkh fd;k x;kA fcgkj es Hkkxyiqj dh iqfyl us U;k;ky; es cSBs U;k;k/kh’k ij gh gkFk mBk fn;kA eq>s iWtkc dh og ?kVuk Hkh ;kn vk jgh gS tgkW iqfyl us fdlh fons’kh efgyk ds ilZ pksjh ds ekeys es pkj efgykvksa dks fxjQrkj dj muds psgjks dks gh xksn MkykA iqfyl us muds psgjksa ij **tscdrjh** xqnok fn;kAk ;g lc dqN fdl dkuwu ds vUrZxr fd;k x;k og iqfyl gh tkusA
uhyorh csgjk cuke LVsV vkWQ mM+hlk] ds ekeys es mPpre U;k;ky; us ;g vfHkfu/kkZfjr fd;k gS fd **iqfyl vfHkj{kk es fxjQrkj O;fDr rFkk tsy es dSfn;ksa dh j{kk djuk jkT; dk drZO; gS vkSj ;fn iqfyl vfHkj{kk ;k tsy es mlds ewy vf/kdkjksa dk mYya?ku gksrk gS rks jkT; dks ,sls ukxfjd dks izfrdj nsuk gksxkA** bl ekeys es fxjQrkj fd;s x;s ,d 22o”khZ; ;qod dh iqfyl ;kruk ds dkj.k e`R;q gks xbZ Fkh vkSj mldh yk’k gFkdM+h lfgr jsyos ykbu ds ikl iM+h feyh FkhA ;g lgh gS fd iqfyl dks fdlh O;fDr dks fxjQrkj djus dk Hkh vf/kdkj gS vkSj mls gFkdM+h yxkus dk Hkh] ysfdu izse’kWdj cuke fnYyh iz’kklu] ds ekeys es ;g dgk x;k gS fd fdlh Hkh dfSnh dks 24 ?k.Vs gFkdM+h es j[kuk U;k;ksfpr ugha gSA gFkdM+h dk iz;ksx dsoy rHkh fd;k tkuk pkfg, tc cUnh O;fDr ds Hkkxus dk Li”V [krjk gksA blh izdkj fd’kksj flag cuke LVsV vkWQ jktLFkku] ds ekeys esa U;k;ewfrZ d`”.kk v;~~;j us dgk fd&**fdlh dSnh dks rqPN vk/kkjksa ij 8 ls 11 ekg rd gFkdM+h ds lkFk ,dkUrokl es j[kuk vekuoh; d`R; gSA ;g ekuo izfr”Bk ij vk?kkr gSA ekuo izfr”Bk gekjs lafo/kku dk ,d cgqewY; vkn’kZ gS ftldh vk’kWdkvksa ds vk/kkj ij cfy ugha nh tk ldrhA** ,sls vkSj Hkh vusd ekeys gSA ftues iqfyl ds vekuoh; O;ogkj dks dkslk x;k gSA
;g lgh gS fd iqfyl dk dk;Z vR;Ur dfBu ,oa tksf[ke Hkjk gSA dbZ ckj Lo;a iqfyl dks dbZ d”V ,oa ;kruk;sa lguh iM+rh gSA iqfyl dks turk ls visf{kr lg;ksx Hkh ugha feyrk gS fQj Hkh iqfyl dks viuh ;k=k vuojr tkjh j[kuh gksrh gSA d”V ds {k.kksa es gh iqfyl ds /kS;Z dh ijh{kk gksrh gSA vr% vis{kk ;g dh tkrh gS fd iqfyl bl ijh{kk es [kjh mrjs mldk ;g drZO; gS fd og tkWp ,oa vUos”k.k ds le; lHkh ds lkFk ekuoksfpr O;ogkj rFkk ewy ,oa ekuokf/kdkjksa dk lEeku djsaA gekjs lafo/kku ds vuqPNsn 22] ,oa n.M izfdz;k lafgrk 1973] es fofgr ekudks dk ikyu djus rkfd turk es iqfyl dh lk[k cuh jg ldsA iqfyl dks pkfg;s fdog&
1-   vuko’;d fdlh O;fDr dks fxjQrkj ugha djsaA
2-   fxjQrkj fd;s x;s O;fDr dks vfoyEc fxjQrkjh ds dkj.kksa ls voxr djk;saA
3-   fxjQrkj O;fDr dh lwpuk mlds ifjtuksa dks nsus dh O;oLFkk djsA
4-   fxjQrkj fd;s x;s O;fDr dks viuh :fp ds vf/koDrk ls ijke’kZ djus dk volj iznku djsA
5-   fxjQrkj fd;s x;s O;fDr dks 24 ?k.Vs ds Hkhrj fdlh fudVre eftLV~zsV ds le{k is’k djsaA
6-   eftLV~zsV ds vkns’k ds fcuk fxjQrkj fd;s x;s O;fDr dks 24 ?k.Vksa ls vf/kd ifj:) ugha j[ksA
7-   ;fn fxjQrkj O;fDr viuk fpfdRlh; ijh{k.k djkuk pkgsa rks mldk fpfdRlh; ijh{k.k djk;k tk;sA
8-   fxjQrkj fd;k x;k O;fDr ;fn eftLV~zsV ds le{k C;ku nsuk pkgs rks ,slh O;oLFkk dh tk;sA
9-   tkWp ,oa vUos”k.k ds nkSjku mlds lkFk dzwjrkiw.kZ ,oa vekuoh; O;ogkj u fd;k tk;sA
10- fxjQrkj fd;s x;s O;fDr dks leqfpr Hkkstu ,oa fpfdRlk vkfn dh lqfo/kk;sa tqVkbZ tk;saA
tksfxUnj dqekj cuke LVsV] rFkk Mh0ds0clq cuke LVsV vkWQ osLV caxky] ds ekeyks es bu lHkh ckrksa dk leFkZu fd;k x;k gSA iqfyl vius ‘kCn dks”k ls ‘kCn **;kruk** dks fudky ns D;ksafd **;g eu ij yxus okyk ,d ,slk ihMk o ?kko gS tks Nqvk tk ldrk gS ysfdu Hkjk ugha tk ldrk gSA**

fxjQ~rkjh
         dkuwu iqfyl dks dqN fuf’pr ifjfLFkfr;ksa es yksxks dks fxjQ~rkj djus vkSj ;fn vko’;d gks rks ,slk djus ds fy, cy iz;ksx dk vf/kdkj nsrk gS &

v/;;u ls irk pyrk gS fd fujks/kkRed fxjQ~rkfj;ksa vkSj NksVs vijk/kksa ds fy, gqbZ fxjQ~rkfj;ksa dh la[;k cgqr vf/kd gS vkSj fopkjk/khu dSfn;ksa dh la[;k dk izfr’kr vlkekU; :Ik ls vR;kf/kd gS vkSj mues ls T;knkrj bl fy, tsy es gSa D;ksa fd os tekur ugha ns ldrsA

fxjQ~rkjh vkSj fujks/k ls O;fDr dh izfr”Bk dks {kfr igqWprh gSA nqHkkZX; ls gekjh O;oLFkk es vuko’;d :Ik ls fxjQ~rkj fd;s x;s yksxks dks eqvkotk nsus dk dksbZ izkfo/kku ugha gSA
1-   lh0vkj0ih0lh0 dh /kkjk&46
2-   Hkkjrh; fof/k vk;ksx&fxjQ~rkjh ls lEcfU/kr dkuwu ij ijke’kZ nLrkost uaoEcj 2000

,slk djsa
1-   ;g lqfuf’pr djsa fd fdlh Hkh O;fDr dks fof/k }kjk lqLFkkfir izfdz;k dks NksM+ dj
mlds thou ;k O;fDrxr Lora=rk ds vf/kdkj ls oafpr ugha fd;k tk;sxkA ¼Hkkjrh;
Lakfo/kku dk vuqPNsn&21½
2-   ;g lqfuf’pr djsa fd fxjQ~rkj djus okys iqfyl vf/kdkjh dh igpku mlds uke
iV~V vkSj in }kjk Li”V gksuh pkfg,A ¼fxjQ~rkjh lEcU/kh ekxZ&n’kZu] Mh0ds0cklq
cuke if’pe caxyk jkT; ,0vkbZ0vkj0 1997 ,l0lh0 60½
3-   ;g lqfuf’pr djsa fd fxjQ~rkj O;fDr dks fxjQ~rkjh lEcU/kh lEiw.kZ fooj.k ;k
fxjQ~rkjh ds dkj.k ls lEcU/k es crk;k tk;s ¼Hkkjrh; lafo/kku dk vuqPNsn 22½
4-   ;g lqfuf’pr djsa fd fxjQ~rkj O;fDr ds fdlh fj’rsnkj ;k fe= dks mldh
fxjQ~rkjh rFkk mls fu:) j[ks x;s LFkku ds lEcU/k es lwfpr fd;k tk;{lh0vkj0
ih0lh0 dh /kkjk 50,¼1½}
5-   ;g lqfuf’pr djsa fd fxjQ~rkjh vkSj fxjQ~rkjh ds lEcU/k es lwfpr fd, x;s O;fDr
ls lEcfU/kr lwpuk dks iqfyl LVs’ku es j[kh fufnZ”V iath es ntZ fd;k tk;s{lh0vkj0
ih0lh0 dh /kkjk 50,¼3½}
6-   ;g lqfuf’pr djsa fd fxjQ~rkjh ds le; ;fn fxjQ~rkj O;fDr ds ‘kjhj ij pksVsa ikbZ
Tkkrh gS rks mudk fooj.k fxjQ~rkjh eseks es ntZ fd;k tk, vkSj fxjQ~rkj O;fDr dk
fpfdRlk ijh{k.k djk;k tk;sA
7-   ;g lqfuf’pr djsa fd viokn ifjfLFkfr;ksa dks NksM+ dj fdlh Hkh efgyk dks lw;kZLr
ls lw;ksZn; ds e/; fxjQ~rkj u fd;k tk;sA{lh0vkj0ih0lh0 dh /kkjk 46¼4½}
8-   ;g lqfuf’pr djsa fd fdlh efgyk dks fxjQ~rkj djrs le; efgyk iqfyl vf/kdkjh
dkss lkFk j[kk tk;sA {lh0vkj0ih0lh0 dh /kkjk 46¼4½}
9-   ;g lqfuf’pr djsa fd fdlh fd’kksj ;k ckyd dks fxjQ~rkj djrs le; fdlh Hkh
ifjfLFkfr es fdlh izdkj dk cy iz;ksx ;k ekj&fiVkbZ u dh tk;sA fd’kksj vkSj cPpks
dks fxjQ~rkj djrs le; lEekutud ukxfjdks dk lg;ksx fy;k tk ldrk gSA
10- ;g lqfuf’pr djsa fd fxjQ~rkj fd;s tk jgs O;fDr dh ekuo xfjek dh j{kk dh tk;s
fxjQ~rkj O;fDr dk lkoZtfud izn’kZu ;k mldh ijsM fudkyus dh vuqefr ugha nh tkuh pkfg,A
11- ;g lqfuf’pr djsa fd O;fDr dh xfjek dk lEeku djrs gq, fxjQ~rkj O;fDr dh
ryk’kh dh tkuh pkfg,A vuko’;d cy iz;ksx ls cpuk pkfg, vkSj O;fDr dh futrk dk /;kku j[kk tkuk pkfg,A efgykvksa dh ryk’kh f’k”Vrk dks /;ku es j[krs gq, dsoy efgykvksa }kjk gh dh tkuh pkfg,A{lh0vkj0ih0lh0 dh /kkjk 51¼2½}
12- ;g lqfuf’pr djsa fd ;fn O;fDr dks fdlh tekurh; vijk/k ds fy, fxjQ~rkj fd;k
Tkkrk gS rks iqfyl vf/kdkjh dks mls tekur ij fjgk gksus ds mlds gd ds lEcU/k es lwfpr djuk pfg, rkfd og viuh tekur dk izcU/k dj ldsA
13- ;g lqfufpr djsa fd fxjQ~rkjh ,oa fu:) j[ks x;s LFkku ds lEcU/k es lwpuk fcuk foyEc iqfyl dUVªksy :e vkSj ftyk@jkT; eq[;ky; dks nh tkuh pkfg,A

,slk u djsa
1-   okjaV ds fcuk fdlh O;fDr dks fxjQ~rkj u fd;k tk;s tc rd fd vUos”k.k ds vk/kkj
ij rdZlaxr fu”d”kZ ij u igqWpk tk;s fd og O;fDr fdlh laKs; vijk/k es ‘kkfey gS vkSj mls fxjQ~rkj fd, tkus dh t:jr gSA{lh0vkj0ih0lh0 dh /kkjk 41}
2-   tc rd fdlh vU; izdkj ls fdlh vijk/k dks jksduk lEHko u gks fdlh O;fDr dks
fxjQ~rkj ugha fd;k tk;s {lh0vkj0ih0lh0 dh /kkjk 51}
3-   fxjQ~rkj O;fDr dks fu;a=.k es j[kus ds fy, vko’;drk ls vf/kd cy dk iz;ksx ugha fd;k tk;sA
4-   fdlh ekeys ls lEcfU/kr fdlh efgyk ;k 15 o”kZ dh vk;q ls de mez ds fdlh cPps
dks iqfyl LVs’ku u cqyk;k tk;sA iqfyl vf/kdkjh efgyk@vo;Ld ls iwNrkN dsoy muds fuokl LFkku ij dj ldrs gSA {lh0vkj0ih0lh0 dh /kkjk 160¼1½}
5-   fcuk eftLVªsV ds vfHkO;Dr vkns’k ds fdlh Hkh fxjQ~rkj O;fDr dks 24 ?k.Vs ls
T;knk fu:) u j[kk tk;sA {lh0vkj0ih0lh0 dh /kkjk 57}
6-   gFkdM+h vkSj csfM+;ksa dk iz;ksx rc rd u djsa tc rd ,slk djus ds fy, dkj.kksa dks
fjdkMZ ugha fd;k tkrk vkSj U;k;ky; ls bl lEcU/k esa vkns’k izkIr ugha fd, tkrsA

v/;k;&2
fgjklr
         dksbZ Hkh O;fDr pkgs mls iqfyl }kjk iwNrkN ds fy, fu:) j[kk x;k gks ;k mldh igpku dks lR;kfir djus ds fy, ;k vYdksgy Lrj tkWpus ds fy, iqfyl }kjk fu:) fd;k x;k gks og iqfyl dh vfHkj{kk es gksrk gS vkSj blh fy, og jkT; ds laj{k.k es gksrk gSA jkT; dk ;g nkf;Ro gS fd og viuh vfHkj{kk es lHkh O;fDr;ksa ds ekuo vf/kdkjksa dk laj{k.k lqfuf’pr djsaA
,slk djsa
1-  ;g lqfuf’pr djsa fd iwNrkN ds mn~ns’; ls iqfyl LVs’ku es visf{kr O;fDr dks
  fyf[kr vkns’k Hkstk tk;sA {lh0vkj0ih0lh0 dh /kkjk 160¼1½}
2-    ;g lqfuf’pr djsa fd iqfyl }kjk fu:) O;fDr ds ifjokj ds lnL;ksa ;k mlds fe=ksa dks fu:) O;fDr dks ftl LFkku ij j[kk x;k gS  mlds lEcU/k es tkudkjh gksA
3-    ;g lqfuf’pr djsa fd tc dHkh fdlh O;fDr dks iqfyl LVs’ku es fu:) j[kk tk, rks vke jkstukeps es mldh mfpr izfof”V dh tk,A
4-    ;g lqfuf’pr djsa fd ;fn t:jr iM+s rks iqfyl }kjk fu:) O;fDr dks rRdky fpfdRlh; lqfo/kk iznku dh tk,A fu:) O;fDr;ksa ls ekuoksfpr xfjekiw.kZ O;ogkj djsaA
,slk u djsa
1-   fdlh fu:+) O;fDr dks ;kruk u nh tk;s ;k mls fdlh izdkj dk dzwj] vekuoh; ;k viekutud O;ogkj ;k ltk u nh tk,A
2-   fdlh fu:) O;fDr dks vijk/k dcwyus] Lo;a dks vijk/k es Qalkus ;k fdlh vU; O;fDr ds fo:) xokgh nsus ds fy, etcwj ugha fd;k tk,A
3-    fdlh Hkh O;fDr dks iwNrkN ds uke ij yEch vof/k rd fu:) ugha j[kk tk, D;ksa fd blls ml O;fDr dk mRihM+u vkSj nks”kiw.kZ ifjjks/k gks ldrk gSA

efgykvksa dh lqj{kk
       Hkkjr ds lafo/kku es efgykvksa dks cjkcjh dk ntkZ iznku fd;k x;k gSA Hkkjr es dkuwu izorZu ds lkFk efgykvksa ds izfr vijk/k ges’kk ,d egRoiw.kZ eqn~nk jgk gSA

D;k djsa%&
      1- ;g lqfuf’pr djuk gS fd fdlh efgyk dh ryk’kh mldh futrk ,oa e;kZnk dks /;ku
         esa j[krs gq, dsoy efgyk }kjk gh yh tk, { /kkjk 51¼2½vkijkf/kd n.M lafgrk}
            (o”kZ 2007 ds nkSjku ns’k es efgykvksa ds izfr vijk/kksa dh dqy ?kVuk,             Hkk0n0la0 vkSj   
         ,l0,y0,0 nksuks )?kfVr gqbZ}
2-   ;g lqfuf’pr djuk fd fdlh efgyk lafnX/k dks iqfyl LVs’ku es vyx fgjklr es j[kk tk, ¼loksZPp U;k;ky; dk QSlyk] ‘khyk cklsZ cuke egkjk”Vª jkT;½
3-   tgka rd lEHko gks] fdlh efgyk dks fxjQ~rkj djrs le; fdlh efgyk iqfyl vf/kdkjh dks lkFk j[kuk pkfg,A  ¼/kkjk 51¼2½vkijkf/kd n.M lafgrk½
4-   vkidh tkudkjh es vkus okys ?kjsyw fgalk dh fdlh Hkh ?kVuk dh fjiksVZ Fkkuk izHkkjh dks djsaA
5-   vijk/k] fo’ks”k :Ik ls cykRdkj ,oa NsM+ NkM+ dh f’kdkj efgykvksa ds izfr lgkuwHkwfr&iwoZd is’k vk;sa rFkk mudh futrk dks mfpr lEeku nsaA
6-   ?kjsyw fgalk ds ekeys es ihfM+r efgyk dks lqj{kk vkns’k }kjk jkgr ikus ds mlds vf/kdkj ds ckj es crk,aA
D;k u djsa%&
1-   fdlh ekeys es tqM+h fdlh efgyk dks iqfyl LVs’ku ugha cqyk,aaA fdlh efgyk ls iwN&rkN dsoy mlds fuokl LFkku ij gh dh tk ldrh gSA{ /kkjk 160¼1½vkijkf/kd n.M lafgrk}
2-   vlk/kkj.k ifjfLFkfr;ksa dks NksM+ dj lw;kZLr ds Ik’pkr ,oa lw;ksZn; ls igys fdlh efgyk dks fxjQ~rkj ugha djsA { /kkjk 46¼4½vkijkf/kd n.M lafgrk}
cPpksa dh lqj{kk
       Hkkjr ds lafo/kku& Hkkx iii¼ekSfyd vf/kdkj½ ,oa HkkxIV¼ jkT; ds uhfr funsZ’kd fl)kUr½ es cPpksa ds fodkl ,oa lqj{kk ds fy, micU/k fufgr gSA
      fd’kksj U;k; ¼cPpksa dh ns[kHkky ,oa lqj{kk½ vf/kfu;e 2000]  18 o”kZ rd ds cPpksa dh lqj{kk ds fy, ns’k Hkj es U;k;ky; ds ,d leku oS/kkfud <kWpsa dh O;olFkk djrk gSA
D;k djsa%&
1-   cPpksa ls uezrkiwoZd O;ogkj djsa rFkk ;FkklaHko flfoy iks’kkd igudj gh muls iwN&rkN djsaA
2-   ;fn fdlh cPps ls iwNrkN dh tkuh gks rks mlls ml LFkku ij iwNrkN dh tkuh Pkkfg, tgka og lk/kkj.k jgrk gSA { /kkjk 160vkijkf/kd n.M lafgrk}
3-   ;g lqfuf’pr djsa fd tSls gh dkuwu dk mYya?ku djus okys fdlh fd’kksj dks iqfyl }kjk fxjQ~rkj fd;k tkrk gS] rks mls fo’ks”k fd’kksj iqfyl ;wfuV vFkok euksuhr iqfyl vf/kdkjh ns[k js[k es j[kk tkuk pkfg,A ¼fd’kksj U;k; ns[kjs[k ,oa lqj{k vf/kfu;e 2000 dh /kkjk 10½
4-   fxjQ~rkjh dh fLFkfr es vkxs dh dk;Zokgh r; djus ls igys cPps dh mez lR;kfir djsaA
5-   fxjQ~rkj djus ij ;g lqfuf’pr djsa fd cPps dks nsjh  fd, fcuk fd’kksj U;k;ky; ds le{k is’k fd;k tk,A fdlh Hkh fLFkfr es ;g le; 24 ?k.Vksa ls vf/kd ugha gksuk pkfg,A ¼/kkjk 57 vkijkf/kd n.M lafgrk½
6   QSDVªhfj;ksa] [kkuksa ,oa tksf[ke Hkjs jkstxkj es cPpks dks dke ij yxkus ij fo”ks/k gS ¼Hkkjrh;
    lafo/kku dk vuqPNsn 24 ½ ,slh fdlh Hkh ?kVuk dh igpku dj lEcfU/kr     izkf/kdkfj;ksa dks   
    mldh fjiksVZ djsa¼cky Je fu”ks/k ,oa fu;eu vf/kfu;e 1986 dh /kkjk 3½-
6-   ;fn fdlh cPps dks ca/kqvk cuk dj j[kk x;k gks rks mls fjgk djkus ds fy, dne mBk;sa{ca/kqvk etnwjh izFkk¼mUewyu½vf/kfu;e 1976}
7-   fgUnq fookg vf/kfu;e 1955 }kjk cky fookg ij izfrca/k gSA bls jksdus ds fy, dne
mBk,aA
D;k u djsa%&
1-   fdlh ckfydk dks iwNrkN ds fy, iqfyl LVs’ku ugha cqyk,a¼/kkjk 160vkijkf/kd n.M lafgrk½
2-   15 o”kZ ls de mez ds fdlh cPps dks iwNrkN ds fy, iqfyl LVs’ku ugha cqyk,W¼/kkjk 160 vkijkf/kd n.M lafgrk½
       3-  iqfyl fgjklr es fdlh fd’kksj dks ugha j[ksa ¼/kkjk 18]fd’kksj U;k; vf/kfu;e1986½
      4-  07o”kZ ls de mez ds fdlh cPps dks fxjQ~rkj ugha djsaA
      5-  fxjQ~rkj fd, x;s fdlh fd’kksj dh igpku dk ehfM;k dks [kqyklk ugha djsaA
      6-  fdlh fd’kksj dks fdlh O;Ld ds lkFk vkjksi i= nkf[ky ugha djsa pkgsa vijk/k leku
          gh D;ksa u gksA

vuqlwfpr tkfr ,oa vuqlwfpr
tutkfr ds vf/kdkjksa dk laj{k.k
       2001 dh tux.kuk ds vuqlkj vuqlwfpr tkfr@vuqlwfpr tutkfr feyk dj Hkkjr dh tula[k dk 24%gS ftles vuqlwfpr tkfr 16%,oa vuqlwfpr tutkfr dh la[;k 8% gSA
      vuqwlwfpr tkfr ,oa vuqlwfpr tutkfr ¼vR;kpkj fuokj.k½ vf/kfu;e] 1989 vuqlwfpr tkfr ds fo:) fd, x;s vR;kpkjksa dks jksdus ds fy, ,d fo’ks”k dkuwu gSA
,slk djsa
1-   vuqlwfpr tkfr@vuqlwfpr tutkfr ls ljksdkj j[kus okys yksxks ls dkuwu ds le{k leku crkZo djsa¼vuqPNsn 14] Hkkjr dk lafo/kku½
2-   lEcfU/kr iqfyl LVs’ku ds izHkkjh vf/kdkjh dks vuqlwfpr tkfr@vuqlwfpr tufkr ¼vR;kpkj fuokj.k½ vf/kfu;e] 1989 ds rgr fdlh vijk/k ls lEcfU/kr lwpuk nsa
3-   vki vius {ks=kf/kdkj es vuqlwfpr tkfr@vuqlwfpr tutkfr ds yksxks dks vuqlwfpr tkfr@vuqlwfpr tutkfr¼vR;kpkj fuokj.k½ vf/kfu;e] 1989 ds rgr fn, x;s vf/kdkjksa ,oa lwj{kk ls voxr djk,WA
,slk u djsa
1-   fdlh Hkh ukxfjd ls mldh tkfr ds vk/kkj ij Hksn&Hkko u djsa¼vuqPNsn 15] Hkkjrh; lafo/kku½
2-   fgjklr es fy, x;s O;fDr;ksa] fo’ks”k:Ik ls vuqlwfpr tkfr@vuqlwfpr tutkfr ds leqnk;ksa ls lEcfU/kr yksxks ls fdlh izdkj dk viekutud O;ogkj u djsa¼vuqPNsn 21] Hkkjr dk lafo/kku½
3-   fdlh dks Hkh vLi`’;rk dks c<+kok nsus rFkk mls vkpj.k es yxkus dh vuqefr ugha nsa¼17]Hkkjr dk lafo/kku½

ofj”B ukxfjdksa ds vf/kdkjksa dh j{kk
   cq<+kik ,d LokHkkfod izfdz;k gS] tks ekuo thou pdz es fujiokn :Ik ls ?kfVr gksrk gSA ;g vius lkFk cqtqxksZ ds thou es dbZ pqukSfr;kW ysdj vkrk gS] fo’ks”k:Ik ls ekuo ‘kjhj ds vaxks dh dk;Z djus dh {kerk es deh ds lkFk lHkh ukxfjdksa rFkk fo’ks”k:Ik ls iqfyl dk ;g uSfrd nkf;Ro gS fd og ofj”B ukxfjdksa ¼vk;q 60 ,oa mlls vf/kd½ ds vf/kdkjksa dh j{kk djsaA
,slk djsa
1-cPpksa dk ;g drZO; gS fd ;fn muds ekrk&firk Lo;a viuh ns[kHkky ugha dj ldrs rks os vius cw<s ekrk ,oa firk dh ns[kHkky djsa¼n.M izfdz;k lafgrk dh /kkjk 125½
¼6- cqtqxksZ dh jk”Vªh; uhfr 60 o”kZ ,oa mlls Åij dh vk;q ds fdlh O;fDr dks ofj”B ukxfjd ds :I es ekU;rk iznku djrh gSA½

2-ofj”B ukxfjdksa dh detksjh dks /;ku es j[krs gq, vius {ks=@x’r okys bykds es muls fujUrj lEiZd djrs jgsA
3-fdlh ofj”B ukxfjdksa dh vfuok;Z fxjQ~rkjh dh fLFkfr es mfpr f’k”Vrk fn[kk,W rFkk ;Fkk’kh?kz mudk fpfdRlh; ijh{k.k djk,WA
4- tc dHkh dksbZ ofj”B ukxfjd iqfyl Fkkus vk, rks mls mfpr lEeku nsa rFkk mldh leL;k ij izeq[krk ls /;ku nsaA
,slk u djsa
1-   tc rd ;g fcYdqy vko’;d u gksA fdlh ofj”B ukxfjd dks fxjQ~rkj ugha djsa vFkok mls fu:) u j[ksaA
2-   dkuwu ,oa O;oLFkk dh leL;k es idM+s x, ofj”B ukxfjdks ds lkFk :[ksiu ls vFkok dBksjrk ls O;ogkj u djsaA

vYila[;dksa ds vf/kdkjksa dk laj{k.k
   gekjs lafo/kku ds vuqPNsn 14] 15 vkSj 16 ds vUrZxr /keZ ds vk/kkj ij HksnHkko fuf”k) gSA blds vfrfjDr lafo/kku ds vuqPNsn 29 vkSj 30 vYila[;dksa ds lkaLd`frd ,oa ‘kSf{kd vf/kdkjksa ls lEcfU/kr gSA
,slk djsa
1-   vYila[;dksa ls lEcfU/kr ekeyks dks lko/kkuhiwoZd ,oa losnu’khy rjhds ls fuiVk,aA
2-   iwtk ds LFkyksa dk fu;fer:Ik ls nkSjk djsa rFkk lkaiznkf;d ruko iSnk djus okys ‘kjkjrh rR;ksa ij fuxkg j[kksaA
3-   R;kSgkjksa ds nkSjku vfrfjDr lrZdrk cjrsa rFkk lkaiznkf;d :Ik ls laosnu’khy {ks=ksa es fuokjd mik;sa dks viuk,aA
4-   vYila[;d leqnk; ds lnL;ksa ds ?kjksa] iwtk LFkyksa vFkok laLFkkuksa dk nkSjk djrs le; mudh Hkoukvksa ,oa /kkfeZd fjoktksa dks ;Fkksfpr lEeku nsaA
5-   vYila[;d leqnk; ds egRoiw.kZ O;fDr;ksa ds fu;fer lEidZ es jgsA }an dh fLFkfr es mudk leZFku vkids lkFk gksxkA
6-   fdlh Hkh /keZ dks ekuus ,oa mles viuk fo’okl izdV djus ds fy, O;fDr;ksa dh Lora=rk lqfuf’pr djsasa{vuqPNsn 25¼1½ Hkkjrh; lafo/kku}
7-   lHkh leqnk;ksa ds egRoiw.kZ /kkfeZd O;fDr;ksa ds izfr f’k”V cusaA
,slk u djsa
1-   fdlh Hkh /kkfeZd leqnk; ls lEcfU/kr ekeys dk fuiVkjk djrs le; fdlh izdkj ds i{kikr dk iznkZu u djsaA
2-   /keZ ds vk/kkj ij ukxfjdksa ds izfr HksnHkko u djsa{ vuqPNsn15¼1½] ¼2½]Hkkjrh; lafo/kku}
3     /kkfeZd fo”k;ksa ls lEcfU/kr fdlh Hkh lwpuk@f’kdk;r dks vuns[kk u djsa vFkok ml ij  
dk;Zokgh es foyEc u djsaA



Please पोस्ट करें



 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Positive Thoughts, The Law of attraction quotes, The Secret Quotes, 48 Laws of Power in Hindi, health is wealth, Motivational and Positive Ideas, Positive Ideas, Positive Thoughts, G.K. Que. , imp GK , gazab post in hindi, hindi me, hindi me sab kuch, जी० के० प्रश्न , गज़ब रोचक तथ्य हिंदी में, सामान्य ज्ञान, रोचक फैक्ट्स