शुक्रवार, 30 मार्च 2018

Osho प्रेमी




तो तुम तो नही जूड़े हो ओशो से फिर भी तुम भूखे क्यों हो...? तुम क्यों सेक्स जैसे विषय के प्रश्न पूछते फिरते हो? और क्या केवल ओशो के लोग ही सेक्स के विषय पे बात करना जानते हैं? आम आदमी जो ओशो को नही जानता ,वो फिर क्यों सेक्स जैसे विषय को आंख उठाकर देखता फिरता है? कोई सेक्सी तस्वीर देखी नहीं कि अंदर का सेक्स जाग उठा और लगे ओशो संयासियों को गालियां देने! ओशो ने तो मात्र एक किताब " संभोग से समाधि" लिखकर तुम्हारे मन में तहलका मचा दिया ,लेकिन तुम क्या कर रहे हो? निंदा भी करते हो तो सेक्स की? जहां से तुम खुद जन्मे! ज़रा ओशो की किताबे उठाकर पढ लो सेक्स के बारे में वो नही बोला ओशो ने जो तुम्हारे सस्ते से सेक्स साहित्य में लिखा होता है।ओशो ने सेक्स के मार्ग से ध्यान के मार्ग तक जाने की एक कला प्रदान की,जो समझने वाली बात है।ओशो ने कही से भी गलत शब्दो का इस्तेमाल नहीं किया ! ओशो संयासिन उतनी ही मन और आत्मा से  पवित्र हैं ,जितना की एक नारी-अस्मिता को होना चाहिये!
मुझे एक मर्द चाहिए. ...यह एक शाश्वत सत्य है.....मैं एक औरत हूं तो निश्चततौर पर मुझे एक मर्द चाहिए.... यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं है......मेरे अंदर जो भावनाएं हैं उन्हें संपूर्ण एक पुरुष ही कर सकता है..... मैं जानती हूं कि मेरे इन चंद शब्द से ही कितने लोगों को परेशानी हो रही होगी...... कुछ लोग मुझे चरित्रहीन का सर्टिफिकेट भी दे चुके होंगे....
किसी के प्रमाणपत्र दे देने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता.... लेकिन यह एक सच्चाई है कि हर औरत को एक मर्द चाहिए होता है.... लेकिन हमारे समाज की परिकल्पना कुछ इस तरह से की गयी है कि औरतें संकोचवश कुछ कहती नहीं और उसके इस संकोच को पुरुषवादी समाज अपने तरीके से लेता है और खुद को औरत का भाग्यविधाता मान बैठता है..... औरतों को इस बात का हक ही नहीं है कि वे अपने बारे में कोई निर्णय लें.
प्रकृति ने स्त्री-पुरूष दोनों को गढ़ा...उसे एक दूसरे का पूरक बनाया.....उनमें कई ऐसी भावनाएं दी जिसकी पूर्ति दोनों संग-संग करते हैं....विज्ञान भी इस बात को मानता है कि विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण स्वाभाविक है.....जब पुरुष और महिला एक दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं तो दोनों में  सेक्स हार्मोन  टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन स्राव होता है.... जब संबंध थोड़े मजबूत और दीर्घकालीन होते हैं तो ऑक्सीटोसिन और वैसोप्रेसिन जैसे हार्मोंन उन्हें और भी नजदीक लाते हैं और दोनों एक दूसरे के साथ खुश रहते हैं.... यह बताने का आशय सिर्फ यह है कि भावनाएं और प्रतिक्रिया दोनों में एक जैसी ही होती है.

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