⚕ *हाइड्रोसील क्या है * ⚕
हाइड्रोसील साफ द्रव से भरी एक थैली होती है जो पुरूषों के एक या दोनों अंडकोष के आसपास बन जाती है। हाइड्रोसील शिशुओं में होना एक आम बात है और कभी-कभी यह इलाज के बिना ही ठीक हो जाती है।
बड़े बच्चों और वयस्क पुरुष में अंडकोष में इन्फ्लमैशन (किसी चोट या संक्रमण से शरीर की स्वयं को बचाने की प्रतिक्रिया से होने वाले लक्षण) या चोट के कारण हाइड्रोसील की समस्या विकसित हो सकती है। हालांकि ज़्यादातर हाइड्रोसील बिना किसी स्पष्ट कारण के बन जाती है।
हाइड्रोसील में न तो दर्द होता है और ना ही ये हानिकारक होती है। इसलिए ऐसा भी हो सकता है कि इस समस्या में किसी भी उपचार की जरूरत न पड़े। हालांकि, अगर आपको हाइड्रोसील की वजह से अंडकोष में सूजन हो गयी है, तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए क्योंकि ये किसी संक्रमण का संकेत हो सकता है (बहुत की कम मामलों में ये अंडकोष कैंसर का संकेत हो सकता है)।
*हाइड्रोसील के प्रकार*
हाइड्रोसील के मुख्य रूप से दो उप प्रकार होते हैं -
*1.कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील
(Communicating hydrocele) -*
इसमें अंडकोष की थैली पूरी तरह से बंद नहीं हुई होती है, जिसकी वजह से तरल पदार्थ अंडकोष की थैली के अंदर चला जाता है।
*2.नॉन कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील
(Non-communicating hydrocele)-*
शिशु में नॉन-कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील जन्म से ही हो सकती है और आमतौर यह एक वर्ष के भीतर अपने आप ही ठीक हो जाताी है।
कुछ दुर्लभ मामलों में, बड़े बच्चे में नॉन-कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील संक्रमण, वृषण (टेस्टिस) में मरोड़ या ट्यूमर जैसी समस्याओं का संकेत हो सकता है। ऐसे में इसके निदान के लिए बच्चों के डॉक्टर सें जल्द मिलना चाहिए।
(Communicating hydrocele) -*
इसमें अंडकोष की थैली पूरी तरह से बंद नहीं हुई होती है, जिसकी वजह से तरल पदार्थ अंडकोष की थैली के अंदर चला जाता है।
*2.नॉन कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील
(Non-communicating hydrocele)-*
शिशु में नॉन-कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील जन्म से ही हो सकती है और आमतौर यह एक वर्ष के भीतर अपने आप ही ठीक हो जाताी है।
कुछ दुर्लभ मामलों में, बड़े बच्चे में नॉन-कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील संक्रमण, वृषण (टेस्टिस) में मरोड़ या ट्यूमर जैसी समस्याओं का संकेत हो सकता है। ऐसे में इसके निदान के लिए बच्चों के डॉक्टर सें जल्द मिलना चाहिए।
*हाइड्रोसील के लक्षण*
▪अंडकोष में सूजन हो सकती है। इस सूजन में दर्द नहीं होता है।
▪कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील (Communicating hydrocele) का बड़ा या छोटा होते रहना। रात के समय जब आप लेटे होते हैं तब ये छोटी हो जाती है, जबकि अधिक सक्रिय समय में इसका आकार बढ़ जाता है।
▪कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील (Communicating hydrocele) का बड़ा या छोटा होते रहना। रात के समय जब आप लेटे होते हैं तब ये छोटी हो जाती है, जबकि अधिक सक्रिय समय में इसका आकार बढ़ जाता है।
* डॉक्टर के पास कब जाएं *
इन स्थितियों में डॉक्टर को जरूर दिखाएं -
▪अगर वृषण (टेस्टिस) के आस-पास सूजन काफी समय तक बानी रहे।
▪यदि आपको अचानक अंडकोष में गंभीर दर्द या सूजन हो तो इसका तत्काल उपचार कराएं। विशेष रूप से अगर दर्द या सूजन अंडकोष में चोट लगने के कुछ घंटों के भीतर हो तो उपचार करवाना जरूरी होता है।
▪यदि सूजन काफी बढ़ गई हो।
▪यदि सूजन के साथ दर्द हो या आसपास की त्वचा लाल पड़ रही हो।
▪रान (जांघ और जान्नांग को जोड़ने वाला हिस्सा) या अंडकोष की थैली में उभार हो।
▪हाइड्रोसील के आकार में लगातार परिवर्तन होता रहे। यानी कभी छोटी तो कभी बड़ी हो रही हो।
▪वृषण (टेस्टिस) में दर्द हो।
▪यदि आपको अचानक अंडकोष में गंभीर दर्द या सूजन हो तो इसका तत्काल उपचार कराएं। विशेष रूप से अगर दर्द या सूजन अंडकोष में चोट लगने के कुछ घंटों के भीतर हो तो उपचार करवाना जरूरी होता है।
▪यदि सूजन काफी बढ़ गई हो।
▪यदि सूजन के साथ दर्द हो या आसपास की त्वचा लाल पड़ रही हो।
▪रान (जांघ और जान्नांग को जोड़ने वाला हिस्सा) या अंडकोष की थैली में उभार हो।
▪हाइड्रोसील के आकार में लगातार परिवर्तन होता रहे। यानी कभी छोटी तो कभी बड़ी हो रही हो।
▪वृषण (टेस्टिस) में दर्द हो।
*हाइड्रोसील के कारण*
*हाइड्रोसील की समस्या से परेशान बच्चों में इसके जोखिम कारक निम्न होते हैं -*
▪अधिकांश बच्चों में हाइड्रोसील की परेशानी जन्म के समय से ही होती है।
▪समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं में हाइड्रोसील होने का खतरा अधिक होता है।
▪समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं में हाइड्रोसील होने का खतरा अधिक होता है।
*जीवन के अन्य पड़ावों में हाइड्रोसील होने में निम्न जोखिम कारकों को शामिल किया जाता है -*
*आम कारण*
▪अंडकोष में चोट या सूजन।
यौन संचारित संक्रमण व इससे जुड़े अन्य संक्रमण।
*बहुत कम मामलों में*
▪विकिरण चिकित्सा (जैसे, प्रोस्टेट कैंसर का इलाज करने के लिए प्रभावशाली किरणों का इस्तेमाल किया जाता है) भी हाइड्रोसील विकसित होने के जोखिम को बढ़ा सकती है।
▪अंडकोष का कैंसर।
▪अंडकोष में चोट या सूजन।
यौन संचारित संक्रमण व इससे जुड़े अन्य संक्रमण।
*बहुत कम मामलों में*
▪विकिरण चिकित्सा (जैसे, प्रोस्टेट कैंसर का इलाज करने के लिए प्रभावशाली किरणों का इस्तेमाल किया जाता है) भी हाइड्रोसील विकसित होने के जोखिम को बढ़ा सकती है।
▪अंडकोष का कैंसर।
*हाइड्रोसील से बचाव के उपाय*
ज्यादातर हाइड्रोसील होने से रोक नहीं सकते लेकिन आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जिनसे अंडकोष पर चोट न लगे। उदहारण के तौर पर, क्रिकेट आदि जैसे खेल खेलते समय कुछ सुरक्षात्मक गियर (gear; जिसे "कप" कहते हैं) जरूर पहनें। ऐसा करने से आप हाइड्रोसील होने की सम्भावना कम कर सकते हैं।
*हाइड्रोसील का परीक्षण*
▪बढ़े हुए अंडकोष की जांच करना। इस जांच में डॉक्टर ये परखने की कोशिश करेंगे कि आपको उसमें दर्द है की नहीं।
▪पेट और अंडकोष पर हल्का दबाव डालना ये देखने के लिए कि कहीं इनगुइनल हर्निया (Inguinal hernia) तो नहीं है।
▪अंडकोष को तेज प्रकाश में देखना। यदि आपको हाइड्रोसील होगी, तो इस दौरान वृषण (टेस्टिस) के चारों ओर तरल पदार्थ साफ तौर पर दिखाई देगा।
▪पेट और अंडकोष पर हल्का दबाव डालना ये देखने के लिए कि कहीं इनगुइनल हर्निया (Inguinal hernia) तो नहीं है।
▪अंडकोष को तेज प्रकाश में देखना। यदि आपको हाइड्रोसील होगी, तो इस दौरान वृषण (टेस्टिस) के चारों ओर तरल पदार्थ साफ तौर पर दिखाई देगा।
*इसके बाद डॉक्टर आपको कुछ अन्य जांच कराने की भी सलाह दे सकते हैं -*
▪ *रक्त और मूत्र परीक्षण:* इससे यह निर्धारित करने में मदद मिलती है कि कहीं आपको कोई संक्रमण तो नहीं है, जैसे कि "एपिडिडाइमीटिस (Epididymitis)।
▪ *अल्ट्रासाउंड:* हर्निया, अंडकोष में ट्यूमर व सूजन के अन्य कारणों की जांच करने के लिए।
▪ *अल्ट्रासाउंड:* हर्निया, अंडकोष में ट्यूमर व सूजन के अन्य कारणों की जांच करने के लिए।
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Hayderocel
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