शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

हिमा दास से जुड़े 10 प्रमुख तथ्य- मेहनत के दम पर हासिल की उपलब्धि

* हिमा दास से जुड़े 10 प्रमुख तथ्य- मेहनत के दम पर हासिल की उपलब्धि *

हाल में ही फिनलैंड के टेंपेयर शहर में आयोजित आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली एथलीट हिमा दास भारत की पहली ऐसी एथलीट है जिन्होंने 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल किया है। इसके साथ ही साथ विश्व चैंपियनशिप में किसी भी स्तर पर स्वर्ण पदक हासिल करने वाली वह पहली भारतीय महिला भी है। 18 वर्षीय गोल्डन गर्ल हिमा ने फाइनल मुकाबले में 51.46 सेकेंड का समय निकालकर पहला स्थान हासिल किया।
  • 9 जनवरी 2000 को असम में जन्म लेने वाली हिमा दास एक गरीब परिवार से है। उनके पिता अपने घर परिवार का खर्च उठाने के लिए खेती किया करते हैं वही उनकी माता एक गृहणी है।
  •  हिमा दास का गांव ज्यादातर समय बाढ़ में डूबा रहता है। यही वजह है कि वह गांव आज पूरी तरह से विकसित नहीं हो सकता है।
  •  बचपन से फुटबॉल खेलने की शौकीन हिमा दास जब पहली बार वर्ष 2017 में एक कैंप का हिस्सा बनकर गुवाहाटी आई थी तो उस दौरान निपोन की नजर उन पर पड़ी थी।
  • कोच निपोन ने हिमा दास को पहली बार ट्रैक पर दौड़ते देखा था।ट्रैक पर दौड़ता देख उन्हें ऐसा लगा कि इस लड़की के अंदर क्षेत्र में आगे जाने की काबिलियत मौजूद है।जिसके बाद निपोन ने उनके माता-पिता से बात की और उन्हें अपनी बेटी की अच्छी कोचिंग के लिए उसे गुवाहाटी भेजने की सलाह दी।
  • हिमा के माता-पिता ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी भी अच्छी नहीं है कि वह अपनी बेटी की गुवाहाटी में रहने का खर्च उठा सके। जिसके बाद निपोन ने कहा कि उनकी बेटी का रहने का खर्च वह खुद उठाएंगे जिसके बाद उनके माता पिता ने उन्हें मंजूरी दे दी।
  • बचपन से फुटबॉल खेलने का शौक रखने वाली हिमा दास अपने गांव के आसपास छोटे-मोटे फुटबॉल मैच खेलकर 100 से 200 रुपए जीत लिया करती थी। लगातार दौड़ने की वजह से उनका स्टैमिना काफी अच्छा बनता रहा जिसकी वजह से वह ट्रैक पर बेहतरीन प्रदर्शन करने में कामयाब रही।
  • हिमा दास अभी सिर्फ 18 साल की हैं। दो साल पहले ही उन्होंने रेसिंग ट्रैक पर दौड़ने के लिए जूते लिए। इससे पहले उनके पास खेल प्रतियोगिता की तैयारी के लिए कोई भी सामान नहीं था।
  • हिमा को फुटबॉल से एथलेटिक्स में आने के लिए हिमा के कोच निपोन ने ही तैयार किया। निपोन ने उन्हें सबसे पहले 200 मीटर की दौड़ की तैयारी करवाई और जब उन्हें एहसास हो गया कि वह 400 मीटर से अधिक के दौर में कामयाब होगी तो उन्होंने उन्हें अलग-अलग प्रतियोगिताओं में भेजना प्रारंभ किया।
  • हिमा दास आज जिस मुकाम पर पहुंची हैं, उसका पूरा श्रेय उनके विश्वास को जाता है। वह खुद पर काफी विश्वास करती हैं और जो काम एक बार ठान ले, उसे पूरा करके ही छोड़ती हैं।
  • हिमा दास एकमात्र ऐसी एथलीट हैं, जिन्होंने सबसे कम समय का रिकॉर्ड कायम किया है। उनका यह समय 51.46 सेकंड का था।

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