*सुरों के सम्राट मोहम्मद रफी की जीवनी*
मोहम्मद रफी जिन्हें दुनिया रफी या तो रफी साहब के नाम से पुकारते हैं. रफी साहब भारत के ऊँचे और विख्यात गायकों में से एक थे. इन्होंने अपनी आवाज की मधुरता और परास की अधिकता के लिये अपने समकालीन गायकों के बीच एक अलग पहचान बनाई थीं. इनसे प्रेरणा पाकर कुछ ओर गायक भी निकले परन्तु रफी जैसा कोई नहीं रहा. रफी साहब ने 1940 से 1980 तक कुल मिलाकर 26,000 गानों का निर्माण किया था जो कि एक वर्ल्ड रिकार्ड्स हैं.
रफी साहब ने हिंदी गानों के अलावा गजल, भजन, देशभक्ति गीत, कब्बाली आदि भाषाओँ में गीत गाये थे. मोहम्मद साहब ने बॉलीवुड के कई अभिनेताओं पर भी गानें फिल्माए हैं जो इस प्रकार हैं- गुरु दत्त, दिलीप कुमार, देव आनंद, भारत-भूषण, जोनी वाकर, शम्मी कपूर, राजेश खन्ना, बिग बी, धर्मेन्द्र और ऋषि कपूर तथा गायक किशोर कुमार के ऊपर भी गाने गा चुके हैं.
मोहम्मद रफी
पूरा नाम – मोहम्मद रफी
जन्म- 24 दिसम्बर 1924, अमृतसर, पंजाब, भारत
मृत्यु – 31 जुलाई 1980, मुंबई, महाराष्ट्र, भारत
स्वभाव – शर्मीले किस्म के व्यक्ति
शादी – बेगम विकलिस
पिता का नाम – हाजी अली
माता का नाम – अल्लारखी
पुरस्कार – पद्दम श्री पुरस्कार
फिल्मफेयर अवार्ड्स – 5 बार सुपरहिट गानों के लिये
हिट गानें – बाबुल की दुआएँ, आज मेरे यार की शादी हैं, क्या हुआ तेरा वादा और ये देश वीर जवानों का
जन्म- 24 दिसम्बर 1924, अमृतसर, पंजाब, भारत
मृत्यु – 31 जुलाई 1980, मुंबई, महाराष्ट्र, भारत
स्वभाव – शर्मीले किस्म के व्यक्ति
शादी – बेगम विकलिस
पिता का नाम – हाजी अली
माता का नाम – अल्लारखी
पुरस्कार – पद्दम श्री पुरस्कार
फिल्मफेयर अवार्ड्स – 5 बार सुपरहिट गानों के लिये
हिट गानें – बाबुल की दुआएँ, आज मेरे यार की शादी हैं, क्या हुआ तेरा वादा और ये देश वीर जवानों का
मोहम्मद रफी साहब का शुरूआती जीवन :
मोहम्मद रफीक साहब का जन्म 24 दिसम्बर 1924 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था. पहले रफी साहब का परिवार पाकिस्तानी में रहता था लेकिन बाद में जब रफी साहब छोटे थे तब इनका पूरा परिवार लाहौर से अमृतसर आ गया. उस समय इनके परिवार में कोई भी संगीत के बारे में नहीं जानता था.
रफी जी छोटे थे तब इनके बड़े भाई की नाई की दूकान थीं. इनके बड़े भाई मोहम्मद हामिद ने इनके संगीत के प्रति रूचि को देखकर रफी साहब को उस्ताद अब्दुल वाहिद खान के पास ले गए और संगीत की शिक्षा लेने को कहा था. रफी जी ने पहला गाना 13 साल की उम्र में सार्वजनिक प्रदर्शन में गाया था. उनके गायन ने श्याम सुंदर जो कि उस समय के फेमस संगीतकार थें और काफी प्रभावित हुए और इसी महफिल में रफी जी को गाने का निमंत्रण दिया था.
रफी साहब का जीवन :
रफी जी एक शर्मीले किस्म के व्यक्ति थे. आजादी के समय उन्होंने भारत में रहना पसंद किया. रफी जी की शादी बेगम विकलिस के साथ हुई. रफी साहब ने दो शादियाँ की पहली शादी का एक बच्चा है और दूसरी शादी का 6 बच्चे हैं, कुल मिलकर 7 बच्चे हैं. शुरू में तो रफी जी ने बहुत की कम पैसों में गाने गाये थें और इसी कारण एक बार उनका और लता मंगेशकर के बीच गानों की रायल्टी को लेकर विवाद भी हुआ था. मोहम्मद रफी की मृत्यु 31 जुलाई 1980 में मुंबई में हार्ट अटैक से हुई थी.
रफी साहब की ख्याति और पहचान :
मोहम्मद रफी साहब को नौशाद द्वारा गाये गीत ” तेरा खिलौना टुटा ” फिल्म – अनमोल घड़ी से प्रथम बार हिंदी जगत में ख्याति मिली थीं. इसके बाद रफी जी ने शहीद, मेला और दुलारी में भी गाने गाये जो काफी पॉपुलर हुए. बैजू बावरा के गानों ने रफी जी को फेमस गायक के रूप में स्थापित किया था. बाद में नौशाद ने रफी को अपने निर्देशन में कई गीत गाने को दिए थे और इसी समय शंकर जय किशन को उनकी आवाज काफी अच्छी लगी थीं.
जयकिशन उस समय राजकपूर के लिये संगीत देते थे लेकिन राज कपूर को केवल मुकेश की आवाज पसंद थी. ” चाहे मुझे जंगली कहे फिल्म -जंगली, एहसान तेरा होगा मुझ पर फिल्म- जंगली, ये चाँद से रौशन चेहरा फिल्म- कश्मीर की कली, दीवाना हुआ तेरा फिल्म- कश्मीर की कली. इन गानों से रफी की ख्याति बहुत ही ज्यादा बढ़ गयी थीं.
रफी साहब की गायन की शुरुआत :
भारत के आजादी के समय शंकर जयकिशन, नौशाद तथा सचिन देव बर्मन ने रफी से उस समय लोकप्रिय गीत गवाये थे. यह सिलसिला 1960 तक चला था. रफी जी को 1960 में चौदवही का चाँद नामक शीर्षक गीत के लिये अपना पहला फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था. इसके बाद रफी हब को घराना (1961), काजल (1965), दो बदन (1966) और नीलकमल (1968) जैसी फिल्मों से दूसरा फिल्मफेयर अवार्ड्स से सम्मानित किया गया था.
रफी जी को तीसरा फिल्मफेयर अवार्ड्स गीत ‘‘ चाहूँगा मै तुझे साँझ ” के लिये पुरस्कार मिला था. भारत सरकार ने रफी जी को 1965 में पद्दम श्री पुरस्कार से सम्मानित किया था. 1965 में रफी जी संगीतकार जोड़ी कल्याण आनंद जी द्वारा फिल्म – ” जब – जब फूल खिले ”, परदेसिया से ना अखिया मिलाना ” काफी लोकप्रियता मिली थीं. 1966 में फिल्म- सूरज में सदाबहार गीत गाये थे ” बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया हैं ” और इस गीत के लिये रफी जी को चौथा फिल्मफेयर अवार्ड्स पुरस्कार मिला था.
इस गीत का संगीत शंकर निर्देशन प्रख्यात संगीतकार जयकिशन ने दिया था. उसके बाद 1968 में शंकर जयकिशन के संगीत निर्देशन में फिल्म ब्रम्हचारी के हिट गाने गाये थे ” दिल के झरोखे में तुझको बैठाकर ” के लिये पांचवा फिल्मफेयर अवार्ड्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
मोहम्मद रफी के गीतों की संख्या :
रफी जी अपने जीवन में कुल मिलाकर 25,000 गाने गाये. सबसे ज्यादा गाना गाने का रिकार्ड्स भारत के दो गायकों के बीच हैं. रफी जी और सुरों की कोकिला लता मंगेशकर के बीच. लेकिन ज्यदा गानों का रिकार्ड्स और गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड्स लता मंगेशकर के पास हैं और दूसरा नंबर मोहम्मद रफी का आता हैं.
रफी साहब ने भारतीय सिनेमा के अभिनेताओं के लिये भी गीत गाये हैं. बिग बी, अशोक कुमार, ऋषि कपूर, किशोर कुमार, गुरु दत्त, जॉय मुखर्जी, दलीप कुमार, फिरोज खान, राजेश खन्ना, शम्मी कपूर, मनोज कुमार, रणधीर कपूर, सुनील दत्त, संजय खान, शशि कपूर, विनोद खन्ना, पृथ्वी राज कपूर, जीतेन्द्र, राजकपूर, विनोद मेहरा और संजीव कुमार आदि के लिये गाने गाये हैं.
मोहम्मद रफी के सदाबहार गीत :
ओ दुनिया के रखवाले, ये है बाम्बे मेरी जान, सर जो तेरा चकराए, हम किसी से कम नहीं, चाहे मुझे कोई जंगली कहे, मै जट यमला पगला, चढ़ती जवानी मेरी, हम काले हुए तो क्या हुआ दिलवाले हैं, ये हैं इश्क-इश्क, परदा है परदा, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों (देशभक्ति गीत), नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुठी में क्या है, चक्के पे चक्का (बच्चों का गीत), ये देश हैं वीर जवानो का, मन तड़पत हरी दर्शन को आज (शास्त्रीय संगीत), सावन आए या ना आए.
मधुबन में राधिका, बाबुल की दुआएँ, आज मेरी यार की शादी हैं (विवाह गीत), चौदहवी का चाँद हो, हुस्नवाले तेरा जवाब नहीं, तेरी प्यारी प्यारी सूरत को, मेरे महबूब तुझे मेरी मुहबत की कसम, बहारो फूल बरसाओ, मै गाऊं तुम सो जाओं, दिल के झरोखे में, बड़ी मुश्किल हैं, हमको तो जान से प्यारी हैं, परदा हैं परदा, क्या हुआ तेरा वादा, आदमी मुसाफिर हैं, मेरे दोस्त किस्सा ये और मैंने पूछा चाँद से.
संगीत के क्षेत्र में कई गायक आये है और कई गायक आयेंगे लेकिन जो आवाज और गानों में धुन रफी साहब ने दी है उनको भुला पाना नामुमकिन है. आज भी वर्तमान में जब हिंदी गानों की रीमिक्स बनने लगी है तब भी रफी साहब के गाने बहुत प्रसिद्ध है.
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