गुरुवार, 2 अगस्त 2018

Napunsakta

Sex Power
 *नपुसंकता* 
हमारे समाज में आमतौर पर नपुंसकता का विषय एक ऐसा विषय माना जाता है जिसका जिक्र करने में लोग हिचकिचाते है. नपुसंकता का मतलब
सम्भवता पुरुष के सम्बन्ध से होता है. किसी पुरुष में नपुंसकता के होने के कई कारण हो सकते है. नपुंसकता का संबंध सीधे तौर पर ज्ञानेन्द्रियों से होता है. नपुसंकता का अर्थ पुरुष की प्रजनन क्षमता में कमी आने से होता है. नपुसंकता की स्थिति में पुरुष का प्रजनन अंग छोटा हो जाता है जिसके कारण शुक्राणुओं की कमी हो जाती हैं या शुक्राणु बिल्कुल नहीं बनते. नपुसंकता की समस्या से ग्रसित पुरुष स्त्री के साथ सहवास करने पर उसे पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता. ऐसा होने से पुरुष को मानसिक और शारीरिक दोनों तरह का तनाव रहता है, चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है नतीजन वैवाहिक जीवन में दरार पड़ने लगती है.

                                      *नपुसंकता के कारण*

अधिक मानसिक दबाव व अवसाद होने से।

चिकित्सकों का कहना है की 80 प्रतिशत मामले में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन होते है, जो की शारीरिक होती है एवं 20 प्रतिशत मामलों में मानसिक कारण इस के लिए ज़िम्मेदार होते है।

अगर आप मधुमेह की समस्या से ग्रसित हैं तो डॉक्टर से ज़रूर परामर्श लें, हृदय रोग एवं कंठमाला रोग से ग्रस्त होने पर भी धीरे धीरे स्थितियां बिलकुल उलट जाती हैं

प्रजनन के लिए आवश्यक शुक्राणुओं का उत्पादन न होने के कारण /वीर्य में शुक्राणुओं की कमी

नर्वस सिस्टम में आई कमी के चलते भी नपुंसकता की समस्या हो सकती है। न्यूरॉलजी से जुड़ी समस्याएं नपुंसकता कीअसली कारण हो सकते हैं

नशाखोरी से इंसान का सेक्स लाइफ बर्बाद हो सकता है . तनाव, शराब का सेक्स लाइफ पर बेहद गंभीर असर होता है. इन से बच कर रहना ही इस का इलाज़ है.

शरीर के हार्मोन्स में कमी आने के कारण या शरीर में उपलब्ध हार्मोंस में गड़बड़ी

उत्तेजना की वजह से लिंग में रक्त का प्रबाह होता है परन्तु जब रक्त का प्रबाह असंतुलित हो जाता है तो लिंग में सख्ती नहीं आ पाती . स्थिति उस वक़्त और बिगड़ जाती है जब सहवास के दौरान रक्त प्रवाह लिंग में खत्म हो जाता है एवं व्यक्ति को शर्मिंदा होना पड़ता है.

इस के अलावा कुछ व्यक्ति जन्म से नपुंसक भी होते हैं एवं कुछ दुर्घटनावश आदि की वजह से नपुंसक हो जाते हैं

                   *नपुसंकता के लक्षण*

नपुसंकता का पहला लक्षण होता है- घबराहट और आत्मविश्वास में कमी

अगर स्त्री के सहभागी पुरुष को सम्भोग करने के बाद या पहले घबराहट महसूस होती हैं या करते समय उसमे आत्मविश्वास में कमी दिखाई दे रही है तो वो नपुंसक हो सकता है.नपुंसक पुरुष में सम्भोग के समय में लिंग में कठोरता नहीं ला पाता या उसमें शीघ्र ही कमी आ जाती है. 

अगर सम्भोग के समय स्त्री उत्तेजित और कामुक हो जाए पंरतु पुरुष सम्भोग करने के लिए उत्तेजित न दिखे तो पुरुष नपुंसक हो सकता है.

पुरुष के लिंग का उचित लम्बा होना अनिवार्य है. अगर पुरुष का लिंग सामान्य से छोटा होता है तो वो नपुंसक हो सकता है.

यदि पुरुष सम्भोग करते समय स्त्री के पूरी तरह से संतुष्ट होने से पहले ही डिस्चार्ज हो जाए तो पुरुष नपुंसक हो सकता है।


                    *सेक्स के बारे में क्या कहता है आयुर्वेद *

सेक्स उत्पत्ति के लिए करें या महज़ आनंद के लिए, इसके तरीक़े जानना हमेशा फायदेमंद रहता है. हर क्रिया करने के कुछ तरीके होते हैं. सेक्स के ये तरीके हम इस क्रिया के द्वारा सीखते हैं या फिर उस भंडार के बारे में       जानने    कि कोशिश करते हैं जो सदियों से सभ्यताओं   के द्वारा इक्कट्ठा किया गया है. सेक्स पर भारत में एक पुराना ग्रन्थ है, कामसूत्र. सेक्स की मुद्राओं को दर्शाते हमारे यहाँ कई मंदिर हैं. इन सबमें अनेक मुद्राओं के द्वारा  ज्यादा से ज्यादा आनंद तथा उचित तरीके पर जोर दिया गया है. इसी तरह आयुर्वेद भी सेक्स के बारे में   अपनी कुछ राय रखता है, जिस पर विचार डालना हमारे लिए लाभप्रद हो सकता है. आइये जानते हैं, आयुर्वेद की निगाह  से सेक्स यानी सम्भोग के बारे में.

 *समय बेहद अहम् कारक है*
हर चीज़ में समय एक जरूरी हिस्सा होता है. आप कौन सी क्रिया, किस वक़्त निभा रहें हैं, ये मायने रखता है. आयुर्वेद कहता है कि पूर्णिमा के दिन सेक्स ज्यादा आनंददायक होता है. इसके अनुसार रात के दस से ग्यारह के बीच मनुष्य अपनी उर्जा के चरम पर रहता है,  इसलिए ये वक़्त सेक्स के लिए बेहद गुणात्मक होता है. भोजन के कम से कम दो घंटे के बाद ही सेक्स करना चाहिए.

 *पाचन*
आप भूखे पेट या खाने के तुरंत बाद अगर सेक्स में संलिप्त होते हैं तो या तो आप निढाल पड़ जायेंगे या फिर ये आपके लिए कष्टकर हो जाएगा. खाने के कम से कम दो घंटे बाद, जब भोजन पाच जाता है और आपके शरीर में उर्जा का प्रवाह रहता है, सेक्स बेहद मज़ेदार साबित हो सकता है. आयुर्वेद के अनुसार खाने के तुरंत बाद सेक्स में शामिल होने से आपके दिमाग और शरीर के बीच भ्रम स्थापित हो जाता है और ऐसे में सेक्स आपके लिए बोझिल हो जाएगा.

 *कुछ बेहद जरूरी बातें*
यदि आप बीमार, थके हुए, गुस्से में, तनाव ग्रस्त, भूखे या प्यासे हैं तो आप उचित समय का इंतज़ार कीजिये. इनमें से किसी भी स्थिति में सेक्स का आपके शारीर तथा दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. सेक्स से आनंद लेने के लिए आपको उस वक़्त, उस जगह पर होना बहुत जरूरी है. दोनों जन को एक दूसरे को अपनी उपस्थिति का भान कराना होता है, तभी सेक्स, दोनों के लिए आनंद का कारण बन सकता है.

 *तैयारी*
सेक्स को किसी भी आम क्रिया समझ कर करेंगे तो ये बोझिल और उबाऊ ही साबित होगी. इसके लिए उस जगह को सुन्दर बनायें. सही समय का इंतज़ार करें. सेक्स के पहले कुछ हल्का तथा मीठा भोजन उपयुक्त रहता है. उस जगह को दृश्य तथा गंध की दृष्टि से लुभावना बनाने से सेक्स ज्यादा आनंददायक लगता है. सेक्स के पहले स्नान करने या अच्छे मूड में रहने से आप उसमें पूरी तरह शामिल हो सकेंगे. आप चाहें तो संगीत का सहारा भी ले सकते हैं.

 *संतुलन*
ज़िन्दगी की सारी अच्छी चीज़ों की तरह सेक्स के भी दस्तूर हैं कि आपने इसे आवश्यकता से ज्यादा या कम किया तो ये बेकार साबित होगी. आयुर्वेद, मानव शरीर में शक्ति को ओजस के रूप में देखता है. इसके अनुसार ओर्गाज्म के समय ओजस का क्षय होता है. इसलिए यदि हम लगतार सेक्स में ही संलिप्त रहेंगे तो हम ज़िन्दगी के अन्य क्रियाओं के लिए ओजस खो देंगे. इसी तरह एक निहित समय के अन्दर सेक्स नहीं करने से भी हमारी शक्ति का भटकाव होता है. कभी सेक्स नाहीं करने का अर्थ ओजस का बढ़ना नहीं होता है. आप यदि अपने शरीर तथा दिमाग में संतुलन बना कर रखेंगे तो आपका अपना सही समय मालूम चलता रहेगा.
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