* डिप्रेशन(अवसाद) क्या है *
नमस्कार दोस्तों मैं हूं डॉक्टर मनीष शर्मा और मैं आज आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आया हूं अतः इस पोस्ट को पूरा पढ़ें और अधिक से अधिक शेयर करें।
* डिप्रेशन (अवसाद) के प्रकार *
* डिप्रेशन (अवसाद) के प्रकार *
*1.मेजर डिप्रेशन -*
प्रमुख अवसाद (major depression) में व्यक्ति गहरे निराशा और आशाहीन्ता में चला जाता है। इस अवसाद के लक्षण व्यक्ति के काम करने, अध्ययन करने, सोने, खाने और आनन्ददायक गतिविधियों का आनंद लेने की क्षमता में हस्तक्षेप करते हैं। मेजर अवसाद केवल एक बार हो सकता है लेकिन अकसर यह जीवन भर में कई बार होता है।
प्रमुख अवसाद (major depression) में व्यक्ति गहरे निराशा और आशाहीन्ता में चला जाता है। इस अवसाद के लक्षण व्यक्ति के काम करने, अध्ययन करने, सोने, खाने और आनन्ददायक गतिविधियों का आनंद लेने की क्षमता में हस्तक्षेप करते हैं। मेजर अवसाद केवल एक बार हो सकता है लेकिन अकसर यह जीवन भर में कई बार होता है।
*2.डायस्टिमिया या क्रोनिक अवसाद -*
डायस्टिमिया को लम्बे समय से चल रहें अवसाद के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह अवसाद का गंभीर रूप नहीं है, लेकिन इस अवसाद के लक्षण लंबे समय तक कई वर्षों तक रह सकते हैं। जो लोग डायस्टियमिया से पीड़ित होते हैं, वे आमतौर पर सामान्य रूप से कार्य करने में सक्षम होते हैं पर हमेशा नाखुश लगते हैं।
डायस्टिमिया को लम्बे समय से चल रहें अवसाद के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह अवसाद का गंभीर रूप नहीं है, लेकिन इस अवसाद के लक्षण लंबे समय तक कई वर्षों तक रह सकते हैं। जो लोग डायस्टियमिया से पीड़ित होते हैं, वे आमतौर पर सामान्य रूप से कार्य करने में सक्षम होते हैं पर हमेशा नाखुश लगते हैं।
*3.सीजनल इफेक्टिव या मौसम प्रभावित डिप्रेशन -*
मौसम प्रभावित डिप्रेशनहर हर साल एक ही समय में आता है। आम तौर पर यह स्प्रिंग या सर्दियों में शुरू होता है और वसंत या गर्मियों की शुरुआत में समाप्त होता है। मौसम प्रभावित डिप्रेशन का एक दुर्लभ रूप समर डिप्रेशन (गर्मी के अवसाद) के रूप में जाना जाता है। यह वसंत या गर्मियों की शुरुआत में शुरू होता है और स्प्रिंग में समाप्त होता है।
जो लोग सीजनल इफेक्टिव डिप्रेशन से पीड़ित हैं, उनमें प्रमुख अवसाद के लक्षण होते हैं जैसे उदासी, चिड़चिड़ापन सामान्य गतिविधियों में रूचि ना होता, सामाजिक गतिविधियों से भागना और ध्यान केंद्रित करने में कमी आदि।
मौसम प्रभावित डिप्रेशनहर हर साल एक ही समय में आता है। आम तौर पर यह स्प्रिंग या सर्दियों में शुरू होता है और वसंत या गर्मियों की शुरुआत में समाप्त होता है। मौसम प्रभावित डिप्रेशन का एक दुर्लभ रूप समर डिप्रेशन (गर्मी के अवसाद) के रूप में जाना जाता है। यह वसंत या गर्मियों की शुरुआत में शुरू होता है और स्प्रिंग में समाप्त होता है।
जो लोग सीजनल इफेक्टिव डिप्रेशन से पीड़ित हैं, उनमें प्रमुख अवसाद के लक्षण होते हैं जैसे उदासी, चिड़चिड़ापन सामान्य गतिविधियों में रूचि ना होता, सामाजिक गतिविधियों से भागना और ध्यान केंद्रित करने में कमी आदि।
*4.सायकोटिक डिप्रेशन -*
लोग जो मानसिक अवसाद के लिए अस्पताल में भर्ती होते हैं इनमें लगभग 25% लोग सायकोटिक डिप्रेशन से पीड़ित होते हैं। अवसाद के लक्षणों के अतिरिक्त सायकोटिक डिप्रेशन वाले लोगों में मतिभ्रम - उन चीजों को देखना या सुनना जो वास्तव में नहीं हैं या भ्रम - तर्कहीन विचार और भय के लक्षण भी दीखते हैं।
लोग जो मानसिक अवसाद के लिए अस्पताल में भर्ती होते हैं इनमें लगभग 25% लोग सायकोटिक डिप्रेशन से पीड़ित होते हैं। अवसाद के लक्षणों के अतिरिक्त सायकोटिक डिप्रेशन वाले लोगों में मतिभ्रम - उन चीजों को देखना या सुनना जो वास्तव में नहीं हैं या भ्रम - तर्कहीन विचार और भय के लक्षण भी दीखते हैं।
*5.बाइपोलर डिप्रेशन -*
इस डिप्रेशन में मन लगातार कई हफ़्तो तक या महिनों तक बहुत उदास या फिर बहुत अत्यधिक खुश रहता है। उदासी में नकारात्मक विचार तथा मैनिक डिप्रेशन में ऊँचे ऊँचे विचार आते हैं। इसमें पीड़ित व्यक्ति का मन बारी-बारी से दो अलग और विपरीत अवस्थाओं में जाता रहता है। इस बीमारी में इंसान के व्यवहार में अचानक बदलाव देखने को मिलता है। कभी मरीज बहुत खुश तो कभी बहुत उदास रहता है।
इस डिप्रेशन में मन लगातार कई हफ़्तो तक या महिनों तक बहुत उदास या फिर बहुत अत्यधिक खुश रहता है। उदासी में नकारात्मक विचार तथा मैनिक डिप्रेशन में ऊँचे ऊँचे विचार आते हैं। इसमें पीड़ित व्यक्ति का मन बारी-बारी से दो अलग और विपरीत अवस्थाओं में जाता रहता है। इस बीमारी में इंसान के व्यवहार में अचानक बदलाव देखने को मिलता है। कभी मरीज बहुत खुश तो कभी बहुत उदास रहता है।
*डिप्रेशन (अवसाद) के लक्षण -*
▪उदासी, दुख, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, हताशा।
▪आनंददायक या मजेदार गतिविधियों में भाग ना लेना।
▪बहुत अधिक नींद या बहुत कम नींद आना।
▪एनर्जी में कमी, अस्वस्थ भोजन की लालसा करना।
▪दुसरो से अलग रहना,बेचैनी, चिंतित रहना।
▪स्पष्ट रूप से सोचने या निर्णय लेने में परेशानी, काम या स्कूल में खराब प्रदर्शन।
▪अपराधबोध होना,मन में आत्मघाती विचार लाना।
▪सिर या मांसपेशियों में दर्द रहना।
▪दवा या शराब का दुरुपयोग करना।
▪उदासी, दुख, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, हताशा।
▪आनंददायक या मजेदार गतिविधियों में भाग ना लेना।
▪बहुत अधिक नींद या बहुत कम नींद आना।
▪एनर्जी में कमी, अस्वस्थ भोजन की लालसा करना।
▪दुसरो से अलग रहना,बेचैनी, चिंतित रहना।
▪स्पष्ट रूप से सोचने या निर्णय लेने में परेशानी, काम या स्कूल में खराब प्रदर्शन।
▪अपराधबोध होना,मन में आत्मघाती विचार लाना।
▪सिर या मांसपेशियों में दर्द रहना।
▪दवा या शराब का दुरुपयोग करना।
*डिप्रेशन (अवसाद) के कारण*
▪ *डिप्रेशन का कारण हो सकता है आनुवंशिकी -*
अवसाद वंशानुगत से हो सकता। यदि आपके परिवार में पहले किसी सदस्य को कभी अवसाद हुआ हो तो आप भी अवसाद का अनुभव कर सकते हैं। अभी तक यह पता नहीं चला है की अवसाद में कौन सा जीन शामिल है।
अवसाद वंशानुगत से हो सकता। यदि आपके परिवार में पहले किसी सदस्य को कभी अवसाद हुआ हो तो आप भी अवसाद का अनुभव कर सकते हैं। अभी तक यह पता नहीं चला है की अवसाद में कौन सा जीन शामिल है।
▪ *अवसाद का कारण हैं दिमाग में परिवर्तन -*
मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitters), विशेष रूप से सेरोटोनिन ( serotonin), डोपामाइन (dopamine) या नोरेपेनेफ्रिन (norepinephrine) खुशी और आनंद की भावनाओं को प्रभावित करते हैं और अवसाद की स्तिथि में ये असंतुलित हो सकते हैं। अभी तक इसके कारण का सही पता नहीं चला है। एन्टीडिप्रेंटेंट्स न्यूरोट्रांसमीटर को संतुलित करने का काम करता है। यह मुख्यतः सेरोटोनिन को संतुलित करता है। न्यूरोट्रांसमीटर संतुलन से बाहर क्यों निकल जाते हैं और यह अवसादग्रस्त में क्या भूमिका है इसका अभी तक पता नहीं चला है।
मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitters), विशेष रूप से सेरोटोनिन ( serotonin), डोपामाइन (dopamine) या नोरेपेनेफ्रिन (norepinephrine) खुशी और आनंद की भावनाओं को प्रभावित करते हैं और अवसाद की स्तिथि में ये असंतुलित हो सकते हैं। अभी तक इसके कारण का सही पता नहीं चला है। एन्टीडिप्रेंटेंट्स न्यूरोट्रांसमीटर को संतुलित करने का काम करता है। यह मुख्यतः सेरोटोनिन को संतुलित करता है। न्यूरोट्रांसमीटर संतुलन से बाहर क्यों निकल जाते हैं और यह अवसादग्रस्त में क्या भूमिका है इसका अभी तक पता नहीं चला है।
▪ *डिप्रेशन का कारण है हार्मोन परिवर्तन -*
हार्मोन उत्पादन या हार्मोन के कामकाज में परिवर्तन से भी अवसाद की शुरुआत हो सकती है। हार्मोन में भी बदलाव जैसे रजोनिवृत्ति, प्रसव, थायरॉयड समस्या या अन्य विकार के दौरान बदलाव भी अवसाद का कारण बन सकते हैं।
हार्मोन उत्पादन या हार्मोन के कामकाज में परिवर्तन से भी अवसाद की शुरुआत हो सकती है। हार्मोन में भी बदलाव जैसे रजोनिवृत्ति, प्रसव, थायरॉयड समस्या या अन्य विकार के दौरान बदलाव भी अवसाद का कारण बन सकते हैं।
▪ *मौसम में परिवर्तन है डिप्रेशन का कारण -*
जैसे-जैसे सर्दियों के दिन आते हैं और दिन छोटे हो जाते हैं, बहुत से लोग सुस्ती, थकान और रोज़मर्रा के कार्यों में रूचि ना रख पाना अनुभव करते हैं। इस समस्या को मौसम प्रभावित विकार (SAD) कहा जाता है। यह स्थिति आमतौर पर सर्दियां ख़त्म होने पर समाप्त हो जाती है जब दिन लम्बे हो जाते हैं।
जैसे-जैसे सर्दियों के दिन आते हैं और दिन छोटे हो जाते हैं, बहुत से लोग सुस्ती, थकान और रोज़मर्रा के कार्यों में रूचि ना रख पाना अनुभव करते हैं। इस समस्या को मौसम प्रभावित विकार (SAD) कहा जाता है। यह स्थिति आमतौर पर सर्दियां ख़त्म होने पर समाप्त हो जाती है जब दिन लम्बे हो जाते हैं।
*जीवन में बड़ा परिवर्तन है डिप्रेशन का कारण -*
कोई ट्रॉमा, जीवन में बड़ा परिवर्तन या संघर्ष अवसाद जैसी समस्या को बढ़ा सकता है। किसी प्रियजन को खो देना, नौकरी से निकाल दिया जाना, धन से सम्बंधित परेशानियों का सामना करना या कोई और गंभीर बदलाव लोगों में अवसाद की समस्या को जन्म देते हैं।
कोई ट्रॉमा, जीवन में बड़ा परिवर्तन या संघर्ष अवसाद जैसी समस्या को बढ़ा सकता है। किसी प्रियजन को खो देना, नौकरी से निकाल दिया जाना, धन से सम्बंधित परेशानियों का सामना करना या कोई और गंभीर बदलाव लोगों में अवसाद की समस्या को जन्म देते हैं।
*डिप्रेशन (अवसाद) से बचाव -*
▪ *1. डिप्रेशन से बचने के लिए आहार -*
यह वैज्ञानिक रूप से साबित हुआ है कि कुछ खाद्य पदार्थ हमें खुश महसूस कराते हैं।
यह वैज्ञानिक रूप से साबित हुआ है कि कुछ खाद्य पदार्थ हमें खुश महसूस कराते हैं।
*डिप्रेशन में क्या खाएं -*
मनोदशा (mood) को बढ़ाने वाले ऐसे भोजन का सेवन करें जो ट्रिप्टोफैन, ओमेगा -3 फैटी एसिड और फोलिक एसिड से समृद्ध हो जैसे शतावरी, अंडे, हल्दी, कद्दू बीज आदि। ये घटक सेरोटिन (serotin) के स्तर में वृद्धि करने में मदद करते हैं जो आपके मूड में सुधार लाते हैं। बादाम और काजू के सेवन के साथ साथ सुबह में हरी चाय पीने से भी तनाव जैसी समस्या से छुटकारा मिलता है।
मनोदशा (mood) को बढ़ाने वाले ऐसे भोजन का सेवन करें जो ट्रिप्टोफैन, ओमेगा -3 फैटी एसिड और फोलिक एसिड से समृद्ध हो जैसे शतावरी, अंडे, हल्दी, कद्दू बीज आदि। ये घटक सेरोटिन (serotin) के स्तर में वृद्धि करने में मदद करते हैं जो आपके मूड में सुधार लाते हैं। बादाम और काजू के सेवन के साथ साथ सुबह में हरी चाय पीने से भी तनाव जैसी समस्या से छुटकारा मिलता है।
*अवसाद से बचने के लिए क्या नहीं खाएं -*
कैफीन, निकोटीन और शराब आपकी स्थिति के लिए खराब हैं। सभी प्रकार के फास्ट फूड, हाइड्रोजनीकृत तेल, ट्रांस फैट, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और आर्टिफीशियल स्वीटनर्स का सेवन नहीं करें।
कैफीन, निकोटीन और शराब आपकी स्थिति के लिए खराब हैं। सभी प्रकार के फास्ट फूड, हाइड्रोजनीकृत तेल, ट्रांस फैट, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और आर्टिफीशियल स्वीटनर्स का सेवन नहीं करें।
▪ *2. अवसाद से निकलने का उपाय है व्यायाम -*
व्यायाम या योगासन जैसे हलासन, पश्चिमोत्तानासन, सर्वांगासन, शवासन आदि अवसाद के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
व्यायाम या योगासन जैसे हलासन, पश्चिमोत्तानासन, सर्वांगासन, शवासन आदि अवसाद के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
▪ *3. डिप्रेशन को दूर करने के उपाय हैं पवित्र शास्त्र -*
मानसिक आध्यात्मिकता (mental spirituality) से संबंधित अच्छी किताबें या उपन्यास पढ़ें। भजन सुनें और पवित्र शास्त्र पढ़ें। यह आपको आंतरिक शांति प्रदान करते हैं और आपके मन में सकारात्मक विचारों को प्रोत्साहित करते हैं।
मानसिक आध्यात्मिकता (mental spirituality) से संबंधित अच्छी किताबें या उपन्यास पढ़ें। भजन सुनें और पवित्र शास्त्र पढ़ें। यह आपको आंतरिक शांति प्रदान करते हैं और आपके मन में सकारात्मक विचारों को प्रोत्साहित करते हैं।
▪ *4. अवसाद से बचाव में सुनें मधुर संगीत -*
अपने चारों ओर ख़ुशी का माहौल बनाने के लिए संगीत की मदद लें। लेकिन उदास या दिल टूटने वाले गीतों को न सुनें। मधुर और अच्छे गाने सुनें।
अपने चारों ओर ख़ुशी का माहौल बनाने के लिए संगीत की मदद लें। लेकिन उदास या दिल टूटने वाले गीतों को न सुनें। मधुर और अच्छे गाने सुनें।
▪ *5. डिप्रेशन की दवा है जल्दी उठना, जल्दी सोना -*
सूर्योदय के साथ जागें, देर रात तक ना जागते रहें। 10 बजे के बाद जागते रहना और 6 बजे के बाद सोते रहना भावनात्मक तनाव पैदा करता है और आपकी मनोदशा को सुस्त और उदास बनाता है।
सूर्योदय के साथ जागें, देर रात तक ना जागते रहें। 10 बजे के बाद जागते रहना और 6 बजे के बाद सोते रहना भावनात्मक तनाव पैदा करता है और आपकी मनोदशा को सुस्त और उदास बनाता है।
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