*एक श्लोक*
*गौमय वस्ते लक्ष्मी गौमुत्र धन्वंतरि*
धन्वंतरि आरोग्य के देव हैं और देशी गाय के मूत्र को धन्वंतरि कहा गया है आर्थत गौमुत्र सर्वरोगनाशक हैं।
आज इस लेख के द्वारा भाई राजीवदीक्षित जी लिखित पँचगगव्य चिकित्सा पुस्तक से गौमुत्र के प्रभावशाली उपयोग की जानकारी देने जा रहा हूँ ।
देशी गौमाता जो गर्भवती न हो उनका ही मुत्र औषधि हेतु सर्वोत्तम है। गौमुत्र को सेवन से पहले आठ तह सूती कपड़े से छानकर ही उपयोग करना चाहिये। स्वस्थ इंसान को 10 से 20 ml अस्वस्थ इंसान हेतु 50 ml से 100ml सुबह खाली पेट सेवन करना चाहिये। इसे ही नही किसी भी औषधि को 3 माह से ज्यादा लगातार सेवन नहीं करना चाहिये इससे ज्यादा दिनों तक सेवन की आवश्यकता हो तो कुछ दिनों का अंतर रख कर पुनः सेवन करना चाहिये।कब्ज से कैंसर हर रोग की रामबाण औषधि है गौमुत्र। गौमुत्र एलोवेरा व गंगाजल कभी भी खराब नहीं होता।
गौमुत्र में पाए जाने वाले रसायनिक तत्व व उनका रोगों पर प्रभाव
1. नाइट्रोजन :- मूत्रल,वृक्क का प्राकृतिक उत्तेजक,रक्त विषम्यता को निकलता है
2. गन्धक:- रक्त शोधक,बड़ी आँत की पुरः सरण क्रिया को बल मिलता है
3. अमोनिया:- शरीर धातुयो व रक्त संगठन को स्थिर करता है
4. अमोनिया गैस :- फेफड़े व श्वसन अंगों को संक्रमण से बचाता है
5. तांबा:- अनुचित मेद बनने से रोकता व शरीर को जीवाणुओं से बचाता है
6. आयरन :- रक्त में उचित लाल कणों को बनाये रखना व कार्य शक्ति को स्थिर रखना
7. यूरिया :- मुत्र उत्सर्ग पर प्रभाव व कीटाणु नाशक
8. यूरिक एसिड:- हृदय शोथ नाशक, मूत्राल होने से विष शोधक
9. फॉस्फेट :- मूत्रवाही संस्थान से पथरी कण निकालने में सहायक
10. सोडियम :- रक्त शोधक, अम्लता नाशक
11. पोटैशियम :- आमवात नाशक शुद्ध कारक, मांसपेशियों में दौर्बल्य, आलस्य नाशक
12. मैंगनीज :- कीटाणुनाशक, कीटाणु बनने से रोकना व गैंगरीन,संड़ाध से बचाता है
13. कार्बोलिक एसिड :- कीटाणुनाशक, कीटाणु बनने से रोकना व गैंगरीन,संड़ाध से बचाता है
14. कैल्शियम :- रक्त शोधक,अस्थि पोषक,जंतुघ्न, रक्त स्कंदक
15. नमक :- दूषित व्रण, नाडी व्रण, मधुमेह जन्य सन्यास,विषम्यता, अम्लरक्तता नाशक,जंतुघ्न
16. विटामिन ए बी :- जीवनीय तत्व,उत्त्साहस्फुर्ती बनाये रखना, घबराहट प्यास से बचना,अस्थि पोषक,प्रजनन शक्तिदाता
17. अन्य मिनरल्स :- रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाना
18. दुग्ध शर्करा :- तृप्ति रहती है,मुख शोष, हृदय को बल व स्वस्थ , प्यास घबराहट को मिटाता है
19. एंजाइम्स :- पाचकरस बनाना व रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाना
20. जल :- जीवनदाता,रक्त को तरल व तापक्रम को स्थिर रखना
21. हिप्यूरिक एसिड :- मुत्र के द्वारा विष को बाहर निकलना
22. क्रिएटिनिन :- जंतुघ्न है
23. हार्मोन्स :- आठ मास की गर्भवती गौ माता के मूत्र में हार्मोन्स ही होते हैं जो स्वास्थ्यवर्धक है
24. स्वर्णक्षार :- जंतुघ्न रोग निरोधक शक्ति बढ़ता है
गौमुत्र का घरेलू उपयोग :-
1 कब्ज व उदर शुद्धि हेतु
2 जो सीधे गौमुत्र नही ले सकते उन्हें गौमुत्र में हरड़े चूर्ण को भिगोकर धीमी आंच पर पकाये जब जलीय तत्व नष्ट हो जाये तो इस चूर्ण का उपयोग करने से गौमुत्र का लाभ मिलता है
3 जीर्णज्वर,पाण्डु, सूजन में चिरायते के पानी मे गौमुत्र मिलाकर 7 दिन सुबह शाम
4 खाँसी दमा जुकाम आदि विकारों में सीधे गौमुत्र
5 पाण्डु रोग में ताजा स्वच्छ सुबह खाली पेट एक माह ( इस मुत्र में लौह बारीक चूर्ण मिलाकर अच्छी तरहः छानकर सेवन से जल्दी लाभ होता है)
6 बच्चों की खोखली खाँसी में हल्दी मिलाकर
7 उदर के सभी रोग हेतु
8 जलोदर रोगी को गौदुग्ध व गौमुत्र में शहद मिलाकर
9 शरीर सूजन में सिर्फ दूध व मुत्र का सेवन करें भोजन नही
10 गौमुत्र में नमक शक्कर बराबर मिलाकर सेवन से उदर रोग शमन होता है
11 गौमुत्र में सेंधानमक ब राई चूर्ण मिला कर सेवन से उदर रोग नष्ट होता है
12 आखो की जलन,कब्ज,सुस्ती व अरुचि में गौमूत्र के साथ शक्कर
13 खाज खुजली में गौमूत्र में अम्बा हल्दी मिलाकर
14 प्रसूति के बाद सुवा रोग में
15 चर्म रोग में हरताल बाकुची मालकांगनी का पेस्ट गौमूत्र युक्त लेप
16 सफ़ेद दाग मे बाकुची मालकांगनी गौमूत्र युक्त लेप
17 सफेद दाग बाकुची के बीज का लेप गौमूत्र युक्त
18 खुजली होने पर गौमूत्र के मालिश व बाद में स्नान
19 कृष्णजरिक को गौमूत्र में पीसकर शरीर पर मालिश से चर्म रोग हेतु
20 यकृत व पलीहा के सूजन में ईंट को तपाकर गौमूत्र में बुझाकर सेक करनी चाहिये 21 कृमि रोग में डिकामली का चूर्ण गौमूत्र के साथ
22 सुवर्ण,लोहवत्सनाभ,कुचला ,शिलाजीत को शुद्ध व इनके भस्म बनाने हेतु उपयोग होता है
23 चर्मरोग में उपयोगी महामृच्यादी तेल,पंचगव्य नासिका धृत,पंचगव्य धृत व सभी पंचगव्य औषधि निर्माण हेतु उपयोग किया जाता है
24 फाइलेरिया ( हाथीपांव) रोग हेतु सुबह खलिपेट सेवन
25 गौमुत्र का क्षार उदर वेदना,मूत्रारोध,वायु व अनुलोमन में दिया जाता है
26 बालो की हर समस्या हेतु सर में मालिश कर थोड़ी देर बाद धोने से (झड़ना,डैंड्रफ,सफेद,रूखे) नष्ट होता है
27 कमला रोग में अतिउपयोगी होता है
28 गौमुत्र में पुराना गुड़ हल्दी मिलाकर सेवन से कुष्ठ,चर्म व हाथीपांव रोग सेवन से आश्चर्यजनक परिणाम मिलते हैं
29 गौमुत्र के साथ अरण्ड का तेल पीने से एक माह सन्धिवात व अन्य वातविकार के रोग नष्ट हो जाता है
30 बच्चो के उदर वेदना पेट फूलने में गौमुत्र में नमक मिलाकर सेवन करना चाहिये
31 बच्चो के सूखा रोग में एक माह तक गौमुत्र में केशर मिलाकर सेवन कराना चाहिये
32 खाज खुजली चर्म रोग में गौमुत्र में निम के पत्ते की चटनी पीस कर लगाना चाहिये
33 क्षय रोग में गौमुत्र व गोबर की गंध से इसके जंतु नष्ट होते है व क्षय रोगियों को गौमुत्र का नियमित सेवन करना चाहिये
34 सभी प्रकार के चर्म रोग, घाव गैंगरीन जैसे व मधुमेह रोगी के जख्म में गौमुत्र में गेंदे के फूल की पंखुडी हल्दी का लेप अतिउपयोगी सिद्ध होता है( भाई राजीवदीक्षित जी के अनुभव व सलाह से एक महिला का कैंसर ग्रसित स्तन का जख्म पूर्णतः ठीक हो गया था )
35 नयन रोग व कान के रोग में लाभकारी
36 हर स्वस्थ व अस्वस्थ इंसान को नियमित गौमुत्र का सेवन करना चाहिये इससे शरीर में स्फूर्ति,भूख व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है व रक्त का दबाब सामान्य रहता है।
1 कब्ज व उदर शुद्धि हेतु
2 जो सीधे गौमुत्र नही ले सकते उन्हें गौमुत्र में हरड़े चूर्ण को भिगोकर धीमी आंच पर पकाये जब जलीय तत्व नष्ट हो जाये तो इस चूर्ण का उपयोग करने से गौमुत्र का लाभ मिलता है
3 जीर्णज्वर,पाण्डु, सूजन में चिरायते के पानी मे गौमुत्र मिलाकर 7 दिन सुबह शाम
4 खाँसी दमा जुकाम आदि विकारों में सीधे गौमुत्र
5 पाण्डु रोग में ताजा स्वच्छ सुबह खाली पेट एक माह ( इस मुत्र में लौह बारीक चूर्ण मिलाकर अच्छी तरहः छानकर सेवन से जल्दी लाभ होता है)
6 बच्चों की खोखली खाँसी में हल्दी मिलाकर
7 उदर के सभी रोग हेतु
8 जलोदर रोगी को गौदुग्ध व गौमुत्र में शहद मिलाकर
9 शरीर सूजन में सिर्फ दूध व मुत्र का सेवन करें भोजन नही
10 गौमुत्र में नमक शक्कर बराबर मिलाकर सेवन से उदर रोग शमन होता है
11 गौमुत्र में सेंधानमक ब राई चूर्ण मिला कर सेवन से उदर रोग नष्ट होता है
12 आखो की जलन,कब्ज,सुस्ती व अरुचि में गौमूत्र के साथ शक्कर
13 खाज खुजली में गौमूत्र में अम्बा हल्दी मिलाकर
14 प्रसूति के बाद सुवा रोग में
15 चर्म रोग में हरताल बाकुची मालकांगनी का पेस्ट गौमूत्र युक्त लेप
16 सफ़ेद दाग मे बाकुची मालकांगनी गौमूत्र युक्त लेप
17 सफेद दाग बाकुची के बीज का लेप गौमूत्र युक्त
18 खुजली होने पर गौमूत्र के मालिश व बाद में स्नान
19 कृष्णजरिक को गौमूत्र में पीसकर शरीर पर मालिश से चर्म रोग हेतु
20 यकृत व पलीहा के सूजन में ईंट को तपाकर गौमूत्र में बुझाकर सेक करनी चाहिये 21 कृमि रोग में डिकामली का चूर्ण गौमूत्र के साथ
22 सुवर्ण,लोहवत्सनाभ,कुचला ,शिलाजीत को शुद्ध व इनके भस्म बनाने हेतु उपयोग होता है
23 चर्मरोग में उपयोगी महामृच्यादी तेल,पंचगव्य नासिका धृत,पंचगव्य धृत व सभी पंचगव्य औषधि निर्माण हेतु उपयोग किया जाता है
24 फाइलेरिया ( हाथीपांव) रोग हेतु सुबह खलिपेट सेवन
25 गौमुत्र का क्षार उदर वेदना,मूत्रारोध,वायु व अनुलोमन में दिया जाता है
26 बालो की हर समस्या हेतु सर में मालिश कर थोड़ी देर बाद धोने से (झड़ना,डैंड्रफ,सफेद,रूखे) नष्ट होता है
27 कमला रोग में अतिउपयोगी होता है
28 गौमुत्र में पुराना गुड़ हल्दी मिलाकर सेवन से कुष्ठ,चर्म व हाथीपांव रोग सेवन से आश्चर्यजनक परिणाम मिलते हैं
29 गौमुत्र के साथ अरण्ड का तेल पीने से एक माह सन्धिवात व अन्य वातविकार के रोग नष्ट हो जाता है
30 बच्चो के उदर वेदना पेट फूलने में गौमुत्र में नमक मिलाकर सेवन करना चाहिये
31 बच्चो के सूखा रोग में एक माह तक गौमुत्र में केशर मिलाकर सेवन कराना चाहिये
32 खाज खुजली चर्म रोग में गौमुत्र में निम के पत्ते की चटनी पीस कर लगाना चाहिये
33 क्षय रोग में गौमुत्र व गोबर की गंध से इसके जंतु नष्ट होते है व क्षय रोगियों को गौमुत्र का नियमित सेवन करना चाहिये
34 सभी प्रकार के चर्म रोग, घाव गैंगरीन जैसे व मधुमेह रोगी के जख्म में गौमुत्र में गेंदे के फूल की पंखुडी हल्दी का लेप अतिउपयोगी सिद्ध होता है( भाई राजीवदीक्षित जी के अनुभव व सलाह से एक महिला का कैंसर ग्रसित स्तन का जख्म पूर्णतः ठीक हो गया था )
35 नयन रोग व कान के रोग में लाभकारी
36 हर स्वस्थ व अस्वस्थ इंसान को नियमित गौमुत्र का सेवन करना चाहिये इससे शरीर में स्फूर्ति,भूख व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है व रक्त का दबाब सामान्य रहता है।
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भाई राजीवदीक्षित जी को समर्पित
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