अब आ गए बिस्कुट खास, जो बने है बांस से, जानिये इसकी खासियत
Dhamtari: Plastic ने घटाई बांस से बने सामानों की मांग | Chhattisgarh
बांस से बना फर्नीचर तो आपने देखा होगा और अपने घर में इस्तेमाल भी करते होंगे, लेकिन क्या बांस के बने बिस्कुट देखे हैं? पू्र्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा में बांस के बने बिस्कुट लॉन्च हुए हैं और खुद राज्य के मुख्यमंत्री बिप्लब देव ने शुक्रवार को विश्व बांस दिवस के मौके पर यह बिस्कुट लॉन्च किए हैं। बांस के बने ये बिस्कुट दिखने में तो बेहद स्वादिस्ट लग रहे हैं और चखने के लिए फिलहाल त्रिपुरा जाना होगा। लेकिन हो सकता है कि आने वाले दिनों में यह बिस्कुट अपनी नायाब गुणों की वजह से देश और दुनिया के अलग-अलग कोनों में पहुंच जाएं।
त्रिपुरा के मुख्मंत्री ने शुक्रवार को बांस के बने बिस्कुट तो लॉन्च किए साथ में बांस की बनी बोतल में शहत का पैक भी जनता के सामने प्रस्तुत किया।
त्रिपुरा सहित पूर्वोत्तर के अधिकतर राज्यों में बांस रोजमर्रा के इस्तेमाल की बहुत सामान्य वस्तु है और इसे फर्नीचर से लेकर खाने तक में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन बांस के बने बिस्कुट के बारे में पहली बार सुनने और देखने को मिला है। राज्य सरकार अपने यहां बनने वाले बांस के उत्पादों को देश और दुनियाभर में नया मुकाम दिलाने के लिए लगातार काम कर रही है।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देव के ओएसडी संजय मिश्रा ने मुख्यमंत्री बिप्लब देव की बांस के बिस्कुट के साथ तस्वीर साझा की है। संजय मिश्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि 'अब बांस से बने बिस्कुट खा सकेंगे आप! विश्व बांस दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री बिप्लब कुमार देब ने बांस से बने बिस्कुट लांच किया। साथ ही उन्होंने बांस से बने बोतल में शहद का पैक भी जनता के सामने प्रस्तुत किया। राज्य सरकार बांस के उत्पादों को नया मुकाम देने के लिए प्रतिबद्ध है।'
विश्व बांस दिवस के अवसर पर आज हम आपके लिए लाये है बांस क़ी खेती के तरीके और उससे आमदनी तथा बास का महत्व उसकी बिक्री सरकारी सहायता और बहुत कुछ
बांस को अंग्रेजी में बंबू (Bamboo) नाम से जाना जाता है. किसान और आम आदमी के जीवन में बांस एक उपयोगी वृक्ष है. "बांस" जिसकी पूरे जीवन काल में आवश्यकता पड़ती है. इसकी खेती करने से किसानों की आमदनी दोगुनी हो सकती है, यही कारण है कि अब जागरूक किसान इसके उत्पादन पर सबसे ज्यादा जोर दे रहे है
बांस क़ी उपयोगिता
हर व्यक्ति के जीवन में बांस की बहुत उपयोगिता है, क्योंकि कई घरेलू कार्यों के साथ-साथ पूजा-पाठ, खिलौने आदि में बांस का उपयोग किया जाता है.
बांस से क्या-क्या बनाया जा सकता है
यह कंस्ट्रक्शन के काम आता है.
इसकी मदद से घर बनाया जा सकता है.
फ्लोरिंग कर सकते हैं
फर्नीचर बन सकता है.
हैंडीक्रॉफ्ट और ज्वैलरी बनाकर मुनाफ़ा कमाएं
साइकिलें भी बन सकती हैं.
बांस की खेती
बांस की रोपाई मुख्य रूप से जून से सितंबर में की जाती है. यह 4 से 5 वर्ष में तैयार हो जाता है. अगर किसान एक बार बांस की खेती करना शुरू कर दें, तो इससे करीब 30 से 35 साल तक पैदावार मिलती रहती है. ऐसे में बांस की खेती को किसानों के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती है. खास बात है कि इसकी खेती बिना लागत और मेहनत की जाती है. इसके खेती में निराई-गुड़ाई की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है. अगर बांस एक बार लगा दिया जाए, तो कई वर्षों तक आमदनी मिलती रहती है.
बांस से आमदनी
अगर किसान 3 गुणा 2.5 मीटर पर पौधा लगाता है, तो 1 हेक्टेयर में करीब 1500 प्लांट लगाने की आवश्यकता पड़ेगा. आप 2 पौधों के बीच में बची हुई जगह में अन्य फसलों की खेती भी कर सकते हैं. इस तरह आप 4 साल बाद करीब 3 से 3.5 लाख रुपए तक की आमदनी कमा सकते हैं.
बांस की खेती में सरकारी मदद
इसकी खेती में 3 साल में औसतन 240 रुपए प्रति प्लांट की लागत आएगी. इसमें से 120 रुपए प्रति प्लांट सरकारी मदद मिल सकती है. बता दें कि बांस की खेती में सरकार की तरफ से 50 प्रतिशत और किसान की तरफ से 50 प्रतिशत वहन किया जाएगा. सरकारी शेयर में केंद्र की 60 प्रतिशत और राज्य की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रहेगी, लेकिन नार्थ ईस्ट में सरकार 60 प्रतिशत और किसान 40 प्रतिशत लगाएगा. 60 प्रतिशत सरकारी शेयर में केंद्र का 90 प्रतिशत और राज्य का 10 प्रतिशत होगा.
जागरूकता के लिए शेयर अवश्य करें
बांस को अंग्रेजी में बंबू (Bamboo) नाम से जाना जाता है. किसान और आम आदमी के जीवन में बांस एक उपयोगी वृक्ष है. "बांस" जिसकी पूरे जीवन काल में आवश्यकता पड़ती है. इसकी खेती करने से किसानों की आमदनी दोगुनी हो सकती है, यही कारण है कि अब जागरूक किसान इसके उत्पादन पर सबसे ज्यादा जोर दे रहे है
बांस क़ी उपयोगिता
हर व्यक्ति के जीवन में बांस की बहुत उपयोगिता है, क्योंकि कई घरेलू कार्यों के साथ-साथ पूजा-पाठ, खिलौने आदि में बांस का उपयोग किया जाता है.
बांस से क्या-क्या बनाया जा सकता है
यह कंस्ट्रक्शन के काम आता है.
इसकी मदद से घर बनाया जा सकता है.
फ्लोरिंग कर सकते हैं
फर्नीचर बन सकता है.
हैंडीक्रॉफ्ट और ज्वैलरी बनाकर मुनाफ़ा कमाएं
साइकिलें भी बन सकती हैं.
बांस की खेती
बांस की रोपाई मुख्य रूप से जून से सितंबर में की जाती है. यह 4 से 5 वर्ष में तैयार हो जाता है. अगर किसान एक बार बांस की खेती करना शुरू कर दें, तो इससे करीब 30 से 35 साल तक पैदावार मिलती रहती है. ऐसे में बांस की खेती को किसानों के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती है. खास बात है कि इसकी खेती बिना लागत और मेहनत की जाती है. इसके खेती में निराई-गुड़ाई की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है. अगर बांस एक बार लगा दिया जाए, तो कई वर्षों तक आमदनी मिलती रहती है.
बांस से आमदनी
अगर किसान 3 गुणा 2.5 मीटर पर पौधा लगाता है, तो 1 हेक्टेयर में करीब 1500 प्लांट लगाने की आवश्यकता पड़ेगा. आप 2 पौधों के बीच में बची हुई जगह में अन्य फसलों की खेती भी कर सकते हैं. इस तरह आप 4 साल बाद करीब 3 से 3.5 लाख रुपए तक की आमदनी कमा सकते हैं.
बांस की खेती में सरकारी मदद
इसकी खेती में 3 साल में औसतन 240 रुपए प्रति प्लांट की लागत आएगी. इसमें से 120 रुपए प्रति प्लांट सरकारी मदद मिल सकती है. बता दें कि बांस की खेती में सरकार की तरफ से 50 प्रतिशत और किसान की तरफ से 50 प्रतिशत वहन किया जाएगा. सरकारी शेयर में केंद्र की 60 प्रतिशत और राज्य की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रहेगी, लेकिन नार्थ ईस्ट में सरकार 60 प्रतिशत और किसान 40 प्रतिशत लगाएगा. 60 प्रतिशत सरकारी शेयर में केंद्र का 90 प्रतिशत और राज्य का 10 प्रतिशत होगा.
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