आप ना करें गलती जो कारोबारी को पड़ी 1.86 करोड़ भारी ,कैसे हुआ फ्राड और बचे कैसे आप जानिये सिम स्वेप क़ी कहानी
ना कोई ओटीपी ना ही कोई अन्य जानकारी दिए बिना ही कारोबारी एक ही झटके में 1.86 करोड़ रुपेय खो बैठे. उसके खाते से पूरा पैसा साफ कर दिया गया. क्या है है पूरा मामले कैसे ठग देते हैं ऐसे घटनाओं को अंजाम इसका पूरा गणित समझाते हैं. आमतौर पर OTP के बिना कोई ट्रांजेक्शन हो ही नहीं सकता, सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय डेबिट/क्रेडिट कार्ड द्वारा की गई लेन देन को छोड़कर. लेकिन प्रमुख बात ये है कि इस घटना में किसी कार्ड से कोई लेनदेन नहीं हुआ है. उस व्यापारी के खाते से अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया गया है. पैसे ट्रांसफर के लिए OTP की जरूरत होती है. इसके बिना ट्रांसफर नहीं हो सकता है. तो सबसे पहले सवाल ये उठता है कि इन ठगों को ओटीपी कैसे मिला कहां से मिला?
लेकिन मुख्य बात ये है कि सिम कार्ड व्यापारी के पास था उस व्यापारी ने OTP किसी को नहीं बताया था. बताएगा भी कैसे? उसके मोबाइल में कोई OTP आया ही नहीं था. इसका जवाब ये है कि इन ठगों ने SIM Swap की थी. अब आपके जहन में चलता होगा क्या है सिम स्वैप. जानें यहां
क्या होता है SIM Swap?
सिम स्वैप का अर्थ ये होता है कि आपको अपने पुराने सिम कार्ड को बदलकर उसी नंबर से नया कार्ड लेना हो तो इस प्रक्रिया को सिम स्वैप कहते हैं. इसकी जरूरत मोबाइल धारकों को कभी न कभी पड़ ही जाती है.
1. जब आपका मोबाइल चोरी या खो हो जाता है तब उसी नंबर का दूसरा सिम कार्ड लेने के लिए
2. जब सिम कार्ड टूट या कट कर खराब हो जाता है.
3. जब सिम को port करना चाहते हैं, उदाहरण के लिए एयरटेल से जियो.
लेकिन ठग इसका गलत इस्तेमाल करता है. वे किसी भी को टारगेट कर सकते हैं. उसकी सारी प्राइवेट इंफोर्मेशन को जुटा कर उपयुक्त व्यक्ति के सिम कार्ड को बंद करवा कर अपने पास एक खाली सिम में उस नंबर को चालू करवा लिया जाता है. सिम स्वाप के लिए ठगों ने उस व्यापारी के मोबाइल को हैक करके तमाम निजी जानकारी जैसे नाम पता, आधार कार्ड, ID नंबर, बैंकिंग जानकारिया इत्यादि जान ली थी. वे व्यापारी कभी किसी इनसिक्योर वेबसाइट, संक्रमित एप, SMS या ईमेल के संक्रमित लिंक या फिसिंग वेबसाइट पर गए होंगे अपनी बैंकिंग व अन्य डिटेल्स डाल दी होगी. जिससे तमाम निजी एवं गुप्त जानकारी ठगों के पास पहुच गयी होगी. सारी जानकारी के बाद ठगों को सिर्फ OTP की जरूरत थी उसके लिए उन्होंने सिम स्वापिंग का सहारा लिया.
ऐेसे बचें सिम स्वैप फ्रॉड से
1. हमेशा नेट बैंकिंग अपने मोबाइल/कंप्युटर से करें. नेट कैफै के कंप्युटर मे ना करें.
2. गलती से भी पब्लिक वाईफाई जैसे रैलवे स्टेशन, बस स्टैंड, पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट, बिना पासवर्ड के वाईफाई आदि मे नेट बैंकिंग का उपयोग ना करें.
3. बैंक या किसी भी वेबसाईट के URL में 'https' जरूर होना चाहिए. अगर सिर्फ 'http' है p के बाद s नहीं है तो इन वेबसाईट मे ना जाएं.
4. बैंक के वेबसाईट का URL सही से डालें कोई स्पेलिंग मिस्टेक ना हो. मिलते-जुलते या स्पेलिंग मिस्टेक वाले URL फिसिंग वेबसाईट हो सकते हैं.
5. URL type करके ही डालें. किसी SMS, ईमेल या अन्य वेबसाईट मे दिए गए URL पे क्लिक करके बैंक के वेबसाईट मे ना जाएं.
6. अपने मोबाईल मे प्ले स्टोर से ही एप डाउनलोड करें किसी अन्य वेबसाईट से ना करें
7. निजी जानकारी वाले ID Card जैसे आधार कार्ड आदि की फोटोकापी कराते समय सुनिश्चित करें कि फोटो कॉपी दुकान में ना छोड़ें.
8. OTP कभी भी किसी को ना बताएं.
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ना कोई ओटीपी ना ही कोई अन्य जानकारी दिए बिना ही कारोबारी एक ही झटके में 1.86 करोड़ रुपेय खो बैठे. उसके खाते से पूरा पैसा साफ कर दिया गया. क्या है है पूरा मामले कैसे ठग देते हैं ऐसे घटनाओं को अंजाम इसका पूरा गणित समझाते हैं. आमतौर पर OTP के बिना कोई ट्रांजेक्शन हो ही नहीं सकता, सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय डेबिट/क्रेडिट कार्ड द्वारा की गई लेन देन को छोड़कर. लेकिन प्रमुख बात ये है कि इस घटना में किसी कार्ड से कोई लेनदेन नहीं हुआ है. उस व्यापारी के खाते से अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया गया है. पैसे ट्रांसफर के लिए OTP की जरूरत होती है. इसके बिना ट्रांसफर नहीं हो सकता है. तो सबसे पहले सवाल ये उठता है कि इन ठगों को ओटीपी कैसे मिला कहां से मिला?
लेकिन मुख्य बात ये है कि सिम कार्ड व्यापारी के पास था उस व्यापारी ने OTP किसी को नहीं बताया था. बताएगा भी कैसे? उसके मोबाइल में कोई OTP आया ही नहीं था. इसका जवाब ये है कि इन ठगों ने SIM Swap की थी. अब आपके जहन में चलता होगा क्या है सिम स्वैप. जानें यहां
क्या होता है SIM Swap?
सिम स्वैप का अर्थ ये होता है कि आपको अपने पुराने सिम कार्ड को बदलकर उसी नंबर से नया कार्ड लेना हो तो इस प्रक्रिया को सिम स्वैप कहते हैं. इसकी जरूरत मोबाइल धारकों को कभी न कभी पड़ ही जाती है.
1. जब आपका मोबाइल चोरी या खो हो जाता है तब उसी नंबर का दूसरा सिम कार्ड लेने के लिए
2. जब सिम कार्ड टूट या कट कर खराब हो जाता है.
3. जब सिम को port करना चाहते हैं, उदाहरण के लिए एयरटेल से जियो.
लेकिन ठग इसका गलत इस्तेमाल करता है. वे किसी भी को टारगेट कर सकते हैं. उसकी सारी प्राइवेट इंफोर्मेशन को जुटा कर उपयुक्त व्यक्ति के सिम कार्ड को बंद करवा कर अपने पास एक खाली सिम में उस नंबर को चालू करवा लिया जाता है. सिम स्वाप के लिए ठगों ने उस व्यापारी के मोबाइल को हैक करके तमाम निजी जानकारी जैसे नाम पता, आधार कार्ड, ID नंबर, बैंकिंग जानकारिया इत्यादि जान ली थी. वे व्यापारी कभी किसी इनसिक्योर वेबसाइट, संक्रमित एप, SMS या ईमेल के संक्रमित लिंक या फिसिंग वेबसाइट पर गए होंगे अपनी बैंकिंग व अन्य डिटेल्स डाल दी होगी. जिससे तमाम निजी एवं गुप्त जानकारी ठगों के पास पहुच गयी होगी. सारी जानकारी के बाद ठगों को सिर्फ OTP की जरूरत थी उसके लिए उन्होंने सिम स्वापिंग का सहारा लिया.
ऐेसे बचें सिम स्वैप फ्रॉड से
1. हमेशा नेट बैंकिंग अपने मोबाइल/कंप्युटर से करें. नेट कैफै के कंप्युटर मे ना करें.
2. गलती से भी पब्लिक वाईफाई जैसे रैलवे स्टेशन, बस स्टैंड, पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट, बिना पासवर्ड के वाईफाई आदि मे नेट बैंकिंग का उपयोग ना करें.
3. बैंक या किसी भी वेबसाईट के URL में 'https' जरूर होना चाहिए. अगर सिर्फ 'http' है p के बाद s नहीं है तो इन वेबसाईट मे ना जाएं.
4. बैंक के वेबसाईट का URL सही से डालें कोई स्पेलिंग मिस्टेक ना हो. मिलते-जुलते या स्पेलिंग मिस्टेक वाले URL फिसिंग वेबसाईट हो सकते हैं.
5. URL type करके ही डालें. किसी SMS, ईमेल या अन्य वेबसाईट मे दिए गए URL पे क्लिक करके बैंक के वेबसाईट मे ना जाएं.
6. अपने मोबाईल मे प्ले स्टोर से ही एप डाउनलोड करें किसी अन्य वेबसाईट से ना करें
7. निजी जानकारी वाले ID Card जैसे आधार कार्ड आदि की फोटोकापी कराते समय सुनिश्चित करें कि फोटो कॉपी दुकान में ना छोड़ें.
8. OTP कभी भी किसी को ना बताएं.
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