➡ जिम में दिल के दौरे से मौत पर उठते सवाल!!
 |
जिम में दिल के दौरे Heart attacks |
हाल के दिनों में जिम में वर्कआउट के दौरान दिल के दौरे (हृदयाघात) से मौत के कई मामले सामने आए हैं। ये घटनाएं लोगों को स्वास्थ्य और फिटनेस के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ चिंता का कारण भी बन रही हैं। इन घटनाओं पर उठते सवालों और उनके संभावित कारणों का विश्लेषण महत्वपूर्ण है।
जिम में दिल के दौरे से मौत के कारण
अत्यधिक शारीरिक श्रम (Overexertion):
- अत्यधिक वर्कआउट या अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक वजन उठाने पर दिल पर अनावश्यक दबाव बढ़ सकता है।
- उच्च-तीव्रता वाले व्यायाम (HIIT) बिना तैयारी के करने से हृदयाघात का जोखिम बढ़ सकता है।
छिपी हुई स्वास्थ्य समस्याएं:
- अनजान हृदय रोग, जैसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज या जन्मजात हृदय दोष, जिनके बारे में व्यक्ति को जानकारी नहीं होती।
- हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्याएं।
लाइफस्टाइल फैक्टर्स:
- धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन, और अस्वस्थ खानपान।
- पर्याप्त नींद न लेना और मानसिक तनाव।
अचानक व्यायाम शुरू करना:
- लंबे समय तक निष्क्रिय रहने के बाद अचानक कठोर व्यायाम करना।
- सही प्रशिक्षण के बिना सीधे कठिन वर्कआउट करना।
पूर्व-वर्कआउट सप्लीमेंट्स का उपयोग:
- कुछ सप्लीमेंट्स में कैफीन या अन्य उत्तेजक पदार्थ होते हैं, जो हृदय गति और रक्तचाप को बढ़ा सकते हैं।
- गलत या अत्यधिक डोज का सेवन।
डिहाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन:
- पसीने के कारण शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी।
- यह दिल की धड़कन को अनियमित बना सकता है।
आनुवंशिक कारक:
- परिवार में दिल की बीमारियों का इतिहास होना।
इस पर उठते सवाल
क्या सभी उम्र के लोग जिम के लिए उपयुक्त हैं?
हर व्यक्ति की शारीरिक क्षमता अलग होती है। जिम जाने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए, खासकर 40+ उम्र के लोगों को।
क्या जिम ट्रेनर्स पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित हैं?
कई बार जिम ट्रेनर्स का ज्ञान सीमित होता है, और वे बिना उचित गाइडलाइन के वर्कआउट करवा सकते हैं।
क्या मेडिकल चेकअप जरूरी है?
कई लोग जिम शुरू करने से पहले अपना हेल्थ चेकअप नहीं करवाते, जिससे उनकी छिपी हुई बीमारियां सामने नहीं आ पातीं।
सप्लीमेंट्स का सेवन कितना सुरक्षित है?
बिना डॉक्टर या डाइटिशियन की सलाह के सप्लीमेंट्स का सेवन जोखिम भरा हो सकता है।
समाधान और सावधानियां
स्वास्थ्य जांच:
- जिम शुरू करने से पहले नियमित हेल्थ चेकअप करवाएं।
- विशेष रूप से ईसीजी और अन्य हृदय संबंधी परीक्षण।
व्यायाम का स्तर:
- शुरुआत में हल्के वर्कआउट से शुरुआत करें और धीरे-धीरे तीव्रता बढ़ाएं।
- अपनी शारीरिक सीमा को समझें और उसी अनुसार व्यायाम करें।
प्रशिक्षित ट्रेनर:
- प्रमाणित और अनुभवी जिम ट्रेनर से ही मार्गदर्शन लें।
- ट्रेनर को अपनी स्वास्थ्य स्थिति की जानकारी दें।
सप्लीमेंट्स का सेवन:
- डॉक्टर या पोषण विशेषज्ञ की सलाह के बिना सप्लीमेंट्स का सेवन न करें।
- प्राकृतिक भोजन को प्राथमिकता दें।
लाइफस्टाइल सुधार:
- संतुलित आहार, पर्याप्त नींद, और तनाव को नियंत्रित करना।
- नियमित रूप से पानी पीते रहें और डिहाइड्रेशन से बचें।
वार्म-अप और कूल-डाउन:
- वर्कआउट से पहले वार्म-अप और बाद में कूल-डाउन करें।
- यह हृदय को अनुकूल स्थिति में लाने में मदद करता है।
मेडिकल किट और आपातकालीन सेवा:
- जिम में हमेशा मेडिकल किट और AED (ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर) की उपलब्धता होनी चाहिए।
➡पिछले एक साल में हार्ट अटैक से युवाओं की हो रही मौतों में तेजी से इजाफा हुआ है। जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार विश्व के करीब २७ फीसदी वयस्क ब्लड प्रेशर की समस्या से ग्रस्त हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की २०१६ की एक रिपोर्ट के अनुसार १५-४९ की आयुवर्ग के २२ प्रतिशत लोगों की मृत्यु का कारण कार्डियोवैस्कुलर डिजीज है।
➡ भारत में कम उम्र में हार्ट अटैक वाले मामले दिनों-दिन बढ़ते जा रहे हैं।
➡अभी कुछ समय पहले भाजपा सांसद बंडारू दत्तात्रेय के बेटे बंडारू वैष्णव की हार्ट अटैक से मौत हो गयी, वह २१ साल के थे और हैदराबाद से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे। वे देर रात खाना के बाद लेटे और सीने में दर्द की शिकायत हुयी, परिवार वाले लेकर गुरु नानक अस्पताल पहुँचे जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
➡देश के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मनचन्दा का कहना है कि अब भारत के युवाओं का दिल कमजोर हो गया है।
➡२ सितम्बर २०२१ को महज ४० साल की उम्र में अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला का दिल के दौरे से निधन हो गया
➡तो २९ अक्टूबर २०२१ शुक्रवार को मात्र ४६ वर्ष की आयु में ही कन्नड़ अभिनेता पुनीत राजकुमार भी दिल के दौरे से जिम में वर्क आउट के दौरान काल के गाल में चले गये।
➡ अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला भी जिम में घण्टों बिताते थे। यद्यपि डॉक्टरों ने सिद्धार्थ शुक्ला को भी वर्क आउट करने से मना कर रखा था फिर भी वे रोजाना ३-४ घण्टे जिम में रहते थे। अभिनेता पुनीत राजकुमार के साथ तो यह हुआ कि जिम में ही वर्क आउट के दौरान सीने में दर्द की शिकायत हुयी, इसके पहले वे कुछ समझ पाते कि उससे पहले वह जमीन पर गिर गये और उनकी मौत हो गयी।
➡प्रश्न यह बनता है कि आखिर इतनी कम उम्र में हार्ट अटैक से मौतें क्यों हो रही हैं। जबकि ये दोनों मौतें उनकी हुयीं जो जिम ज्वाइन किये थे। जबकि चर्चा तो यही आती है न कि हार्ट की बीमारी हो या मधुमेह जैसी अन्य व्याधि यह उन्हीं को होती है जो शारीरिक मेहनत नहीं करते। दरअसल आज का युवा वर्ग ऐसे परिवेश, ऐसी शिक्षा प्रणाली और ऐसे सहचर्य से आ रहा है कि उसे अपना ज्ञान, विज्ञान और दर्शन दिख नहीं रहा और आधुनिक चकाचौंध जो विनाशकारी है उसमें लिप्त हो रहा है।
➡जबकि सेहत के बारे में आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की ओर से जो चेतावनियाँ, जानकारियाँ और तथ्य सामने आ रहे हैं उनका दर्शन, भारतीय वैदिक चिकित्सा विज्ञान में समग्रता से हो रहा है। इस पर हम यह कह सकते हैं कि सामग्री पुरातन है केवल पैकिंग बदली जा रही है। जैसे यू.एस. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन बता रहा है कि अत्यधिक व्यायाम से अचानक कार्डियक अरेस्ट (एससीए) या अचानक कार्डियक डेथ (एससीडी) का खतरा बढ़ सकता है।
➡निश्चित रूप से व्यायाम सभी के लिए अच्छा है और आज हमारे पास तमाम तरह के व्यायाम के संसाधन उपलब्ध भी हैं। अब कोई भी अपने समय और पसन्द के अनुसार व्यायाम के प्रकार का चुनाव कर सकता है। लेकिन कुछ एथलीट और जानी-मानी शख्यियस अच्छा दिखने के चक्कर में व्यायाम की स्वस्थ सीमाओं को पार कर जाते हैं। जरूरत से ज्यादा वर्क आउट (Chronic exterme exercise) हार्ट डैमेज और राइम डिसऑर्डर का विकार उत्पन्न कर सकते हैं।
➡ये आधुनिक अध्ययन भले ही आज दुनिया के सामने आये हों पर भारतीय वैदिक चिकित्सा विज्ञान हजारों साल पहले हृदय रोगी होने के कारणों को बहुत ही वैज्ञानिक तरीके से बता चुका है। चिकित्सा के महान् आचार्य चरक ने चिकित्सा स्थान २६/७७ में हजारों वर्ष पूर्व हृदय के रोगी होने के कारणों में प्रथमत: व्यायाम की अधिक्यता को ही बताया है-
व्यायामतीक्ष्णातिविरेकबस्ति चिन्ताभयत्रासगदातिचारा:।
छद्र्यामसंधारणकर्शनानि हृद्रोगकत्ध्णि तथाऽभिघात:।।
➡अधिक व्यायाम हो या चटपटा भोजन, अधिक जुलाब लेना, चिंता, भय, उत्पीड़ित होना, पूर्व में उत्पन्न रोग का उचित उपचार न होना, मल, मूत्र, अपान वायु, वमन, नींद, छींक, भूख, प्यास आदि वेगों को रोकना, आमदोष (भोजन का सही पाचन न होने से पेट में उत्पन्न हुआ एक प्रकार का विषैला तत्त्व), शरीर को कृश बनाने वाले खान-पान और रहन-सहन तथा किसी प्रकार की चोट, मानसिक आघात जैसे कारण हृदय को रोग ग्रस्त कर देते हैं।
➡इस प्रकार गलत जीवनशैली, गलत खान-पान हमारे हार्ट को कमजोर और रोगग्रस्त कर रहा है। एक अध्ययन के अनुसार अकाल मौत के कारणों में २००५ में दिल की बीमारी का स्थान तीसरा था किन्तु २०१६ में दिल की बीमारी अकाल मृत्यु का पहला कारण बन गया। हृदय के जाने-माने एलोपैथिक चिकित्सक डॉ. मनचन्दा जो एम्स में कार्डियो विभाग के कई सालों तक हेड रह चुके हैं, उन्होंने भी कमजोर दिल का कारण नए जमाने की जीवनशैली को कहा है यानी वही कारण बताया जिसे वैदिक चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद ने बताया है।
➡इस लेख में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे बंडारू वैष्णव के हार्ट अटैक से मृत्यु की चर्चा हमने की तो उसमें वही कारण था कि देर रात का भोजन, जिससे हुयी अपच, आमदोष फिर हार्ट अटैक जिसका उल्लेख महर्षि चरक चिकित्सा स्थान २६/७७ में कर चुके हैं।
➡वस्तुत: १०० साल या अधिक की आयु और उसमें भी निरोग रहते हुए जीवन जीने के लिए वैदिक चिकित्सा विज्ञान स्पष्ट बताता है कि जिस व्यक्ति के शरीर में यह तीन स्थितियाँ रहती हैं-
१. वायु अपने मार्ग में बिना किसी रुकावट के संचरण करता है।
२. वायु अपने स्थान में रहता है।
३. वायु अपनी स्वाभाविक स्थिति में रहता है यानी न बढ़ा हुआ और न क्षीण, वह व्यक्ति रोग रहित रहता हुआ १०० साल तक जीवित रहता है। च.चि. २८/४।।
➡आधुनिक चिकित्सा विज्ञान अभी तक उतनी गहराई में नहीं पहुँच पाया। वह तो रक्तसंवहन में असंतुलन को ही दिल के दौरे और उससे होने वाली मौत के कारण को गिना रहा है। यहाँ पर यह समझना आवश्यक है कि हार्ट की स्वस्थ रक्त संवहन क्रिया कैसे होती है और रक्त संवहन असंतुलन का जिम्मेदार कारक क्या है? शरीर में ‘रक्त संवहन प्रणाली’ का संतुलन/असंतुलन किसके अधीन है तो सामान्य सी समझ रखने वाला व्यक्ति भी बता देता है कि शरीरान्तर्गत वायु।
➡वैदिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार शरीर का यह वायु रूखा, ठण्डा, अल्प मात्रा में, अति मैथुन, रात्रि जागरण, कम नींद लेने, कूदने, फाँदने, तैरने, अधिक पैदल चलने, अधिक व्यायाम करने, किसी भी प्रकार का अधिक श्रम करने, धातुओं के क्षीण होने, चिन्ता, शोक, तनाव, क्रोध, भय, दिन में सोने, मल, मूत्र, छींक, वमन, आँसू, भूख, प्यास, अपानवायु को रोकने, आमदोष उत्पन्न होने, चोट लगने, मर्मस्थान में चोट लगने आदि कारणों से प्रकुपित (Furious/Violent) हो जाता है जिससे शरीर में मारक व्याधियाँ उत्पन्न हो जाती हैं।
➡ध्यान देने की बात है कि वैदिक सिद्धान्त आयुर्वेद (च.चि. २८/३) में स्पष्ट बताया गया है कि शरीर, इन्द्रिय, मन और आत्मा के संयोग रूप आयु के अस्तित्व में प्रकृतिस्थ वायु का महान् योगदान रहता है इसीलिए वायु को ‘आयु’ कहा गया है इसी को आत्मा का धारक कहा गया है और व्यवहार में भी देखिए कि साँसें निकल गयीं, जीवन लीला समाप्त। किन्तु दुर्भाग्य यह है भारत का इतना समृद्ध चिकित्सा शास्त्र होते हुए भी हमारी नवीन पीढ़ी को सरकारों के शिथिल रवैये के कारण इसका समग्र लाभ नहीं मिल पा रहा।
➡इस विवेचना में आप एक और रहस्य समझेंगे कि चरक संहिता में वायु के प्रकुपित होने के जो-जो कारण बताये गये हैं वही-वही कारण त्रिमर्मीय चिकित्साध्याय २६/७७ में हृदय के रोगी होने में बताये गये हैं।
हार्ट अटैक और हृदय से जुड़ी बीमारियों का लेकर कई संस्थाओं और एजेंसियों की रिपोर्ट पर हम एक सरसरी नजर डाल दें। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में वर्ष २०१४ के बाद हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या बढ़ी है-
➡वर्ष २०१४ में अगर इससे मौतों की संख्या १८३०९ थी तो वर्ष २०१९ में बढ़कर २८,००५ हो गया। भारत में अब बीमारियों से होने वाली हर चौथी मौत हार्ट अटैक से होती है। लेसेंट की रिपोर्ट बताती है कि ये बीमारी अब शहरी लोगों से ज्यादा गाँवों के लोगों को शिकार बनाने लगी है। एनसीआरबी की रिपोर्ट कहती है कि हार्ट की बीमारी अब हर १४-१८, १८-३०, ३०-३४ आयु वर्ग में हो रही है। सेण्टर ऑफ डिसीज वंâट्रोल एण्ड प्रिवेंसन यानी सीडीसी की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका में हर ३६ सेकेण्ड में एक मौत हार्ट से जुड़ी बीमारियों से होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट कहती है कि दुनियाँ बीमारियों की वजह से होने वाली मौतों में सबसे बड़ा हिस्सा कार्डियोवास्कुलर डिसीजेज का (CVD) का होता है।
➡विश्व स्वास्थ्य संगठन इसकी वजह साफ शब्दों में बताते हुए कहता है कि ऐसा शारीरिक सक्रियता का अभाव, तम्बाकू, शराब जैसे तीक्ष्ण पदार्थों के सेवन से हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आगाह किया है कि तम्बाकू का इस्तेमाल खत्म करने के साथ खान-पान में नमक कम करने और ज्यादा फल, हरी सब्जियाँ खाने से नियमित फिजिकल एक्टीविटीज से इस पर नियंत्रण हो सकता है।
➡यही बात वैदिक चिकित्सा विज्ञान बताता है कि अति व्यायाम, अतिश्रम, अनियमित दिनचर्या, शोक, चिंता, तनाव, तीक्ष्ण खान-पान (चटपटे पदार्थ, मद्य आदि) सेवन से दिल बीमार हो जाता है। (च.चि. २६/७७)
➡वैदिक चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद इसकी सूक्ष्मता बताता है कि इन सबके सेवन से शरीरान्तर्गत वायु की दिशा और दशा बिगड़ जाती है। जिससे रक्त संवहन प्रणाली अस्त-व्यस्त होती है और दिल के दौरे की स्थिति बन जाती है परिणामत: मौत। क्योंकि शरीर में रक्तसंवहन का जिम्मेदार वायु तो ही है।
➡देश के युवाओं में फैली अव्यवस्थित ‘जीवनशैली’ के निम्नांकित कारण बनते हैं-
१. तनाव
२. खान-पान के गलत तरीके जिससे चयापचय विकृति
३.कम्प्यूटर/इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर देर तक काम करना।
४. धूम्रपान, तम्बाकू, मद्यपान, फास्टफूड, नमक जैसे तीक्ष्ण वस्तुओं का बेतरतीब सेवन।
५. पर्यावरण प्रदूषण
➡२१ साल के वैष्णव हों या ४० साल के सिद्धार्थ या ४६ साल के पुनीत राजकुमार इन सभी में उपरोक्त ५ में से कम से कम एक वजह है उनके हार्ट अटैक की।
➡दिल की बीमारी और उससे होने वाली मौतों से युवाओं को बचाने के लिए सरकार को भी कुछ मदद करनी चाहिए। शासन में बैठे लोगों को चाहिए कि इस पर गंभीर और आयुर्वेदीय अवधारणा युक्त जागरूकता अभियान चलायें।
➡जंकफूड, फास्टफूड, तम्बाकू, धूम्रपान, मद्यपान पर या तो रोक लगानी चाहिए या तो इन्हें बहुत मँहगा कर देना चाहिए, साथ ही ऐसे खान-पान के प्रति स्पष्ट जागरूकता लानी चाहिए।
➡नमक सेवन के प्रति बार-बार सावधान करना चाहिए, अभी अमरीका ने अति नमक सेवन प्रति कुछ कुछ नई कानूनी व्यवस्था दी है। लोगों को खान-पान के आयुर्वेदीय तौर-तरीके समझाये जाने चाहिए। क्योंकि देश की अधिकांश आबादी को खान-पान के सही तौर-तरीकों की जानकारी नहीं है और खान-पान के सही तरीकों का ज्ञान वैदिक चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद में है।
➡वनस्पति तैल डालडा जो ट्रांसफैट के मुख्य स्रोत हैं उनसे बचें। रिफाइण्ड जैसे तैलों का निषेध कर सरसों के तैल का प्रयोग हो।
➡योग, प्राणायाम, जप, गुरुसेवा, अच्छे लोगों की संगति जिसे महर्षि चरक ने देवव्यापाश्रय चिकित्सा कहा जाता है इससे तनाव दूर होता है, मन निर्मल होकर शक्तिशाली बनता है, आत्मविश्वास बढ़ता है, चित्त शांति और एकाग्रता बढ़ती है जिससे शरीरान्तर्गत वायु संतुलित रहता है। योग और जप पर तो आधुनिक विज्ञान भी मुहर लगा रहा है। समय-समय पर पंचकर्म द्वारा शरीर का शोधन के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए इससे हृदय अवश्य निरामय होता है।
➡हमारे शरीर का वायु जितना संतुलित और प्रकृतिस्थ रहेगा उतना ही दीर्घायुष्य की ओर मानव की गति रहेगी। इसमें कोई भी संदेह नहीं है यह भारतीय ऋषियों का हजारों साल जाना परखा विज्ञान है।
➡आहार हमेशा ऐसा हो जो ओज को बढ़ाये, चित्त को शांति दे तथा शरीर के चैनल्स (स्रोतस) में अवरोध पैदा न करे।
➡इतिहास साक्षी है कि इन्हीं उपायों से हमारे पूर्वज लम्बी आयु जीते थे और शेरेदिल कहे जाते थे !
निष्कर्ष
जिम में दिल के दौरे की घटनाएं
फिटनेस के नाम पर लापरवाही और जागरूकता की कमी को दर्शाती हैं। फिटनेस
महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे अपनी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार ही अपनाना
चाहिए। सही मार्गदर्शन, मेडिकल जांच, और सावधानी से न केवल इन घटनाओं को
टाला जा सकता है, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली को बेहतर ढंग से अपनाया जा सकता
है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Positive Thoughts, The Law of attraction quotes, The Secret Quotes, 48 Laws of Power in Hindi, health is wealth, Motivational and Positive Ideas, Positive Ideas, Positive Thoughts, G.K. Que. , imp GK , gazab post in hindi, hindi me, hindi me sab kuch, जी० के० प्रश्न , गज़ब रोचक तथ्य हिंदी में, सामान्य ज्ञान, रोचक फैक्ट्स