मंगलवार, 10 दिसंबर 2024

सूचना का अधिकार (आरटीआई) #RTI

 
सूचना का अधिकार (आरटीआई)  #RTI
सूचना का अधिकार (आरटीआई)  #RTI

 
भारतीय संसद ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और सरकारी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए साल 2005 में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून बनाया था. इस कानून के तहत भारत का कोई भी नागरिक सरकार के किसी भी विभाग की जानकारी हासिल कर सकता है. 

भारत के सभी नागरिक सूचना के अधिकार कानून के तहत किसी भी सरकारी विभाग या सार्वजनिक संस्थान की जानकारी हासिल कर सकते हैं. 

*आरटीआई कानून के तहत आवेदन करने और जानकारी हासिल करने की पूरी प्रक्रिया*

आरटीआई हाथ से लिखकर या टाइप करके या फिर ऑनलाइन लगाई जा सकती है.

हालांकि इसका कोई विशेष पारूप नहीं हैं, लेकिन आप जिस सरकारी या सार्वजनिक संस्थान से जानकारी लेना चाहते हैं, उस विभाग या संस्थान की वेबसाइट में जाकर आरटीआई के आवेदन का प्रारूप डाउनलोड कर सकते हैं. आरटीआई के तहत सिर्फ लिखित में ही नहीं, बल्कि मौखिक रूप से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. भारत का कोई भी नागरिक आरटीआई कानून के तहत हिंदी, अंग्रेजी और किसी स्थानीय भाषा में जानकारी हासिल कर सकता है.

*जानकारी पाने के लिए किसको भेजें आवेदन*

सरकार के सभी विभाग, मंत्रालय और सार्वजनिक संस्थानों में लोक सूचना अधिकारी की नियुक्ति की जाती है. सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 6 के मुताबिक आप केंद्र सरकार या राज्य सरकार के जिस विभाग या सार्वजनिक संस्थान की जानकारी हासिल करना चाहते हैं, तो आपको उस विभाग के लोक सूचना अधिकारी या फिर सहायक लोक सूचना अधिकारी को आवेदन करना होगा.

इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप राज्य सरकार के किसी विभाग या मंत्रालय से जानकारी लेना चाहते हैं, तो आपको उस विभाग या मंत्रालय के राज्य सूचना अधिकारी या राज्य सहायक सूचना अधिकारी को आवेदन करना होगा. इसके अलावा अगर आप केंद्र सरकार के किसी विभाग या मंत्रालय से जानकारी लेना चाहते हैं, तो आपको उस विभाग या मंत्रालय के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या केंद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी को आवेदन करना होगा.

*कितने दिन में मिलेगी सूचना*

सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 7 में प्रावधान किया गया कि कोई भी सूचना 30 दिन के अंदर दी जाएगी. इसके अलावा अगर कोई सूचना किसी व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता के संबंधित है, तो उसको 48 घंटे के अंदर प्रदान की जाएगी. इसका मतलब यह हुआ कि अगर कोई सूचना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए जीवन या स्वतंत्रता के अधिकार से संबंधित है, तो आवेदन करने वाले को 48 घंटे के अंदर सूचना उपलब्ध करानी होगी.

अब यहां सवाल यह है कि आखिर सूचना देने की अवधि की गणना कब से की जाएगी, तो इसका जवाब यह है कि सूचना के अधिकार के तहत आवेदन फीस देने के दिन से इसकी गणना की जाएगी. इसका मतलब यह है कि जिस दिन आरटीआई की जानकारी हासिल करने के लिए फीस जमा की गई है, उस दिन से 30 दिन की गणना की जाएगी. अगर जानकारी किसी व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता से संबंधित है, तो आरटीआई की फीस जमा करने के समय से 48 घंटे की गणना की जाएगी.

*ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन कर सकते हैं आवेदन*

भारत का कोई भी नागरिक आरटीआई कानून के तहत ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन आवेदन कर सकता है. ऑनलाइन जानकारी हासिल करने के लिए आरटीआई के ऑनलाइन पोर्टल यानी www.rtionline.gov.in में जाकर आवेदन करना होता है. इसके लिए आप www.rtionline.gov.in पर रजिस्टर्ड करके या फिर बना रजिस्टर्ड किए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. अगर आप बिना रजिस्टर्ड किए सीधे ऑनलाइन आवेदन करते हैं, तो आपको 'आवेदन करें' पर क्लिक करना होगा और सीधे आवेदन करना होगा.

*सूचना न देने वाले के खिलाफ कार्रवाई*

अगर आपने आरटीआई के तहत कोई जानकारी मांगी है और कोई लोक सूचना अधिकारी जानकारी जानकारी देने से मना करता है, तो उसको इसका वाजिब कारण बताना होगा. साथ ही इस संबंध में किसी अपील की जाए, इसकी जानकारी देगा. वरना उसको जुर्माना भरना पड़ सकता है.

आरटीआई अधिनियम की धारा 20 के मुताबिक अगर कोई लोक सूचना अधिकारी दुर्भावनापूर्वक कोई जानकारी देने से इनकार करता है या गलत जानकारी देता है या आधी-अधूरी जानकारी देता है या फिर किसी जानकारी को देने से बचने के लिए दस्तावेज को नष्ट करता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है.

आरटीआई अधिनियम की धारा 20 में कहा गया है कि अगर कोई अधिकारी सूचना निर्धारित समय पर नहीं देता है, तो उस पर 250 रुपये रोजाना की दर से जुर्माना लगाया जाएगा. जुर्माने की यह राशि 25 हजार से ज्यादा नहीं होगी. इसके अलावा केंद्रीय सूचना आयोग या फिर राज्य सूचना आयोग ऐसे अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करने की सिफारिश कर सकते हैं.

सूचना का अधिकार (RTI) भारत में एक महत्वपूर्ण कानून है जो नागरिकों को सरकार और उसके विभागों से संबंधित जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। यह नागरिकों को पारदर्शिता, जवाबदेही, और सरकारी कार्यों में भागीदारी का अवसर प्रदान करता है।

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act, 2005)

यह अधिनियम 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ। इसके तहत हर भारतीय नागरिक को सरकारी अधिकारियों और संस्थानों से सूचनाएं मांगने का अधिकार है।


RTI की प्रमुख विशेषताएँ

  1. सूचना का अधिकार: नागरिक किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण से जानकारी मांग सकते हैं।
  2. सूचना की परिभाषा: किसी भी प्रकार की रिकॉर्ड, दस्तावेज़, ई-मेल, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, सर्कुलर, आदेश, लॉगबुक, अनुबंध आदि।
  3. सार्वजनिक प्राधिकरण: केंद्र, राज्य, और स्थानीय स्तर के सभी सरकारी विभाग।
  4. समय सीमा:
    • सामान्य परिस्थितियों में: 30 दिन।
    • यदि मामला जीवन या स्वतंत्रता से संबंधित हो: 48 घंटे।
    • अन्य मामलों में: 45 दिन (यदि तीसरे पक्ष से जानकारी ली जानी हो)।
  5. सूचना आयुक्त: शिकायतें सुनने के लिए राज्य और केंद्रीय स्तर पर नियुक्त।

RTI का उपयोग कैसे करें?

  1. आवेदन फॉर्म: संबंधित विभाग में RTI आवेदन फॉर्म भरें।
  2. शुल्क: सामान्यत: 10 रुपये। (BPL कार्डधारकों के लिए नि:शुल्क)।
  3. माध्यम:
    • डाक द्वारा।
    • ऑनलाइन (कई राज्यों में)।
    • संबंधित कार्यालय में जाकर।
  4. जवाब न मिलने पर:
    • प्रथम अपील अधिकारी (FAA) के पास शिकायत करें।
    • उसके बाद राज्य या केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के पास अपील करें।

RTI के लाभ

  1. पारदर्शिता:
    • सरकार और उसके अधिकारियों की कार्यशैली पारदर्शी बनती है।
  2. जवाबदेही:
    • सरकारी कर्मचारियों और संस्थाओं को उत्तरदायी बनाया जा सकता है।
  3. भ्रष्टाचार में कमी:
    • भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का पर्दाफाश करने का सशक्त साधन।
  4. नागरिक सशक्तिकरण:
    • आम आदमी को सरकारी कामकाज में भागीदारी का मौका मिलता है।
  5. तेज़ न्याय प्रक्रिया:
    • गलतफहमी और अन्याय को कम करने में मदद मिलती है।
  6. संवैधानिक अधिकार:
    • यह नागरिकों के जानने के अधिकार (Right to Know) का संवैधानिक रूप है।
  7. लोकतंत्र की मजबूती:
    • यह लोकतांत्रिक ढांचे को अधिक सशक्त और जिम्मेदार बनाता है।

RTI के नुकसान या सीमाएँ

  1. जानकारी का दुरुपयोग:
    • कुछ लोग RTI का उपयोग व्यक्तिगत लाभ या प्रतिशोध के लिए करते हैं।
  2. सरकारी अधिकारियों पर बोझ:
    • बड़ी संख्या में आवेदन होने से अधिकारियों पर काम का अतिरिक्त दबाव बढ़ता है।
  3. गोपनीयता का उल्लंघन:
    • कुछ मामलों में सरकारी गोपनीय जानकारी सार्वजनिक हो जाती है।
  4. सुरक्षा चिंताएँ:
    • संवेदनशील क्षेत्रों में जानकारी का खुलासा राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचा सकता है।
  5. लंबी प्रक्रिया:
    • अपील और शिकायतों की प्रक्रिया कभी-कभी लंबी और जटिल हो जाती है।
  6. अपर्याप्त जागरूकता:
    • ग्रामीण क्षेत्रों और अशिक्षित वर्ग में RTI की जानकारी और उपयोगिता के प्रति जागरूकता की कमी।
  7. भ्रष्टाचार:
    • कभी-कभी जवाब देने वाले अधिकारी जानबूझकर गलत या अधूरी जानकारी देते हैं।

RTI की चुनौतियाँ और समाधान

चुनौतियाँ:

  1. अपील और शिकायतों की धीमी प्रक्रिया।
  2. सरकारी अधिकारियों का नकारात्मक रवैया।
  3. कानून के प्रावधानों का दुरुपयोग।
  4. सूचना आयुक्तों की कमी।

संभावित समाधान:

  1. सुधारात्मक कदम: सूचना आयोग को अधिक अधिकार और संसाधन दिए जाएं।
  2. प्रशिक्षण: सरकारी अधिकारियों और जनता के बीच RTI की प्रक्रिया पर प्रशिक्षण।
  3. जागरूकता अभियान: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में RTI के महत्व और उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
  4. डिजिटलीकरण: RTI की प्रक्रिया को अधिक डिजिटल और सरल बनाया जाए।

निष्कर्ष

RTI अधिनियम एक सशक्त माध्यम है जो नागरिकों को उनके अधिकार दिलाने और सरकार की पारदर्शिता बनाए रखने में मदद करता है। हालाँकि, इसके प्रभावी उपयोग के लिए जागरूकता, सुधार और ईमानदारी आवश्यक है। सही ढंग से लागू होने पर यह भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत और भ्रष्टाचार मुक्त बना सकता है।

 


📌 *_RTI ACT क्या है इस कानून में विशेष और क्यो है जरूरी, साथ ही जानिए कैसे करे इस कानून का उपयोग_*

जागरूक नागरिक उज्ज्वल भविष्य भारत का
*प्रताप सिंह*

भारतीय संसद ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और सरकारी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए साल 2005 में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून बनाया था. इस कानून के तहत भारत का कोई भी नागरिक सरकार के किसी भी विभाग की जानकारी हासिल कर सकता है. 

भारत के सभी नागरिक सूचना के अधिकार कानून के तहत किसी भी सरकारी विभाग या सार्वजनिक संस्थान की जानकारी हासिल कर सकते हैं. 

*आरटीआई कानून के तहत आवेदन करने और जानकारी हासिल करने की पूरी प्रक्रिया*

आरटीआई हाथ से लिखकर या टाइप करके या फिर ऑनलाइन लगाई जा सकती है.

हालांकि इसका कोई विशेष पारूप नहीं हैं, लेकिन आप जिस सरकारी या सार्वजनिक संस्थान से जानकारी लेना चाहते हैं, उस विभाग या संस्थान की वेबसाइट में जाकर आरटीआई के आवेदन का प्रारूप डाउनलोड कर सकते हैं. आरटीआई के तहत सिर्फ लिखित में ही नहीं, बल्कि मौखिक रूप से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. भारत का कोई भी नागरिक आरटीआई कानून के तहत हिंदी, अंग्रेजी और किसी स्थानीय भाषा में जानकारी हासिल कर सकता है.

*जानकारी पाने के लिए किसको भेजें आवेदन*

सरकार के सभी विभाग, मंत्रालय और सार्वजनिक संस्थानों में लोक सूचना अधिकारी की नियुक्ति की जाती है. सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 6 के मुताबिक आप केंद्र सरकार या राज्य सरकार के जिस विभाग या सार्वजनिक संस्थान की जानकारी हासिल करना चाहते हैं, तो आपको उस विभाग के लोक सूचना अधिकारी या फिर सहायक लोक सूचना अधिकारी को आवेदन करना होगा.

इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप राज्य सरकार के किसी विभाग या मंत्रालय से जानकारी लेना चाहते हैं, तो आपको उस विभाग या मंत्रालय के राज्य सूचना अधिकारी या राज्य सहायक सूचना अधिकारी को आवेदन करना होगा. इसके अलावा अगर आप केंद्र सरकार के किसी विभाग या मंत्रालय से जानकारी लेना चाहते हैं, तो आपको उस विभाग या मंत्रालय के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या केंद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी को आवेदन करना होगा.

*कितने दिन में मिलेगी सूचना*

सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 7 में प्रावधान किया गया कि कोई भी सूचना 30 दिन के अंदर दी जाएगी. इसके अलावा अगर कोई सूचना किसी व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता के संबंधित है, तो उसको 48 घंटे के अंदर प्रदान की जाएगी. इसका मतलब यह हुआ कि अगर कोई सूचना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए जीवन या स्वतंत्रता के अधिकार से संबंधित है, तो आवेदन करने वाले को 48 घंटे के अंदर सूचना उपलब्ध करानी होगी.

अब यहां सवाल यह है कि आखिर सूचना देने की अवधि की गणना कब से की जाएगी, तो इसका जवाब यह है कि सूचना के अधिकार के तहत आवेदन फीस देने के दिन से इसकी गणना की जाएगी. इसका मतलब यह है कि जिस दिन आरटीआई की जानकारी हासिल करने के लिए फीस जमा की गई है, उस दिन से 30 दिन की गणना की जाएगी. अगर जानकारी किसी व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता से संबंधित है, तो आरटीआई की फीस जमा करने के समय से 48 घंटे की गणना की जाएगी.

*ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन कर सकते हैं आवेदन*

भारत का कोई भी नागरिक आरटीआई कानून के तहत ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन आवेदन कर सकता है. ऑनलाइन जानकारी हासिल करने के लिए आरटीआई के ऑनलाइन पोर्टल यानी www.rtionline.gov.in में जाकर आवेदन करना होता है. इसके लिए आप www.rtionline.gov.in पर रजिस्टर्ड करके या फिर बना रजिस्टर्ड किए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. अगर आप बिना रजिस्टर्ड किए सीधे ऑनलाइन आवेदन करते हैं, तो आपको 'आवेदन करें' पर क्लिक करना होगा और सीधे आवेदन करना होगा.

*सूचना न देने वाले के खिलाफ कार्रवाई*

अगर आपने आरटीआई के तहत कोई जानकारी मांगी है और कोई लोक सूचना अधिकारी जानकारी जानकारी देने से मना करता है, तो उसको इसका वाजिब कारण बताना होगा. साथ ही इस संबंध में किसी अपील की जाए, इसकी जानकारी देगा. वरना उसको जुर्माना भरना पड़ सकता है.

आरटीआई अधिनियम की धारा 20 के मुताबिक अगर कोई लोक सूचना अधिकारी दुर्भावनापूर्वक कोई जानकारी देने से इनकार करता है या गलत जानकारी देता है या आधी-अधूरी जानकारी देता है या फिर किसी जानकारी को देने से बचने के लिए दस्तावेज को नष्ट करता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है.

आरटीआई अधिनियम की धारा 20 में कहा गया है कि अगर कोई अधिकारी सूचना निर्धारित समय पर नहीं देता है, तो उस पर 250 रुपये रोजाना की दर से जुर्माना लगाया जाएगा. जुर्माने की यह राशि 25 हजार से ज्यादा नहीं होगी. इसके अलावा केंद्रीय सूचना आयोग या फिर राज्य सूचना आयोग ऐसे अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करने की सिफारिश कर सकते हैं.

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